Last Updated: Monday, November 7, 2011, 14:51
रामानुज सिंह फ्रांस के कान में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने विदेशों में जमा काले धन और टैक्स चोरी के मामले को जोरदार तरीके उठाते हुए कहा कि जी-20 देशों को मिलकर कोई कारगर व्यवस्था करनी होगी।
वाकई, प्रधानमंत्री का जी-20 देशों के शिखर सम्मेलन में काले धन और टैक्स चोरी के मुद्दों को इस तरह रखना। काले धन को वापस लाने के प्रति भारत सरकार की गंभीरता को दर्शाता है, पर केंद्र सरकार इस पर कितनी गंभीर है यह कहना अभी जल्दबाजी होगी।
विदेशों में जमा काला धन का मुद्दा उस समय जोर पकड़ा, जब योग गुरू बाबा रामदेव ने राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के तहत विदेशों में जमा काला धन को वापस लाने के लिए देशव्यापी आंदोलन शुरू किया। स्वामी रामदेव ने अपनी जनसभाओं और मीडिया में दिए गए इंटरव्यू में लगातार कहते रहे कि भारत के करीब चार लाख करोड़ रुपए विदेशी बैंकों में जमा है, अगर यह रुपये अपने देश में वापस आ जाएं तो हमारे देश में गरीब, भुखमरी और बेरोजगारी का नामोनिशान मिट जाएगा। देश की जनता खुशहाल हो जाएगी। बाबा इस आंदोलन को आगे बढ़ाते हुए भारत की प्रशासनिक राजधानी दिल्ली तक लेकर आए। जून महीने में दिल्ली के रामलीला मैदान में योग सिखाने के बहाने काले धन को वापस लाने के लिए अनशन शुरू कर दिया। जहां बाबा को अपार जन समर्थन मिला, करीब एक लाख लोग रामलीला मैदान पहुंच गए। इससे घबराई सरकार बाबा रामदेव से बातचीत करनी शुरू की। लेकिन बातचीत विफल रही और स्वामी रामदेव ने अपना अनशन जारी रखा।
उधर सरकार की आंखों की किरकिरी बने स्वामी रामदेव से निपटने के लिए सरकारी महकमा पूरी तैयारी कर चार जून की मध्य रात्रि को पांच हजार पुलिसकर्मियों के साथ अनशन स्थल को घेर लिया, वहां उपस्थित अनशनकारियों के साथ मारपीट की जिससे कई अनशनकारी गंभीर रूप से घायल भी हुए। कुछ दिनों के बाद एक अनशकारी की मौत भी हो गई। इतना ही नहीं बाबा रामदेव को भी महिला के वेश में जान बचाकर वहां से भागना पड़ा।
इस जलियांवाला बाग सरीखी घटना के बाद आम जनता में सरकार के प्रति नफरत और आक्रोश कूट-कूट कर भर गया। जिसका असर भ्रष्टाचार के खिलाफ जनलोकपाल विधेयक को लेकर चलाए जा रहे अन्ना के आंदोलन में दिखा। सोलह अगस्त को जैसे ही अन्ना हजारे को गिरफ्तार किया गया। देश भर में जनता सड़कों पर उतर आई। गांव-गांव, गली-मुहल्ले से नगर-महानगर तक आंदोलन तेज हो गया। इस आंदोलन में देश के किसान-मजदूर, गरीब-अमीर से लेकर हर तबके के लोगों ने हिस्सा लिया।
इन्हीं दोनों आंदोलनों के चलते सरकार जनता की ताकत के सामने झुकी हुई नजर आ रही है। जिसका असर जी-20 के कान शिखर सम्मेलन में दिखा, इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह काले धन को देश में वापस लाने पर विशेष जोर देते दिखे। हालांकि कूल दिखने वाले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जी-20 शिखर सम्मेलन के बाद संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि अब भारत में ही कमाई करने के बड़े अवसर हैं, ऐसे में लोगों के लिए जिनके पास ज्यादा पैसा है उन्हें ज्यादा कमाई की जगह ढूंढने के लिए विदेश जाने की जरूरत नहीं रह गई है। हमें ऐसा वातावरण बनाना होगा जिससे हमारे लोग खुद काले धन को देश में लाने के लिए प्रोत्साहित हों। भारत अवसरों का देश है। अब लोगों को अपने अधिशेष धन को विदेशों में रखने की जरूरत नहीं है।
