
राज्य की चुनौतियों और सरकार की रणनीतियों सहित कई मुद्दों पर
उत्तरखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा से खास बात की ज़ी न्यूज़ उत्तर प्रदेश के संपादक वासिन्द्र मिश्र ने अपने खास कार्यक्रम सियासत की बात में। पेश हैं इसके प्रमुख अंश-
सवाल-उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद अब आपकी प्राथमिकताएं क्या हैं?
जवाब -हम एक घोषणापत्र के साथ चुनाव में गए थे उस घोषणापत्र के वादे पूरे करने हैं। उसे धरातल पर लाना है। समस्या केवल एक है बीजेपी के पांच साल के शासनकाल में उसमें अर्थव्यवस्था बिलकुल चरमरा गई। 21 हजार करोड़ के बजट में तेरह हजार करोड़ नान प्लांड एक्सपेंडिचर है। हमारे कर्ज दुगने हो गए। प्लान एक्सपेंडिचर सिर्फ सात फीसदी बढ़ा है जबकि नान प्लांड एक्सपेंडिचर सौ फीसदी बढ़ गया है। हमें अपने संसाधन बढ़ाने होंगे। राज्य का विकास मुमकिन है लेकिन रास्ता आसान नहीं हैं।
सवाल- लेकिन बीजेपी का आरोप यही है कि उसके शासनकाल में उत्तराखंड के साथ केन्द्र ने सौतेला व्यवहार किया, केन्द्र से ग्रांट नहीं मिला या जो मिला वो एक साथ नहीं मिला?
जवाब-देखिए आज कल आरटीआई है। सभी आंकड़े उपलब्ध है। केन्द्र सरकार आपको पैसा भेजती है जब आप यूटिलाइजेशन सार्टिफिकेट भेजते हैं। अब 2300 करोड़ की योजना ये खर्च नहीं कर पाए। ये उसका यूटिलाइजेशन सार्टिफिकेट नहीं भेज पाए। उनकी तो पूरी राजनीति यही थी कि अपने दोष केन्द्र पर मढ़ दो। उत्तराखंड के लोगों की राजनीतिक सूझबूझ ठीक है तो वो गुमराह नहीं हुए। अगर केन्द्र मदद ना करता तो उत्तराखंड में एक चिराग भी ना जलता
सवाल-उत्तराखंड की बदहाली के लिए क्या कांग्रेस औऱ बीजेपी दोनों का ही नेतृत्व जिम्मेदार रहा है?
जवाब-देखिये जब उत्तराखंड में पहला चुनाव हुआ तो कांग्रेस की सरकार बनी और एनडी तिवारी जैसे योग्य व्यक्ति मुख्यमंत्री बने तब मैं योजना आयोग का उपाध्यक्ष था। उस वक्त राज्य में कुल 900 करोड़ की वार्षिक योजनाएं थी। हम राज्य योजना के हिसाब से हिमाचल प्रदेश से भी पीछे थे लेकिन आज 7500 करोड़ की वार्षिक योजनाएं है। 21000 करोड़ का बजट है तो हमने राज्य की एक मजबूत नींव तो डाली लेकिन 2007 से 2012 के बीच बीजेपी सिर्फ मुख्यमंत्री बदलती रही। उस नींव पर इमारत नहीं खड़ी कर पाई ना ही प्रशासन पर लगाम लगाई और ना ही दिशा दी।
सवाल-आप कह रहे हैं कि इसके लिए राजनीतिक अस्थिरता जिम्मेदार है तो ये तो आपके दल में भी है?
जवाब-देखिये अन्दरखाने सभी दलों में उठापटक होती है लेकिन उसका असर सरकार पर नहीं पड़ना चाहिए। मैं जिस दिन से मुख्यमंत्री बना हूं। अंदरुनी खींचतान बीजेपी-कांग्रेस दोनों में चलता है लेकिन प्रशासन को दिशा कांग्रेस के शासन में सीधी मिली हुई है। मैं अभी लखनऊ गया और जो विवाद थे उन्हें सुलझा कर आया। अगर आप मुख्यमंत्री है तो अंदर के झगड़ें का असर प्रशासन पर नहीं पड़ना चाहिए। प्रशासन चुस्त दुरुस्त रहना चाहिए और सरकार टॉप गियर में चलनी चाहिए।
सवाल-कहा जा रहा है कि आपको विधायकों का समर्थन कम और दस जनपथ का ज्यादा है?
