Last Updated: Wednesday, April 11, 2012, 15:31
गुड़गांव : क्रिकेट की दुनिया की चकाचौंध और कैंसर से जूझने के बाद एक तरह से जिंदगी की नयी पारी शुरू कर रहे युवराज सिंह अब विचारों से भी बदले हुए इंसान बन गये हैं। उनके लिये अब पैसे से अधिक महत्वपूर्ण खुशी और स्वास्थ्य बन गया है और अपने इन तमाम अनुभवों पर यह स्टार क्रिकेटर जल्द ही किताब की शक्ल देने की सोच रहा है।
अमेरिका में कैंसर का इलाज कराकर लौटने के बाद युवराज आज जब पहले संवाददाता सम्मेलन के लिये आये तो मीडिया उमड़ पड़ा। ढेरों सवाल किये गये और पिछले साल भारत की विश्व कप की जीत के नायक ने बड़ी सहजता से इनके जवाब भी दिये।
युवराज ने बीमारी के इन दिनों में सात बार टूर डि फ्रांस जीतने वाले लांस आर्मस्ट्रांग से प्रेरणा ली जिनकी किताब ‘इट्स नाट अबाउट द बाइक, माइ जर्नी बैक टु लाइफ’ सबसे अधिक बिकने वाली किताबों में शामिल है। अब युवराज भी उनके नक्शेकदम पर चलकर किताब लिखने की सोच रहे हैं।
उन्होंने कहा , मैं अपने अनुभवों पर किताब लिखने की सोच रहा हूं। यह किताब जल्दी ही आयेगी। मेरी जिंदगी बदल गई है और मुझे अहसास हुआ है कि सबसे अहम खुशी है। पैसा जरूरी है लेकिन सबसे अहम खुश होना है।
किसी ने उनसे पूछा कि क्या उन्होंने भगवान से पूछा कि आखिर उन्हें आज के हालात में क्यों पहुंचाया गया, युवराज ने कहा, क्या मैंने ईश्वर से यह पूछा था कि मुझे (विश्व कप का) सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी क्यों चुना गया। फिर ...’’ अपनी मां के बारे में युवराज ने कहा कि वह हमेशा रो पड़ता था लेकिन उनकी मां मजबूत बनी रही।
उन्होंने कहा, पिछले दो महीने में मेरी मां एक बार भी नहीं रोई। सुबह चार बजे या आधी रात को भी मुझे छींक आती थी तो वह उठ जाती थी। कई बार मैं बच्चों की तरह रोता था तो वह मुझे तसल्ली देती थी। वह मुझसे अधिक मजबूत है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, April 11, 2012, 21:01