केदारनाथ हमारी अस्मिता है: विजय बहुगुणा

केदारनाथ हमारी अस्मिता है: विजय बहुगुणा

केदारनाथ हमारी अस्मिता है: विजय बहुगुणाउत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने प्रदेश के हालात के बारे में ज़ी उत्तरप्रदेश /उत्तराखंड की संवाददाता निहारिका माहेश्वरी से खास बातचीत की। पेश हैं इसके मुख्य अंश:-

निहारिका माहेश्वरी: मैं उत्तराखंड के हालात की बात करूं, 13 साल में क्या ये वही उत्तराखंड है जिसकी आपने कल्पना की थी। आपदाग्रस्त इलाकों में आप तबाड़तोड़ दौरे कर रहे हैं। लोगों से आपने बात की क्या उनकी मांग है और सरकार क्या कर रही है उनके लिए?
विजय बहुगुणा: देखिये राज्य एक आन्दोलन से बना है क्योकि यहाँ पिछड़ापन था और सद्भावना से बना उत्तरप्रदेश की विधानसभा ने सर्वसम्मति से पास किया राज्य बना और जब हमारा प्रदेश उत्तर प्रदेश का हिस्सा था भारत का तो हमारा एनुअल प्लान 6-7 सौ करोड़ रुपये का था और आज 13 वर्षों में हम 6-7 सौ करोड़ के एनुअल प्लान से आज करीब साढे आठ हज़ार करोड़ का एनुअल प्लान है इस प्रदेश का तो विकास हर क्षेत्र में हुआ है विकास दर हमारा हर राज्यों से बहुत अच्छा था गत वर्ष में अपार संभावनाएं हैं यहाँ पर विकास की, यहाँ पर जल है, जंगल है, हमारे पास वाइल्डलाइफ है, जड़ी बूटी है तो हम विकास के ओर अग्रसर थे ये जो हिमालय की सुनामी जिसको बोलता हूँ इस जो है पूरा तहस नहस कर दिया अभी तो पुरे उत्तराखंड का करीब 37 हज़ार किलोमीटर क्षेत्र जो है आपदाग्रस्त है और आपदाए तो हमारे हाथ में नहीं है क्योकि सुनामी , भूकम्प, बादल फटना ये तो मानव निर्मित नहीं है लेकिन जब इतनी बड़ी त्रासदी हो जाए तो उसके बाद बड़ी भारी चुनोती होती है शासन के पास फौज सबके पास की किस तरह से हम लोगों को राहत दें। कई चरणों में हमने काम किया पहले तो था की यहाँ यात्री और श्रद्धालु फंसे है जो हमारे ग्रामीण क्षेत्र फंसे है जहां रास्ते कट गए है उनको सुरक्षित निकाला जाए तो आज कम से कम ये कह सकते हैं कि प्रशासन और सेना की मदद से आज करीब एक लाख 17 हजार लोग अपने घर सुरक्षित पहुंच गये को कानून व्यवस्था नहीं बिगड़ी कहीं कोई महामारी नहीं आई और अब राहत में लगे हुए है मौसम आप देखिये कितना ख़राब चल रहा है यहाँ पर हेलीकॉप्टर जा नहीं पा रहे हैं तो लेकिन फिर भी हम लोग घूम रहे हैं, जा रहे हैं। आज शासन लोगों तक मदद पहुँचाने का पूरा प्रयास कर रही है केवन प्राकृतिक जो ये आज ये वास्तविकता है वो ये है की मौसम साथ नहीं दे रहा है सड़कें बनती हैं फिर टूट जाती है कभी कही भूस्खलन हो रहा है तो बहुत चुनोतियों का सामना कर रहे हैं।

