Last Updated: Friday, November 18, 2011, 10:40
मेलबर्न: अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर संघों के महासंघ (फिका ) ने आईसीसी की भ्रष्टाचार निरोधक ईकाई के पूर्व प्रमुख सर पाल कंडोन के इन आरोपों को खारिज किया है कि अस्सी नब्बे के दशक में फिक्सिंग चरम पर थी।
फिका के मुख्य कार्यकारी टिम मे ने कहा ,‘ खिलाड़ियों के संघ इस तरह के लोगों से आजिज आ चुके हैं जो ऐसे आरोप लगाते हैं जिससे सभी खिलाड़ी कटघरे में आ जाते हैं ।’
उन्होंने कहा ,‘ यदि लोग इस तरह के आरोप लगाते हैं तो उन्हें इनके समर्थन के लिये सबूत पेश करने चाहिये।’’ इस सप्ताह प्रकाशित इंटरव्यू में कंडोन ने दावा किया था कि हर अंतरराष्ट्रीय टीम ने कभी ना कभी कुछ ऐसा किया होगा।
उन्होंने यह भी कहा ,‘ नब्बे के दशक के आखिर में क्रिकेटरों की पूरी जमात को इस बारे में पता था लेकिन उसने कुछ नहीं किया । जब वे अपने कैरियर पर दृष्टिपात करते होंगे तो उन्हें जरूर शर्मिंदगी होती होगी ।’’ मे ने हालांकि कहा कि इन आरोपों में कोई दम नहीं है।
उन्होंने यह भी कहा ,‘ नब्बे के दशक के आखिर में क्रिकेटरों की पूरी जमात को इस बारे में पता था लेकिन उसने कुछ नहीं किया । जब वे अपने कैरियर पर दृष्टिपात करते होंगे तो उन्हें जरूर शर्मिंदगी होती होगी ।’
टिम मे ने हालांकि कहा कि इन आरोपों में कोई दम नहीं है ।
उन्होंने कहा कि क्रिकेटरों की पूरी जमात को कटघरे में लाना समझ से परे है । उसके बाद यह कहना कि उन्हें शर्मिंदगी महसूस होती होगी, यह ज्यादती है ।’’ मे ने इस पर भी सवाल उठाया कि यदि कंडोन को भ्रष्टाचार के बारे में पता था तो पद पर रहते ही कोई कदम क्यों नहीं उठाया ।
उन्होंने कहा ,‘‘ यह सवाल तो उठेगा ही । यदि आईसीसी को इस बारे में पता था तो आईसीसी या किसी बोर्ड ने कोई कदम क्यों नहीं उठाया ।’’ उन्होंने कंडोन के इस सुझाव से इत्तेफाक जताया कि क्रिकेट से भ्रष्टाचार को हटाने के लिये अधिक संख्या में खिलाड़ियों को आगे आना होगा।
(एजेंसी)
First Published: Friday, November 18, 2011, 17:00