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टीम इंडिया में दरार

ज़ी न्यूज ब्यूरो
ब्रिसबेन/नई दिल्ली : एडिलेड से लेकर ब्रिसबेन तक टीम इंडिया की भद पिट रही है, लेकिन इस सबसे बेखबर टीम इंडिया के सीनियरों में दरार बढ़ता ही जा रहा है। ड्रेसिंग रूम में कैप्टन कूल महेंद्र सिंह धोनी और वीरेंद्र सहवाग के बीच जमकर तनातनी चल रही है। हालांकि बोर्ड और टीम मैनेजमेंट ऐसी किसी तरह की खींचतान से इनकार कर रहे हैं, लेकिन अब ये दरार सबके सामने आ गया है।

 

कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और वीरेंद्र सहवाग के बीच मतभेद का सबसे बड़ा मुद्दा रोटेशन पॉलिसी है। रोटेशन यानी किसी को खेलने का मौका तो किसी को आराम। टीम ने सीरीज से पहले सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर को बारी-बारी से मैच में बैठाने का फैसला किया था। धोनी की मानें तो ये फैसला इसलिए लिया गया, क्योंकि सीनियर फील्डर सुस्त हैं और ऑस्ट्रेलिया के मैदानों में इनकी फील्डिंग की वजह से हर मैच में 20 रन का नुकसान होता है लेकिन सहवाग इस नीति से गुस्से में हैं।

 

ब्रिसबेन वन-डे में हार के बाद सहवाग ने साफ कहा कि मुझे या फिर किसी दूसरे सीनियर खिलाड़ी को कभी ये नहीं बताया गया कि सुस्त फील्डिंग भी कोई मुद्दा है। मुझे नहीं पता कि धोनी क्या कहते हैं और मीडिया में क्या जाता है। उन्होंने हमसे यही कहा है कि वह युवाओं को मौका देना चाहते हैं क्योंकि इन्हीं युवाओं को आने वाले वर्ल्ड कप में खेलना है।

सहवाग के इस बयान से साफ है वह टीम के कप्तान धोनी की मंशा पर सवाल उठा रहे हैं। वीरु धोनी के इस बयान से बेहद आहत हैं कि सीनियर स्लो फील्डर साबित हो रहे हैं और इसी वजह से रोटेशन पॉलिसी का इस्तेमाल किया जा रहा है।

सुनील गावस्कर बनाम कपिल देव, मोहम्मद अजहरुद्दीन बनाम सचिन तेंदुलकर, धोनी बनाम वीरेंद्र सहवाग, सौरव गांगुली बनाम ग्रेग चैपल, कहने का मतलब भारतीय क्रिकेट में जब-जब दो शख्सियतें टकराई हैं, खामियाजा टीम को भुगतना पड़ा है।

First Published: Thursday, February 23, 2012, 08:27

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