2014 में कांग्रेस का पत्ता होगा साफ: उमा भारती

2014 में कांग्रेस का पत्ता होगा साफ: उमा भारती

2014 में कांग्रेस का पत्ता होगा साफ: उमा भारतीउमा भारती बीजेपी की उन नेताओं में शुमार हैं जो अपने बेबाक बयानबाजी के लिए जानी जाती हैं। इस बार सियासत की बात में मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता उमा भारती से ज़ी न्यूज मध्यप्रदेश/छत्तीसगढ़/उत्तर प्रदेश/उत्तराखंड के संपादक वासिंद्र मिश्र ने खास बातचीत की। पेश हैं इसके मुख्य अंश:-

वासिंद्र मिश्र : उमा भारती जी, क्या वजह है कि अभी पिछले दिनों एक बयान आया था कि आप लोकसभा का चुनाव तो लड़ना चाहती हैं लेकिन मध्य प्रदेश से नहीं लडना चाहतीं ?
उमा भारती: नहीं ऐसी कोई बात मैने नहीं कही थी, मुझसे ये पूछा गया था, पत्रकारों ने कहा आप लोकसभा चुनाव लड़ेंगीं मैने कहा हां, मैं लड़ सकती हूं, कहां से लड़ेंगी ? तो मैने कहा था कि इसकी संभावना है कि मैं यूपी से लड़ूंगी।

वासिंद्र मिश्र : तो इसके पीछे मकसद क्या है, क्या भारतीय जनता पार्टी चाहती है कि आपकी जो छवि है, आपका जो बेदाग राजनीतिक जीवन रहा है उसका एक बार फिर राजनीतिक फायदा उठाया जाए, उत्तर प्रदेश में जिस तरह से विधानसभा चुनाव में उठाने की कोशिश हुई थी ?
उमा भारती: उत्तर प्रदेश से चुनाव लड़ने की बात 1996 में भी आई थी, 1998 में भी आई थी, फर्रुखाबाद से लड़ने के लिए लेकिन उस समय पर मैंने ही आग्रह किया था कि मैं एक-दो चुनाव खजुराहो से ही लड़ लूं, मैने चार चुनाव जीते हैं खजुराहो से। तो उत्तर प्रदेश पहले भी ये विषय रहा है इसका कारण ये है कि मेरे गांव की जो भौगोलिक स्थिति है , मैं बुंदेलखंड की हूं और मेरा जो गांव है उसका आधा हिस्सा उत्तर प्रदेश में और आधा हिस्सा मध्य प्रदेश में है। दूसरा राम जन्मभूमि आंदोलन के कारण बना है, राम जन्म भूमि आंदोलन में मेरी ज्यादा सक्रियता उत्तर प्रदेश में रही है और अभी दो साल से चूंकि मैं विधायक भी उत्तर प्रदेश से ही हूं तो ये सारी जो सामरिक परिस्थितियां हैं उस कारण ऐसा हुआ है, बाकी फैसला मैं तो कर नहीं सकती वो तो राजनाथ सिंह जी जो कहेंगे वो मै करूंगी।

वासिंद्र मिश्र : भारतीय जनता पार्टी का जो शीर्ष नेतृत्व है ज्यादातर ऐसा है जो कि उत्तर प्रदेश से आता है, या उसका सरोकार उत्तर प्रदेश से है। बावजूद इसके उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की स्थिति काफी जर्जर है और उसका सबसे बड़ा कारण जो समझ में आता है वो आपसी गुटबाजी है, आपको क्या लगता है ?
उमा भारती: मैं तो उत्तर प्रदेश में अभी-अभी आई थी, करीब सवा साल पहले, और जो स्थितियां उत्तर प्रदेश की थीं उसमें जनता तो चाहती थी कि बीएसपी की सरकार जाए तो भारतीय जनता पार्टी आए। मैंने खुद इसको देखा। जून 7 को पार्टी में मैंने प्रवेश किया और शायद 18 जून को मै निघासन एक जगह थी जहां एक मुस्लिम लड़की के साथ गई थी, जिसको थाने में लटका दिया था, मैं वहां पर पहुंच गई और उसके बाद आप यकीन करिए कि मैं जून, जुलाई, अगस्त, सितंबर का पहला हफ्ता आते-आते मैंने पूरे 80 जिले कवर कर लिए थे उत्तर प्रदेश के , और उससे मैं इस आकलन पर पहुंच गई थी कि हम यहां पर 70 से 125, तक हमारा फिगर हो सकता है यूपी में। हम उस स्थिति में आ सकते है, हम दावा कर रहे थे सरकार बनाने का , लेकिन ये फिगर सरकार भी बनवा सकती है, कुछ भी स्थिति बन सकती है। लेकिन जो मैंने वहां कि स्थितियां देखीं और मुझे ऐसा लगा कि मैं खाली दीवारों से बात कर रही हूं और ये पूरी रिपोर्ट मैने दिल्ली को की। नितिन जी को, रामलाल जी को की और मैने सितंबर के अंत तक अपने आप को उत्तर प्रदेश की राजनैतिक, सांगठनिक गतिविधियों से अलग कर दिया और मैंने उनको ये कह दिया कि आपको पोस्टर में मेरा फोटो लगाना है तो लगा लीजिए लेकिन मैंने किसी भी निर्णायक बैठक में जाना बंद कर दिया। क्योंकि मुझे ऐसा लगा कि जहां निर्णय हो रहे हैं वो अलग जगह हैं और लोग जो सोच रहे हैं वो अलग जगह हैं और उसी का परिणाम निकला कि समाजवादी पार्टी की वहां सरकार बनी। मुझे तो उत्तर प्रदेश की बहुत सारी घटनाओं का बहुत दुख हुआ। कन्नौज से तो हम उम्मीदवार भी नहीं खड़ा कर पाए, उससे तो मैं इतनी व्याकुल हुई, इतनी शर्मिंदा हुई कि मुझे उत्तर प्रदेश जाने, लखनऊ जाने में शर्म आती थी।

