देश भर में उठाएंगे कोयला घोटाले का मुद्दा : अन्ना

देश भर में उठाएंगे कोयला घोटाले का मुद्दा : अन्ना

देश भर में उठाएंगे कोयला घोटाले का मुद्दा : अन्नामौजूदा भारतीय राजनीति उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है। बीते दिनों में उजागर हुए भ्रष्टाचार के मामलों से राजनीति की छवि धूमिल हुई है। ऐसे में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे क्या सोचते हैं, इस पर `जी न्यूज` ने सामाजिक कार्यकर्ता से बात की। इस बातचीत में अन्ना हजारे ने `जी न्यूज` के सवालों का खुलकर जवाब दिया-

प्रश्न- अन्नाजी! आपका स्वागत है। बहुत दिनों से आपने मीडिया से बात नहीं की इसकी कोई ख़ास वजह?

अन्ना- नहीं, वजह कुछ नहीं थी क्योंकि इस आंदोलन को घर-घर में पहुंचाया। उसका श्रेय मीडिया को जाता है। मीडिया ने इस आंदोलन को उठाया तो उससे हमेशा के लिए मौन रखना ठीक नहीं है लेकिन हमारे गांधी जी, विनोबा जी की धारणा थी कि कुछ समय के लिए मौन रखना बहुत ज़रूरी होता है।

प्रश्न- इसीलिए, आपने कुछ दिन तक मीडिया से बात नहीं की ? इसी रालेगण सिद्धी में जहां हम बात कर रहे हैं, वहीं आपकी नई कोर कमेटी जिसका गठन हो रहा है और उसकी मीटिंग होने वाली है। क्या होगा उसका एजेंडा और कौन-कौन लोग आपके दिमाग में हैं ?

अन्ना - हमारे पास सौ लोग हैं जिसमें आर्मी के जनरल, ब्रिगेडियर, कर्नल, आईएएस ऑफिसर जो रिटायर हुए हैं ऐसे 9 लोग हैं और करीब 13-14 आईपीएस अफसर हैं जिनमें से 7 डीजीपी पद से रिटायर हुए। एक तरफ इतनी हाई पोस्ट पर काम करने वाले लोग हैं, दूसरी तरफ जेपी आंदोलन से जुड़े हुए लोग हैं। उनकी सोच अच्छी है। ये लोग सर्वोदय से
और गांधी विचारधारा से जुड़े हुए लोग हैं।

प्रश्न- सभी विचारों के अच्छे लोग जो हैं, वे आपकी छत्रछाया में 24 नवंबर को इकट्ठा होंगे ?

अन्ना - अभी उन लोगों का जुड़ने के लिए पत्र आया है। हम जांच करेंगे।

प्रश्न- अन्ना जी, लेकिन इसकी दिशा और इसका एजेंडा क्या होगा ?

अन्ना- दो बातें करनी है। एक तो ये कि आंदोलन के माध्यम से राजशक्ति पर जनशक्ति का अंकुश कैसे निर्माण हो जब तक राजशक्ति पर जनशक्ति का अंकुश निर्माण नहीं होगा, तब तक बुराई पर ब्रेक नहीं लगेगा और आज हमारे पास जो लाखों लोगों के लेटर आए हैं वो कई गुणा बढ़कर एक साल के अंदर करोड़ तक होगा। दूसरा संसद में अच्छे लोग कैसे जाएं ? जो हम किसी को नहीं चुनेंगे। हम किसी का चयन नहीं करेंगे लेकिन लोकशाही में, जनतंत्र में, जनता को कहेंगे कि आप अच्छा कैंडिडेट चुनो और प्रतिज्ञा करो कि बिना रिश्वत लिए वोट करूंगा, चरित्रवान लोगों को ही वोट करूंगा, अच्छे लोग अगर संसद में गए तो कुछ परिवर्तन आएगा, आज तो 163 लोग दागी बैठे हैं,35 मंत्रियों में से 15 पर तो आरोप लगे हैं, उनमें से कई पर तो स्पष्ट भी हो गया कि ये करप्ट हैं तो आज की संसद में कई लोग बैठे हैं, उनमें से भविष्य नहीं है। संसद में हम अच्छे लोग कैसे भेजें, इसकी चाबी जनता के हाथ में है। सिर्फ जनता को इस एलेक्शन में तय करना है कि वह सिर्फ चरित्रशील आदमी को वोट करेगी चाहे वह सत्ता में बैठे या विपक्ष में। अच्छे लोगों का चयन होना चाहिए।

