Last Updated: Tuesday, September 24, 2013, 21:46

नई दिल्ली : उदीयमान पहलवान संदीप तुलसी यादव ने कहा कि अपने कौशल के अलावा ओलंपिक रजत पदक विजेता सुशील कुमार के शब्दों ने उन्हें बुडापेस्ट में विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में पदक जीतने के लिये प्रेरित किया। ओलंपिक में दो पदक जीतने वाले सुशील से प्रेरणा लेकर 25 वर्षीय यादव ग्रीको रोमन में कांस्य पदक जीतने में सफल रहा। वह भारत की तरफ से इस शैली में पदक जीतने वाले पहले पहलवान हैं। यादव ने कहा, चैंपियनशिप से लौटने से पहले सुशील भाई मेरे कमरे में आये और उन्होंने मुझे सलाह दी कि क्या करना है। उन्होंने कहा कि मेरे पदक जीतने के अच्छे अवसर हैं। उन्होंने मुझसे कहा कि मैं अपने प्रतिद्वंद्वी के बारे में नहीं सोचूं। उनके शब्दों से मुझे शत प्रतिशत प्रदर्शन करने की प्रेरणा मिली। यादव ने रविवार को 66 किग्रा भार वर्ग में सर्बिया के अलेक्सांद्र माकसिमोविच को हराकर कांस्य पदक जीता। मुंबई के इस पहलवान ने कहा, यह सपना सच होने जैसा है। मुझसे अपेक्षाएं थी और मुझे खुशी है कि मैं इन पर खरा उतरा। महत्वपूर्ण यह है कि मैं इस ऐतिहासिक प्रतियोगिता का हिस्सा बना। उम्मीद है कि मेरे पदक से अन्य को कुश्ती में अच्छा प्रदर्शन करने की प्रेरणा मिलेगी।
उन्होंने कहा, पिछले साल गोंडा में राष्ट्रीय चैंपियनशिप के दौरान मेरा दायां कंधा चोटिल हो गया था। दुर्भाग्य से इसके कारण मैं कुछ महीनों तक खेल नहीं पाया और दिल्ली में एशियाई चैंपियनशिप में भी भाग नहीं ले पाया। मैं जानता था कि मैं विश्व चैंपियनशिप में अच्छा प्रदर्शन कर सकता हूं जैसा कि सब मान रहे थे। यादव ने कहा, मैं अपने कोचों का आभार व्यक्त करता हूं जिन्होंने मेरी मदद की। चैंपियनशिप से पहले 15 दिन का अभ्यास शिविर बहुत मददगार रहा। वह 2009 की राष्ट्रीय चैंपियनशिप थी जब यादव ने सीनियर प्रशिक्षकों का ध्यान खींचा। इसके बाद उन्हें सोनीपत में एक साल तक अ5यास का मौका दिया गया। वहां के अनुभव ने यादव को विश्वसनीय पहलवान बना दिया। उन्होंने कहा, मैंने ग्रीको रोमन कुश्ती की बारीकियां सीखी। इसके बाद मैंने 2010 की राष्ट्रीय चैंपियनशिप में जीत दर्ज की। इससे मैं बेहतर पहलवान बना। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, September 24, 2013, 21:38