वासिंद्र मिश्र : तो इस बार आपको क्या लग रहा है, अगर हम थोड़ा राजनैतिक शब्दावली का प्रयोग करें, आप क्षमा करें कि आपने जो मेहनत की , आपने एक राजनैतिक मुहिम चलाई भ्रष्टाचार के खिलाफ, जो एक कुशासन था उसके खिलाफ, उस आंदोलन की हवा निकाल दी। आप ही के दल के कुछ नेताओं ने, कुछ अच्छे दागी नेताओं को पार्टी में शामिल कर लिया चुनाव के दौरान, जिसकी वजह से पूरा का पूरा आंदोलन था, जो केंद्रबिन्दू था भ्रष्टाचार के खिलाफ, आंदोलन आपने खड़ा करने की कोशिश की, उसकी हवा निकल गई, क्या गारंटी है कि इसबार जब सीटों का बंटवारा होगा तो इस तरह के दागी छवि के नेताओं को जिनके बारे में आम जनता में सही धारणा नहीं है, ऐसे लोगों को पार्टी के उम्मीदवार या टिकट से दूर रखा जाएगा ?
उमा भारती: राजनाथ सिंह के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने का अब हमको लाभ मिलेगा, क्योंकि राजनाथ सिंह जी राष्ट्रीय राजनीति में आने से पहले उत्तर प्रदेश की राजनीति में बहुत सक्रिय रहे हैं। वो प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं, वो मुख्यमंत्री भी रहे हैं, वो महासचिव भी रहे हैं और पिछले चुनाव में वो प्रभारी भी रहे हैं। उनकी यात्रा भी निकली थी पिछले चुनाव में, उनकी और कलराज जी की यात्रा भी निकली थी। वो तो उत्तर प्रदेश की रग-रग से वाकिफ हैं और इसलिए मुझे लगता है कि चूंकि राजनाथ जी राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और उनको उत्तर प्रदेश की भलीभांति समझ हैं और मुझे जो लगता है और आज जो उत्तर प्रदेश की स्थितियां है वो फिर वैसी ही हैं, जैसी कि सितंबर 2012 में, सॉरी सितंबर 2011 में थीं, जिसमें उत्तर प्रदेश की जो जनता थी वो बीएसपी को नहीं चाहती थी और सपा की उसको कड़वी यादें थीं और भाजपा की तरफ देख रही थी कि भाजपा कुछ इस तरह उठे कि हम कह सकें कि सरकार बना सकते हैं लेकिन हम उठे ही नहीं, धराशायी होने लगे सितंबर के बाद।

वासिंद्र मिश्र : अपने आंतरिक कारणों से...
उमा भारती: अब इतना ही मेरा बोलना पर्याप्त है और इसके बाद में फिर अभी जो स्थितियां हैं उत्तर प्रदेश की मै कहती हूं वो रिकॉर्ड हैं कि कोई भी सरकार इतनी जल्दी लोगों की नजरों से नहीं गिरती, समाजवादी पार्टी की सरकार जिस तरह उत्तर प्रदेश की जनता की नजरों मे गिरी है, जो अराजकता वहां पर हुई है, जो असुरक्षा का माहौल उत्तर प्रदेश में बना है, उसके बाद लोग एक बार फिर भाजपा की ओर देख रहे हैं। अभिलाषिता यह होगा कि उत्तर प्रदेश को समझने वाला व्यक्ति अंतिम निष्कर्ष की जगह पर बैठा हुआ है। राजनाथ सिंह जी राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और वो अंतिम निष्कर्ष की जगह पर बैठे हुए हैं और वो उत्तर प्रदेश को समझते हैं इससे मुझे लगता है कि 2012 की, 2011 की स्थिति पर प्रश्न नहीं होगा।

वासिंद्र मिश्र : लेकिन जो इतिहास गवाह है कि राजनाथ जी उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष थे और माननीय कल्याण सिंह जी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे उस समय कल्याण सिंह जी की सरकार बचाने के लिए करीब डेढ़ दर्जन शातिर, कुख्यात, दागी किस्म के लोगों को आपकी पार्टी ने मंत्री बना दिया था। उत्तर प्रदेश में और संसदीय इतिहास में पहली बार हुआ कि तमाम दो दर्जन से ज्यादा आपराधिक मामलों वाले माननीय विधायक लोग मंत्रिमंडल में शामिल हुए और ये सब राजनाथ सिंह जी की सरपरस्ती में हुआ था और कल्याण सिंह जी के नेतृत्व में वो सरकार चली। आज समरूप से दोनों फिर पार्टी में हैं और आपका जो पुराना अनुभव है वो बहुत अच्छा नहीं है। विधानसभा चुनाव में जब पार्टी के पैसे लगे हुए थे। अभी भी आपको उम्मीद है, आप बहुत अशान्वित लग रही हैं कि शायद इस बार कोई चमत्कार हो जाए?
उमा भारती: कई बार ऐसे मौके आते हैं कि आपके सामने दो विकल्प होते हैं जैसे मैं 1998 का आपको बताती हूं, लोकसभा का जब रिज़ल्ट आया, राष्ट्रपति जी ने जब अटल बिहारी वाजपेयी जी को बुलाया क्योंकि हम एकजुट हो गए थे तो उस समय पार्टी की एक बैठक हुई थी उस समय मैं पार्टी की पदाधिकारी थी और मैं पार्टी की युवा मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष भी थी। तो मैं भी बैठक में बैठी हुई थी। उस बैठक में पार्टी कार्यालय में एक बहुत महत्वपूर्ण सवाल आडवाणी जी ने उठाया था कि राष्ट्रपति जी ने निमंत्रण तो दिया था कि अटल जी राष्ट्रपति के निमंत्रण का आप उत्तर देने से पहले पार्टी के नेताओं से परामर्श कर लें। तो शुरूआत की आडवाणी जी ने तो उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ने निमंत्रण तो दिया है, ये बहुत अच्छी बात है लेकिन पहले हम तय कर लें कि हमे सरकार बनानी है या नहीं? और अगर बनानी है तो वो किस प्रकार से बनेगी ? उसकी भी तैयारी करेंगे और जब सभी पदाधिकारियों ने ये सहमति दे दी कि नहीं सरकार तो बनानी चाहिए तो सरकार बनाने की पूरी स्थितियां निर्मित हो चुकी थीं। 96 के बाद 98 की स्थिति बदल चुकी थी तो इसलिए हमने सरकार बनाई। सरकार बनाने का फैसला कर लिया तो उसमें बहुत सारे कम्प्रोमाइज़ भी हुए थे इसी प्रकार से उत्तर प्रदेश की स्थिति 96 में ऐसी ही थी। जो विकट स्थितियां बनी थीं उसमें या तो मुलायम सिंह को ही मौका देते, मतलब बना लेते किसी ना किसी प्रकार से या हम राष्ट्रपति शासन फिर वहां पर लगाने देते। और कुछ समय लगा भी रहा। आपको वहां कि स्थितियां मालूम है और हमें ये विश्वास था कि हम मायावती का साथ देंगे। एक दलित महिला को, पहले उन्हीं का चांस आया मुख्यमंत्री बनने का। उसके बाद हमारा आया और मायावती ने जिस तरह से हमारे साथ विश्वासघात किया, कल्याण सिंह जी की सरकार गिरा दी। उस समय अगर हम हार गए होते मायावती के सामने, तो निश्चित रूप से हम देश के सामने जवाब देने लायक ना होते। और हमारे पूरे हिंदुस्तान का कैडर हमसे जवाब मांगता। इसलिए हमने बिल्कुल सही जवाब दिया। कि उस समय हमने सरकार फॉर्म में ली।

