Last Updated: Wednesday, March 20, 2013, 19:22

नई दिल्ली : सुनील गावस्कर से लेकर सचिन तेंदुलकर और अनिल कुंबले के ऐतिहासिक रिकॉर्ड का गवाह रहा फिरोजशाह कोटला भारतीय क्रिकेट इतिहास में नया अध्याय जोड़ने में क्या फिर से अहम भूमिका निभाएगा। भारतीय टीम चार टेस्ट मैचों की श्रृंखला में अभी आस्ट्रेलिया पर 3-0 से आगे चल रही है। यदि वह शुक्रवार से फिरोजशाह कोटला में होने वाले चौथे और अंतिम टेस्ट मैच में जीत दर्ज करती है तो भारत के 81 साल के टेस्ट इतिहास में यह पहला अवसर होगा जबकि टीम चार मैचों की श्रृंखला में क्लीनस्वीप करेगी।
भारत ने इससे पहले तीन अवसरों पर किसी श्रृंखला में तीन-तीन मैच जीते हैं लेकिन वह कभी चार मैच जीतने में सफल नहीं रहा। तो क्या कोटला इसके लिये आदर्श स्थान रहेगा जो इससे पहले भी कई महान उपलब्धियों का गवाह रह चुका है। इंग्लैंड के दिग्गज सलामी बल्लेबाज ज्योफ्री बायकाट ने दिसंबर 1981 में इसी मैदान पर खेले गये टेस्ट मैच की पहली पारी में 105 रन बनाकर गैरी सोबर्स (8032 रन) के टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक रन बनाने के तत्कालीन रिकॉर्ड को तोड़ा था। इसके दो साल बाद भारतीय स्टार सुनील गावस्कर ने वेस्टइंडीज के खिलाफ 121 रन की पारी खेली। यह उनका टेस्ट क्रिकेट में 29वां शतक था और इस तरह से उन्होंने महान डॉन ब्रैडमैन के रिकॉर्ड की बराबरी की थी।
इस बीच सात फरवरी 1999 को घटी ऐतिहासिक घटना को भला कौन भुला सकता है जिसके कारण फिरोजशाह कोटला का नाम क्रिकेट जगत में अमर हो गया। अनिल कुंबले ने तब पाकिस्तान के खिलाफ दूसरी पारी में सभी दस विकेट लेकर जिम लेकर के कारनामे की बराबरी की थी। कुंबले का गेंदबाजी विश्लेषण था 26.3 ओवर में नौ मेडन, 74 रन और दस विकेट। कुंबले शुरू से आखिर तक इसे अपने लिये भाग्यशाली मैदान मानते रहे और उन्होंने 2008 में आस्ट्रेलिया के खिलाफ इसी मैदान पर आखिरी टेस्ट मैच खेलकर क्रिकेट को अलविदा कहा था। हेमू अधिकारी और गुलाम अहमद ने अक्तूबर 1952 में कोटला पर पाकिस्तान के खिलाफ दसवें विकेट के लिये 109 रन की साझेदारी की। यह भारत के लिये नया रिकॉर्ड था जो 2004 तक बना रहा। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, March 20, 2013, 19:22