सचमुच में ‘वैरी-वैरी स्पेशल’ थे वीवीएस लक्ष्मण

सचमुच में ‘वैरी-वैरी स्पेशल’ थे वीवीएस लक्ष्मण

सचमुच में ‘वैरी-वैरी स्पेशल’ थे वीवीएस लक्ष्मणहैदराबाद : वीवीएस लक्ष्मण की क्षमता को पहचाने के लिए सिर्फ आंकड़ों पर गौर करना और इसका विशलेषण करना सबसे बदतर तरीका होगा क्योंकि पिछले डेढ़ दशक से भी अधिक समय में इस दिग्गज बल्लेबाज का भारतीय क्रिकेट में योगदान इससे कहीं बढ़कर है।

‘वैरी वैरी स्पेशल’ का विशेषण पाने वाले लक्ष्मण ने अब जब अपने अंतरराष्ट्रीय करियर पर विराम लगा दिया है, भारत की अगली पीढ़ी के टेस्ट बल्लेबाजों के लिए उनकी जगह लेना आसान नहीं होगा क्योंकि हैदराबाद के इस कलात्मक बल्लेबाज ने काफी ऊंचे मापदंड स्थापित किए हैं। लक्ष्मण को कभी सचिन तेंदुलकर की तरह जीनियस नहीं माना गया। उनमें वीरेंद्र सहवाग जैसी आक्रामकता या राहुल द्रविड़ जैसी दृढ़ता भी नहीं थी लेकिन इसके बावजूद वह हमेशा भारतीय क्रिकेट के सर्वकालिक महान खिलाड़ियों में शामिल रहेंगे।

लक्ष्मण एक कुशल बल्लेबाज थे जिसे लोग कभी नहीं भूल सकते। उनकी कलाई का जादू दर्शनीय था जिसकी बदौलत वह ऑफ स्टंप के बाहर की गेंद को मिडविकेट पर बड़ी सहजता के साथ खेलते थे। तुरंत प्रभाव से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहने वाले लक्ष्मण ने 134 टेस्ट में 45.97 की औसत से 8781 रन बनाए। उन्होंने 17 शतक और 56 अर्धशतक भी जड़े जिनकी बदौलत भारत ने कई टेस्ट ड्रा कराए जबकि कई मैचों में जीत दर्ज करने में सफल रहा।

दाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने 86 एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच भी खेले जिसमें उन्होंने 30.76 की औसत से 2338 रन भी बनाए। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ईडन गाडर्न्‍स में लक्ष्मण की 281 रन की पारी टेस्ट क्रिकेट के इतिहास की सबसे यादगार पारियों में से एक है। ईडन पर 14 मार्च 2001 को मौजूद दर्शकों ने कभी किसी को इतनी आसानी से शेन वार्न पर लगातार इन साइड आउट कवर्स पर खेलते हुए नहीं देख होगा जितनी दर्शनीयता के साथ लक्ष्मण ने उस दिन इस काम को अंजाम दिया था।

ऑस्ट्रेलिया टीमों में वर्षों से सचिन तेंदुलकर के प्रति काफी सम्मान रहा है लेकिन लक्ष्मण के मामले में भी यह सम्मान कम नहीं हैं जिन्होंने इस टीम के खिलाफ कई यागदार पारियां खेली। लक्ष्मण की एडिलेड में 2003-04 में खेली 148 रन की पारी और राहुल द्रविड़ के साथ अहम साझेदारी ने भारत ने इस मैच में ऑस्ट्रेलिया को हराकर टेस्ट श्रृंखला में बढ़त बनाई।

हैदराबाद का यह बल्लेबाज मुश्किल लम्हों में भारतीय टीम का तारणहार साबित हुआ। लक्ष्मण कभी नैसर्गिक सलामी बल्लेबाज नहीं थे लेकिन इसके बावजूद उन्होंने कई टेस्ट टीमों के खिलाफ पूरी ईमानदारी के साथ इस जिम्मेदारी को निभाया। लक्ष्मण ने तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए कई यागदार पारियां खेली लेकिन इसके बावजूद उनके बल्लेबाजी क्रम में बदलाव होता रहा। लक्ष्मण ने 134 टेस्ट में 17 शतक जड़े लेकिन उन्होंने 56 अर्धशतक भी बनाए जिसमें से कई ने मैच के नतीजे में अहम भूमिका निभाई। ऐसी दो पारियां उन्हें अपने करियर के अंतिम दौर में भी खेली।

उन्होंने अक्तूबर 2010 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मोहाली में नाबाद 73 रन की पारी खेली जब भारत 210 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए 124 रन पर आठ विकेट गंवा चुका था। उन्होंने इशांत शर्मा के साथ नौवें विकेट के लिए 81 रन जोड़े और फिर 11वें नंबर पर बल्लेबाजी करने आए प्रज्ञान ओझा के साथ 20 मिनट क्रीज पर बिताते हुए भारत को जीत दिलाई। इस मैच के दौरान वह लम्हा काफी अप्रत्याशित रहा जब आम तौर पर आपा नहीं खोने वाले लक्ष्मण अपने साथी ओझा पर चिल्लाने वाले जब उसने अपने आप को लगभग रन आउट करवा ही दिया था जब रन मौजूद ही नहीं था। लक्ष्मण ने मोहाली मैच के कुछ महीने बाद डरबन में 96 रन की पारी खेली। भारत श्रृंखला में 0-1 से पिछड़ रहा था और लक्ष्मण की बदौलत टीम जीत दर्ज करने में सफल रही। (एजेंसी)

First Published: Sunday, August 19, 2012, 09:48

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