प्रश्न- अच्छे लोग राजनीति में आने चाहिए। आप इसको बहुत ज़्यादा महत्व देते हैं।

अन्ना- दो बातें, एक अच्छे लोगों को संसद में भेजना और दूसरा जनशक्ति के दबाव से राजशक्ति का निर्माण करना। ये हमारी नीति आगे के लिए है।

प्रश्न- अन्ना आपने बहुत दिनों पहले जनलोकपाल का मुद्दा उठाया था, उसके बाद देश में बहुत उथल-पुथल हुई, आप जेल भी गए थे। एक बहुत बड़ा आंदोलन आपके समर्थन में शहर-शहर गांव-गांव में उभर कर आया था, आज आपको ऐसा नहीं लगता कि कई और मुद्दे आ गए, जिससे इसका महत्व कम हो गया है। क्या आज भी आप इस मुद्दे से उतने
ही जुड़े हैं जितना पहले थे।

अन्ना- अगर ऐसी बात होती तो आज हमारे पास जिन लोगों ने देश भर के लोगों ने लेटर भेजे हैं उनमें से सवा चारसौ लोग ऐसे हैं जो कहते हैं कि वो अपना जीवन समर्पित करने के लिए तैयार हैं और जो लाखों लोगों के पत्र आए हैं उनका कहना है कि वे आंदोलन के साथ जुड़ना चाहते हैं। इतने हाई लेवल के लोग जो रिटायर हो गए वे इसके साथ जुड़ना चाहते हैं। तो ऐसी बात नहीं है, इतना है कि भीड़ कम हो गई जो भीड़ दिखाई देती थी, वह कम हो गई लेकिन दिल से जुड़े हुए लोग आज भी देश के साथ खड़े हैं।

प्रश्न- आप जनलोकपाल से उतने ही आज जुड़े हैं जितने कि इससे पहले ?

अन्ना- जनलोकपाल को छोड़ा नहीं। जनशक्ति का दबाव निर्माण करना, उसमें पहले जनलोकपाल, उसके बाद राइट टू रिजेक्ट, राइट टू रिकॉल, ग्राम सभा को पावर, जनता की सनद ये सब क़ानून पास कराने का सरकार पर भार पड़ना है। इसीलिए जनशक्ति का दबाव बने और मुझे विश्वास हो रहा है, अभी 2014 का इलेक्शन आ रहा है इससे पहले ही जनलोकपाल आएगा ये मुझे विश्वास हो रहा है।

प्रश्न- पिछले कुछ दिनों से आपने अरविंद केजरीवाल जी की देखा होगा कि वो राजनीतिज्ञों के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं। चाहे वो कांग्रेस के हों या विपक्ष के, ये जो स्ट्रैटजी जो उन्होंने बनाई है, क्या आप उससे सहमत है, क्या आप अरविंद जी को गाइड करते हैं, इसके तथ्यों, आरोपों की जांच कौन करेगा ?

अन्ना- मैं इस बात को मानता हूं कि अगर उनके पास सबूत हैं तो आरोप
लगाना दोष नहीं। अगर जिन पर आरोप लगे हैं उनको लगता है कि ये आरोप गलत हैं और उनकी हुई है तो वे न्यायालय में जा सकते हैं। नुकसान भरपाई का दावा कर सकते हैं। ये एक बात है, दूसरा ये कि ये सब लोगों को
एक साथ में पकड़ना ठीक नहीं। एक मंत्री को पकड़ा, दूसरे मंत्री को पकड़ा, तीसरे को पकड़ा। एक ही साथ में सब पर आरोप हो जाएंगे तो वे संगठित हो जाएंगे और वो आपको बदनाम करेंगे।

प्रश्न- आपको नहीं लगता है कि अरविंद कुछ ज़्यादा तेज़ रफ्तार से काम कर रहे हैं जिसके चलते उनके आरोपों की गंभीरता कम हो गई है ?