जवाब-देखिये उत्तराखंड के कांग्रेस के विधायकों ने ही प्रस्ताव पास किया था कि जो सोनिया जी फैसला करेंगीं उसे स्वीकार किया जाएगा। अधिकांश लोगों ने स्वीकार किया है। कुछ लोग है जिनको थोड़ी पीड़ा होती है जिसको वो चाहते हैं वो नहीं बन पाता लेकिन अब आप देखिये एक बार नहीं तीन तीन बार अपनी स्ट्रेंथ दिखा दी कि हम चालीस लोग है और बीजेपी की क्या हालत है। इतिहास निकालिए राज्यपाल का अभिभाषण हो गया,वोट ऑन एकाउंट खत्म हो गया। चुनाव खत्म हो गए। सेशन खत्म हो गया और नेता प्रतिपक्ष ये नहीं चुन पाए तो इनके यहां तो आज भी दिक्कत है। जनता देख रही है कि कांग्रेस अंदरुनी खींचतान के बावजूद आगे जा रही है और बीजेपी रिवर्स गियर में है। लीडर ऑफ अपोजीशन नहीं है। राज्य के विकास में पार्टियों की उथल पुथल बाधक नहीं होती अगर सीएम दृढ़ हो और प्रेशर में ना आए । मैं किसी के प्रेशर में नहीं हूं मैं और अधिकारी राज्य के विकास में गति दे रहे हैं।
सवाल-विजय जी पोर्टफोलियो को लेकर झगड़ा चल रहा है मंत्रियों में?
जवाब-ये झगड़ा नहीं होता है। ये होता है जब सरकार बनती है वरिष्ठ मंत्री, वरिष्ठ साथी हैं कई कांग्रेस के साथियों को ठेस है कि हम मंत्री नहीं बन पाए क्योंकि हमारे पास बहुमत नहीं है। जिन दलों का साथ है उन्हें हमें मंत्री बनाना पड़ा। संवैधानिक प्रतिबद्धता है कि 12 से ज्यादा मंत्री नहीं हो सकते। कांग्रेस के कुछ साथी है जिन्हें मैने आश्वस्त किया है कि उनको सम्मानजनक दायित्व दिया जाएगा। आज की स्थिति में कांग्रेस 98 प्रतिशत एकजुट है और रास्ते पर है।
सवाल-क्या आप विधायकों और कार्यकर्ताओं को संतुष्ट करने के लिए तिवारी जी का फार्मूला अपनाएंगे?
जवाब-मैने कहा है इफरात में लाल बत्तियां नहीं बटेंगीं लेकिन जहां कानून की आवश्यकता है जहां विकास की आवश्यकता है वहां उन्हें सम्मान मिलेगा। हर राज्य में मिलता है लेकिन लाल बत्ती इफरात में नहीं बटेंगी। सोनिया जी की भी यही सोच है और यही हमारी भी सोच है।
सवाल-आपके दल में जो असंतोष हैं उसे आप कैसे दूर करेंगे?
जवाब-विधायक की प्रथम चिंता होती है अपने क्षेत्र का विकास। तिवारी जी के शासन काल में भी किसी भी विधायक के साथ पक्षपात नहीं हुआ। मुख्यमंत्री उत्तराखंड का होता है। मैं उत्तराखंड का मुख्यमंत्री हूं। हमने विधायकों को आश्वस्त किया है कि उनके इलाके में विकास की कमी नहीं होने देंगे। बीजेपी के नेता भी आते हैं। उनका भी मैं काम कर रहा हूं क्योंकि सबको साथ लेकर चलना हैं। मुझे तो बीजेपी का भी सहयोग चाहिए। शासन में प्रशासन में सदन में उनका सहयोग जरुरी है। जो राय देता है अच्छी राय देता है उसे साथ लेकर चलना है। विधायक समझ रहे हैं राजनीतिक मजबूरियों को अगर उनके क्षेत्र में विकास होता है उन्हें सम्मान मिलता है तो निश्चित रुप से वो कष्टदायी नहीं होंगे बल्कि सहयोगी होंगे।
सवाल-एक आम चर्चा यूपी तक है कि बीजेपी का आपको अप्रत्यक्ष सहयोग मिल रहा है, खंडूरी जी का काफी समर्थन है आपको?