निहारिका माहेश्वरी : आपको लग रहा है कहीं न कहीं योजनाबद्ध तरीके से काम नहीं हुआ। आपने बिजली सड़क पानी की बात की, ये बात ठीक है आपने गांव-गांव तक तार पहुंचाए लेकिन बिजली नहीं है उत्तराखंड में कई जीवनदायनी नदी है लेकिन पानी को लोग तरस रहे है जब आपदा हुई बारिश का पानी पीकर लोग ज़िंदा रहे, सड़क की आपने बात कर ली लेकिन पहाड़ी इलाकों में सड़कें नदाराद हैं।
विजय बहुगुणा: ऐसा है कि हमारे यहाँ सारी बहुत पाइपलाइन जब भूस्खलन होता है पाइपलाइन क्षतिग्रस्त हो जाती है और पेयजल की हमारी बहुत सारी लाइनें क्षतिग्रस्त हो गई करीब सौ गांव में बिजली चली गयी थी 37 सौ गांव में बिजली चली गयी थी आज स्थिति ये है कि करीब मात्र सौ या सवा सौ गांव है जहाँ बिजली नहीं पहुंची तो जब त्रासदी होती है सब पेयजल की लाइनें टूट जाती है बिजली के खम्बे बह गए BSNL के टावर्स, वोडाफोन के टावर्स कई टावर्स टूट गए वहां बिजली नहीं थी तो कनेक्टिविटी नहीं रही डीजल नहीं पहुंच पा रहा था ईंधन तो अपने हेलीकॉप्टर्स के लिए भी पहुंचाना मुश्किल हो रहा था क्योंकि हेलीकॉप्टर आये दुर्गम क्षेत्र में रखे गए थे लेकिन हम डीज़ल कैसे पहुंचाते बहुत ही समस्याएं थी और लेकिन केवल शक्ति है प्रशासन के आधिकारियों के सेना की एयरफोर्स की NDRF की हम लोगों ने राहत पहुंचाई है और मदद की है और जो जीवन हम नहीं बचा पाए 16 और 17 को जो हमारे हाथ में नहीं था जब बादल फटा और गांधी सरोवर बह गया पूरा नीचे लेकिन 16,17 के बाद मैं कह सकता हूं कि कोई मृत्यु हमने नहीं होने दी।

निहारिका माहेश्वरी : अभी तक आपके आकड़े क्या कह रहे है ?
विजय बहुगुणा:देखिये जो हमें, आपको पता है जो भी लोग मिसिंग हैं पहले पांच हज़ार सात सौ कुछ थे फिर उत्तरप्रदेश से शायद कुछ संख्या कम हुई कुछ लोग मिल गए तो पांच हज़ार तीन सौ के करीब है तो हम तो चाहते है संख्या और घटे और लोग अपने आप सुरक्षित पहुंचे।

निहारिका माहेश्वरी : आपको उम्मीद है एक महीने के बाद भी वो सुरक्षित रहेंगे ?
विजय बहुगुणा: ऐसा है न कि HOPE AGAINST HOPE लेकिन उनको तो उनको आज आर्थिक सहायता दे दी है।

निहारिका माहेश्वरी : आपको लग रहा है कि आपदा प्रबंधन तंत्र जो आपका था और फेल्योर है या फिर सही समय पर उसने सही तरीके से काम नहीं किया।
विजय बहुगुणा:उसके दो पहलू हैं देखने के पहले तो ये है कि क्या इस तरह कि त्रासदी के लिए कोई भी आपदा प्रबंधन हो सकता था पहली बात तो ये है कि किसी को ये नहीं पता था कि केदारनाथ में आज तक कुछ नहीं हुआ। केदारनाथ में आज तक कुछ नहीं हुआ और केदारनाथ बहुत ही सुरक्षित जगह समझी जाती थी और केदारनाथ में इतनी बड़ी त्रासदी हो गयी और त्रासदी हुई उसमे हमारे पुलिस के लोग मरे है आपको पता है 18 लोग तो हमारे शासन के प्रशासक के वहां मौजूद थे जो इस त्रासदी के शिकार हुए तो जब कभी ऐसी जगह होती है जहा पे कि आप कुछ भी व्यवस्था कर लीजिये पहाड़ ही टूट जाती है तो आपदा प्रबंधन फौज को जब तीस दिन लग गए NDRF जो कि स्क्वाड है जो कि उनकी ट्रेनिंग है विषम परिस्थितियों में काम करने कि पहाडियों में जाने कि चड़ने की आज मैं देख रहा था कि पुलिस कि हमारे लोग जो केदारनाथ और रामबाड़ा में शवों का दाह संस्कार किया। किस कठिन परिस्थितियों में रस्सी पकड़ पकड़ कर के नीचे ऊपर चढ़ रहे है तो ये हर आदमी के बस की बात नहीं है। हां हमारे यहां दिक्कत ये है कि हमारे यहाँ रेवेन्यू पुलिस है आपको जानकर ताज्जुब होगा के हमारे यहाँ पुलिस नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रो में और 61 प्रतिशत हमारी आबादी रेवेन्यू पुलिस माने पटवारी और लेखपाल यही पुलिस है अब समय आ गया है कि हमें जो अपने ग्रामीण क्षेत्र है क्योंकि हम आपदा प्रभावित इलाका है हमें यहां पर भूकम्प के भी खतरे है तो अब प्रस्ताव ला रहे है केंद्र सरकार से बात करेंगे कि जो रेवेन्यू पुलिस है इसको पुलिस में परिवर्तन करने देंगे तो और चौकियां बन जाएंगी और पुलिस स्टेशन बन जायेंगे उनको पास वायरलेस होगा उनके पास लोग होंगे तो किसी को पता नहीं घटना कहा घटेगी तो लेकिन हमारे पास अगर रेवेन्यू पुलिस की जगह रेगुलर पुलिस फोर्स होती तो निश्चित तौर पर रेगुलर पुलिस फोर्स होगी तो जब भी कभी आपदा होगी तो रिस्पांस जल्दी होगा।

