Last Updated: Wednesday, October 10, 2012, 13:42
संजीव कुमार दुबे राजस्थान के इकलौते हिल स्टेशन माउंटआबू के नजदीक चंद्रावती नगरी सभ्यता की खुदाई में मिली मूर्तियां इन दिनों सुर्खियों में है। अब यह मूर्तियां देखी जा सकती है क्योंकि माउंटआबू के राजकीय संग्रहालय को आम लोगों के लिए खोल दिया गया है।
आबू रोड से 6 किलोमीटर दूर चंद्रावती परमारों का शहर था। इसका वर्तमान नाम चंदेला है। परमार 10वी और 11वीं शताब्दी में अबरुदमंडल के शासक थे और चंद्रावती उनकी राजधानी थी। यह नगर सभ्यता, वाणिज्य और व्यापार का मुख्य केंद्र था। चूंकि यह परमारों की राजधानी था इसलिए सांस्कृतिक रूप से यह बहुत समृद्ध था। चंद्रावती तत्कालीन वास्तुशिल्प का बहुत अच्छा उदाहरण है। 1972 में सिरोही में आई बाढ़ से इसके कई अवशेष बह गए या टूट गए। बाद में उन्हें आबु संग्रहालय में सुरक्षित रख दिया गया। चंद्रावती की ख्याति का उल्लेख विमल प्रबंध सहित अन्य जैन साहित्यों में भी मिलता है। इस नगर के विनाश का मुख्य कारण अरबों के निरंतर आक्रमणों को माना जाता है।
चंद्रावती की की खुदाई में कई देवी-देवताओं के मंदिर मिले है। इतिहासकारों की माने तो चंद्रावती को सबसे धनाढ्य सभ्यता वाली नगरी माना जाता है। इस जगह के बारे में इतिहासकारों का दावा है कि यहां 999 मंदिर रहे हैं।
आबू रोड से सटा चंद्रावती नगरी-9वीं से 14 वीं सदी की चंद्रावती नगरी सभ्यता का गवाह रहा है। नौवीं से लेकर 14 वीं शताब्दी का यह सबसे धनाढय नगर हुआ करता था।
इतिहासकारों की बात से अब पुरातत्तव विभाग के लोग भी सहमत मालूम होते है। जिस तरह से 999 मंदिरों के प्रमाण को लेकर मूर्तियां और अवशेष मिले है उससे बारे में पुरातात्विकों का भी कहना है कि यहां 999 मंदिर और दुनिया की सबसे धनी सभ्यता होने के बारे मे बातें कपोल-कल्पित नहीं है बल्कि सच मालूम होती है। खुदाई के दौरान अबतक 300 से ज्यादा मंदिरों के प्रमाण तो मिल चुके है।
खुदाई में मिली इन मूर्तियों और प्रतिमाओं को माउंटआबू और चंद्रावती के संग्रहालय में रखा गया है। इन मूर्तियों की कीमत अरबों में है। चंद्रावती गरवदा मंडल के परमार राजाओं की राजधानी रहा है। इसका 11-12 वीं शताब्दी में वैभव पूरी दुनिया में चरम पर था। अब एक अच्छी बात यह है कि माउंटआबू के राजकीय संग्रहालय को पिछले कुछ ही दिनों पहले खोल दिया गया है लिहाजा अब लोग इस सभ्यता के दौरान मिली मूर्तियों को लोग यहां देख सकते हैं।
माउंटआबू राष्ट्रीय संग्रहाल में अनमोल मूर्तियां रखी गई है जो चंद्रावती नगरी की खुदाई में मिली है। यहां पुरात्तव विभाग द्वारा निकाली गई मूर्तियों में भगवान शिव, विष्णु, दशावतार, विषकन्या, चंवर वाहिनी, महावीर, इंद्रावणी नगर नायिका आदि प्रमुख है। यहां देवी देवताओं के नृत्य करते हुए नाद यंत्र बजाते हुए दिखाया है। 12 वीं सदी की एक नारी की प्रतिमा है जिसे देखकर ऐसा लगता है कि सारे जहां की सौंदर्य उस मूर्ति में ही उकेर दिया गया है।