अन्ना- मेरी आंख का ऑपरेशन हुआ था तो मैंने 13 दिन से न तो टीवी देखा और ना ही अखबार पढ़ा। क्या घटनाएं हो गईं, वो मुझे भी नहीं पता। ये सलमान खुर्शीद की बात तो मुझे अभी समझ आ रही है। क्य़ा आरोप हुए
थे मुझे भी नहीं पता।

प्रश्न- रॉबर्ट वाड्रा जी, नितिन गडकरी जी के ऊपर आरोप लगे थे, जिसकी जानकारी आपको नहीं है ?

अन्ना- अगर प्रूफ है तो एक-एक कर आगे जाना चाहिए।

प्रश्न- दूसरी तरफ आप देखेंगे तो कांग्रेस और जो आपके मूवमेंट के साथ जुड़े हुए थे वाई पी सिंह जो एक आईएएसअफसर हैं। उन्होंने भी अरविंद केजरीवाल जी की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए थे। आप क्या कहेंगे इसे बारे में ?

अन्ना- नहीं वो तो मुझे पता नहीं है, उनके दिल में क्या है। क्या आरोप लगाए थे। क्या उनके पास सबूत हैं, ये मुझे पता नहीं। कई लोगों का काम होता है आरोप लगाना, वे ऐसा करते रहते हैं। जैसे मेरे ऊपर भी आरोप लगाए थे। आपका लवासा प्रकरण हैं। अभी उनको पता नहीं। लवासा के बारे में इतनी (हाथ से इशारा करते हुए ) फाइलें है मेरे पास। मेधा पाटकर हम लोग मिलकर ये आंदोलन चलाया और हमारे चौधरी हैं विशंभर उसने
फिर हाईकोर्ट में केस दर्ज किया और उसे स्टे मिला। मैं उस पर इतना बोला हूं। सरकार ने इतना गलत किया है, बहुत गलत किया है। अगर इसकी न्यायिक जांच हो गई तो इनमें से कई लोग जेल जाएंगे।

प्रश्न- अन्ना जी, भ्रष्टाचार की जो लड़ाई है वो दीर्घकालीन लड़ाई है और उसमें कई मुश्किलें आती हैं जैसे कि अरविंद केजरीवाल जी की प्रेस कांफ्रेंस में एनी कोहली ने हंगामा खड़ा किया था। तो आपको नहीं लगता की
आईएसी के सामने मुश्किलों के पहाड़ खड़े हो रहे हैं?

अन्ना- नहीं कौन सा हंगामा हुआ। मुझे पता नहीं क्या हुआ है। मुझे आजकल की घटनाओं के बारें में जानकारी नहीं है।

प्रश्न- अभी एक पॉलिटिकल मूवमेंट में जो आपके साथ थे केजरीवाल, उन्होंने एक पॉलिटिकल पार्टी की घोषणा की है। आपको क्या लगता है बतौर नेता अरविंद केजरीवाल कैसे हैं। क्या दीर्घकालीन ऐसी पार्टी का प्रमुख होने की क्षमता वो रखते हैं, इतनी परिपक्वता उनमें हैं?

अन्ना- वो हैं या नहीं मैं नहीं जानता लेकिन एक बात का मुझे विश्वास है आज तक 65 साल की राजनीति से इस देश के लिए भविष्य मिलेगा ऐसी उम्मीद नहीं रही क्योंकि सत्ता से पैसा पैसे से सत्ता ये कालचक्र घूम रहा है
और कितना भी हम सोचें फिर भी राजनीति में सब लोग ईमानदार आएंगे ऐसा कहने के लिए मुझे को इतना ढाढस नहीं होगा क्योंकि कुर्सी का गुणधर्म ऐसा है कि चेयर पर बैठने के बाद बुद्धि पलट जाती है तो ऐसी स्थिति में राजनीति में ऐसे लोग हमें मिलेंगे त्यागी, चरित्रशील ये कहना थोड़ा मुश्किल है लेकिन वो रास्ता मैं गलत नहीं समझता लोकशाही को स्वीकार किया है।

प्रश्न- क्या अरविंद केजरीवाल इसको संभाल पाएंगे। क्या उतनी लीडरशिप, परिपक्वता उनमें हैं ?