निहारिका माहेश्वरी : आप केदारनाथ की बात कर रहे है जो गलेशियर फटा क्या उसके बीच हम मानव कारण को नहीं मानते है हेलीकॉप्टर के हेलीकॉप्टर घुस रहे हैं। पर्यावरण और क्षेत्र के हितों का ध्यान नहीं रखा जा रहा है?
विजय बहुगुणा: देखिये ये तो मैं विशेषज्ञ नहीं हूं और आप भी नहीं हैं। मैंने लिखा है प्रधानमंत्री जी को और हम चाहते हैं कि एक समयनिधि बने, एक पर्यावरण के लिए पहला राज्य है भारत में। जिसने ये नीति बनायीं की हम ग्रीन ओडिट करेंगे, अब हम प्रयावरण के लिए क्या हमारे स्तर है क्या हमारी रक्षा होनी है मेने एक विशेषज्ञों की समिति बनायीं है। 21 तारीख को मीटिंग होनी थी लेकिन डॉ पचोरी जो हमारे अंतराष्ट्रीय स्तर के जो पर्यावरण विशेषज्ञ और डॉ अनिल जोशी है उन सबके साथ 5 अगस्त को बैठक है और तालमेल बहुत जरुरी है।

निहारिका माहेश्वरी : आपकी प्लानिंग को बहुत अच्छी है पर एक्सीक्यूशन कब होगा इसका?
विजय बहुगुणा: ऐसा है की पहले लगता था झटका 20-40 वॉट का है अब तो 1100 वॉट का झटका लगा है न तो इस झटके से उभरने का कुछ तो समय लगेगा न, जो हमने इस त्रासदी से जो सबक सिखा है, वो ये है की अब हमको 100 साल, 200 साल, 300 साल का उत्तराखंड देखना है और जो भी हम करेंगे, जो भी हम योजना बनायेंगे, जो भी हम निर्माण करेंगे या जो भी विकास करेंगे, चाहे केदारनाथ का भी पुनर्स्थापन होना है मंदिर के पास की सारी बिल्डिंग गिरानी है क्योंकि सारी जीर्ण शीर्ण हो गई है अब केदारनाथ कैसे बनेगा, वहां रोडवेज जानी चाहिये केबल कास्ट जानी चहिये।

निहारिका माहेश्वरी: आपने ASI से भी सलाह थी ?
विजय बहुगुणा: हां ASI की टीम और GSI की टीम हमको पूरा रास्ता देगी, लेकिन जितने धाम है हमको आपातकालीन रास्ते चहिये, एक तरफ से आओ और एक तरफ से जाओ, एक ही मार्ग अगर एक ही जगह के लिए आने जाने का होता है और त्रासदी होती है तो बहुत उसमे घातक होता है तो बहूत इसमें ये कह सकता की केन्द्र की सरकार की जिस तरह से आप देखेंगे की प्रधानमंत्री जी ने सब कमेटी बनाईं है, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया जी ने मुझसे फोन पर बात की, सब जानकारी चाही, तो आज केन्द्र हमारे साथ खड़ा है मदद कर रहा है सारे राज्यों कई मुख्यमंत्रियों ने आर्थिक सहायता भेजी।

