कप्तान बदलने का यह सही समय नहीं: गावस्कर

कप्तान बदलने का सही समय नहीं: गावस्कर

कप्तान बदलने का सही समय नहीं: गावस्करकोलंबो : भारत के पांच में से चार मैच जीतने के बावजूद आईसीसी विश्व ट्वेंटी-20 से बाहर होने से टूर्नामेंट के प्रारूप पर सवाल उठने शुरू हो गये हैं। पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर का मानना है कि आईसीसी को इसके प्रारूप पर गौर करने की जरूरत है।

गावस्कर ने प्रारूप के संदर्भ में कहा, ‘आईसीसी के प्रमुखों को साथ में बैठकर विचार करने की जरूरत है। ’ भारत ने कल दक्षिण अफ्रीका को एक रन से हराया लेकिन वह बाहर हो गया। दूसरी तरफ वेस्टइंडीज केवल दो मैच जीतने के बावजूद सेमीफाइनल में पहुंच गया। गावस्कर से पूछा गया कि क्या अंक लेकर अगले दौर में पहुंचना सही रहेगा, उन्होंने कहा, ‘आपको याद रखना चाहिए कि जब भी कोई बदलाव हुआ तो वह इस तरह से किया गया जिससे कि भारत जल्दी बाहर नहीं हो।

विश्व कप 2007 में जब भारत पहले दौर में बाहर हो गया तो संबंधित पक्षों को भारी नुकसान हुआ था। ’ उन्होंने एनडीटीवी से कहा, ‘इसके बाद यदि आप ग्रुप पर गौर करो तो भारत को ऐसे ग्रुप में रखा गया जिसमें एक कमजोर टीम हो। ऐसा माना गया कि भारत कमजोर टीम को हरा देगा। ’’ गावस्कर इस तरह के टूर्नामेंट में दोनों मैच एक ही मैदान पर कराने के खिलाफ हैं।

कुछ पूर्व खिलाड़ी भले ही कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को दोष दे रहे हैं लेकिन गावस्कर का मानना है कि यह कप्तान बदलने का समय नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘यह जरूरी नहीं है। मैं ऐसा नहीं मानता। कई अवसर ऐसे आये जबकि कप्तान बने रहे। माहेला जयवर्धने श्रीलंका के 2007 में विश्व कप फाइनल में हार के बाद कप्तान बने रहे। मैं समझता हूं कि केवल भारत ऐसा देश है जिसमें कप्तान को लेकर चर्चा होती है। भारत कप्तानों को लेकर संयम नहीं बरतता। ’

गावस्कर ने कहा, ‘‘कई बार लगता है कि आखिर कप्तान बनने का क्या फायदा, केवल खिलाड़ी के रूप में खेलना बेहतर है। हम अच्छा नहीं खेले लेकिन इसके लिये केवल कप्तान को दोषी नहीं माना जा सकता। इसके कई कारण है। यह एथलेटिज्म से जुड़ा है, इसमें क्षेत्ररक्षण का पहलू है। सीमित ओवरों के मैच में प्रत्येक रन महत्व रखता है। धोनी कई युवा खिलाड़ियों की तुलना में बेहतर दौड़ लगाता है। ’ (एजेंसी)

First Published: Thursday, October 4, 2012, 08:53

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