वासिंद्र मिश्र : लेकिन आपको लगता नहीं है कि सत्ता के लोगों के चलते जो चाल चली थी वो चेहरे की बात होती है भारतीय जनता पार्टी की उसको आप लोगों ने बलि चढ़ा दिया।
उमा भारती: मैने आपको फिर वही बात कही, आपको तय करना पड़ता है कि आप सिद्धांतों के बल पर सड़क पर ही खड़े रहेंगे या सत्ता का सहारा लेकर शीर्ष पर बैठकर काम करेंगे। सड़क पर संघर्ष करते रहेंगे तो सिद्धांतों की ज्योति जलती रहेगी। लेकिन आप उसको अप्रोचुअल पार्ट में तब्दील कर पाएंगे, क्रियान्वयन कभी नहीं कर पाएंगे। और अगर आप सत्ता के शीर्ष पर आ गए तो हां बहुत सारे काम कर सकेंगे। जैसे अटल बिहारी वाजपेयी जी के समय पर बहुत सारी योजनाएं बनीं, वो अपने में इतिहास हैं। प्रधानमंत्री सड़क योजना से गांव की तरक्की हुई और गांव को भी शहर जैसा रोड मिला। ये अपने आप में बहुत बड़ी बात है। डेवलपमेंट की दृष्टि से राष्ट्रवाद की दृष्टि से पोखरन का विस्फोट बहुत बड़ी घटना थी। सबसे बड़ी बात तो लोगों को ये समझ में नहीं आया कि पोखरन के विस्फोट के बाद हमपर प्रतिबंध के बाद भी महंगाई नहीं बढ़ पाई। इसका मतलब ये है कि हम आम आदमी को रिलीफ दे सकते थे। हम धारा 370, यूनिफॉर्म सिविल कोर्ट, की बात नहीं कर पा रह थे। रामजन्म भूमि पर मंदिर निर्माण के लिए हम स्थितियां नहीं बना पा रहे थे, हम गो-हत्या पर रोक नहीं लगवा पा रहे थे। लेकिन ये भी सत्य है कि अगर हम सर्वांगीण नहीं होते, ये तो होने ही नहीं थे। हां कुछ काम ज़रूर इसलिए हुए क्योंकि हम सरकार में थे। जैसे कि पोखरन पर काम हो गया, महंगाई कंट्रोल में आ गई, जैसे की प्रधानमंत्री सड़क योना बन गई। ये तो मैं कुछ गिनी चुनी बातें बता रही हूं।

वासिंद्र मिश्र : कई बार साझा सरकार बनाकर भी अपने जो सैद्धांतिक कमिटमेंट हैं उसको पूरा किया जा सकता है और इसलिए उत्तर प्रदेश में साझा सरकार बनाई गई। उसमें ऐसे अशोभनीय और अप्रिय निर्णय भी लेने पड़े कि सरकार चलाने के लिए देश में भी सरकार बनी। अटल जी के नेतृत्व में आपने अभी चर्चा की और आपके तमाम साथियों ने पूरा जीवन लगा दिया राम जन्म भूमि आंदोलन में । अगर हम कहें इसको पत्रकारिता की भाषा में तो आपने अपनी ज़िंदगी की जो तरुणाई थी पूरा वो आपने राम आंदोलन में लगा दी तो आपने सोचा भी नहीं था कि एक दिन मुख्यमंत्री भी बनना है और ना आपके लाखों करोड़ों समर्थकों ने ये सोचा था। हम सब लोग उस आंदोलन के गवाह थे। पूरे देश से और अयोध्या तक जब सरकार बनी तो क्या हुआ आप ही लोग अटल जी से बोलते कि जो वायदे हम लोग करके आए हैं वो पूरे नहीं हो रहे हैं और ये उचित नहीं है सिद्धांतों की बलि देकर सत्ता में बना रहना उचित नहीं है। और मैं इतिहास में नहीं जाऊंगा, उसके चलते आपको काफी परेशानी भी हुई। निजी तौर पर भी और राजनीतिक तौर पर भी लेकिन आपने अपने इश सिद्धांत को नहीं छोड़ा। निजी तौर पर आप आज भी उसी सिद्धांत पर चलती हैं। आपको लग रहा है अभी जो नया माहौल बना है देश में और जो 2014 तक चुनाव होने जा रहा है क्या ये सिद्धांतों के आधार पर होगा या फिर वही जोड़तोड़, भ्रष्टाचार, कॉरपोरेट गठजोड़ इस तरह के लोगों की मदद लेकर सरकार गिराई जाएगी और सरकार बनाई जाएगी।
उमा भारती: मैं वहीं से शुरू करूंगी, हां से आप बोले हो। उत्तर प्रदेश से मुझे 96 का जितना स्मरण है तो उसमें बहुत सारे लोग ऐसे थे जिनके खिलाफ बहुत सारी FIR दर्ज थीं लेकिन वो सारे आपराधिक प्रकृति के नहीं थे। ऐसा नहीं था कि सारे लोग आपराधिक प्रवृति के थे। ऐसा हो सकता है कि एक आध लोग जो इक्के-दुक्के हों । लेकिन सरकार कल्याण सिंह और राजनाथ सिंह के एजेंडे पर ही चली। राजनाथ सिंह उस समय प्रदेश अध्यक्ष थे और कल्याण सिंह मुख्यमंत्री थे। उस समय अपराधों पर नियंत्रण हुआ मां बहनें सुरक्षित घर से निकलती थीं भ्रष्टाचार बिल्कुल हो नहीं सका और सरकार ने अच्छे काम किए। अनुशासित तरीके से काम किया तो इसलिए मैं आपको ये बताऊं कि हम सिद्धांतों से समझौता नहीं करते। हां कुछ तात्कालिक विषय ऐसे होते हैं कि हम उनपर आ जाते हैं उन्हें हमें अपने एजेंडे में एडॉप्ट करना पड़ता है। और हम ही उसपर सबसे बेहतर काम करते हैं जैसे आज का सबसे महत्वपूर्ण विषय है आर्थिक क्षेत्र। जिसमें महंगाई का विषय सबसे महत्वपूर्ण है। मुझे लगता है कि जब अटल जी की सरकार बनी तो वो सबसे बड़ी उपलब्धि थी। पोखरन के विस्फोट के बाद भी महंगाई कंट्रोल में थी और दूसरी सबसे बड़ी बात ये कि गांव तक सड़कें पहुंचा रहे थे। हम एक स्वर्णिम चतुर्भुज योजना बना रहे थे जिससे पूरे देश की कनेक्टिविटी हो । और छोटे-छोटे उद्योग भी खड़े हो सेकें। तो आप ये मत समझिए कि हम अगर किसी का सपोर्ट लेते हैं तो वो हमे डॉमिनेट करते हैं और हम अपने सिद्धांतों की बिल्कुल बलि चढ़ा देते हैं। हां कुछ तात्कालिक परिस्थितियां होती हैं जो सिद्धांतों का रूप ले लेती हैं और वो एक प्रकार से इतनी महत्वपूर्ण परिस्थितियां होती हैं उसमें भी हम सबसे बेहतर प्रदर्शन करते हैं। मैं अब आपको ये पुरानी बात से ले चलती हूं और अब आती हूं नई बात पर। जो आपने कही। ये तो तय है कि कॉर्पोरेट सेक्टर प्रभावी है इस देश तात्कालिक स्थितियां ऐसी हैं अभी जो वर्तमान स्थितियां हैं वो इसी प्रकार की हैं । और जो मीडिया का भी जो तंत्र है उसमें भी आप कितना भी अच्छा काम कर रहे हो लेकिन मीडिया अगर आपको रिकनाइज़ ना करे तो दिक्कत आ जाती है। आज 10-15 साल पहले ऐसी स्थिति थी नहीं, मेरे को अपना ही स्मरण है जब मै भारतीय जनाता पार्टी से बाहर थी तो मेरी मध्यप्रदेश, या कहीं की भी सभाओं में उतने ही लोग आ रहे थे। लेकिन ना तो मेरे बारे में टेलीविजन में कोई खबर थी और ना ही अखबारों में कोई लाइन थी मेरे बारे में। अगर मीडिया इग्नोर कर दे तो किसी भी राजनीतिक दल का अस्तित्व खत्म हो सकता है। ये इसका एक उदाहरण मैं भी हूं ये मै आपको बताऊं। लेकिन खत्म हो सकता है इस सेंस में कि हम जितने सफल हो सकते थे उतने नहीं हो पाए थे। तो उसका भी एक हिस्सा है। और ऐसा भी नहीं कि सिर्फ पॉलीटिक्स पर कॉर्पोरेट सेक्टर हावी है मुझे लगता है कि वो दूसरे सेक्टर मीडिया पर भी उतना ही प्रभावी हो गया है। लेकिन अगर सारे लोग मिलकर एक ही दिशा में सोंचे और देश उठाने के बारे में सोंचे तो उसमें बुराई क्या है। हम ऐसा मानकर क्यों चले कि कॉर्पोरेट सेक्टर जो खराब होता है, गंदे लोग होते हैं देश को बेचने वाले लोग होते हैं ऐसा हम मान के क्यों चलें। हम ये क्य़ों ना माने कि वो आज की हकीकत हैं। इकॉनमिक क्षेत्र की बहुत बड़ी हकीकत हैं। मीडिया भी आझ उसकी एक बहुत बड़ी हकीकत है और हम उनको एक सकारात्मक दिशा की ओर ले जा सकते हैं। मैं तो इसको कुछ गलत नहीं मानती हूं। अगर हम उन सबको साथ लेकर चलें और हम एक अच्छे समन्वय के साथ चलें तो बुराई क्या है।2014 में कांग्रेस का पत्ता होगा साफ: उमा भारती

