विश्व कप जीत के बाद निराशा भरा एक साल - Zee News हिंदी

विश्व कप जीत के बाद निराशा भरा एक साल

मुंबई : भारतीय क्रिकेट टीम को पिछले एक साल में लगातार निराशा का सामना करना पड़ा लेकिन उसके लिए एक अच्छी खबर है क्योंकि कल उसकी दूसरी विश्व कप जीत की पहली वषर्गांठ है।

 

भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का दो अप्रैल को श्रीलंका के तेज गेंदबाज नुवान कुलशेखरा पर लांग आन के उपर से छक्का जड़ भारत को जीत दिलाने वाला शाट आज भी देश के क्रिकेट प्रेमियों को अच्छी तरह याद होगा।

 

भारत ने तब खिताबी मुकाबले में 275 रन के लक्ष्य को हासिल किया था और 28 बरस बाद दोबारा विश्व चैम्पियन बना था। इससे पहले टीम इंडिया ने लंदन के लार्डस में 1983 में वेस्टइंडीज को हराकर विश्व खिताब जीता था। इसके अलावा वानखेड़े स्टेडियम में दो अप्रैल 2011 को टीम इंडिया की जीत का जश्न भी सबको याद होगा जब साथियों ने महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर और कोच गैरी कर्स्टन को अपने कंधे पर उठाकर मैदान में घुमाया था।

 

भारतीय खिलाड़ियों ने ताज महल पैलेस होटल में तड़के तक जीत का जश्न मनाया था जबकि क्रिकेट प्रेमी भी देश भर में सड़कों पर उतर आए थे। मैच के बाद हुई मीडिया कांफ्रेंस में धोनी और मैन आफ द टूर्नामेंट युवराज ने एक साथ हिस्सा लिया और यह कमरा मीडियाकर्मियों से खचाखच भरा हुआ था। दोनों खिलाड़ी हैरान दिख रहे थे और सवालों की बारिश का जवाब देने से पहले अधिकतर एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा रहे थे।

 

अगले दिन मुंबई के मालाबर हिल में राज्यपाल में बंगले में खिलाड़ियों का स्वागत किया गया। खिलाड़ियों को हालांकि जश्न मनाने का अधिक मौका नहीं मिला क्योंकि कुछ दिन बाद ही इंडियन प्रीमियर लीग शुरू हो गई जिसके बाद वेस्टइंडीज दौरे का आयोजन हुआ। वेस्टइंडीज दौरे के बाद भारत के लिए कुछ भी अच्छा नहीं रहा। टीम इंडिया ने वेस्टइंडीज को उसकी और अपनी सरजमीं पर हराया लेकिन उसे टेस्ट श्रृंखला में इंग्लैंड और आस्ट्रेलिया के हाथों 0-4 से वाइटवाश का सामना करना पड़ा।

 

विश्व कप 1983 जीतने वाली टीम के सदस्य रहे दलीप वेंगसरकर ने कहा कि भारत के पास जिस तरह की टीम थी उसे देखते हुए वह अपनी सरजमीं पर खिताब जीतने का प्रबल दावेदार था।
उन्होंने कहा, ‘‘हम हमेशा प्रबल दावेदार थे, विशेषकर इसलिए क्योंकि हम भारत में खेल रहे थे। सभी ने योगदान दिया. फाइनल में गौतम गंभीर, युवराज और धोनी ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए लक्ष्य हासिल किया।’’ भारतीय टीम वनडे में भी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई। वह इंग्लैंड में एक भी मैच नहीं जीत पाई जबकि आस्ट्रेलिया में त्रिकोणीय श्रृंखला और बांग्लादेश में एशिया कप के फाइनल में पहुंचने में नाकाम रही।

 

विश्व कप के दौरान 99वां शतक जड़ने वाले तेंदुलकर को अपने 100वें शतक के लिए एक बरस से भी अधिक समय का इंतजार करना पड़ा जबकि टीम के खिताब जीतने के बाद कोच गैरी कर्स्टन ने टीम का साथ छोड़ दिया और जिम्बाब्वे के डंकन फ्लैचर ने यह जिम्मेदारी संभाली। (एजेंसी)

 

First Published: Sunday, April 1, 2012, 15:43

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