काला धन मामले में स्विस बैंक में जमा पैसों को लेकर कई राजनेताओं और उद्योगपतियों ने नाम सामने आए हैं। लेकिन उनके नामों का खुलासा नहीं किया गया है। आयकर विभाग ने संबंधित लोगों को समन भेजकर इनसे स्विस बैंक में जमा राशि के स्रोत के बारे में पूछा है। हरियाणा, उत्तर प्रदेश और केरल के सांसदों को आईटी ने समन भेजा है। वहीं, मुबंई के उद्योगपतियों से इस संबंध में पूछताछ की गई है। पूछताछ में उद्योगपतियों ने माना है कि जेनेवा के एचएसबीसी बैंक में इनके परिवार के नाम 800 करोड़ रुपए जमा हैं। कहा जा रहा है कि जिन सांसदों की राशि का पता चला है कि उनमें से एक की विदेश से बाहर 200 करोड़ रुपए तक जमा हैं।
मालूम हो कि सरकार को जेनेवा के एचएसबीसी बैंक से जुड़े अब तक ऐसे 700 बैंक खातों के बारे में जानकारी मिली है। अधिकारियों को शक है कि जेनेवा के एचएसबीसी बैंक शाखा में लगभग चार हजार करोड़ रुपए तक की राशि हो सकती है। फिलहाल ऐसे 300 मामलों की जांच जारी है।
दुनिया भर में मशहूर स्विस बैंकों की एसोसिएशन के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक स्विट्जरलैंड के बैंकों में भारतीयों का जमा कुल धन 1.4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर (करीब 63 खरब रुपए) है। यह रकम भारत के सकल धरेलू उत्पाद (जीडीपी) से थोड़ी ही कम है। यह वह रकम है जिसका हिसाब-किताब भारत सरकार के आयकर विभाग को नहीं दिया गया। इस धन पर भारत सरकार को कोई टैक्स नहीं मिलता। टैक्स चोरी और दूसरे गैर कानूनी तरीकों से विदेशों में धन जमा करने वालों में नेता, उद्योगपति, सरकारी अधिकारी, दलाल, माफिया सभी शामिल हैं। इसकी जानकारी सरकार को भी है।
सरकार इसे लंबे समय से नजरअंदाज करती आ रही थी। जब दुनिया भर की सरकारों ने स्विस बैंकों में जमा अपने देश का काला धन वापस लाने की मुहिम शुरू की तो भारत सरकार पर भी इसका दबाव बढ़ा। आखिर में जब सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को लताड़ा तब जाकर वो हरकत में आई।
वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने हाल ही में कहा कि भारतीयों के विदेशी बैंकों के खातों के बारे में फ्रांस से कुछ जानकारियां प्राप्त हुई हैं, 69 मामलों में करदाताओं ने अपनी 397.17 करोड़ रुपये की काली कमाई स्वीकार की है और इस पर 30.07 करोड़ का टैक्स भी चुकाया गया। वित्त मंत्रालय के अनुसार देश को अब तक अलग-अलग देशों से भारतीय नागरिकों के संदेहास्पद लेन-देन की 9,900 सूचनाएं प्राप्त हई हैं। इन सूचनाओं की विभिन्न स्तरों पर जांच की जा रही है।
विदेशी बैंकों में भारतीयों के काले धन और गुप्त खातों की कहानी लंबे समय सुनी और पढ़ी जाती रही हैं। लेकिन इसका सरकारी स्तर पर भंडाफोड़ तब हुआ जब आयकर विभाग ने पुणे शहर में रेसकोर्स के एक पंटर हसन अली के घर पर छापा मारा और उसके लैपटॉप से करीब 25 हजार करोड़ रुपए से भी ज्यादा रकम के विदेशी खातों की जानकारी मिली थी।
उन्हीं दिनों स्विटजरलैंड के एक सबसे बड़े बैंक ने भारत में अपनी शाखा खोलने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक में आवेदन किया था। आरबीआई ने इस अनुरोध को विश्वबैंक के पास भेज दिया। इधर छापे में हजारों करोड़ रुपये के स्विस बैंक खातों का ब्यौरा मिलने से सरकार ने उन स्विस बैंक पर दबाव बढ़ाकर उन गुप्त खातों की सारी जानकारी हासिल कर ली लेकिन उनमें जो नाम हैं उन नामों का सरकार खलासा नहीं कर रही है। इससे जाहिर होता है इस सूची में सरकार से जुड़े लोगों के भी नाम हो सकते हैं।
