Last Updated: Tuesday, February 5, 2013, 19:04

नई दिल्ली : अखिल भारतीय टेनिस संघ (एआईटीए) के खिलाफ विरोध करने वाले 11 खिलाड़ियों की अगुवाई करने वाले महेश भूपति ने आज एआईटीए के बागी खिलाड़ियों द्वारा उठाये गये मुद्दों की जांच के लिये तीन सदस्यीय पैनल के गठन के कदम की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि पैनल ‘पक्षपाती’ होगा और इससे उद्देश्य पूरा नहीं होगा।
एआईटीए ने रविवार को बागी खिलाड़ियों के खिलाफ मुद्दों को निपटाने के लिये तीन सदस्यीय समिति गठित की थी, जिसमें न्यायमूर्ति दीपक वर्मा और पूर्व डेविस कप खिलाड़ी नरेश कुमार शामिल हैं। लेकिन भूपति ने कहा कि पैनल ‘सही मुद्दों’ से ध्यान भटकाने के लिये गठित किया गया है।
भूपति ने कहा, ‘‘समिति के गठन के बारे में मुझे संदेह है क्योंकि समिति को रिपोर्ट सौंपने के लिये चार महीने का समय दिया गया है जबकि भारत का अगला मुकाबला अगले कुछ हफ्ते में ही होगा। यह एआईटीए द्वारा सही मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिये बनायी गयी योजना है। मुझे एआईटीए की ओर से इसमें कोई शीघ्रता नहीं दिखती। ’’
भूपति ने कहा, ‘‘यह हमारे लिये काफी हताशापूर्ण और परेशानी करने वाला है। हम उम्मीद कर रहे थे कि प्रबंधन से कोई इसकी जिम्मेदारी लेगा और इस मुद्दे को निपटाने की कोशिश करेगा। ऐसा लगता है कि एआईटीए हमें शामिल नहीं करना चाहता।’’ दक्षिण कोरिया से एशिया-ओसनिया ग्रुप एक मुकाबले में 1- 4 से हारने के बाद भारत को पहले राउंड के प्ले आफ में पांच से सात अप्रैल को इंडोनेशिया से खेलना है।
भूपति ने यह भी कहा कि समिति के गठन के बारे में उन्हें कुछ संदेह है। उन्होंने ‘एनडीटीवी’ से कहा, ‘‘दो सदस्यों का टेनिस से कोई नाता नहीं है और नरेश कुमार को समिति में रखने से ऐसा हो ही नहीं सकता कि समिति पक्षपाती नहीं हो। मैं नरेश कुमार का काफी सम्मान करता हूं, वह भारत के कप्तान रह चुके हैं लेकिन उनके ‘नोटपैड’ पर लिखी कुछ बातें जो मीडिया में आयीं थी, वे काफी लोगों को अच्छी नहीं लगी थीं। ’’ भूपति ने एआईटीए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हिरोन्मय चटर्जी की बागी खिलाड़ियों के खिलाफ की गयी उनकी टिप्पणियों की भी आलोचना की लेकिन साथ ही कहा कि वह और अन्य खिलाड़ी उनके साथ इस मुद्दे पर बातचीत के लिये रूचि नहीं रखते।
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने पढ़ा, चटर्जी ने क्या कहा। उन्होंने कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया जैसे हम एआईटीए को ‘ब्लैकमेल’ कर रहे हैं। हमें यह अच्छा नहीं लगा। हम भी एआईटीए के बारे में काफी चीजें कह सकते थे, जो उसने लंबे समय से हमारे लिये नहीं किया है। ऐसा कोई कारण नहीं है कि एआईटीए को हमसे संपर्क नहीं करना चाहिए। ’’ (एजेंसी)
First Published: Tuesday, February 5, 2013, 19:04