वासिंद्र मिश्र : आपकी पार्टी की तीन राज्यों में सरकार है और जो आए दिन चर्चा होती, सरकारी एजेंसियों के आंकड़े आते हैं उसमें भी तीनों सरकारों के बारे में कहा जाता है कि बहुत अच्छा काम चल रहा है उनकी तुलना में जो गैर भाजपाई सरकारें हैं प्रदेश में आपको एम्बैरेसिंग करने वाला कोई सवाल नहीं पूछ रहा। लेकिन मैं सिर्फ इतना जानना चाहता हूं कि क्या आपको भी लगता है कि मैनेजमेंट के चलते कुछ लोगों को ज्यादा बेहतर प्रोजेक्ट किया जा रहा है। और कुछ लोग जो कि सचमुच बेहतर काम कर रहे हैं लेकिन उनका प्रोजेक्शन उस हद तक नहीं हो पा रहा।
उमा भारती: मेरे को कई बार ऐसा होता है और कई बार ऐसा नहीं होता है। भारतीय जनता पार्टी को जितना महत्व मिलना चाहिए वो एक चीज़ में कहीं उलझ गया है। वो बात है सांप्रदायिकता और धर्मनिरपेक्षता। मुझे लगता है ये चीज़ अभी खत्म नहीं होने दे रहे हैं हमारे देश के दूसरे राजनीतिक दल। और जब महत्वपूर्ण दल उस बात को प्रोजेक्ट करेंगे तो मीडिय़ा को वो चीज़ मीडिया को लिफ्ट करनी पड़ेगी। तो मुझे लगता है कि 10-15 सालों से मैं ये बात कह रही हूं कि देखो दोनों बातें अलग कर लो हिंदुत्व और राष्ट्रवाद और अल्पसंख्यकवाद। इस पर खूब बहस करो लेकिन वोटर जब वोट दे तो दूसरे ईशूज़ पर वोट दे। एक चुनाव ऐसा हुआ जो पूरी तरह से इसी विषय पर हुआ। वो था 93 के दिसंबर का चुनाव । जो कि उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल, मध्यप्रदेश सब जगह पर हुआ और इसलिए उस एक चुनाव को अगर आप छोड़ दें तो 91 का लोकसभा का चुनाव छोड़ दें, विधानसभा का चुनाव छोड़ दें तो अभी तक सभी चुनावों के ऊपर हावी रही है धर्मनिर्पेक्षता और सांप्रदायिकता। कांग्रेस ने इसी को हत्थकंडा बनाया , दूसरी पार्टियों ने भी इसी को हथकंडा बनाया। मुलायम सिंह यादव और लालू प्रसाद यादव ने तो इसी राजनीति का खाया। हम चाहते हैं कि हम पहले राजनीतिक दल हैं देश के जिसने की पूरी बात को विकास के प्लेटफॉर्म पर लाकर खड़ा किया। और इस दृष्टि से फिर लोगों को कई जगह हाईलाइट मिलता है। कई जगह नहीं मिलता है।

वासिंद्र मिश्र : लेकिन , आपकी पार्टी के अंदर भी इसी मुद्दे को पकड़कर क्यों राजनीति होती है साम्प्रदायिकता की। अगर आपका विरोधी आपको इस मुद्दे पर ट्रैप में लेना चाहता है तो आप लोग खुशी-खुशी क्यों ट्रैप में आ जाते हैं?
उमा भारती: उसका कारण ये है कि हमारा जो प्रारंभिक दौर था इस देश में दो व्यक्ति ऐसे थे जिन्होंने आज़ादी से पहले और आजादी के बाद भारत की कल्पना की है। महात्मा गांधी जी ने कल्पना की थी कि आजादी बाद का जो भारत है उसका अधिष्ठान स्वदेशी होना चाहिए, कृषि होनी चाहिए, गाय होनी चाहिए। और हेडगेवार जी ने कल्पना की थी जो आजादी के बाद का भारत है उसका सांस्कृतिक अधिष्ठान है वो हिंदुत्व होना चाहिए । और उसी के आधार पर फिर संघ का कार्य शुरू हुआ। संघ से ही एक प्रचारक निकला और जब संघ के लोगों को ये लगा कि राष्ट्रवाद को राजनैतिक एजेंडे पर लेकर जाना है तो फिर दीनदयाल जी आए। जनसंघ की स्थापना हुई फिर श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी उसमें शामिल हुए और राष्ट्रवाद के मूल अधिष्ठान के ऊपर जनसंघ का प्रारंभिक दौर रहा। फिर राष्ट्रवाद में आर्थिक राष्ट्रावाद भी जुड़ गया। जो आज का विषय हो गया है। इसलिए वो बात तो मूल में रहेगी। कभी जाएगी ही नहीं। हिंदुत्व हमारी आस्था का विषय रहेगा वो कभी नहीं जाएगा और जो हिंदुत्व को लेकर जो बाते हैं ये जब चलेंगी तो उस समय हमें बातों के जवाब देने ही चाहिए। हम उनसे कभी हट नहीं सकते हैं।