निहारिका माहेश्वरी: क्या इस सावन में केदारनाथ सूना रहेगा?
विजय बहुगुणा: मंदिर के आसपास का इलाका दो तीन दिन मई साफ हो जाएगा। अब मंदिर के अंदर भी हम सफाई कर देंगे। उसके बाद मंदिर कमिटी साईं हमारी मीटिंग होगी। जो मंदिर कमिटी कहेगी राज्य सरकार करेगी। हम सब की ये इच्छा है कि वहां पूजा हो और पूजा जल्दी हो। क्योंकि केदारनाथ हमारी अस्मिता है। हमारे लिए एक धार्मिक भावनाओं से हमारी तो प्रतिष्ठा है केदारनाथ जितनी जल्दी पूजा होगी हम सबकी प्रशंसा होगी। हमारा प्रयास भी है लेकिन श्रद्धालु नहीं जा पाएंगे वहां क्योंकि मार्ग नहीं है, हम हेलीकॉप्टर्स नहीं जाने देंगे तो जब तक मार्ग नहीं बन जाता केदारनाथ का तब तक श्रद्धालु की सुरक्षा के लिए हम उनके नहीं जाने देंगे।

निहारिका माहेश्वरी: एक खूबसूरत केदारनाथ कब ?
विजय बहुगुणा: अब देखिये इतना लम्बा समय तो हम नहीं लगने देंगे। लेकिन एक बार जो पहले केदारनाथ ध्वस्त हुआ है उसको पहले हमें साफ कर लेने दीजिये। फिर एक्सपर्ट को बुलाएंगे और ऐसा खुबसूरत केदारनाथ बनायेंगे कि अंतराष्ट्रीय स्तर पर उसका सम्मान होगा। हमको गर्व होगा और अब हम ये भी रेगुलेट करेंगे की कितने यात्री कहाँ जाएंगे।

निहारिका माहेश्वरी: अगर दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्री उसमे मदद करने के लिए आगे आएं हैं तो राज्य सरकार को दिक्कत क्या है?
विजय बहुगुणा: सब कर सकते है कोई नहीं हमें क्या दिक्कत है, हमारे प्रदेश में ये केदारनाथ सिर्फ उत्तराखंड का ही नहीं है बल्कि पूरे विश्व का है और उसमें जो भी मदद करना चाहते है करे। उसका स्वागत है। लेकिन सारी प्लानिंग और मैनेजमेंट हाथ में रहेगा उत्तराखंड सरकार और केंद्र सरकार और ASI के। वो कहते है की दसवीं शताब्दी का मंदिर है 1000 साल पुराना मंदिर है और उसकी गरिमा और बढ़ गई है। क्योंकि इतनी बड़ी त्रासदी में उस मंदिर को कुछ नहीं हुआ तो उसकी आस्था और बढ़ गई है।

निहारिका माहेश्वरी: उसके पीछे आप क्या कारण मानते हैं की शिवलिंग को कुछ नहीं हुआ बहुत डिबेट चल रही है न्यूज़ चैनेलों में?
विजय बहुगुणा: सब स्वीकार करते हैं कि यह प्रभु की लीला है। प्रकृति की अपना एक अलग महत्व होता है लेकिन इतनी बड़ी त्रासदी में उस मंदिर का बच जाना जरुर कुछ है कि जो लोगों की करोड़ों-करोड़ों की भावना और आस्था।

निहारिका माहेश्वरी: राज्यपाल अजीज क़ुरेशी कह रहे है की श्रायन बोर्ड का गठन हो
विजय बहुगुणा: देखिये हम उसमें जो कानून बने हुई है जो परम्परा है उसको तो में भी नहीं छुऊंगा।

निहारिका माहेश्वरी: पर्यटकों की संख्या कम करेंगे ?
विजय बहुगुणा: पर्यटकों का आना-जाना जरुरी है देखिए पर्यटक हो या तीर्थयात्री हो हमारे राज्य की अर्थव्यवस्था उन पर निर्भर करती है सबसे पहले तो मैं चाहूंगा आपके चैनल से कहना अपने देशवाशियों से कि मसूरी है नैनीताल है हरिद्वार है देहरादून है यहाँ तो कुछ भी नहीं हुआ है और यहाँ तो कोई आपदा भी नहीं आई है यहाँ पर्यटक आते थे तो आए है विश्वास के साथ आएं। जहाँ तक बद्रीनाथ, यमुनोत्री, गगगोत्री का सवाल है वहां कोई किसी का नुकसान नहीं हुआ, क्षति नहीं पहुंची।

निहारिका माहेश्वरी: सब डरेंगे आने से?
विजय बहुगुणा: डर भय कुछ नहीं होता। कम से कम पूरे उत्तराखंड मे 200 हेलीपैड बनाने हैं। अगर कहीं भी आपदा आए तो कम से कम हेलीकॉप्टर तो पहुंच सके। बहुत प्लानिंग है और इस वक्त समर्थन भी मिल रहा है। गाइडेंस भी मिल रही है मैं कह सकता हूं कि त्रासदी तो हुई है लेकिन इस त्रासदी से हम उभरेंगे भी एक अच्छा उत्तराखंड और एक नवीन उत्तराखंड का निर्माण करेंगे।

