Last Updated: Tuesday, February 7, 2012, 13:06
नई दिल्ली : आपसी हितों के टकराव के कारण खराब हुआ सहारा इंडिया और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) का आपसी रिश्ता एक बार फिर दोस्ताना हो सकता है। इन दो संस्थाओं ने क्रिकेट के स्पांसरशिप के अलावा अन्य मुद्दों पर बातचीत के लिए नौ फरवरी को मुंबई में मिलने का फैसला किया है।
सहारा द्वारा नाराज होकर भारतीय क्रिकेट टीम के स्पांसरशिप और इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की पुणे फ्रेंचाइजी से अलग होने के मामले में बीसीसीआई के रवैये में सोमवार को नाटकीय नरमी दिखी थी। बीसीसीआई ने सहारा से रार नहीं लेने का मन बनाते हुए उससे बातचीत के संकेत दिए थे। इसी के बाद यह बैठक निर्धारित की गई है।
दो दिन पहले बीसीसीआई इस मामले को लेकर जिस अड़ियल तेवर से पेश आ रही थी, उसमें सोमवार को साफ-साफ नरमी दिखी क्योंकि खुद बीसीसीआई प्रमुख एन. श्रीनिवासन ने कहा कि सहारा के साथ जारी मनमुटाव को जल्द ही सुलझा लिया जाएगा क्योंकि यह दोनों के बीच 'धारणा सम्बंधी फासले' का नतीजा है।
श्रीनिवासन ने कहा कहा था कि हमारे बीच धारणात्मक दूरिया हैं। हम किसी भी स्तर पर बातचीत के लिए तैयार हैं। हमारा रिश्ता 11 साल पुराना है। यही कारण है कि मैं सहारा के इस फैसले से हैरान हूं। मैं मानता हूं कि हमारी जब भी सहारा समूह के अधिकारियों से बात होगी, यह मसला सुलझा लिया जाएगा। इससे पहले, आईपीएल अध्यक्ष राजीव शुक्ला ने आईएएनएस से बातचीत के दौरान भी कुछ इसी तरह की बात कही। शुक्ला ने कहा कि सहारा के साथ 'पीछे के रास्ते से बातचीत जारी है' और बीसीसीआई उसके साथ शांतिपूर्ण समझौता चाहती है। शुक्ला ने कहा कि इस पूरे मामले में हमने आधिकारिक तौर पर सहारा की कोई बात नहीं सुनी है। इसके बावजूद बोर्ड सहारा इंडिया के साथ बातचीत को तैयार है। आखिरकार हमारा संबंध काफी पुराना है। शुक्ला ने कहा कि किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले बोर्ड सहारा का आधिकारिक पक्ष जानना चाहता है।
उल्लेखनीय है कि सहारा ने शनिवार को बीसीसीआई के साथ जारी लाखों डॉलर कीमत की स्पांसरशिप और पुणे फ्रेंचाइजी टीम से खुद को अलग करने की घोषणा करके बीसीसीआई को चौंका दिया था। सहारा की दलील थी कि उसे एक बार फिर बीसीसीआई से उचित न्याय नहीं मिला है। सहारा का यह फैसला शनिवार को होने वाली आईपीएल-5 की नीलामी के शुरू होने से कुछ समय पहले ही आया था। इस नीलामी में 144 खिलाड़ियों की बोली लगनी थी लेकिन पुणे वारियर्स ने इस नीलामी में हिस्सा नहीं लिया लेकिन उसने अपने बयान में कहा कि वह बीसीसीआई को दो से चार महीनों तक 'स्पांसरशिप की राशि देना जारी रखेगा'।
(एजेंसी)
First Published: Tuesday, February 7, 2012, 18:36