जवाब-ये महज अफवाह है। मैं तो कोश्यारी जी के पास भी चाय पीने जा रहा हूं। वो सीएम रह चुके हैं। मैं उनसे भी बात कर रहा हूं। राजनीति बंद दिमाग से नहीं होती। मुख्यमंत्री को तो दिमाग खुला रखना चाहिए। और सुझाव जहां से आए उस पर गौर करना चाहिए। उनकी राजनीति अलग है, मेरी राजनीति अलग है। हम एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन निश्चित तौर पर राजनीति में मैं ना तो उनके दबाव में हूं और ना वो मेरे दबाव में हैं। उनका लक्ष्य अलग है। मेरा लक्ष्य अलग है। हम लोग तो एक दूसरे की टीम में गोल मार रहे हैं।
सवाल-लेकिन खंडूरी जी ने हमारे ही चैनल पर कहा था कि उन्होंने अपने आलाकमान से कहा था कि वो आप के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ेंगे?
जवाब-ये उन्होने कहा तो उनकी सोच है लेकिन निश्चित तौर पर मैं यह कह सकता हूं कि चुनाव व्यक्तियों का नहीं पार्टियों का होता है और जब हम चुनाव लड़ते हैं तो बीजेपी से लड़ते हैं और वो लड़ते हैं तो कांग्रेस से लड़ते हैं। इसमें व्यक्ति महान नहीं होता। पार्टी महान होती है। उनकी और मेरी पार्टी अलग अलग है एक दूसरे के खिलाफ प्रचार करते हैं। मैं कोटद्वार उनके खिलाफ प्रचार करने गया। हमारे दो रोल हैं। एक राजनीतिक और दूसरा रिश्ता है। रिश्ते अपनी जगह हैं, राजनीति अपनी जगह। दोनों में कोई दोस्ती नहीं है।
सवाल-कहा जा रहा है कि तिवारी जी और स्वर्गीय बहुगुणा जी के बाद आप ऐसे पहले सीएम है जो विरोध की सियासत को बखूबी मैनेज कर रहे हैं?
जवाब-वो ऐसा है कि वकील रहा हूं मैं और रोज ही ऐसी स्थिति होती थी कि जज समझ रहीं रहा। जज मान नहीं रहा तो आपके पास बुद्धि और विनम्रता दोनों होनी चाहिए कि विपरीत परिस्थितियों में आप कैसे आगे आते हैं। मुझमें इगो नहीं है कि मैं जिद कर के बैठ जाऊं। अगर आज मुख्यमंत्री की मुझ पर जिम्मेदारी है तो ये मेरी जिम्मेदारी है कि सबको साथ लेकर चलूं ना कि लोगों की जिम्मेदारी है कि वो मुझसे चिपकें। मेरी जिम्मेदारी है कि उन्हें विश्वास में लूं। उनका सम्मान करुं। और यही पार्टी की आशा है मुझसे, जिस पर खरा उतरने की कोशिश कर रहा हूं। मैं तो विपक्ष को भी साथ ले रहा हूं।
सवाल-जब आप मुख्यमंत्री चुने गए उस समय कम से कम चार दावेदार थे लेकिन एक एक कर सब आउट हो गए,कुछ को आपने समायोजित कर लिया लेकिन कुछ अभी सत्ता की रिंग से बाहर हैं उनके लिए क्या करेंगे?
जवाब-चार नहीं छ दावेदार थे जो हमारी पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व है वो वहां की राजनीतिक स्थिति से वाकिफ है। पार्टी, जनमानस सबका पता है। तो ये सब निर्णय पार्टी हाईकमान लेती हैं। मुझसे सलाह लेती है लेकिन निश्चित तौर पर जितनी राजनीतिक गतिविधियां है वो सब पार्टी के संज्ञान में हैं। उचित समय पर उचित फैसला होगा।
सवाल-तो अभी उनको एक तरह से दंडित किया जा रहा है जो उन लोगों ने सरकार गठन के समय अनुशासनहीनता की।
जवाब-ऐसा पता नहीं लोगों को क्यों लगता है कि दंडित या पुरस्कृत किया जाता है। राजनीति में हर आदमी का महत्व है हर आदमी का कद है और इसी के हिसाब से समावेश होता है। सोनिया जी का तो बहुत उदार है। आज की राजनीति कठिन है। लोगों की महत्वाकांक्षाएं बहुत है लेकिन अच्छी बात है कि कोई भी नेता, कार्यकर्ता, विधायक हो वो सोनिया जी का बहुत सम्मान आदर करते हैं और ऐसी कोई परिस्थिति नहीं आने देंगे जिससे सोनिया जी के मान, निर्णय या पार्टी को क्षति पहुंचे।
सवाल-अब आपकी योजना किस तरह की है?