अन्ना- अब ये मैं कैसे बोल सकता हूं उनका जो डेयरिंग, उनकी सोच, उनकी कार्यक्षमता इसके बारे में, मैं नहीं बोल सकता।

प्रश्न- एक दूसरी महत्वपूर्ण बात पर आपके विचार चाहूंगा कि अगस्त के संसद सत्र में कोल के आवंटन का, आउट ऑफ टेंडर कह सकते हैं, आवंटन का मुद्दा उठा था जिसके कारण 1 लाख 86 हज़ार करोड़ का घोटाला देश के
सामने आ गया लेकिन लगता है कि आज सारे मीडिया से लेकर सब लोग इसे भूल गए हैं क्या आपको इसके पीछे साज़िश लग रही है ?

अन्ना- ( मुस्कराकर) ऐसा होने के कारण मुझे ये महसूस हो रहा है कि ये कोयला में कई लोगों के हाथ काले तो नहीं हुए।

प्रश्न- सबके हाथ काले हुए, इसके कारण बंद हो गए जो सत्ता में है या विपक्ष में हैं ?

अन्ना- अभी संसद को चलने नहीं दिया और अभी कई लोग बोल रहे हैं कि अभी कोयला नहीं निकालेंगे हम तो फिर किसलिए इतने करोड़ रुपए का नुकसान किया संसद का मतलब जनता का तो इसमें कुछ ना कुछ तो गड़बड़ी हो सकती है कि आज सब चुप बैठ गए।

प्रश्न- विपक्ष की चुप्पी क्या आपको किसी बड़े षड्यंत्र का आपको आभास नहीं दिलाती ?

अन्ना- पूरे देश में गांव-गांव तक देश में बच्चों को भी पता चला कि कोयला घोटाला क्या है और फिर चुप हो गए तो इसमें संदेह के लिए कारण बनता है।

प्रश्न- कोयला घोटाले में कुछ ऐसे नाम देश के सामने आए थे जो पहले इंडस्ट्रीयलिस्ट रह चुके थे अब वो राजनीतिज्ञ का चोला पहन कर देश के सामने आए हैं, लेकिन इस देश के जो प्राकृतिक संसाधन हैं, उनको हड़प रहे हैं। क्या लगता है आपको इसके बारे में जैसे कि नवीन जिंदल हैं, विजय दर्डा हैं। इन्होंने जिस प्रकार से कोयले को अपने हाथ में लिया, आवंटन को अपने हाथ में लिया और लाखों करोड़ों रुपए का गैर व्यवहार किया, आपको क्या लगता है इसके बारे में ?

अन्ना - मेरे सामने कभी-कभी बहुत बड़ा सवाल बन जाता है कि ये देश कहां जाएगा। मतलब, औद्योगिक क्षेत्र के लोग पैसे के आधार पर चुनकर आते हैं और संसद में जाने के बाद ये जो गड़बड़ी करते हैं, वो आज दिखाई दिया न कोयला में। संसद में जाकर कैसे इन लोगों ने अपने पद का दुरुपयोग किया।

प्रश्न- एक मिलीभगत सामने आई ?

अन्ना- ये जो ख़तरे हैं देश के लिए और विशेष तौर पर आज जो दोहन हो रहा है प्रकृति का इसमें भी बहुत ख़तरा है।

प्रश्न- और कुछ इंड्रस्टीयलिस्ट ये कर रहे हैं ?

