धोनी की कप्तानी और सीनियर क्रिकेटर के फॉर्म पर उठे सवाल

धोनी की कप्तानी और सीनियर क्रिकेटर के फॉर्म पर उठे सवाल

धोनी की कप्तानी और सीनियर क्रिकेटर के फॉर्म पर उठे सवालनई दिल्ली : पूर्व क्रिकेटरों का मानना है कि विश्व टी20 चैम्पियनशिप से बाहर के जल्द बाहर होने का का अहम कारण महेंद्र सिंह धोनी की ‘रणनीतिक गलतियां’ और कुछ सीनियर खिलाड़ियों की खराब फार्म थी। इन्होंने हालांकि कहा कि इसके बावजूद टीम में आमूलचूल बदलाव करने की जरूरत नहीं है। धोनी को कुछ ‘रणनीतिक गलतियों’ के कारण आलोचना का सामना करना पड़ रहा है लेकिन सुनील गावस्कर जैसे कुछ पूर्व क्रिकेटर कप्तान को बदलने या टीम में काफी बदलाव करने के पक्ष में नहीं हैं। भारतीय टीम नेट रन रेट के आधार पर विश्व टी20 चैम्पियनशिप के लिए क्वालीफाई करने में नाकाम रही थी और पूर्व क्रिकेटरों ने कहा कि इस प्रारूप में टीम की लगातार विफलता का आकलन करना चाहिए और सुधारवादी कदम उठाए जाने चाहिए।

गावस्कर, अनिल कुंबले, दिलीप वेंगसरकर और अजित वाडेकर जैसे पूर्व कप्तानों सहित कई पूर्व क्रिकेटरों का मानना है कि भारत के बाहर होने के लिए कई कारण जिम्मेदार है। धोनी के कुछ फैसलों की भी पूर्व क्रिकेटरों ने आलोचना की है। गावस्कर ने कहा, भारतीय क्रिकेट दोराहे पर खड़ा है। हम उन दो लघु प्रारूपों में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए हैं जिसमें हमने दबदबा बनाया था। हमने 2007 में विश्व टी20 और पिछले साल 50 ओवर का विश्व कप जीता। इसके बाद हम संघर्ष कर रहे हैं। हमें इस पर गौर करना होगा। हमें एक साथ बैठकर पता करना होगा कि ऐसा क्यों हो रहा है।

गावस्कर ने कहा, मैं यह नहीं कह रहा हूं कि जांच होनी चाहिए या कोच से रिपोर्ट मांगी जानी चाहिए। मैं यह भी नहीं कर रहा हूं कि किसी को बाहर किया जाना चाहिए और कप्तान बदलने की भी कोई जरूरत नहीं है। इन सभी चीजों की कोई जरूरत नहीं है। इस पूर्व भारतीय कप्तान ने कहा कि इस प्रदर्शन के लिए कोच और कप्तान को ही जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने टीम के हित में फैसले किए।

उन्होंने कहा, हमें इसके लिए कप्तान या कोच को जिम्मेदार नहीं ठहराना चाहिए। उन्होंने फैसला यह सोचकर किया कि यह टीम के हित में होगा। कोई भी कप्तान या कोच जानबूझकर गलत फैसले करके अपने पैर पर कुल्हाड़ी नहीं मारना चाहता। कभी कभी फैसले आपके पक्ष में जाते हैं और कभी नहीं। गावस्कर ने कहा, इसलिए मुझे लगता है कि संभवत: हमने रणनीतिक स्तर पर गलती की। मुझे लगता है कि हमने आस्ट्रेलिया में त्रिकोणीय श्रृंखला, फिर एशिया कप और अब विश्व टी20 में रणनीतिक गलती की। हम इसे अलग तरीके से कर सकते थे लेकिन मैं कप्तान बदलने का सुझाव नहीं दे रहा हूं। इसकी कोई जरूरत नहीं है। भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज चेतन चौहान ने कहा कि धोनी को टीम की विफलता की जिम्मेदारी लेनी चाहिए और उनका साथ ही मानना है कि तेज गेंदबाज जहीर खान को टी20 क्रिकेट में भारत की ओर से नहीं खेलना चाहिए।

