'धोनी की रोटेशन नीति बकवास' - Zee News हिंदी

'धोनी की रोटेशन नीति बकवास'



नई दिल्ली : पूर्व भारतीय क्रिकेटरों ने महेंद्र सिंह धोनी की विवादास्पद रोटेशन नीति की कड़ी आलोचना की है। इनमें से एक क्रिकेटर ने इसे अतार्किक तो दूसरे ने बकवास करार दिया। धोनी ने टीम का क्षेत्ररक्षण स्तर सुधारने के लिए सीनियर खिलाड़ियों जैसे कि सचिन तेंदुलकर और वीरेंद्र सहवाग को रोटेट करने की रणनीति अपनायी है। लेकिन पूर्व क्रिकेटरों ने इस नीति पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

 

दिग्गज स्पिनर बिशन सिंह बेदी ने कहा कि यदि सभी खिलाड़ी फार्म में हों तभी रोटेशन का मतलब बनता है। उन्होंने कहा, मैं नहीं जानता कि रोटेशन नीति के पीछे क्या वजह है और असल में धोनी क्या सोच रहे हैं। लेकिन मेरे लिये रोटेशन नीति तभी सही होती है जबकि खिलाड़ी अच्छी फार्म में हों। लेकिन यहां कोई भी खिलाड़ी अच्छी फार्म में नहीं है। इसलिए जब वे रन ही नहीं बना रहे हैं तब उन्हें रोटेट करने का सवाल कहां से पैदा होता है।

 

पूर्व कप्तान दिलीप वेंगसरकर ने कहा कि जब तक टीम की जीत की संभावना प्रभावित नहीं होती है तो खिलाड़ियों को रोटेट करना सही है। वेंगसरकर ने कहा, रोटेशन नीति अच्छी है लेकिन यह हर हाल में लागू हो यह जरूरी नहीं है। मैदान पर सर्वश्रेष्ठ 11 खिलाड़ियों को उतारना चाहिए।

 

पूर्व स्पिनर मनिंदर सिंह ने इस बीच इसे ‘बकवास’ करार दिया। उन्होंने कहा, असल में उनका क्षेत्ररक्षण बुरा नहीं है। यदि वे रन बना रहे हों तो फिर चलता है यदि वे रन नहीं बना रहे हों तो वे बोझ बन जाते हैं। उन्होंने कहा, वह (धोनी) जबर्दस्ती रोटेशन नीति अपना रहे हैं क्योंकि सचिन तेंदुलकर या वीरेंद्र सहवाग को बाहर करना आसान नहीं है। यह जबर्दस्ती लागू की गयी रोटेशन नीति है। मैं इससे सहमत नहीं हूं। जब टीम जीत रही हो तब रोटेशन नीति सही है। यह सब बकवास है। एक अन्य पूर्व खिलाड़ी चेतन चौहान ने इस नीति को पूरी तरह खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि धोनी सीनियर खिलाड़ियों की फिटनेस पर सवाल उठाकर गलती कर रहे हैं। वह भी ऐसे समय में जबकि वे बुरे दौर से गुजर रहे हैं।

 

उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि धोनी विदेशों में पिछली दो टेस्ट श्रृंखलाओं में अपनी असफलता से ध्यान बंटा रहे हैं। यह समय एक दूसरे पर लांछन लगाने का नहीं बल्कि एक दूसरे का साथ देने का है। चौहान ने कहा, मैं कभी रोटेशन में विश्वास नहीं करता और यदि आपको लगता है कि ये तीनों अच्छे क्षेत्ररक्षक नहीं हैं तो फिर वे टीम में ही क्यों हैं। टीम में केवल तेज गेंदबाजों को रोटेशन की जरूरत है क्योंकि उन पर काम अतिरिक्त बोझ होता है।

 

चयनसमिति के पूर्व अध्यक्ष चंदू बोर्डे ने कहा कि रोटेशन नीति केवल सीनियर खिलाड़ियों पर ही लागू नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने कहा, मेरी समझ में यह नहीं आ रहा है कि रोटेशन नीति सीनियर खिलाड़ियों पर ही क्यों लागू की जा रही है। आप कब यह कहोगे कि यह नीति दूसरों पर भी लागू होनी चाहिए। केवल तीन खिलाड़ियों पर इसे लागू करना अतार्किक है। (एजेंसी)

First Published: Monday, February 20, 2012, 19:35

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