टैबलेट और लैपटॉप का लॉलीपॉप - Zee News हिंदी

टैबलेट और लैपटॉप का लॉलीपॉप

रामानुज सिंह

 

देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। सभी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीतिक दल चुनावी समर में कूद चुके हैं। मतदाता को अपनी ओर आकर्षित करने लिए राजनीतिक पार्टियां हर तरह के हथकंडे अपना रही है और अपने चुनावी घोषणा पत्र में कई लुभावने वादे किए हैं। उन्हीं वादों में टैबलेट पीसी और लैपटॉप देने के वादे भी हैं जिसे लॉलीपॉप कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।

 

उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है, जहां पिछले कई विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का दबदबा रहा है। दो दशक से इस सूबे में सपा या बसपा का ही राज रहा है। लेकिन लगातार दो कार्यकाल तक एक ही पार्टी की सरकार नहीं रही है। 2007 के विधानसभा चुनाव में बसपा की सरकार बनी थी। उससे पहले सपा की सरकार थी। अब 2012 में सपा को उम्मीद है कि उसकी सरकार निश्चित ही बनेगी इसलिए वह सत्ता में आने के लिए कोई कसर छोड़ना नहीं चाहती है। अपने चुनावी घोषणा पत्र में समाज के सभी वर्गों के लिए कुछ वादे किए हैं। इस चुनाव में खास कर युवा मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए मुफ्त लैपटॉप और टैबलेट पीसी देने का वादा, जो चुनावी गलियारे में दूसरी पार्टियों पर भारी होता दिख रहा है। इसका असर पंजाब तक पहुंचा। वहां की सत्तासीन शिरोमणि अकाली दल ने भी छात्रों को मुफ्त लैपटॉप देने का वादा कर डाला।

 

अब सवाल उठता है, क्या मुफ्त टैबलेट पीसी और लैपटॉप दे देने से प्रदेश में बेरोजगारी की समस्या दूर हो जाएगी? हर पढ़े-लिखे युवा की जिंदगी लैपटॉप के सहारे खुशहाल हो पाएगी? लैपटॉप दे देने भर से छात्रों को कंप्यूटर का समुचित ज्ञान हो पाएगा? भारत गांवों का देश है जहां आज भी अधिकांश आबादी गांवों में निवास करती है। उन गांवों में जहां न तो बिजली की समुचित व्यवस्था है और न ही स्थानीय स्कूल-कॉलेजों में कंप्यूटर का ज्ञान देने के लिए योग्य शिक्षक हैं तो फिर लैपटॉप का क्या औचित्य?

 

किसी भी राजनीतिक दल को चुनावी वादे करने से पहले देश के राजस्व का सही दिशा में इस्तेमाल हो, इसका ध्यान रखना चाहिए। न कि आनन-फानन में करोड़ों रुपए बर्बाद कर देना चाहिए। मेरा मकसद लैपटॉप या टैबलेट पीसी का विरोध करना नहीं है। हम सिर्फ यह चाहते हैं कि कोई भी काम एक सिस्टम के तहत हो। सबसे पहले प्रारंभिक शिक्षा को बेहतर बनाया जाए। प्राथमिक स्कूल में ही छात्रों के आधुनिक शिक्षा की शुरुआत होनी चाहिए। उसके बाद 10वीं और 12वीं में उसे पूरी तरह से रोजगारोन्मुखी शिक्षा दी जानी चाहिए। ताकि वो अपने पैरों पर खड़ा हो सके। तब जाकर उसे लैपटॉप दिया जाए तो उसकी उपयोगिता सिद्ध हो पाएगी। अन्यथा यह एक खिलौना के सिवा कुछ भी नहीं होगा।

 

आज देश भर के ज्यादातर स्कूल-कॉलेजों में शिक्षकों और जरूरी संसाधनों की कमी बदस्तूर जारी है। किसी भी राजनीतिक पार्टियों की चुनावी घोषणा पत्र में समाज के सर्वांगीन विकास की जड़ शिक्षा को मजबूत करने की बात शामिल नहीं है। इसके प्रति सभी दल उदासीन हैं। अगर समाज वैज्ञानिक शिक्षा से लवरेज होता है तो समाज से अंधविश्वास, कौम-कौम के बीच नफरत और धार्मिक कट्टरता भी खुद-व-खुद दूर होगी। भाईचारे की भावना विकसित होगी। दंगा-फसाद से मुक्ति मिलेगी।

 

लैपटॉप से साथ-साथ मुफ्त इंटरनेट कनेक्शन देने की भी घोषणा होनी चाहिए थी क्योंकि इंटरनेट के माध्यम से ही लैपटॉप पर दुनिया का दीदार किया जा सकता है। हर तरह की जानकारी हासिल की जा सकती है। इसके साथ ही इसे चलाने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यह ऊर्जा बिजली से मिलती है। बिजली की उपलब्धता महानगरों को छोड़कर अधिकांश प्रदेशों में अच्छी नहीं है। गांव की हालत तो उससे भी बदतर है जहां कुछ घंटे ही बिजली रहती है। कहीं-कहीं तो बिजली पहुंची भी नहीं है। ऐसे में लैपटॉप बिना पेट्रोल की गाड़ी के समान होगा।

 

बहरहाल, राजनीतिक पार्टियों से मेरी अपील सिर्फ इतनी  है कि आप वोट के लिए जनता से ऐसे वादे ना करें जिससे जनता की गाढ़ी कमाई बिना सदुपयोग के खर्च हो जाए और ये टैबलेट पीसी या लैपटॉप उन युवा मतदाताओं के लिए लॉलीपॉप साबित हो जिनसे सियासी दल के मुखिया वादे कर रहे हैं। इन युवा मतदाताओं के सपनों को अपने वोट के लिए दिग्भ्रित नहीं करिए।

First Published: Wednesday, February 1, 2012, 23:22

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