सुब्रतो कप में दिखेंगी यूरोपीय टीमें भी

सुब्रतो कप में दिखेंगी यूरोपीय टीमें भी

नई दिल्ली : तीन सितंबर से शुरू होने वाले प्रतिष्ठित अंतर स्कूल अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल टूर्नामेंट सुब्रतो कप 2012 में अब यूरोपीय टीमें यूक्रेन और ब्रिटेन भी हिस्सा लेंगी, जिसमें पहली बार इस साल राष्ट्रीय स्तर की अंडर-17 बालिका स्पर्धा भी आयोजित की जाएगी।

सुब्रतो मुखर्जी स्पोर्ट्स एजुकेशन सोसायटी और भारतीय वायु सेना द्वारा आयोजित इस सबसे पुराने स्कूल फुटबॉल टूर्नामेंट को इस साल कॉरपोरेट जगत का भी सहयोग मिला है और इस बार 28.30 लाख रुपए की कुल ईनामी राशि टूर्नामेंट में दी जाएगी। टूर्नामेंट में मेजबान देश के अलावा नेपाल, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, ब्रिटेन और यूक्रेन की 78 विभिन्न टीमें भाग लेंगी जबकि अफगानिस्तान की अंडर-17 बालिका टीम भी पहली बार इसमें शिरकत करेगी।

वर्ष 1960 में शुरू हुए सुब्रतो कप के इस 53वें चरण में जूनियर बालक वर्ग, सब जूनियर बालक वर्ग और अंडर-17 बालिका वर्ग में 125 मैच खेले जाएंगे जिसमें ब्रिटेन की कार्डिनल हीनन कॉलेज और यूक्रेन की एफसी डायनमो कीव टीम अपना हुनर दिखाएंगी। 29 दिन तक चलने वाले टूर्नामेंट के मैच विभिन्न स्थलों अम्बेडकर स्टेडियम, विभिन्न स्कूलों के स्टेडियम, रेस कोर्स के मैदान पर आयोजित किए जाएंगे जबकि छह मैच जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में भी होंगे।

एयर मार्शल जेएन वर्मा ने सुब्रतो कप 2012 के लांचिंग मौके पर कहा, ‘सुब्रतो मुखर्जी स्पोर्ट्स एजुकेशन सोसायटी देश के खेलों के विकास में अहम योगदान करना चाहती है और अंतर स्कूली स्पर्धा से बढ़िया मंच कोई हो ही नहीं सकता।’ जूनियर स्तर पर 34 टीमें, सब जूनियर स्तर पर 27 टीमें और जूनियर बालिका वर्ग में 17 टीमें एक दूसरे के आमने-सामने होंगी। जूनियर वर्ग में विजेता टीम को तीन लाख, सब जूनियर विजेता को दो लाख और बालिका वर्ग की विजेता टीम को दो लाख रुपए की ईनामी राशि दी जाएगी। इसके अलावा सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों को छात्रवृति भी दी जाएगी।

अम्बेडकर स्टेडियम में 3 सितंबर को उद्घाटन समारोह और एक अक्तूबर को समापन समारोह आयोजित किया जाएगा। सब जूनियर प्रतियोगिता 3 से 17 सितंबर, बालिका प्रतियोगिता 10 से 20 सितंबर तथा जूनियर स्तर की प्रतियोगिता 18 सितंबर से एक अक्तूबर तक चलेगी। इन तीनों प्रतियोगिताओं के फाइनल अम्बेडकर स्टेडियम में खेले जाएंगे। (एजेंसी)

First Published: Thursday, August 30, 2012, 17:02

comments powered by Disqus