निहारिका माहेश्वरी: इवेक्यूएशन के साथ इसमें मॉनिटरिंग की भी ज़रुरत है। अब ईको सेंसिटिव जोन पर आपका ध्यान केंद्रित करते हैं उत्तरकाशी पिथौरागढ़ जो सीमांत इलाकों में आते हैं लम्बे समये से डिबेट है राज्य सरकार का क्या टैक है दोहरी नीति अपनाएंगे की बीच का रास्ता निकालेंगे की रोज़गार भी हो और पर्यावरण हितों का भी धयान रखा जाए।

विजय बहुगुणा: देखिए निहारिका जी मैंने आपसे कहा है की ईको सेंसिटिव जोन को लेकर मैं विरोध में नहीं था। अब मे फिर स्पष्ट कर रहा हूं जो काम विशेषज्ञों से वैज्ञानिक ढंग से होनी चहिये। इसमें मुझे कोई आपति नहीं है।

निहारिका माहेश्वरी: आप इन्वाईट करेंगे पैनल को?
विजय बहुगुणा: हां क्यों नहीं, जो भी काम होगा साइंटिफिक स्टडी होगी।

निहारिका माहेश्वरी: उनका दर्द यही है की हम सलाह देते रहते है लेकिन नज़रअंदाज आप कर देते हैं जबतक तबाही नहीं आ जाती।
विजय बहुगुणा: नहीं देखिये एक होता है की कुछ न करो वहां पर तो विवाद हो जाएगा। कुछ भी न करो में तो जो स्थानीय लोगों का क्या होगा। क्या करो, कैसे करो, कब करो, कहाँ करो ये तय करे भारत सरकार। जो आप निर्णय लो फिर उसको मत पलटो। 3 साल, 4 साल बाद, 5 साल बाद, क्योकि होता क्या है की जनआकांक्षाएं बन जाती है आस पास कई क्षेत्र में विकास दिखने लगता है लोगों की नौकरी लगने लगती है लोग बैंक से पैसा लेता है गाड़ियां खरीद लेते है लोन पे. गेस्ट हाउस बना लेते है फिर जब आप कोई प्रोजेक्ट शेल्फ करते हैं तो वहां पर बहुत आक्रोश होता है।

निहारिका माहेश्वरी: आप हेमवती नंदन बहुगुणा जी के पुत्र है उन्हें पर्वतपुत्र का दर्जा यहां दिया जाता था। ऐसे में आगे क्या करना होगा आपसे सबसे ज्यादा उम्मीदें लिए हैं लोग आप इस परिवार के मुखिया हैं। प्रेशर भी झेल रहे है विरोध भी झेल रहे है लेकिन आपको काम भी करना है अपने बच्चों के लिए?
विजय बहुगुणा: देखिये यहाँ से मेरा लगाव कोई राजनैतिक नहीं है जैसा आपने कहां भावनात्मक लगाव है और मैं खाली अपने उत्तराखंडवासियों को उनका विश्वास दिला सकता हूं आपके माध्यम से कि उनका विकास उनके भविष्य की रक्षा करना ये मेरा दायित्व है लेकिन उत्तराखंड भी बचाना है और हम कोई ऐसा रास्ता नहीं अपनाएंगे जिससे की यहाँ पर आर्थिक पिछड़ापन बढ़े।


निहारिका माहेश्वरी: जबसे आप मुख्यमंत्री बने हैं आप वन इन मैन आर्मी हैं, आपकी सरकार अलग, आप अलग जैसे कि आप आपदाग्रस्त इलाकों में गए वहां विधायकों का विरोध का आपको सामना करना पड़ा। लेकिन जब से आप मुख्यमंत्री बने हैं गुट वो आपके खिलाफ ज्यादा सक्रिय हो गए हैं इस पर आप क्या कहेंगे ?, आप अलग-थलग पड़ गए हैं ?
विजय बहुगुणा: जब कोई भी व्यक्ति चाहे संगठन का हो या विधायक हो, जब वो राजनीतिक ऐजेंडा की वजह से आप पर आरोप लगाता है तो ये पार्टी हित में नहीं है, राजनीति में सबके पास ऐंबिशन होना चाहिए, महत्वाकांक्षा होनी चाहिए और अगर आपके पास महत्वाकांक्षा नहीं है तो आप राजनीति के योग्य नहीं हैं, लेकिन ओबसेशन नहीं होना चाहिए, और निश्चित तौर पर आज केवल कांग्रेस ही नहीं कौन सा ऐसा राज्य है, राजनीतिक दल है जहां अंदर थोड़ी बहुत कलह और मनमुटाव नहीं चल रहा है, सब राजनीतिक दलों में है, लेकिन आज मुझे इस बात पर गर्व है कि इस संकट में, इस आपदा में, एक आवाज से पूरी पार्टी और पूरी सरकार इस वक्त जनता के साथ है।