अग्नि की 12 वीं शताब्दी की प्रतिमा,12 वीं ही सदी की चंवर वाहिनी की प्रतिमा, भगवान शंकर ,गणेश और भैरव की बी 12वीं सदी की प्रतिमा मिली है। भगवान विष्णु की चतुर्भुजाओं वाली प्रतिमा, जो नौवीं सदी की है। गुरु डासन विष्णु की प्रतिमा भी मिली है जो दुनिया की इकलौती प्रतिमा है। 8वीं सदी की चामुंडा की भी प्रतिमा मिली है। कई मूर्तियां ऐसी है जिसमें युवती को श्रृंगार करते हुए दिखाया गया है। उस समय के नृत्य और नृत्यांगनाओं के बारे में भी कई मूर्तियां मिली है। नृत्य की विधाएं, नृत्य के पोशाक और नृत्यांगनाओं की अनगिनत मूर्तियां इस संग्रहालय में रखी है। यहां श्रृंगार की कई मूर्तिया हैं। श्रंगार की इतनी विधाओं और उस दौर की विभिन्न पोशाकों को देखकर हैरानी होती है।
चंद्रावती सभ्यता नौवीं से 14वीं शताब्दी के बीच विकसित हुई। 1982 में खुदाई में अमरनाथ का मंदिर निकला वहीं ऋषिकेश के मंदिर सहित कई प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों के मंदिरों के अवशेष मिले है। प्रसिद्ध इतिहास लेखक कर्नल टाड ने इस नगरी को देखा था और उन्होने इसके बारे में अपनी किताब वेस्टर्न इंडिया में इस भव्य नगरी के बारे में उल्लेख किया है। उन्होने भी अपनी किताब में इस सभ्यता के सबसे धनी और 999 मंदिरों के होने पर मुहर लगाई थी ।
माउंटआबू को 33 करोड़ देवी देवताओं की नगरी माना जाता है। इसका उल्लेख स्कंद पुराण के अर्बुद खंड में भी है। कई इतिहासकारों ने यह भी दावा किया है कि 33 करोड़ देवी देवता यहां बने 999 मंदिरों में विराजमान है। अगर ऐसा हो तो यह बहुत रोचक पहलू होगा क्योंकि दुनिया पहली बार इन मंदिरों में बने 33 करोड़ देवी देवताओं से रूबरू हो सकेगी।
जाने माने इतिहासकार कर्नल टॉड 1922 में हिन्दुस्तान आये थे और उन्होने में भी यहॉ आकर सभ्यता कों जाचा परखा था और उन्होने अपनी किताब वेर्स्टन इंडिया में लिखा है कि उन्हे उस समय 20 मन्दिर जीवित मिले थे । स्वर्गीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी अपनी हत्या से तीन महिने पहले माउन्ट आबू आकर इस सभ्यता का जायजा लिया था। इस सभ्यता की मंदिरों के दीदार के बाद बेहद खुश हुई थी उन्होने तत्कालिन राज्यपाल ओपी मेहरा और मुख्यमंत्री शिवचरण माथूर को 8 जुलाई 1984 को निर्देश दिये थे कि इस सभ्यता को विकसित कराने के लिए हर मुमकिन प्रयास किये जाये ।
चारों ओर पहाड़ से घिरे चंद्रावती के बारे में ये कहा जाता है कि अगर आप इनके पत्थरों को बजाएंगे उनमें जो आवाजे होती है। वह आरती की तरह होती है। यानी इन पत्थरों को अगर बजाया जाए तो उसके स्वर बिल्कुल आरती की तरह होते है। लोगों का ऐसा मानना है कि जो आवाजें होती है वह पुराने काल में होनीवाली आरती की वक्त की आवाजे है क्योंकि इन पत्थरों की आवाजों को आप सुने तो ऐसा लगता है जैसे घंटिया बज रही है।
ये पत्थर परमार वंश के दौरान निर्मित 999 मंदिरों में होनेवाली आरती की गवाह है। इसलिए कहा जाता है कि यहां चट्टानों में भी संगीत है यहां पत्थरों में भी घंटियों की खनक है।
First Published: Tuesday, October 9, 2012, 16:18