सबसे चुनौतीपूर्ण था 5वां विश्व खिताब: आनंद

सबसे चुनौतीपूर्ण था 5वां विश्व खिताब: आनंद

चेन्नई : अब तक जीते पांच विश्व शतरंज खिताब में से आंनद ने नवीनतम खिताब को संघर्ष के लिहाज से सबसे कड़ा बताया है। आनंद 2007 से शतरंज से निर्विवाद विश्व चैम्पियन हैं और इस्राइल के चैलेंजर्स बोरिस गेलफेंड के खिलाफ अपने विश्व खिताब की रक्षा करने के बाद स्वदेश लौटे हैं।

आनंद ने कहा, निश्चित तौर पर यह सबसे लंबा विश्व चैम्पियनशिप मैच था। अगर आप पहले के मैचों को देखें तो मैंने 11वीं और 12वीं बाजी में मुकाबला खत्म कर दिया था लेकिन यह मैच टाईब्रेकर तक खिंचा। इस दिग्गज खिलाड़ी ने कहा कि वह इस पांचवें विश्व खिताब से भारतीय शतरंज में पैदा हुई विरासत से वाकिफ हैं लेकिन फिलहाल सिर्फ अपने खेल पर ध्यान देना चाहते हैं।

आनंद ने कहा, फिलहाल मैं इस बात से वाकिफ हूं कि यह (विरासत) मौजूद है लेकिन इससे आगे मैं इसके बारे में नहीं सोचता। जब मैं मास्को में इस खिताब की रक्षा कर रहा था तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था कि यह मेरा पांचवां खिताब है या पहला।

उन्होंने कहा, मैं सिर्फ अपने खिताब की रक्षा करना चाहता था। उस समय आपके पास यह सोचने का समय नहीं था कि इसका मतलब क्या है। मैंने इसे एक चुनौती के रूप में देखा और सिर्फ इससे पार पाना चाहता था।

गेलफेंड के बारे में बोलते हुए आनंद ने कहा कि इस इस्राइली खिलाड़ी से पार पाना आसान नहीं था और किसी भी चुनौती से निपटने के लिए उसके पास काफी अनुभव था। आनंद ने कहा, बोरिस काफी अनुभवी है। वह कई शीर्ष टूर्नामेंट में खेला है और शीर्ष खिलाड़ियों के खिलाफ। शीर्ष खिलाड़ियों के साथ उनके काफी करीबी और गहरे रिश्ते हैं। मैंने कभी उसमें अनुभव की कमी की उम्मीद नहीं की थी लेकिन उसमें विश्व चैम्पियनशिप में खेलने के असल अनुभव की कमी हो सकती थी।
मैच के दौरान रूस के महान खिलाड़ी गैरी कास्परोव ने आनंद के खेल की आलोचना की थी लेकिन भारतीय खिलाड़ी ने इसे खारिज करते हुए कहा कि यह ऐसे व्यक्ति का बयान है जिसे राजनीति के लिए शतरंज छोड़ने का मलाल है।

उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि उसे कुछ मलाल है कि उसने संन्यास ले लिया। यह एक बार फिर शतरंज टूर्नामेंटों में आकषर्ण का केंद्र बनने की तरह था। मुझे लगता है कि वह ऐसा व्यक्ति है जो संकेत दे रहा है कि वह दोबारा शतरंज खेलना चाहता है। यह उसके बयान पर मेरी प्रतिक्रिया है।

आनंद ने कहा कि उन्हें लगातार मिल रही सफलता इस बात का संकेत है कि अंतरराष्ट्रीय शतरंज पर रूस की पकड़ ढीली हो रही है। उन्होंने कहा, शतरंज में रूस की मौजूदगी वैसी नहीं है जिस पर सोवियत संघ को गर्व होता था। यह स्पष्ट है कि आपको ध्यान में रखना होगा कि 50 और 60 के दशक में उनका जैसा दबदबा होता था उसे अब बनाना मुश्किल है।

इस दिग्गज भारतीय ने कहा, अब अधिक विविधता हो गई है। कितने सारे देश शतरंज खेलते हैं और रूस के कितने सारे लोगों अब इन देशों में रहने लगे हैं। इस तरह से मैं कह सकता हूं कि अब भी वे विश्व शतरंज में शीर्ष देश हैं। भारतीय शतरंज के भविष्य पर आनंद ने कहा, प्रतिनिधित्व का स्तर बढ़ा है। भारत में काफी प्रतिभा है। मैं इस बात से खुश हूं कि प्रतिभा लगातार सामने आ रही है। (एजेंसी)

First Published: Monday, June 4, 2012, 15:50

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