अन्ना- ये बहुत ख़तरा है क्योंकि दोहन करके किया हुआ विकास सही विकास नहीं है तो कभी न कभी विनाश होगा। इसीलिए महात्मा गांधी कहते थे प्रकृति ने हमें जो देन दी है उसी का उपयोग करो और व्यक्ति, परिवार, गांव स्वावलंबी कैसे बने इसके बारे में सोचो। आज भूगर्भ, भूकष्ट और जंगल का शोषण-दोहन चल रहा है।

प्रश्न- जो इंडस्ट्री से आए थे..?

अन्ना- सब लोगों को मैं दोष नहीं दूंगा। कई अच्छे लोग हैं लेकिन उनका चलता नहीं और दूसरी बात ये है कि राजनीति में हमारे राष्ट्र से पक्ष के लिए महत्व बढ़ गया और पक्ष से व्यक्ति का महत्व बढ़ गया और व्यक्ति का
महत्व ये लोकशाही के लिए बहुत बड़ा ख़तरा है। क्योंकि व्यक्ति का महत्व बढ़ेगा तो घरानाशाही, फिर घरानाशाही से उसका लड़का एमएलए, एमपी बनेगा, मंत्री बनेगा। ये जो घरानाशाही है वो लोकशाही के लिए बहुत बड़ा ख़तरा है।ये जनता को सोचना है कि ये घरानाशाही को खत्म करना है और जो अपने फायदे के लिए संसद में जाते हैं जनता को उन्हें रोकना है। जनता के हाथ में चाबी है, इस बारे में जनता को सोचना है।

प्रश्न- दूसरा फर्क मैं आपके सामने लाना चाहूंगा वो है टूजी घोटाला और कोयला घोटाला। इनमें फर्क ये है कि टूजी घोटाले में जो भी इन्वॉल्व थे, जो भी दोषी पाए गए या जिन पर आरोप हो गए उनमें से बहुत सारे जेल में गए। उनमें से कुछ ब्यूरोक्रेट भी थे लेकिन आज कोल घोटाले में जो हैं उनका जेल में जाने का नाम ही छोड़िए, उनके ऊपर कोई आंच भी नहीं आई है। क्या लगता है इसके बारे में आपको ?

अन्ना- इसके बारे में एक बात कहूंगा। सरकार चलाने वाले जो लोग हैं उनका सामाजिक, राष्ट्रीय दृष्टिकोण नहीं रहा। इस देश की आज़ादी के लिए लाखों लोगों ने कुर्बानियां दी, उनकी याद नहीं रही. दूसरी तरफ स्वार्थ बढ़ गया। सत्ता से पैसा, पैसे से सत्ता आज लखपति बन गया, करोड़पति बन गया, रुकता नहीं, अरबपति बन गया, रुकता नहीं। ये भूल गए कि एक दिन मरना है और खाली हाथ जाना है। ये जो बातें हो रही हैं पॉलिटिक्स में कि सब लोग बुरे हैं ऐसा मैं नहीं मानता। कई लोग अच्छे हैं लेकिन कई लोगों ने एक रैकेट बना दिया देश को लूटने के लिए।

प्रश्न- कुछ नाम लेना चाहेंगे आप जो इंडस्ट्री के लोग हैं।

अन्ना - नहीं, मेरे ऊपर 11 जगह कोर्ट में दावे हैं और मैं चक्कर काट रहा हूं। मेरी बदनामी और बेइज्जती की। अरे, बेइज्जती किया, ऐसा लगता है जिनको इज्जत होती है उनकी बेइज्जती होती है।

प्रश्न- मतलब, कोल घोटाले में ऐसे लोग इन्वॉल्व हैं जिनकी कोई इज्जत या कोई नाम नहीं है। आपको ऐसा नहीं लगता कि कोल घोटाले पर देश को फिर से फोकस करना चाहिए ?

अन्ना- बिल्कुल वो तो सीबीआई, इससे कुछ हासिल नहीं होगा।

प्रश्न- कैसे करेंगे फिर ?