उन्होंने कहा, टूर्नामेंट उप महाद्वीप में खेला गया। हम इन हालात के आदी हैं। हम श्रीलंका गए थे और उनके खिलाफ काफी अच्छा खेले। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए मुझे लगता है कि हमें सेमीफाइनल में पहुंचना चाहिए। दुर्भाग्य से हम नहीं पहुंचे। चौहान ने कहा, कप्तान को जिम्मेदारी लेनी होगी, वह कप्तान है। मैं अकेले उसे जिम्मेदार नहीं ठहराउंगा। कप्तान उतना ही अच्छा होता है जितनी अच्छी टीम। अगर आप प्रदर्शन नहीं करते हो तो कप्तान कुछ नहीं कर सकता। दुर्भाग्य से हमने वहां प्रदर्शन नहीं किया। उन्होंने कहा कि आस्ट्रेलिया के खिलाफ वीरेंद्र सहवाग को आराम देने की कोई जरूरत नहीं। इस पूर्व सलामी बल्लेबाज ने साथ ही कहा कि विराट कोहली को छोड़कर कोई भी बल्लेबाज लगातार अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाया।

भारत के पूर्व मुख्य चयनकर्ता वेंगसरकर ने कहा कि भाग्य भी धोनी की टीम के पक्ष में नहीं था जिससे टीम को सुपर आठ चरण से बाहर होना पड़ा। वेंगसरकर ने कहा, भाग्य हमारे साथ नहीं था। टी20 प्रारूप में कौशल से अधिक भूमिका भाग्य की रहती है। एक अन्य पूर्व कप्तान और कोच अजित वाडेकर का मानना है कि भारत को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अपने अंतिम सुपर आठ मुकाबले में हरभजन सिंह के रूप में एक अतिरिक्त स्पिनर को खिलाना चाहिए था।

वाडेकर ने कहा, संभवत: हरभजन की टीम में वापसी के साथ हम अतिरिक्त स्पिनर के साथ उतर सकते थे। लेकिन क्रिकेट में काफी अगर मगर हैं। मुझे लगता है कि टीम कम से कम सेमीफाइनल में जगह बनाने की हकदार थी। इस पूर्व कप्तान ने साथ ही कहा कि वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर की सलामी जोड़ी भी अच्छी शुरूआत दिलाने में नाकाम रही जिसका खामियाजा भुगतना पड़ा।

पूर्व भारतीय कप्तान अनिल कुंबले के पास भी इसका कोई जवाब नहीं है कि आखिर क्योंकि धोनी ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ स्पिनर आर अश्विन को देर से गेंदबाजी सौंपी जबकि उन्हें विरोधी टीम को 122 रन के अंदर रोकना था। कुंबले ने कहा, अपने सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज को उस समय उतारना जब बचाव करने के लिए सिर्फ 25 रन बचे हो। यह थोड़ा हैरानी भरा है। कुंबले साथ ही इस बात से सहमत दिखे कि भारत के खराब प्रदर्शन का एक अहम कारण शीर्ष क्रम के बल्लेबाजों की खराब फार्म भी था।

पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज आकाश चोपड़ा ने भी फार्म में चल रहे बल्लेबाजों को उपरी क्रम में नहीं भेजने के लिए धोनी की आलोचना की। चोपड़ा ने कहा, इस बात पर सहमति हैं कि शीर्ष क्रम के बल्लेबाजी काफी अच्छी फार्म में नहीं थे लेकिन जो अच्छी फार्म में थे उन्हें भी बल्लेबाजी क्रम में उपर नहीं भेजा गया, जो हैरानी भरा है। धोनी चालाक कप्तान है लेकिन इस टूर्नामेंट में वह काफी कुछ और कर सकते थे। पूर्व बल्लेबाज अंशुमान गायकवाड़ का मानना है कि आर अश्विन को छोड़कर अन्य गेंदबाजों और शीर्ष क्रम के बल्लेबाजों की विफलता भारत के खराब प्रदर्शन के दो अहम कारण हैं।

उन्होंने कहा, गेंदबाजी उम्मीद के मुताबिक नहंी थी। यह पहला कारण था। अश्विन ने अच्छी गेंदबाजी की लेकिन चार गेंदबाजों की रणनीति के साथ आपको सभी से योगदान की उम्मीद होती है। दूसरा सलामी बल्लेबाजों ने हमें उचित शुरूआत नहीं थी। अधिकांश मैचों में हमें अच्छी शुरूआत नहीं मिली।’’ पूर्व भारतीय कप्तान चंदू बोर्डे और पूर्व मुख्य चयनकर्ता किरण मोरे का मानना है कि भारत के बाहर होने में भाग्य की भी अहम भूमिका रही और इसके लिए धोनी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए। (एजेंसी)

First Published: Wednesday, October 3, 2012, 18:30

comments powered by Disqus