निहारिका माहेश्वरी: हमें हरीश रावत जी नज़र नहीं आए, आप संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस करते थे, हरीश रावत जी नहीं थे, ये वो हरीश रावत जी हैं जिनको प्रदीप टम्टा जी कहते थे कि ये मुख्यमंत्री बनें, हरीश रावत जी यहां पार्टी से लड़ गए कि प्रदीप टम्टा जी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाए?
विजय बहुगुणा: देखो मैंने आपसे कहा कि मुख्यमंत्री बनने की इच्छा रखना कोई पाप नहीं है, कई लोग ऐसे हैं जो केंद्रीय मंत्री या मुख्यमंत्री बनने लायक हैं, ये सौभाग्य की बात है ये अच्छे नेतृत्व हैं, इसको आप इस ढंग से मत लीजिए कि ये कोई अप्रिय घटना है, हर दल में होता है, लक्ष्मण रेखा की मर्यादा का पालन होना चाहिए।

निहारिका माहेश्वरी: विधानसभा अध्यक्ष कुछ दिन पहले भ्रष्टाचार पर बोले कि अगर धरातल पर योजनाएं नहीं पहुंच रही और धीरे धीरे काम हो रहा है तो कहीं ना कहीं भ्रष्टाचार है फिर उन्होंने विवादित आपदा को लेकर बोल दिया कि आपदा तंत्र हमारा फेलियर है ?
विजय बहुगुणा: मुझमें और उनमें कोई दीवार नहीं है, लेकिन जो बयान देते हैं फिर उसका स्पष्टीकरण करते हैं और मैं तो उनके आश्वासन पर चलता हूं और स्पीकर का काम है कि सरकार का मार्ग दर्शन करे, गवर्नर का काम है कि सरकार का मार्ग दर्शन करे, तो मैं इसको क्योंकि वो कॉस्टिट्यूशन हेड हैं मैं उनपे कोई टिप्पणी नहीं करुंगा।

निहारिका माहेश्वरी: कांग्रेस 2017 तक पूरा शासन करेगी अपना ?
विजय बहुगुणा: 2027 तक, आप 2017 की बात कर रहे हैं, हम लोग जो हैं साल दो साल तक , देखिए कांग्रेस की राजनीति, सोनिया जी की राजनीति, राहुल जी की राजनीति वोट बैंक की राजनीति नहीं है, हम लोग वोट की दृष्टि से राजनीति नहीं करते।

निहारिका माहेश्वरी: ब्राह्मण ठाकुर गणित यहां बहुत खेला जाता है ?
विजय बहुगुणा: नहीं, नहीं यहां कहीं नहीं हैं लोगों के मन में पता नहीं ये क्यों है। आपने कभी यहां सुना है कि ब्राह्मण ठाकुर का झगड़ा है।

निहारिका माहेश्वरी:उसी को तो इनकैश किया जाता है ?
विजय बहुगुणा: नहीं कभी इनकैश नहीं होता, हमारे उत्तराखंड में लिटरेसी इज़ वेरी हाई नेक्स्ट टू केरला, यहां लोग बहुत जागरुक हैं उन्होंने आंदोलन किया है, हमारे यहां कोई जातीय टेंशन नहीं है, फितुर है कुछ लोगों के दिमाग का, लेकिन हम लोग जो जमीन पर काम कर रहे हैं, हमारे यहां धरातल पर बड़ा सम्मान है, बड़ा प्रेम है।