वासिंद्र मिश्र : हम ऐसा जो अपनी भारतीय राजनीति है या हम ग्लोबल पॉलिटिक्स की भी बात करें तो पर्सनैलिटी कल्चर का ट्रेंड है। पूरी दुनिया में एक व्यक्ति को आगे करके राजनीति होती है। आज की तारीख में भारतीय जनाता पार्टी ने भी अटल जी को आडवाणी जी को आगे करके देश में राजनीति की। वैचारिक प्रतिबद्धता के साथ-साथ करोंड़ों लोगों की तपस्या थी और शक्ति थी। जोकि कहीं लाइम लाइट में नहीं रहते हैं संघ के कार्यकर्ता और विश्व हिंदु परिषद और तमाम अपने जो आनुवांशिक संगठन हैं उसके लिए आज की तारीख में आपकी नज़र में भारतीय जनता पार्टी का मुखौटा कौन है?
उमा भारती: मुखौटा तो नकली चीज़ होती है।

वासिंद्र मिश्र : हम अगर चेहरे की बात करें...
उमा भारती: मुखौटा तो कोई होना ही नहीं चाहिए....

वासिंद्र मिश्र : अगर हम उसके चेहरे की बात करें...
उमा भारती: महाभारत में भगवान ने जब अपना विराट रूप दिखाया था तो उनके अनंत मुख थे और अनंत बाहु थे । तो कई बार संगठन का जब विराट रूप हो जाता है तो उसके अनंत मुख हो जाते हैं और असंख्य बाहू हो जाते हैं। आज भारतीय जनता पार्टी एक बहुत व्यापक पार्टी हो गई है इसके केंद्र में बहुत महत्वपूर्ण लोग हैं इसलिए अब स्थितियां अलग हैं। हमने कहा था हमको प्रॉब्लम होती हमारे कम्पैरिज़न होते हैं अब कांग्रेस है । कांग्रेस में परिवार के नाम पर रिजर्वेशन है। वो हमारे देश में खाली एसी,एसटी,ओबीसी का रिर्जर्वेशन थोड़े ही है। नेहरू-गांधी परिवार का रिजर्वेशन है क्योंकि उन्हीं के परिवार का व्यक्ति जब भी कांग्रेस की सरकार होगी तो अध्यक्ष भी वहीं होने चाहिए और प्रधानमंत्री भी वहीं होना चाहिए। और अगर वो नहीं तो ऐसा प्रधानमंत्री होना चाहिए जो उनके रिमोट से चलता हो। तो इसलिए इस तरह काम मामला हमारे यहां नहीं है। तो लोगों को लग रहा है हम गलत हैँ।

वासिंद्र मिश्र : लेकिन आपने कहा कि मुखौटा तो नकली होता है और महाभारत की भी आपने तुलना की, कृष्ण की भी तुलना की अगर हम ये आपसे कहें भारतीय जनता पार्टी में कृष्ण की भूमिका में आज की तारीख में कौन है ।
उमा भारती: मैनें आपसे पहले भी कहा, भगवान ने अपने अनंत मुख दिखाए और असंख्य बाहू दिखाए। औऱ उन्होंने कहा कि सारा विश्व ही मेरे अंदर है तो मै आज कह सकती हूं कि भारत वर्ष की तरुणाई का एक बहुत बड़ा अंग है जो भारतीय जनता पार्टी में कार्यकर्ता के रूप में हैं। इन्हीं में से बहुत सारे लोग नेताओं के रूप में उभरे।

वासिंद्र मिश्र : लेकिन यह भी सच है कि एक प्रतीक बनाना पड़ता है। प्रतीक को आगे रखकर और कोई संघर्ष शुरू करने के लिए ।
उमा भारती: नहीं, प्रतीक तो हमारे यहां विचारधारा है और देश ही हमारा प्रतीक है और राष्ट्रवाद हमारा प्रतीक है। ‘आज्ञा भई करतार की तभी चलायो पंत सब शिष्यन को हुकुम है गुरू मान्यो ग्रंथ’

वासिंद्र मिश्र : हां, वो तो ठीक है लेकिन हम लोग आज की तारीख की बात कर रहे हैं राजनीति की बात कर रहे हैं। राजनीति में राजनीति का मतलब ही होता है छल, छल और षडयंत्र। सबका एक कॉमबिनेशन होता है पॉलिटिक्स में कुछ भी नाजायज़ है और ना ही जायज़ है। लक्ष्य की प्रप्ति होनी चाहिए। अभी आपने कहा। इससे पहले की बातचीत में तो उसको देखते हुए अभी आपका पिछले दिनों एक बयान आया था कि कितना सच है कितना झूठ है । ये तो आप बताएंगी कि गुजरात में जब से नरेंद्र मोदी हुए हैं वहां के मुख्यमंत्री सांप्रदायिक दंगे नहीं हुए हैं। इस बयान का मतलब क्या है। क्या आप अल्पसंख्यकों में एक विभीषण पैदा करना चाहती हैं। या तो तुम हमारे साथ रहे नहीं तो दंगे होंगे। इश तरह की जो विचारधारा है इसे आप उचित मानती हैं।
उमा भारती: नहीं, उल्टा है। हमारे बारे में, हमारी इमेज इतनी खराब कर दी जाती है भाजपा के लोगों की इमेज तो इतनी खराब कर दी गई थी कि ये जब सरकार में आएंगे तो उन राज्यों से मुसलमानों को भागना पड़ेगा। गुजरात के संदर्भ में तो मैं ये कहर रही थी कि गुजरात में मुसलमान सबसे ज्यादा सुखी हैं । दंगा तो गुजरात में हुआ है और बहुत बड़ा हुआ है लेकिन हम गुजरात के आम मुसलमान का मानस देखें तो वो अपने आपको को बहुत सुखी और सुरक्षित अनुभव करता है। दंगा एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी जिसमें दोनों हिस्से दुर्भाग्यपूर्ण थे। वो गोधरा में जो हुआ, ट्रेन में लोग जिंदा भून दिए गए वो भी बहुत दुर्भाग्यपूर्ण था। उसके बाद का जो कुछ घटा उसपर हम गर्व तो नहीं कर सकते हैं लेकिन हां उसकी जिस प्रकार की विवेचना होती है वो भी गलत तरीका है और उसको इतना खींचा गया है । उस बात का मैं ये नहीं कह रही कि घटना हुई ही नहीं। घटना हुई तो बुरी नहीं हुई पहले ही कह रही हूं कि जो कुछ था गोधरा से लेकर गुजरात के परिणाम स्वरूप सबकुछ अच्छा नहीं थी, सब दुर्भाग्यपूर्ण था। लेकिन उसको जिस तरह खींच रहे हैं और जैसे मान लो उसी के आधार पर कांग्रेस और कांग्रेस जैसी विचारधारा रखने वाली पार्टियां अपनी रोटियां सेंकती रहेंगी बहुत लंबे समय तक। ये भी एक घिनौनापन है और एक गलत तरीका है। लेकिन जब हम सरकार में आते हैं तो हम दहशत से नहीं बल्कि प्रमाणिकता से काम करते हैं उस प्रमाणिकता के कारण लोगों के मन में ये बैठ गया है कि हम भारतीय जनता के समय पर ज्यादा सुरक्षित रहते हैं ये मुसलमानों तक के मन में बैठ गया है। औऱ इसका कारण दहशत नहीं है। उल्टा दहशत तो तब ज्यादा पैदा होती है जब हिंदुत्व विरोधी सरकार का पैटर्न हो जाता है। जैसे मुलायम सिंह के...उत्तर प्रदेश में आज अराजकता क्यों है। क्योंकि समाजवादी पार्टी पूरी तरह से तुष्टिकरण की राजनीति करती है उसके कारण अराजकता खड़ी होती है। बिहार में जब लालू यादव थे तब आप याद करिए मतलब थोड़ा सा भी बहुचढ़ी और दंगे होने की स्थिति आ जाती थी । जब हम अब तो स्टेबलिश ही हो गय़ा है कि हमारे बारे में ये मानना कि हम हिंदुत्ववादी तो हैं लेकिन हिंदुत्ववाद का ये मतलब नही है कि हम विकास नहीं कर सकते और हिंदुत्व का मतलब ये नहीं है कि हम मुसलमानों को पाकिस्तान भेजना चाहते हैं ये बात इतनी क्लीयर हो गई है कि मुझे लगता है कि मुझे आपको सफाई देने की ज़रूरत नहीं है।