हालांकि बीजेपी नेता वरूण गांधी ने केंद्र सरकार से विदेश में काला धन जमा करने वाले उन तीनों सांसदों के नाम सार्वजनिक करने की मांग है। जिन्हें नोटिस भेजे जाने की खबर है। उन्होंने कहा कि अगर इन सांसदों के नाम सामने नहीं लाए गए तो सूचना के अधिकार के जरिए उनके नाम को उजागर करेंगे।
दूसरी ओर मुख्य विपक्षी दल भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी देश में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ जनचेतना रथ यात्रा निकाल कर देश भर का भ्रमण करते हुए लोगों को भ्रष्टाचार और विदेशों में जमा कालेधन प्रति सरकार के रवैये को बता रहे हैं।
एक पूर्व आयकर आयुक्त का कहना है कि एनडीए के शासन काल में कालेधन का बाजार और गर्म हुआ। भारत की मॉरिशस समेत करीब 79 देशों के साथ दोहरी कर मुक्त संधि है। जिसका फायदा कालेधन को सफेद करने में जमकर उठाया जा रहा है। खासकर मॉरिशस के जरिए भारत के शेयर बाजार में होने वाले निवेश का ज्यादातर हिस्सा वही है जो भारत मे नंबर दो की कमाई करके बाहर भेजा जाता है। भारतीय शेयर बाजार में जबतक निवेश का मॉरीशस का मार्ग खुला रहेगा, काले धन और भ्रष्टाचार पर काबू पाना मुश्किल होगा। यह एनडीए सरकार की भारतीय अर्थव्यवस्था को दी गई सौगात है, जिसे यूपीए की मनमोहन सरकार जारी रखे हुए है।
दुनिया में 28 ऐसे देश है जहां के निजी बैंकों में कालेधन को छिपा कर रखा जाता है। वहां के बैंक अपने खाताधारियों के नामों और लेनदेन को गोपनीय रखते हैं। टैक्स हैवन माने जाने वाले देशों में स्विटजरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, अंदोरा, बरमूडा, कुक आइलैंड, लातविया, पनामा, इंग्लैंड, बहामास, कोस्टारिका, यूनान, बहरीन, साइप्रस, आयरलैंड, माल्टा, थाईलैंड, कनाडा, बारबाडोस हैं जिनके निजी बैंक में दुनिया भर के काले कारोबारियों के अरबों डॉलर की रकम उनके गुप्त खातों में जमा होता रहता है। दलाली और काली कमाई की रकम इन्हीं बैंकों के माध्यम से इलेक्ट्रोनिक तरीके से एक खाते से दूसरी खाते में आती-जाती रहती है।
मंदी के चलते आर्थिक संकट झेल रहे अमेरिका के ओबामा प्रशासन ने स्विस बैंक के खिलाफ आर्थिक धोखाधड़ी, घोटालों, विदेशी मुद्रा की हेराफेरी जैसे आरोप लगाते हुए बैंक के अमेरिका स्थित कई अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी। अमेरिकी प्रशासन ने बैंक से गोपनीय खातों का ब्यौरा हासिल किया और अरबों डॉलर काले धन को देश में वापस लाने की प्रक्रिया शुरू की।
जी-20 के कान में हुए छठे शिखर सम्मेलन में भारत ने भी बैंकों की गोपनीयता को खत्म करने की वकालत की। जिसका जी-20 के देशों ने भी समर्थन किया। अगर बैंकों की गोपनीयता खत्म होती है तो विदेशी बैंकों में भारतीयों द्वारा जमा किए गए अरबों डॉलर कालेधन के खातों का उजागर होगा। हसन अली, मधु कोड़ा जैसे करीब 700 वैसे लोगों के नामों का खुलासा होगा जो देश के साथ गद्दारी कर रहे हैं।
कॉमनवेल्थ गेम्स, टू जी स्पेक्ट्रम घोटाले और कैश फॉर वोट में अरबो-खरबों रुपए जिस तरह से वारे-न्यारे हुए हैं। जिससे जनता का सरकार और नेताओं पर से विश्वास उठ गया है। अगर सरकार विदेशों में जमा भारतीयों के करीब 63 खरब रुपए काले धन को देश में वापस लाने में सफल होती है तो एक बार फिर ईमानदार छवि वाले मनमोहन सिंह की सरकार के प्रति देश की जनता का विश्वास जगेगा। देश में लोकतंत्र और मजबूत होगा।
First Published: Monday, November 7, 2011, 23:02