निहारिका माहेश्वरी: खंडूरी जी से हमने मुलाकात की, जिस तरीके से आप पॉलिटिक्स को हेल्दी वे में ले रहे हैं, उसी तरह से उन्होंने भी हेल्दी वे में लिया, लेकिन एक टीस थी उनके मन में वो आपके सामने पेश कर रही हूं, उनका साफ तौर पर कहना है कि जब कांग्रेस सरकार में आई तो निशंक कार्यकाल में नए ज़िलों की मांग थी उसको ठंडे बस्ते में डाल दिया, गैरसैण का मुद्दा पीछे चला गया, इसके अलावा ट्रांसफर पॉलिसी , लोकायुक्त के तर्ज पर कानून की बात की जा रही थी, उसके बारे में अब कोई भी नहीं सोच रहा है, कांग्रेस आकर चीजें पलट देती है, फिर दूसरी पार्टी उसको दोबारा लागू करती हैं, बहाल करते हैं, फिर कांग्रेस आती है उसे पलट देती है, ये कैसी राजनीति हो रही है?

विजय बहुगुणा: देखिए सरकारें बदलती है बीजेपी की अपनी सोच है कांग्रेस की अपनी सोच है, लोकायुक्त के प्रश्न पर जब आप बात करते हैं, लोकायुक्त लोकपाल तो कांग्रेस ने तो लोकसभा में पास करा दिया था, संवैधानिक संशोधन करा दिया था, जो राहुल जी की सोच थी कि हम लोकपाल और लोकायुक्त को एक संवैधानिक दर्जा दें, लोकायुक्त को भी एक संवैधानिक दर्जा दें, ताकि कोई विधायी उसको कभी छेड़ नहीं पाए, राज्य सभा में किसने अपोज किया, बीजेपी ने अपोज किया, अगर पार्लियामेंट इनैक्ट कर देती कि लोकायुक्त होगा तो लोकायुक्त कंपलसरी मेनडेटरी हो जाता, और बीजेपी के मोदी जी गुजरात में आजतक उन्होंने लोकायुक्त नहीं आने दिया।

निहारिका माहेश्वरी: आपने मोदी जी की तारीफ की है, उनके राज्य के विकास की तारीफ की है, प्रेस कॉफ्रेंस में मैंने खुद सुना है।
विजय बहुगुणा: सुनिए मैंने कभी कोई विकास की तारीफ नहीं की है, आप गलत समझ रहे हैं, देखिए हर राज्य आज विकास की ओर अग्रसर है, और जो आज राज्य विकास कर रहा है क्योंकि सेंट्रल गवर्नमेंट, गवर्नमेंट ऑफ इंडिया से जो राज्यों को फंडिंग हो रही है, जो प्लेन आउट ले साइन हो रहा है, ये कभी आज तक इतना पैसा राज्यों को मिला है, केंद्र आपकी सहायता करे आप आगे बढ़ जाए, केंद्र का भी योगदान है , प्लानिंग कमिशन का योगदान है, अब आज बहुत अच्छा फैसला लिया, सुप्रीम कोर्ट ने की, अगर आपको दो साल की जेल हो जाएगी तो आप चुनाव नहीं लड़ पाएंगे, बहुत अच्छी बात है, ये तो बहुत अच्छी बात है। क्योंकि हम लोग बात करते हैं चुनाव सुधार की, तो ये पहला कदम है।

निहारिका माहेश्वरी: आप ही की पार्टी विरोध कर रही है, कपिल सिब्बल कह रहे हैं ठीक है एक बैठक बुला रहे हैं और उसका काट निकाला जा रहा है।
विजय बहुगुणा: देखिए उनकी दूसरी बात सोची जा रही है, उसका जो एक पहलू है जो कि अच्छी बात है कि दो साल पर अगर आप कन्विक्ट हो गए तो आपको हम डिस्क्वालिफाई कर देंगे, मान लिजिए मुझे आज दो साल की सजा हो गई और मेरी सदस्यता रद्द हो गई, बाई इलैक्शन हो गया, दूसरा आदमी चुनकर आ जाएगा, और फिर मैं हाईकोर्ट से जीत गया, हाईकोर्ट ने फाइंड किया कि नहीं बहुगुणा ने गलत काम नहीं किया था, तब मेरा क्या होगा, मेरी तो सीट ही चली गई, फिर मैं वापिस कैसे हाउस में जाउंगा, तो इसलिए हमें उस फैसले पर थोड़ा सोचना पडे़गा, या तो सीट खाली रहे, जब तक हाईकोर्ट का फैसला नहीं आ जाए, भई आपने सेशन में उसको कन्विक्ट कर दिया, दो साल के लिए और मेरी सीट खाली हो गई, और आपने चुनाव करा दिया, और फिर हाईकोर्ट से जीत गया THEN WHAT WILL HAPPEN SO THERE ARE SOME ASPECTS जिसको IRON OUT करना पड़ेगा DONT TAKE IT AS IN के हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध कर रहे हैं, देखिए सुप्रीम कोर्ट एक सोच देता है, एक दिशा देता है उसको क्रियान्वयन कैसे किया जाए ये अधिकार LEGISLATURE का है, तो पार्लियामेंट और उसको सुधारने के लिए तो बहुत बात कर रहे हैं तो ये एक पहलु है जरुर इसमें विचार किया जाएगा, अब जेल से आप नॉमिनेशन नहीं कर सकते, ये भी सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया है, IF YOU CAN NOT VOTE YOU CAN NOT FIGHT ठीक बात है।