वासिंद्र मिश्र : लेकिन आप लोग क्यों उसी मुद्दे को लेकर अड़े हुए हैं। आपकी पार्टी से तमाम ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो गुजरात से बेहतर काम कर रहे हैं गवर्नेंस के मामले में, डेवलपमेंट के मामले में, बेदाग छवि है, किसी भी तरह का कोई कोर्ट कचहरी का झमेला नहीं है उनके साथ क्या वजह है कि भाजपा भी सिर्फ और सिर्फ नरेंद्र मोदी को आगे करके डिबेट चला रही है पूरी तरह से।
उमा भारती: कहां चला रही है? आपने इंटरव्यू में आपने ही सवाल किया मैंने तो अभी तक ज़िक्र भी नहीं किया है। आप लोग हैं जो इसमें लगे हुए हैं। छोड़ दीजिए इस चीज़ को आप ये सवाल भी छोड़ दीजिए आप ये देखिए, मैं इंटरव्यू करते-करते अंटसंट में आप खुद ही उस विषय पर आ गए। मुझे लगता है आप चला रहे हैं सारी खबरों को हम नहीं चला रहे।

वासिंद्र मिश्र : जितना हम लोगों ने देखा है जिन नेताओं की आप आलोचना कर रहीं थी मुलायम सिंह यादव की वो लोग सांप्रदायिक राजनीति करते हैं जातिगत आधार पर राजनीति करते हैं । जो हम लोगों ने देखा है उत्तर प्रदेश की राजनीति जो लोग जानते हैं मुलायम सिंह ने हर संभव कोशिश की कि वो आपके साथ किसी तरह का राजनीतिक रिश्ता बनाएं, साठगांठ करें, गठजोड़ करें या अगर संभव हो तो आप उनकी मदद करें । पॉलिटिकली क्या कारण रहा कि उनके तमाम प्रयासों के बावजूद मुलायम सिंह आपको अपील नहीं करते हैं।
उमा भारती: मुलायम सिंह, असल में जिसको आप उनकी ये कोशिश समझ रहे हैं कि हम उनका साथ दें ऐसा नहीं है। मुलायम सिंह बहुत पुराने किस्म के राजनेता हैं जिनमें की एक शालीनता, भद्रता, वैचारिक तेवर, अक्रामकता वो भी बना रहती है और अपनी पार्टी को चलाने की मजबूरी भी बनी रहती है। मुलायम सिंह अगर भ्रष्टाचार औऱ अपराध पर कंट्रेल करने जाएंगे तो उनकी पार्टी ही खत्म हो जाएगी। कोई बचेगा ही नहीं। तो इसलिए उनको अगर अपनी पार्टी चलानी है तो उनको भी श्रेय देना पड़ता है । दूसरी तरफ वो लोहियावादी बनने की कोशिश करते हैं तो उस चक्कर में अपनी ही पार्टी का फजीता भी करा देते हैं। वो तय नहीं कर पाते हैं वो अकेले ही रह जाएंगे। तो दूसरा क्या है। मैनें उनमें देखा है मुलायम सिंह जी में क्योंकि वो पुराने लोग हैं ये तो एक शालीनता, भद्रता पुराने समय के राजनीतिज्ञों में होती थी। उनमें है, तो बार-बार ऐसी बातें निकली हैं उनके मुंह से जैसे उन्होंने आडवाणी जी के बारे में अच्छा बोला या अन्य किसी बात के लिए अच्छा बोला। तो उसका मतलब ये निकाला गया कि भद्रता के अलावा और कुछ नहीं था। उनकी तरफ से ना कभी ऐसी कोशिश हुई है और ना कभी हमारी तरफ से कभी ऐसी कोशिश हुई है। हां एक बार ऐसा समय आया था 77 में जनता पार्टी के समय पर जब हम एक हो गए थे फिर एक कार्यकाल। आप याद दिलाओ देश के राजनीतिज्ञों को वो है 89 का । 89 में हम सब इकट्ठा थे। हमने एक साथ चुनाव लड़ा। वीपी सिंह जब भ्रष्टाचार के खिलाफ, बोफोर्स के खिलाफ खड़े हो गए थे। मुलायम सिंह हो या लालू यादव हमने सीट शेयर की थी औऱ जिन सीटों पर शेयर नहीं कर सके थे। वहां हमने फ्रेंडली फाइट भी की थी। और उसी समय पर अयोध्या में रामजन्म भूमि पर शिलान्यस हुआ था तब हमारे साथ मुलायम सिंह और लालू यादव भी थे । तो हमारे साथ में लेफ्ट के लोग भी थे। अगर आपको याद हो तो और हमने अयोध्या में शिलान्यास किया था । हमने सीटें शेयर की थीं । इस तरह के कई मौके आए हैं । खाली मुलायम सिंह ही नहीं बल्कि वामपंथी और हम भी एक हुए हैं। जब वीपी सिंह का समय आया था तो उस समय पर एक हो गए थे। ऐसे तो कई मौके आए हैं बाकि मैंने मुलायम सिंह जी में देखा है कि उनमें एक पुराना चावल, पुरीने घी, पुराने गुड़ की जो सुगंध होती है वो तो उनमें है। और कई बार मैं ज़ी न्यूज़ से शेयर कर सकती हूं कि वो इसका मतलब ये मत निकालें कि मुलायम सिंह और हम एक हो सकते हैं। हम वैचारिक दृष्टि से कभी एक नहीं हो सकते। लेकिन मुझे उनकी एक बात कभी नहीं भूलती मुझे पता नहीं आप दिखा पाएंगे या नहीं लेकिन मैं उसको बोलूंगी जरूर। जब मैं अयोध्या को लेकर गिरफ्तार हुई वो घटना मैं बता रही हूं। 2 नवंबर 1990 की, जब मैं गिरफ्तार हुई तो मुलायम सिंह जी ने अपनी पुलिस फोर्स को आदेश दिया कि उमा भारती को अयोध्या घुसने नहीं देना और घुसने लगे तो टांग पर गोली मार देना। लेकिन उनकी ही पार्टी के कुछ लोगों ने इसका ऑबजेक्शन किया । बहुत बात में पता लगा कि ये गलती मत करना। लेकिन मुलायम सिंह तो मुलायम सिंह थे वो अड़े हुए थे कि अयोध्या में परिंदा भी पर नहीं मार पाए। अब मैं वहां पहुंच गई, मै जेल चली गई जब जेल से निकल कर दिल्ली आई, आडवाणी जी के साथ एक स्पेशल प्लेन हमको लेने के लिए आया। नैनी जेल से जब मैं यहां पर आई तो उस समय जानकारी हुई कि बांदा का जो परिवार बांधा की जेल से निकालकर मुझे अयोध्या ले गया था अपनी मारूती वैन में, उस परिवार को बंद कर दिया गया है और उनके कारोबार भी बंद कर दिए गए हैं उनकी दुकान पर ताला लगा दिया गया है। पुलिस ने हथकड़ी लगाकर उनके पिता की परेड कराते हुए जेल ले जाया गया । शिव हरे परिवार था वो। सारे लोग जेल में बंद थे तब मुझे पता लगा आप यकीन करिए सच्ची घटना है। उस समय मोबाइल तो होते नहीं थे और मैं रिलीज़ होकर बिल्कुल आई ही थी मैंने मुलायम सिंह जी को लैंडलाइन से फोन किया मुलायम सिंह चौंक गए होंगे, एक बार तो, क्योंकि हम लोग तो आमने सामने थे एक दूसरे के तो उन्होंने मेरा फोन लैंड लाइन से मैंने किया मुलायम सिंह से मुझे बात करनी है उमा भारती बोल रही हूं। तो कॉल बैक आ गया मेरे नबंर पर। मैं मुलायम सिंह बोल रहा हूं। उन्होंने कहा तो मैंने कहा आपको अगर लड़ना है तो बहादुरी से लड़िए आप कमजोर वर्गों को मत पकड़िए। आपने उस गरीब दुकानदार को हथकड़ियां पहना दीं, उसकी गलती क्या है उनकी मारूती वैन आई मुझे ले गई अयोध्या तक वो पूरा परिवार जेल में बंद है मैंने कहा मैं आती हूं ना लखनऊ । मुझे मार दीजिए गोली, उसको तो छोड़ दीजिए उस परिवार से बहादुरी से लड़िए आपकी तो सत्ता है तो आप इसका दुरुपयोग करेंगे। उन्होंने मेरे को कहा कि आपका नंबर यहां नोट हो गया है। क्या मैने कहा नहीं कि नोट कर लीजिए नबंर दिया औऱ आप यकीन करिए मेरे पास आधे घंटे के बाद फोन आया होम सेक्रेटरी का । मुझे पता चला पूरा परिवार रिलीज हो गया है। दुकान खुल गई सब हो गया। I LEARNT IT FROM HIM इस लिए जब मैं मंत्री बनी और मुख्यमंत्री बनी तो मैंने इसे याद रखा । अपने दिमाग में अब इसका मतलब ये मत सोचिए कि हम उनको अपने साथ मिलाने के बारे में सोच रहे हैं। लेकिन हां हमने बहुत सारी चीजें सीखी हैं।

