युवाओं को द्रविड़-लक्ष्मण की तरह खेलना होगा: पुजारा

'युवाओं को द्रविड़-लक्ष्मण की तरह खेलना होगा'

'युवाओं को द्रविड़-लक्ष्मण की तरह खेलना होगा'हैदराबाद : पिछले सत्र में विदेशी सरजमीं पर लगातार आठ टेस्ट में मिली शिकस्त तथा राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण के संन्यास लेने के बाद अब भारतीय क्रिकेट टीम के लिए चेतेश्वर पुजारा उम्मीद की किरण के रूप में उभरे हैं। मार्च में द्रविड़ के संन्यास के बाद पुजारा को उनका स्वाभाविक विकल्प माना जा रहा था। अब हैदराबाद टेस्ट से पूर्व लक्ष्मण ने भी संन्यास लेकर सबको हैरान कर दिया, ऐसे में सौराष्ट्र के मध्य क्रम के बल्लेबाज पुजारा का मानना है कि युवा खिलाड़ियों को चुनौती पर खरा उतरना होगा।

पुजारा ने आज यहां प्रेट्र को दिए साक्षात्कार में कहा, हमें ही नहीं बल्कि सभी क्रिकेट प्रेमियों को उनकी कमी खलेगी। वीवीएस और द्रविड़ दोनों ने कुछ मानक स्थापित किए हैं। यह टीम में शामिल युवाओं के लिए बड़ी प्रेरणा है। अगर हम उनकी राह पर चलने का प्रयास करेंगे तो इससे सचमुच में काफी मदद मिलेगी।

उन्होंने कहा, बेशक अब टीम में शामिल युवाओं को अधिक जिम्मेदारी लेनी होगी। एकदम से उनकी जगह लेना मुश्किल होगा। लेकिन वे हमारी प्रेरणा रहे हैं और अब उम्मीद पर खरा उतरने का समय आ गया है। टीम के बल्लेबाजी क्रम में बनी दो जगहों के लिए पुजारा के अलावा सुरेश रैना और एस बद्रीनाथ भी चुनौती पेश कर रहे हैं लेकिन अपने धर्य और तकनीक के लिए पहचाने जाने वाले सौराष्ट्र के इस क्रिकेटर ने कहा कि वह काफी आगे के बारे में नहीं सोच रहे हैं। पुजारा ने कहा, मैं प्रदर्शन करते हुए भारत की जीत में योगदान देना चाहता हूं। भारत की ओर से तीन टेस्ट खेलने वाले पुजारा लंदन में घुटने के आपरेशन के बाद वापसी कर रहे हैं और उन्होंने कहा कि वह श्रृंखला में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए काफी प्रेरित हैं।

उन्होंने कहा, पिछला साल काफी मुश्किल रहा। सबसे मुश्किल चरण में से एक। मुझे अपनी घुटने की चोट से जूझना पड़ा और इसके बाद मेरे पिता की बाइपास सर्जरी हुई। उन्होंने कहा, चोट के बाद आपको हमेशा शून्य से शुरूआत करनी होती है। जब आप तीन से चार महीने तक अभ्यास नहीं करते तो आपकी लय टूट जाती है।

पुजारा ने कहा, लेकिन मैंने कभी उम्मीद नहीं छोड़ी। मुझे खुद पर विश्वास है। मुझे पता था कि मैं एक बार फिर टीम में जगह बना लूंगा। मुझे अपने पिता से काफी समर्थन मिला। उन्होंने कहा, मुझे मेरी मां की कमी खलती है (जिनका पांच साल पहले निधन हो गया) लेकिन मुझे पता है कि वह अपनी प्रार्थनाओं के जरिये मेरे साथ हैं। वह मेरे विचारों में हैं जिससे मुझे अच्छा प्रदर्शन करने में मदद मिलती है। इस बल्लेबाज ने कहा, मैं अब इस चरण से उबर गया हूं। मैं अच्छा प्रदर्शन करने के लिए पूरी तरह से प्रेरित हूं। मुझे पता है कि अगर मैं अच्छा प्रदर्शन करूंगा तो टीम में जगह पक्की कर लूंगा। इसलिए मेरी प्राथमिकता रन बनाना और भारत के लिए मैच जीतना है।
पुजारा ने 2010 में आस्ट्रेलिया के भारत दौरे के दौरान पदार्पण किया था और इसी मैच की चौथी पारी में 72 रन बनाकर भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई थी। पुजारा के लिए यह पारी विशेष थी क्योंकि पहली पारी में सिर्फ चार रन बनाकर वह विफल रहे थे।

उन्होंने कहा, पहली पारी में मैं नीची रही गेंद पर आउट हो गया था। दूसरी पारी में मुझे तीसरे नंबर पर भेजा गया और राहुल भाई खुद पांचवें नंबर पर उतरे क्योंकि हमें लक्ष्य (207 रन) का पीछा करना था। यह एक ऐसा फैसला था जो फायदेमंद रहा। टेस्ट मैच जीतना सचमुच में यादगार अनुभव था।’’ पुजारा दक्षिण अफ्रीकी दौरे के दौरान उछाल भरी पिचों पर नाकाम रहे और डरबन तथा केपटाउन में दो टेस्ट में सिर्फ 31 रन ही बना पाए थे। उन्होंने कहा, गेंदबाजी की अनुकूल परिस्थितियों में दो दिग्गज तेज गेंदबाजों (डेल) स्टेन और (मोर्ने) मोर्कल का सामना करना सीखने वाला अनुभव था। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, August 21, 2012, 21:48

comments powered by Disqus