पूरे साल परिवर्तन की पीड़ा सहती रही टीम इंडिया

पूरे साल परिवर्तन की पीड़ा सहती रही टीम इंडिया

पूरे साल परिवर्तन की पीड़ा सहती रही टीम इंडिया नई दिल्ली : दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजी क्रम के लगातार लचर प्रदर्शन और कुछ शीर्ष खिलाड़ियों के संन्यास के कारण परिवर्तन के दौर से गुजर रहे भारतीय क्रिकेट को वर्ष 2012 में कुछ कड़वी यादों से रूबरू होना पड़ा जिनमें आस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के हाथों टेस्ट श्रृंखला में हार तथा ट्वेंटी-20 विश्व कप में सेमीफाइनल तक नहीं पहुंचना प्रमुख हैं।

लगभग डेढ़ दशक तक भारतीय मध्यक्रम का आधार स्तंभ रहे राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण ने भी इस साल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहा जबकि साल भर रन बनाने के लिए जूझने वाले सचिन तेंदुलकर ने वर्ष के आखिर में एकदिवसीय क्रिकेट से संन्यास लेकर खुद को केवल टेस्ट मैचों तक सीमित कर दिया।

तेंदुलकर वर्ष 2012 को केवल इसलिए याद करना चाहेंगे क्योंकि इस साल उन्होंने जो एकमात्र शतक लगाया वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उनका 100वां शतक था। भारत के लचर प्रदर्शन के कारण महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी पर भी उंगली उठती रही। यही नहीं टीम के कुछ सीनियर साथियों विशेषकर वीरेंद्र सहवाग के साथ उनके मतभेदों की चर्चा भी साल भर चलती रही।

धोनी हालांकि अब भी तीनों प्रारूपों में कप्तान बने हुए हैं। टेस्ट मैचों के लिहाज से भारत के लिए यह साल अच्छा नहीं रहा। उसने जो नौ टेस्ट मैच खेले उनमें से पांच में उसे हार मिली जबकि वह केवल तीन मैच जीत पाया।
इनमें से दो मैच उसने न्यूजीलैंड की कमजोर टीम के खिलाफ जीते थे। उसने साल में 17 वनडे खेले। इनमें से नौ में उसे जीत और सात में हार मिली। भारत ने वर्ष 2012 में 14 टी20 मैच खेले और इनमें उसका रिकार्ड आठ जीत और छह हार का रहा।

इस पूरी श्रृंखला में भारतीय बल्लेबाज रन बनाने के लिए संघर्ष करते रहे। सचिन के सौवें शतक पर सभी की निगाह लगी रही लेकिन वह टेस्ट और इसके बाद त्रिकोणीय एकदिवसीय श्रृंखला में भी यह उपलब्धि हासिल नहीं कर पाए।

द्रविड़ और लक्ष्मण की यह आखिरी श्रृंखला साबित हुई। द्रविड़ ने मार्च और लक्ष्मण ने अगस्त में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लिया। इस टेस्ट श्रृंखला में भारत की तरफ से एकमात्र शतक विराट कोहली ने लगाया। इस युवा बल्लेबाज ने 2012 में भारत की तरफ से टेस्ट, वनडे और टी-20 तीनों प्रारूपों में सर्वाधिक रन बनाए। जबकि अन्य भारतीय बल्लेबाज रनों के लिए तरस रहे थे तब कोहली ने वनडे में पांच और टेस्ट मैचों में तीन शतक लगाए।

आस्ट्रेलिया में टेस्ट श्रृंखला के बाद त्रिकोणीय एकदिवसीय श्रृंखला में भी भारत फाइनल में पहुंचने में नाकाम रहा। इसके बाद बांग्लादेश में खेले गए एशिया कप में भी भारतीय टीम फाइनल में जगह नहीं बना पाई।