वासिंद्र मिश्र : ये बिल्कुल सच है और इस बात के तमाम उदाहरण है कि जब राममंदिर आंदोलन चल रहा था तो कई बार ऐसे मौके आए जब मुलायम सिंह जी ने विश्व हिंदू परिषद, संघ औऱ बीजेपी के तमाम बड़े औऱ सम्मानित नेताओं को बहुत ही आदर के साथ सरकारी साधन और सुविधाएं मुहैया कराके एक कंफर्टेबल जगह पर पहुंचाया था। इस तरह के आरोप उनपर लगते भी रहे हैं और कई बार तमाम मौंको पर इस पर सच्चाई देखने भी मिली है। हम लोग अभी बात कर रहे थे कि आपने एक बहुत अच्छा उदाहरण दिया है कि ये पहली बार नहीं है कि हो रही है कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने के लिए अलग-अलग वैचारिक आधार पर जो पार्टियां काम कर रही हैं वो बाहर रहते हुए भी अपनी सरकार बना सकती हैं जैसे कि विश्वनाथ प्रताप सिंह जी के टाइम में प्रयोग हुआ था और भारतीय जनता पार्टी समाजवादी पार्टियां और यहां तक कि वाम मोर्चा भी उस सरकार को बनाने और चलाने में मदद करते रहे। क्या हम लोग मान लें कि देश की जनता इस तरह की उम्मीद करे कि जो स्थिति दिख रही है वो किसी एक दल की सरकार नहीं बनने वाली है लोकसभा चुनाव के जो परिणाम आएंगे।पार्लियामेंट आएगी फैक्चर्ड मैंडेट होगी लगभग सब लोग मान रहे हैं ऐसी स्थिति में पोस्ट इलेक्शन कोई इस तरह का मंथन चल रहा है कि उस एक्सपेरिमेंट को दोबारा किया जाए। जो युनाइटेड फ्रंट की सरकार में हुआ था।
उमा भारती: 1998 फिर 1999 और 2004 ये तीन लोकसभा के चुनाव ऐसे हुए जिसमें बीजेपी की ताकत बढ़ी। 2004 में हम सरकार नहीं बना पाए लेकिन हम बहुत बड़ी ताकत के रूप में स्थापित हो चुके थे। उसके बाद की स्थितियां बदल चुकी हैं। जिन उदाहरणों का मैंने जिक्र किया है ये पहले के हैं अब तो स्थिति ये हो सकती है कि एनडीए के नेतृत्व में जब चुनाव हों तो उश समय पर हमारा स्पष्ट बहुमत आए अब वो स्थितियां नहीं हैं पहले कि हम ही एक हिस्सेदार होंगे ऐसा नहीं होगा अब तो हम एक लीडर होंगे। एनडीए लीडर होगा। एनडीए एक बहुत बड़ा फ्रंट है बल्कि यूपीए से बड़ा फ्रंट है। आज यूपीए अगर अपनी सरकार चला रहा है तो वो अपने सिद्धांतों के बल पर नहीं सीबीआई के बल पर, ब्लैकमेलिंग के दम पर दबाव और भय के बल पर । मैं कह सकती हूं कैसे-कैसे डराया गया है मुझे पता नहीं मुझे जिक्र करना चाहिए या नहीं कि ज़ी न्यूज को भी एक राष्ट्रीय चैनल होने के कारण परेशानी भुगतनी पड़ी तो कई बार राष्ट्रवादी लोगों को ऐसी परेशानी भुगचनी पड़ी हैं अभी और यूपीए सरकार इतने तरीके निकालती है बदले लेने के कि उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। खुद मुलायम सिंह के मुंह से ही निकल गया था कि ये तो कभी भी जेल के अंदर भिजवा देगी। ओम प्रकाश चौटाला जी को भी जिस तरह से जेल भेजा गया जो आरोप थे जिनके आधार पर उन्हें जेल भेजा गया एक प्रकार से ओम प्रकाश चौटाला को डराने के लिए एक उदाहरण बनाया गया कि दूसरे लोगों के लिए । कि अगर ये जेल में हो सकते हैं तो तुम लोग भी जेल में हो सकते हो। क्योंकि वो छोटा राज्य था सांसदों की संख्या लगभग ना के बराबर थी वहां पर इसलिए कोई दिक्कत नहीं आई वहां तो इस लिए ऐसी स्थितियों में कह सकती हूं कि एनडीए एक बहुत बड़ा पावरफुल संगठन है अभी और आज की स्थितियां ऐसी हैं कि एनडीए ही अपनी सरकार बना सकता है। तो जब हम ही अपनी सरकार बना सकते हैं तो सरकार सब मिलकर बनाएंगे ये कल्पना हमारे मन में नहीं आएगी । हां ये ज़रूर आएगी कि इसको हम ज़रूर गिराएं अगर ये समझ रहे हैं कि ये सरकार देश के हित में नहीं है तो यूनिटी हमारी जरूर होनी चाहिए कि ये सरकार गिरनी चाहिए। ये मुलायम सिंह जी को भी सोचना चाहिए और ये मायावती को भी सोचना चाहिए। ये सारे लोगों को सोचना चाहिए जो इस सरकार को दम दिए हुए हैं, बनाए हुए हैं। गिराने में हम एक हो बनाने की जहां तक बात है तो एनडीए अपने आप में समर्थ है कि सरकार बना सकते हैं और इसलिए मुझे लगता है कि पहले इस मामले में एकता हो और इस मामले में एकता होते हुए भी जो दबाव है और बहुत सारे अज्ञात कारण हैं जिसके कारण ये सरकार चल रही है।

