Last Updated: Friday, July 12, 2013, 11:43
ज़ी मीडिया ब्यूरोपोर्ट ऑफ स्पेन: कप्तान धोनी अपनी आतिशी पारी और बेमिसाल धैर्य को लेकर एक बार फिर चर्चा में है। कैप्टन कूल की गिनती दुनिया के उन चुनिंदा क्रिकेट कप्तानों में होती है जो किसी भी मुश्किल हालात में आपा नहीं खोता, हार नहीं मानता। शायद यही वजह है कि धोनी हार की कथा में भी जीत की पटकथा लिखना जानते हैं। यकीनन कूल कैप्टन की फेहरिस्त में वह सबसे ऊपर हैं।
श्रीलंका के खिलाफ जो फाइनल का मैच खेला जा रहा था उसमें भारत को अंतिम ओवर में जीत के लिए 15 रनों की दरकार थी। यकीनन यह एक मुश्किल टारगेट था । लेकिन तभी धोनी के दिमाग में एक विचार कौंधा। उन्होंने अंतिम ओवर से ठीक पहले अपना बल्ला बदला। यह बल्ला उनके पहले बल्ले से भारी था। धोनी किसी भी सूरते हाल में इस मैच में जीतना चाहते थे और इसलिए उन्होंने बल्ले को बदला। धोनी का यह बल्ला सिर्फ तीन बार चला और जीत भारत की झोली में आ गई।
अंतिम ओवर में भारत को जीत के लिए 15 रनों की जरूरत थी। शमिंदा इरांगा द्वारा फेंके गए उस ओवर की पहली गेंद बेकार चली गई लेकिन स्ट्राइकर पर जमे धोनी ने आपा नहीं खोया और दूसरी गेंद पर शानदार छक्का लगाया। इसके बाद धोनी ने इरांगा की तीसरी गेंद पर एक और चौका लगाया और फिर चौथी गेंद पर छक्का लगाकर दो गेंदें बाकि रहते ही अपनी टीम को नामुमकिन सी दिखने वाली जीत दिला दी। इस तरह तीन गेंदों पर 16 रन बनाकर धोनी ने भारी बल्ले और अपनी दमदार पारी का फिर एक बार धमाल दिखा दिया।
धौनी ने अपनी 52 गेंदों की पारी में पांच चौके और दो छक्के लगाए। धोनी अपनी टीम को ट्राई सीरीज में चैंपियन बनाकर मैन ऑफ द मैच के खिताब से भी नवाजे गए ।
First Published: Friday, July 12, 2013, 09:20