निहारिका माहेश्वरी: RIGHT TO RECALL, RIGHT TO REJECT पर आप क्या कहेंगे?
विजय बहुगुणा: नहीं RIGHT TO RECALL तो विश्व में कहीं नहीं है और RIGHT TO REJECT भी विश्व में कहीं नहीं है और कतई नहीं होना चाहिए।

निहारिका माहेश्वरी: उत्तर प्रदेश की बात करें, इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बैंच का महत्वपूर्ण फैसला कि जाति आर्धारित रैलियां नहीं हों, जो उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा है आपका पड़ोसी राज्य है।
विजय बहुगुणा: देखिए हमारे चुनाव में पता है क्या लिखा हुआ है R P ACT में आप जाति के नाम पर वोट नहीं मांग सकते हैं आप कटुता नहीं फैला सकते, नहीं ये रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल एक्ट में प्रावधान है धारा 123 तो अगर आप लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए आपने ये कानून बनाया है कि हम जाति और धर्म के आधार पर आप भावनाएं नहीं भड़का सकते तो फिर आप रैली कैसे कर सकते हैं, आप मेनिफेस्टो पर वोट मांगो, हम इस जात के हैं या हम इस धर्म के है ये तो ACT PROHIBIT करता है ये संविधान PROHIBIT करता है।

निहारिका माहेश्वरी: सवाल आपसे जुड़ा लोकसभा चुनाव के लिए आपकी व्यक्तिगत तौर पर क्या तैयारी है, एकला चलो या फिर सर्वधर्म संभाव की बात करेंगे, आप ही के राज्य उत्तराखंड में 5 लोकसभा सीटें काफी महत्वपूर्ण हैं।
विजय बहुगुणा: 5 लोकसभा सीटें हैं और हमारे पास काफी मजबूत नेता हैं बहुत कद्दावर नेता हैं, लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस अपनी शक्ति पर अपने बल पर लड़ेगी, और जो क्षेत्रीय दल हैं जो अन्य दल हैं उनसे हम आशा करेंगे कि अगर वो सांप्रदायिकता के खिलाफ हैं तो कांग्रेस का साथ दें।

निहारिका माहेश्वरी: उत्तराखंडवासियों के लिए एक सांत्वना कि आप हैं आप कर रहे हैं वो लोग जो उम्मीद से आपकी तरफ देख रहे हैं उन्हें क्या बोलेंगे?
विजय बहुगुणा: देखिए अपार दुख है और अपार संकट से राज्य गुजर रहा है, लेकिन जो हमारे उत्तराखंड का चरित्र है जो हमारा उत्तराखंड के लोगों की महानता है आज एक सहारा है सरकार केंद्र की प्रदेश की आपके साथ है इस दुख की घड़ी में और हम जमीन से लेकर आसमान तक कोई कसर नहीं छोड़ेंगे, आपके हितों की रक्षा हो, आपका भविष्य अच्छा हो और हमारा राज्य भी विकास करे।

निहारिका माहेश्वरी: जड़ से जहां तक देवभूमि का गौरव दोबारा आएगा बहुत बहुत धन्यवाद विजय बहुगुणा जी अपनी बेबाक राय रखने के लिए, हमसे चर्चा करने के लिए और अपने ऐजेंडे को हेल्दी पॉलिटिक्स में कनवर्ट करके अपनी राय देने के लिए और आम आदमी को एक भरोसा देने के लिए कि राज्य का मुखिया है आपको बहुत बहुत धन्यवाद।
निहारिका माहेश्वरी: आपको भी बहुत बहुत धन्यवाद

First Published: Tuesday, August 13, 2013, 17:59

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