Last Updated: Wednesday, December 5, 2012, 16:06
नई दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को धता बताते हुए आईओए ने बुधवार को सालाना आम बैठक और चुनाव कराए। उसने यह भी कहा कि उसने कोई गलत काम नहीं किया है।
आईओए के कार्यवाहक अध्यक्ष वीके मलहोत्रा ने एजीएम से इतर पत्रकारों से कहा कि सर्वसम्मति से यह फैसला किया गया है कि हमने चूंकि कोई गलती नहीं की है लिहाजा चुनाव प्रक्रिया संपन्न कराई जाए। हमने आईओसी को बता दिया है कि दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार खेल आचार संहिता के तहत चुनाव कराए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि इसके बावजूद आईओसी ने हमें निलंबित किया लेकिन हम अपनी ओर से पूरी कोशिश करेंगे कि निलंबन जल्दी वापिस ले लिया जाए। उन्होंने कहा कि करीब 85 प्रतिशत खेल महासंघ और राज्य ओलंपिक समितियां एजीएम में मौजूद थी। फैसला सर्वसम्मति से लिया गया।
मलहोत्रा ने कहा कि आईओए ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मामले में दखल देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि मैने प्रधानमंत्री को मामले में दखल देने के लिये कहा था । हमें उम्मीद है कि आईओसी, आईओए और सरकार के प्रतिनिधि आपस में मिल बैठकर मामले का हल निकाल लेंगे। हमें ओलंपिक चार्टर, खेल आचार संहिता और दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के बीच का कोई रास्ता निकालना होगा।
निलंबन पत्र में आईओसी के इस बयान पर कि आईओए सुशासन के सिद्धांतों पर अमल कराने में नाकाम रहा है, मलहोत्रा ने कहा कि हमारे खातों और वित्तीय ब्यौरों का नियमित ऑडिट होता है और हमारे खिलाफ कुछ नहीं मिला है। दागी ललित भनोत को आईओए का महासचिव बनाने के फैसले पर आईओसी के ऐतराज पर उन्होंने कहा कि ललित भनोत अपना पक्ष रखेंगे। इस बीच आईओए के शीर्ष अधिकारियों ने कहा कि उनका इस निलंबन को अंतरराष्ट्रीय खेल मध्यस्थता अदालत (कैस) में चुनौती देने का फिलहाल कोई इरादा नहीं है।
एक आला अधिकारी ने कहा कि हमें आईओसी या सरकार से कोई शिकायत नहीं है। हमें उनसे लड़ना नहीं है। लड़ाई सरकार और आईओसी की है। हम आईओसी के फैसले को कैस में चुनौती देने की नहीं सोच रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम प्रधानमंत्री और खेल मंत्रालय के अधिकारियों से फिर मिलेंगे। हमने आईओसी अधिकारियों से भी मुलाकात का समय मांगा है। हमें उम्मीद है कि आईओसी सभी तथ्यों को ध्यान में रखकर अपना फैसला बदलेगा।
अधिकारी ने कहा कि रजिस्ट्रार आफ सोसायटीज एक्ट के तहत आईओए को एजीएम करानी पड़ी। उन्होंने कहा कि मौजूदा कार्यकारी समिति का कार्यकाल अक्टूमबर में पूरा हो गया था और हम चुनाव टाल नहीं सकते थे। हमें भारतीय कानून के तहत नयी ईकाई का चुनाव करना ही था।
उन्होंने कहा कि आईओसी की 2009 में कोपेनहेगन में हुई कांग्रेस में कहा गया था कि राष्ट्रीय ओलंपिक ईकाइयां अपने अपने देश के नियमों का पालन करेगी लिहाजा चुनाव कराने में कोई गलती नहीं है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, December 5, 2012, 16:06