वासिंद्र मिश्र : सरकार को गिराने के लिए पार्लियामेंट में जाना पड़ेगा और पार्लियामेंट में भारतीय जनता पार्टी मुख्य विपक्षीय दल है। नेता प्रतिपक्ष और आपके पार्टी से हैं तो फ्लोर मैनेजमेंट एक इफेक्टिव तरीके से हो आपको नही लगता है जो फ्लोर कोऑर्डिनेशन मैंनेजमेंट जिस प्रभावी तरीके से होना चाहिए वो नहीं हो पा रहा है आपकी तरफ से।
उमा भारती: लोकतंत्र में जो एक प्रमुख विरोधी दल का जो कर्तव्य होता है वो बहुत अच्छी तरह से निभा रहा है। पूरा देश इस मामले में इसको देखता है इसका गवाह टेलीविजन चैनल होने के कारण मुझे तो लगता है कि भारतीय जनता पार्टी की प्रमुख विरोधी दल होने के नाते जो भूमिका होनी चाहिए वो सबसे सशक्त है दमदार है। आपने तो इसके पहले के भी विपक्ष देखे हैं वो किस तरह से चलते थे कैसी-कैसी बातों पर हल्ला करते थे और मुझे याद है जब हम लोग मंत्री थे तो उस समय पर कांग्रेस की क्या भूमिका रहती थी। एक तो उनके पास कहने के लिए कुछ होता ही नहीं थे कई बार इतनी हल्की बातों को बढ़ावा देते थे ममता बनर्जी जब बोलने को खड़ी होती थीं और जिस तरह से कांग्रेस के लोग बिहेव करते थे उसको मैं कभी भूल नहीं सकती। तो इसलिए मुझे लगता है कि कांग्रेस को उल्टा इसकी ट्रेनिंग लेनी पड़ेगी क्योंकि अब वो विपक्ष में आने वाले हैं। अच्छा विपक्ष कैसे होता है हम तो इसके अभ्यासरत हैं असल में हमको अगर किसी का अभ्यास नहीं है तो वो सत्ता का है। अगर आपको याद हो तो एक बार अटल जी के मुंह से निकल गया था कि माननीय प्रधानमंत्री जी जबकि अटलजी स्वयं प्रधानमंत्री थे। हां तो हमें तो उल्टा सत्ता का अभ्यास नहीं है इसकी तो हमको इतनी अच्छी ट्रेनिंग है कि हम दूसरों को भी ट्रेनिंग पर बुला सकते हैं। हमने तीन बार तो केंद्र में ही सरकार बना ली। अटल जी तीनों बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ले लिए।

वासिंद्र मिश्र : अच्छा एक और बात है क्या कोई पार्टी लेवल पर, एनडीए लेवल पर ममता बनर्जी, जयललिता या इस तरह के लोग जो आपको छोड़ कर चले गए हैं बीजू जनता दल, इन लोगों से दोबारा बातचीत चल रही है एनडीए में वापस लेने के लिए।
उमा भारती: मुझे नहीं पता है क्योंकि मैं उस फर्म का हिस्सा नहीं हूं. लेकिन मैं खुलेआम ज़ी न्यूज़ ...क्योंकि ज़ी न्यूज़ को मैं एक राष्ट्रवादी चैनल मानती हूं और जो बहुत कष्ट उठाकर भी राष्ट्रहितों से समझौता नहीं किया है। यह मै कह सकती हूं कि सबको एक होना चाहिए । देश दिनों दिन बहुत नुकसान उठा रहा है हर फ्रंट पर उठा रहा है आतंकवाद हो, नक्सलवाद हो, कानून व्यवस्था की स्थिति हो, आर्थिक क्षेत्र हो हम हर तरफ गड्ढे में जा रहे हैं। और पता नहीं कितने गड्ढे हमारे सामने आने वाले हैं। भ्रष्टाचार, महंगाई और अन्य चीज़ों के मसले ये इसलिए इसको मत देखिए कि कौन सरकार बचाएगी । आप इसको देखिए कि ये सरकार नहीं रहनी चाहिए। राजनीतिक दलों की इतनी रिस्पॉन्सबिलिटी तो होती ही है। देश के लिए क्योंकि लोग आपको वोट देते हैं वोट देने में अमीर, गरीब सभी जाति, सभी वर्गों के लोग होते हैं और उन लोगों को कितनी परेशानी हो रही सरकार के चलते हुए,तो कम से कम उन लोगों के हितों को ध्यान में रखिए और इस सरकार को जल्दी से जल्दी गिराइए, अपने-अपने तरीके से प्रयत्न करिए और गिराइए। बहुत-बहुत धन्यवाद आपको ।


First Published: Tuesday, May 7, 2013, 21:23

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