जवाब-देखिये, एक मुख्यमंत्री के रुप में शासन को पटरी पर लाना है। सबसे बड़ी समस्या अर्थव्यवस्था ठीक करने की है। बजट लाना है मई जून में। उपचुनाव भी लड़ना है। संगठन अपनी जगह है। शासन अपनी जगह है। केन्द्र की सहायता भी चाहिए तो लगे हैं काम पर, हर 15-20 दिन पर मैं जनता को बताऊंगा कि सरकार क्या कर रही है। शासन क्या कर रहा है।
सवाल-आप कहां से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं?
जवाब-बहुत जगह से साथी आ रहे हैं। मेरे पास कि मेरे क्षेत्र से लड़िये लेकिन मैं इस पर मई में सोचूंगा। मेरे पास सितंबर तक समय है। मेरा चुनाव लड़ना इतना जरुरी नहीं जितना उत्तराखंड के प्रशासन को गति देना है।
सवाल-संगठन भी काफी छिन्न भिन्न है कई खेमों में बंटा है?
जवाब-राजनीति में खेमे नहीं होते लगाव होता है। अब किसी का मुझसे ज्यादा लगाव है किसी से कम है लेकिन जैसे यूनिटी इन डाइवर्सिटी होती है। जैसा हमारे देश का स्वरुप है। कई जात,धर्म,बोली के लोग हैं लेकिन राष्ट्र एक है। पार्टी में भी ऐसा होता है लेकिन आखिर में सब जानते है कि नाव डूबी तो सब डूबेगें और एक ही नाव पर सब सवार हैं। तो नाव पर जो बैठा है वो उसमें छेद नहीं करेगा। वो उछलकूद करेगा लेकिन छेद नहीं करेगा।
सवाल-आप कह रहे है कि बाढ़ में सांप नेवला, बिच्छू सब एक नाव पर आ जाते हैं तो जो एकता है वो इसलिए है कि बीजेपी सत्ता में ना आ जाए?
जवाब-जनता ने एक विश्वास करके भेजा है, आपको सबसे बड़े दल के रुप में। जनता को आशा है कि आप सरकार बनाकर अच्छे से चलाएगें। कोई भी विधायक या संगठन का आदमी जनता की भावनाओं के विरुद्ध अगर जाता है या सोचता है तो राजनीति में अगर जनता खिलाफ हो गई तो राजनीति में आपका अस्तित्व खत्म हो जाता है। आज नहीं तो कल खत्म हो जाएगा। तो उत्तराखंड की जो जनभावना है, जो जागरुकता है वो हमको एक साथ रखेगी। हम उत्तराखंड की जनता को धोखा नहीं देंगे।
सवाल-ये जो धौंस है जनभावना की धौंस, राष्ट्रपति शासन की धौंस या बीजेपी के दौबारा सत्ता में आने की धौंस। इसको डरा डरा कर आप अपने विधायकों को एकजुट रखेगें?
जवाब-ये डराने नहीं समझाने की बात है और विधायक डरते भी नहीं है लेकिन राजनीति में महत्वाकांक्षाएं सबकी होती है, अगर महत्वाकांक्षाएं नहीं हैं तो आप हरिद्वार जाकर संत बन जाओ लेकिन महत्वाकांक्षा जुनून नहीं होनी चाहिए कि आप गलत रास्ते पर चले जाए। जो भी नए पुराने विधायक है उनका सम्मान और उनके क्षेत्र का विकास ये जिम्मेदारी सीएम की है। मैं उनको आश्वस्त करता हूं कि मैं अपनी जिम्मेदारी निभाऊंगा।
सवाल -आपको लगता है कि हरीश रावत इस लक्ष्मण रेखा को समझ गए थे और हरक रावत नहीं समझ पाए इसलिए वो बाहर हो गए रिंग से?
