Last Updated: Monday, February 13, 2012, 03:23
चेन्नई : बीसीसीआई और सहारा का विवाद अभी नहीं सुलझ सका जबकि भारतीय क्रिकेट बोर्ड की कार्यसमिति ने 11 साल तक प्रायोजक रही कंपनी के लिये नियमों से परे जाने से इनकार कर दिया । अब आईपीएल में अपने भविष्य के बारे में फैसला कंपनी को लेना है ।
कार्यसमिति की तीन घंटे की बैठक के बाद बीसीसीआई ने कहा कि उसने सहारा की मांगों के बारे में अपना फैसला कंपनी को सुना दिया है और उसे सकारात्मक जवाब की उम्मीद है ।
बीसीसीआई ने स्पष्ट किया कि वह लचीलापन दिखा सकती है लेकिन इस कंपनी के लिये नियमों से परे नहीं जा सकती। सहारा आईपीएल में सबसे महंगी टीम पुणे वारियर्स (1700 करोड़ रूपये) की मालिक है ।
बोर्ड अध्यक्ष एन श्रीनिवासन ने बैठक के बाद पत्रकारों से कहा ,‘ समिति के सामने मसले रखे गए और हमने कार्यसमिति के जवाब से सहारा को अवगत करा दिया । हमें उनसे सकारात्मक जवाब की उम्मीद है ।’’ बीसीसीआई के इस कड़े रूख के बाद सप्ताह भर से चल रहा यह गतिरोध अभी सुलझने के आसार नहीं दिख रहे हैं ।
सहारा ने चार फरवरी को बीसीसीआई से यह कहकर नाता तोड़ दिया था कि बोर्ड ने खिलाड़ियों और मैचों की संख्या के बारे में उसकी गंभीर शिकायतों पर गौर नहीं किया । बेंगलूर में आईपीएल के पांचवें सत्र के लिये नीलामी से कुछ घंटे पहले यह फैसला लिया गया । श्रीनिवासन ने सहारा की मांगों का खुलासा नहीं किया लेकिन कहा कि कोई छूट नहीं दी जायेगी ।
उन्होंने कहा ,‘‘ बीसीसीआई ने अपने नियमों के तहत सकारात्मक जवाब दिया है । बोर्ड ने यह भी कहा है कि वह नियमों से परे जाकर काम नहीं कर सकता क्योंकि लीग की विश्वसनीयता बनाये रखने के लिये यह जरूरी है ।’ समझा जाता है कि सहारा की नाराजगी का कारण उनकी ताजा मांग को बोर्ड द्वारा खारिज किया जाना था जिसमें कहा गया था कि उन्हें आईपीएल के दौरान छह विदेशी खिलाड़ियों को उतारने की अनुमति मिले ।
श्रीनिवासन ने टीम इंडिया के प्रायोजक के तौर पर सहारा के भविष्य के बारे में पूछे गए सवालों को खारिज कर दिया । उन्होंने कहा ,‘ हालात जस के तस है । हमने सहारा द्वारा उठाये गए मसलों का जवाब दिया । हमें उनकी प्रतिक्रिया का इंतजार है ।’
अमेरिका में इलाज के कारण आईपीएल से बाहर सहारा के स्टार खिलाड़ी युवराज सिंह के बारे में श्रीनिवासन ने कहा ,‘ मुझे बताया गया है कि नियमों के तहत सहारा युवराज का विकल्प उतार सकता है लिहाजा वह कोई मसला नहीं है ।’ उन्होंने कहा कि सहारा यदि पुणे वारियर्स में अपना कुछ हिस्सा किसी साझेदार को बेचना चाहे तो बीसीसीआई को कोई आपत्ति नहीं है ।
श्रीनिवासन ने कहा ,‘ बीसीसीआई को सहारा की रणनीतिक साझेदारी पर कोई ऐतराज नहीं होगा ।’ सहारा ने एक जुलाई 2010 को बीसीसीआई के साथ 31 दिसंबर 2013 तक के लिये नये प्रायोजन करार पर हस्ताक्षर किये थे । सहारा प्रति टेस्ट, वनडे और टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच के लिये 3.34 करोड़ रूपये का भुगतान कर रहा था ।
करार करीब 532 करोड़ रूपये का था ।सहारा ने पिछले साल आईपीएल की पुणे वारियर्स टीम 1702 करोड़ रूपये में खरीदी थी । यदि मामले का कोई हल नहीं निकलता है तो बोर्ड को 2000 करोड़ रूपये का नुकसान होगा । बोर्ड हालांकि इस घाटे को पूरा करने के लिये दूसरा प्रायोजक तलाश सकता है । श्रीनिवासन ने कहा कि प्रायोजक तलाशना बोर्ड के लिये मुश्किल काम नहीं है ।
(एजेंसी)
First Published: Monday, February 13, 2012, 20:30