Last Updated: Saturday, March 17, 2012, 07:35
मीरपुर : अपने सौवें अंतरराष्ट्रीय शतक को सबसे कठिन बताने वाले चैम्पियन क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने कहा, ‘मैं भगवान नहीं हूं, मैं सचिन तेंदुलकर हूं।’ सचिन के महाशतक के बावजूद भारतीय टीम कल बांग्लादेश से हार गई।
सचिन ने मैच के बाद पत्रकारों से कहा, ‘ईमानदारी से कहूं तो मैं भी आम इंसान हूं और मेरे भी जज्बात हैं। मैं काफी निराश था । मानसिक तौर पर परेशान था।’ उन्होंने यह भी कहा कि निजी रिकार्ड उनके जेहन में कभी नहीं होते। सचिन ने कहा, ‘यह शतक ही मेरे दिमाग में नहीं था । मैं भारत को अच्छे स्कोर तक ले जाने के बारे में सोच रहा था । मैं स्कोरबोर्ड देखता था तो रनरेट देखता था । मैं अपना निजी स्कोर देख ही नहीं रहा था।’
सौवें शतक के लिये एक साल इंतजार करने वाले तेंदुलकर ने कहा कि इस विलंब से उन्हें शतक का महत्व पता चला और यह उनके संयम की भी परीक्षा थी । उन्होंने कहा, ‘99 शतक बनाने के बाद मुझे सौवें शतक के समय एक सैकड़े की अहमियत पता चली । यह आसान नहीं है । यह कठिन दौर था लेकिन कई लोगों ने मेरी मदद की।’
उन्होंने कहा, ‘कुछ लोग पक्ष में थे तो कुछ विरोध में। मैंने किसी को नहीं पढा । जीवन में उतार चढाव आते ही हैं जिनसे व्यक्ति सीखता है।’ तेंदुलकर ने कहा, ‘मैं अपने सफर से खुश हूं । इससे मेरे संयम और दृढता की परीक्षा हुई है । कई लोगों ने सवाल किये लेकिन मैने किसी को नहीं पढा । जो इस दौर से नहीं गुजरा हो, उसके पास सिर्फ सवाल ही होंगे, जवाब नहीं। मुझे 22 साल बाद भी लगा कि क्रिकेट का भगवान पिछले एक साल से मेरी परीक्षा ले रहा है । मैं कई बार उदास हुआ लेकिन मैने हार नहीं मानी।’
तेंदुलकर ने कहा कि वह रिकॉर्ड के लिये नहीं खेलते। उन्होंने माना, ‘मैने कभी रिकॉर्ड के लिये क्रिकेट नहीं खेला। मैंने कुछ रिकॉर्ड तोड़े लेकिन यह मेरा लक्ष्य नहीं था । मैं खेल का मजा लेने के लिये खेलता हूं । सौवां शतक सबसे कठिन था।’ भविष्य के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘जब मैं संन्यास के बारे में फैसला लूंगा तो सभी को बताउंगा। जब तक मुझे मजा आएगा, मैं खेलता रहूंगा। (एजेंसी)
First Published: Saturday, March 17, 2012, 17:21