जवाब-देखिये हरीश जी और मैने बीस साल वहां साम्प्रदायिक शक्तियों से लड़ाई लड़ी हैऔर कांग्रेस को मजबूत किया है। हरीश जी भी हमारे केन्द्र में मंत्री है। साथियों को समझाने में उन्हें समय लगा। साथियों मे उतना विवेक नहीं होता है जितना नेतृत्व में। और नेतृत्व वो होता है जो साथियों को दिशा दे। अगर साथी दिशा देने लगे तो नेता भटक सकता है। हरीश जी से मेरे मधुर संबंध हैं उनसे वार्ता होती रहती है। हरक रावत भी हमारे बड़े सम्मानित नेता हैं। और निश्चित रुप से उनकी भी कुछ इच्छा है। पार्टी नेतृत्व जागरुक है सारी परिस्थितियों से और उचित समय पर उचित फैसला होगा।
सवाल- उत्तराखंड के बारे में कहा जा रहा है कि उत्तराखंड में जो औद्योगिक विकास है उसमें योजना और दूरदर्शिता की कमी रही और उस वजह से उत्तराखंड पिछड़ता चला गया। आए दिन राजनीतिक फैसले होते हैं। कोई धरने पर बैठ जाता है तो हजारों करोड़ की योजनाएं रुक जाती है। कभी कांग्रेस की तो कभी बीजेपी की सरकार रोक देती हैं। आप कैसे निपटेगें?
जवाब-जितनी हिमालय में नदियां बह रही है सबका सम्मान है सब पूजी जाती है। उत्तराखंड में जो जल विद्युत परियोजनाएं हैं वो राज्य के आर्थिक विकास के लिए जरुरी है। अगर पर्यावरण को खतरे की वजह से कोई परियोजना रुकती है तो उसमें कोई दिक्कत नहीं लेकिन भावनाओं के आधार पर अगर योजनें बंद करेगें जिस पर अरबों रुपये खर्च हो चुके हैं। तो भावनाएं विकास में बाधक हो जाएगी और हमारे पूरे उत्तराखंड के संत समाज का ह्रदय इतना कठोर नहीं है कि कोई परियोजना ना बने। पर्यावरण के लिहाज से योजना रुकने पर राज्य सरकार को आपत्ति नहीं और ये विशेषज्ञों का दायर है लेकिन सिर्फ भावनाओं के आधार पर फैसले नहीं हो सकते।
सवाल-इस चुनाव में मुख्य मुद्दा भ्रष्टाचार । आपकी पार्टी और बीजेपी दोनों ने इसे उठाया लेकिन आपके मुख्यमंत्री बनने के बाद लग रहा है कि भ्रष्टाचार का मुद्दा पीछे चला गया?
जवाब- भ्रष्टाचार क्या है,कोई चीज अनियमित करना लाभ की वजह से। मैं बदले की भावना से प्रशासन नहीं कर रहा लेकिन निश्चित तौर पर जनता को और आपको आश्वस्त करता हूं कि अगर अनियमिताओं से राज्य और राजस्व का नुकसान हुआ है या पक्षपात हुआ है तो उस पर निर्णय लेने से मैं चूकूंगा नहीं लेकिन मैं बदले की राजनीति की थ्योरी को नहीं मानता। वर्षों के संघर्ष के बाद आदमी राजनीति में स्थिति बनाता है। मैने भी बनाई है तो अब इससे पहले कि मैं किसी पर आरोप लगाऊं, कुछ बोलूं, मुझे पहले खुद संतुष्ट हो जाना चाहिए कि तथ्य में दम है। बीजेपी की पांच साल की सरकार में जो निर्णय हुए सबकी समीक्षा स्वयं कर रहा हूं। आप जानते हैं कि मैं वकील भी हूं, जज भी हूं, नेता भी हूं, लेकिन बदले की भावना से नहीं। राज्य का अगर अहित हुआ तो फिर हम कार्रवाई करने में नहीं चूकेगें ।
धन्यवाद
First Published: Saturday, April 21, 2012, 14:54