Last Updated: Wednesday, July 10, 2013, 23:09
नई दिल्ली : मसौदा राष्ट्रीय खेल विकास विधेयक 2013 आज सरकार को सौंपा गया जिसके मुख्य प्रावधानों में अपीली खेल पंचाट और खेल चुनाव आयोग का गठन तथा उन लोगों को चुनाव लड़ने से रोकना शामिल है जिनके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया है। न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) मुकुल मुदगल की अध्यक्षता में कार्य समूह को राष्ट्रीय खेल विकास विधेयक 2013 का मसौदा तैयार कने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी और इस मसौदा विधेयक को आज खेल मंत्री जितेंद्र सिंह को सौंप दिया गया। कार्यसमूह में ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता निशानेबाज अभिनव बिंद्रा और पूर्व भारतीय हाकी कप्तान वीरेन रासक्विन्हा जैसे प्रतिष्ठित खिलाड़ियों के अलावा खेल प्रशासक और कानूनी विशेषज्ञ शामिल थे।
खेल मंत्रालय ने कहा, राष्ट्रीय खेल महासंघों में पारदर्शिता और सुशासन लाने की कवायद के तहत खेल मंत्रालय ने शुरूआत में 2011 में तैयार विधेयक के मसौदे की जगह संशोधित मसौदा तैयार करने के लिए न्यायमूर्ति मुदगल की अध्यक्षता में समूह का गठन किया था। विज्ञप्ति के अनुसार, उन्होंने कई बैठकें की और इस मामले से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा के बाद उन्होंने संशोधित मसौदा तैयार किया जो आज खेल मंत्रालय को पेश किया गया। यह विधेयक सामान्य जनता और अन्य संबंधित पक्षों की प्रतिक्रिया के लिए मंत्रालय की वेबसाइट ‘डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू.वाईएएस.एनआईसी.इन’ पर भी डाला गया है।
लुसाने में 15 मई को भारतीय अधिकारियों और अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के अधिकारियों के बीच हुई बैठक में हुए समझौते के तहत प्रतिक्रिया के लिए इस विधेयक के मसौदे की प्रति आईओसी के पास भी भेजी गई है। मसौदा विधेयक में आयु और कार्यकाल से संबंधित विवादास्पद विधेयक को एक बार फिर शामिल किया गया है। इसके मुताबिक भारतीय ओलंपिक संघ और राष्ट्रीय खेल महासंघों के सभी पदाधिकारी 70 वर्ष के होने पर सेवानिवृत्त हो जाएंगे। कोई व्यक्ति अगर किसी राष्ट्रीय खेल महासंघ या राष्ट्रीय ओलंपिक समिति की कार्यकारी इकाई में दो लगातार कार्यकाल के लिए पदाधिकारी है तो वह अगला चुनाव लड़ने का पात्र नहीं होगा।
अध्यक्ष हालांकि ब्रेक के साथ या बिना ब्रेक के 12 साल या चार साल के तीन कार्यकाल के लिए अपने पद पर बना रहने का पात्र होगा। इसमें साथ ही सुझाव दिया गया है कि एक राष्ट्रीय खेल महासंघ का पदाधिकारी अन्य राष्ट्रीय खेल महासंघ में पद पर आसीन होने का पात्र नहीं होगा।
अपीली खेल पंचाट के गठन का प्रस्ताव भी रखा गया है जिसकी चयन समिति में भारत के प्रधान न्यायाधीश या उनके द्वारा नामित न्यायाधीश, खेल विभाग का सचिव और राष्ट्रीय ओलंपिक समिति का अध्यक्ष शामिल होगा। नैतिक आयोग के गठन का भी प्रस्ताव है जो आचार संहिता लागू करने के लिए जिम्मेदार होगा। यह आचार संहिता आईसीसी की संहिता और सिद्धांतों के मुताबिक होगी।
राष्ट्रीय ओलंपिक समिति, राष्ट्रीय खेल महासंघ और एथलीट आयोग के स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के लिए खेल चुनाव आयोग के गठन का प्रस्ताव भी विधेयक में दिया गया है। मसौदा विधेयक में एथलीट आयोग के गठन के बारे में भी कहा गया है जिससे कि कार्यकारी संस्था की फैसले करने की प्रणाली में खिलाड़ियों को भी शामिल किया जा सके। कार्यकारी संस्था में खिलाड़ियों का मताधिकार 25 प्रतिशत से कम नहीं होना चाहिए।
मसौदा विधेयक में साथ ही कहा गया है कि आम सभी की सदस्यता में किसी भी लिंग (महिला और पुरूष) का प्रतिनिधित्व 10 प्रतिशत से कम नहीं होना चाहिए। साथ ही ऐसा व्यक्ति जिसके खिलाफ दंड प्रक्रिया संहिता (धारा 228) के तहत आपराधिक आरोप लगाए गए हैं वे राष्ट्रीय ओलंपिक समिति और राष्ट्रीय खेल महासंघ के चुनाव में हिस्सा लेने के लिए आयोग्य होंगे। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, July 10, 2013, 23:09