इस टूर्नामेंट को हालांकि तेंदुलकर के 100वें शतक के लिए याद किया जाएगा। उन्होंने 16 मार्च को बांग्लादेश के खिलाफ मीरपुर में यह उपलब्धि हासिल की। इसके बाद उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ भी एक मैच खेला जो उनका आखिरी वनडे मैच साबित हुआ।

जहां तक भारत का सवाल है तो उसने न्यूजीलैंड के खिलाफ दूसरा टेस्ट मैच भी आसानी से जीता लेकिन इंग्लैंड ने पिछले साल उसकी सरजमीं पर मिली 0-4 की हार का बदला चुकता करने का उसका सपना चकनाचूर हो गया। भारत ने अहमदाबाद में नौ विकेट से जीत दर्ज करके अच्छी शुरुआत की लेकिन इसके बाद वह मुंबई में दस विकेट और कोलकाता में सात विकेट से हार गया।

इस बीच धोनी स्पिनरों की अनुकूल पिचें बनाने को लेकर विवादों में भी पड़ गए थे। भारतीय गेंदबाज अधिकतर टेस्ट मैचों में जूझते हुए नजर आए। तेज गेंदबाज जहीर खान के लिए भी यह साल दुस्वप्न की तरह रहा। वह आठ मैच में केवल 15 विकेट ले पाए। आफ स्पिनर आर अश्विन ने आठ मैच में 37 और बाएं हाथ के स्पिनर प्रज्ञान ओझा ने छह मैच में 33 विकेट लिए लेकिन इंग्लैंड के खिलाफ उनकी नाकामी भारत को भारी पड़ी।

एकदिवसीय मैचों में आस्ट्रेलिया में त्रिकोणीय श्रृंखला और एशिया कप में लचर प्रदर्शन करने वाली भारतीय टीम ने द्विपक्षीय श्रृंखला श्रीलंका के खिलाफ खेली। भारत ने श्रीलंकाई सरजमीं पर 4-1 से जीत दर्ज की लेकिन उसे इसका फायदा विश्व टी-20 चैंपियनशिप में नहीं मिला। पाकिस्तान के खिलाफ तीन वनडे मैचों की द्विपक्षीय श्रृंखला का पहला मैच भी चेन्नई में भारत को गंवाना पड़ा। यह मैच हालांकि धोनी के दमदार शतक के लिए याद किया जाएगा।

भारत ने इससे पहले आस्ट्रेलियाई दौरे में दो टी-20 मैचों में से एक में जीत दर्ज की थी। उसे जोहानिसबर्ग में खेले गए एकमात्र मैच में दक्षिण अफ्रीका से हार मिली लेकिन श्रीलंका से उसने एकमात्र मैच जीता। टी-20 विश्व कप से पहले न्यूजीलैंड भी भारत से मैच जीतने में सफल रहा था। इंग्लैंड के खिलाफ भी दो मैचों की श्रृंखला 1-1 से बराबर रही जबकि पाकिस्तान से वह पहला मैच पांच विकेट से हार गया।

गौतम गंभीर की अगुवाई में कोलकाता नाइटराइडर्स इंडियन प्रीमियर लीग का चैंपियन बना। इस बार भी आईपीएल में क्रिस गेल के बल्ले से धूमधड़ाका देखने को मिला। उन्होंने टूर्नामेंट में 733 रन बनाकर नया रिकार्ड स्थापित किया।

दक्षिण अफ्रीका में खेली गयी चैंपियन्स लीग टी20 में भारतीय टीमों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। भारत की चार में से केवल एक टीम दिल्ली डेयरडेविल्स सेमीफाइनल में पहुंची। वह भी अंतिम चार से आगे बढ़ने में नाकाम रही। जहां तक रणजी ट्राफी का सवाल है तो राजस्थान लगातार दूसरे साल चैंपियन बनने में सफल रहा लेकिन नये सत्र में वह लीग चरण में ही खिताब की दौड़ से बाहर हो गया। (एजेंसी)

First Published: Monday, December 31, 2012, 12:52

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