अ्न्ना- इसकी न्यायिक जांच होनी चाहिए। सरकार ने अगर दिल में लाया तो न्यायालय से कमेटी बनाकर इसकी जांच हो सकती है और डीप में जाकर इनक्वायरी होगी तो टूजी में जितने लोग जेल में नहीं गए उससे ज़्यादा जेल में जाएंगे।

प्रश्न- अन्ना एक जनवरी अगले साल से आप पूरे देश का दौरा करने वाले हैं। क्या इस दौरे में आपके लिए कोल घोटाला सबसे अहम रहेगा क्योंकि इतना बड़ा 1 लाख 86 हज़ार करोड़ का घोटाला हुआ है। क्या अन्ना जैसा व्यक्ति जिसके आने से एक आंदोलन को गति मिलती है, दिशा मिलती है, ताकत मिलती है। क्या कोयला घोटाले के मामले को फिर से उठाएंगे ?

अन्ना- ज़रूर, क्यों नहीं उठाएंगे। देश के भूजल, भविष्य के लिए उठाना ही चाहिए जो इस देश को बर्बाद करने वाले आ रहे हैं। अंग्रेज़ों ने डेढ़ सौ साल में जितना नहीं लूटा, 65 साल में उससे ज़्यादा आप लोग लूट रहे हैं तो क्यों नहीं बोलना चाहिए। जब देश के बारे में प्रेम है, इसको उठाना ही चाहिए और मैंने तो लाइफ समाज और देश की भलाई केलिए अर्पण किया क्यों न बोलूं मैं ये बुराई के लिए बोलना मेरा फर्ज है।

प्रश्न- क्या आपको नहीं लगता कि कोयले में फंसे दलालों को सज़ा होनी चाहिए ?

अन्ना- बिलकुल होनी चाहिए लेकिन सज़ा तब होनी चाहिए उसकी जांच होने के बाद। उसमें जब ये दिखाई देगा, स्पष्ट तरीके से रिपोर्ट आ जाएगी कि ये दोषी है उनको तो सज़ा होनी ही चाहिए और सिर्फ ऐसी सज़ा नहीं,
कठोर सज़ा होनी चाहिए, जन्मठिप( आजीवन)।

प्रश्न- फांसी भी आप इसको...।

अन्ना- फांसी को मैं बोलता था। अब कई लोगों ने बोला फांसी मत बोलो लेकिन जन्मठीप ठीक है।

प्रश्न - कोयला घोटाले में जो इन्वॉल्व हैं, दोषी पाए जाने पर उन्हें जन्मठिप की सज़ा होनी चाहिए ?

अन्ना- अगर जन्मठिप की सज़ा हुई तब भी दिमाग ठिकाने पर आ जाएगा।

प्रश्न- आपको नहीं लगता कि इसमें जो राजनीतिज्ञ लोग इन्वॉल्व हैं, उनसे स्पष्टीकरण मांगे कि आप पर इतने आरोप लग रहे हैं। ऐसा होता हुआ दिख नहीं रहा है ?

अन्ना- वो बोल ही नहीं सकते ना, सरकार चलाना है ना तो सरकार चलाना है तो गुंडा है, लफंगा है, लुटेरा है, भ्रष्टाचारी है सबको लेके जाना पड़ता है। क्या वजह है, चुप रहने के लिए कुछ न कुछ तो वजह है और इतने
घोटाले बाहर आ गए जो-जो बैठे हैं इससे देश आगे बढ़ेगा ?

प्रश्न- कोल का इतना बड़ा घोटाला आया, सब चुप क्यों हैं ?

अन्ना- तो यही बात है वो नहीं बोल सकेंगे। न मनमोहन सिंह बोल सकेंगे, न सोनिया जी बोल सकेंगी और न राहुल गांधी जी बोल सकेंगे क्योंकि उनको सरकार चलानी है। आज बहुत सी सरकारें ऐसे लोगों के आधार पर ही तो चल रही है कि जिसके पीछे वोट का काफी बड़ा गट्ठा है।

प्रश्न- अन्ना जी आपने अपने जीवन में जो सबसे महत्वपूर्ण काम किया है वो राइट टू इन्फॉर्मेशन का किया है जिसके तहत बहुत सारे तथ्य दुनिया के सामने आ रहे हैं लेकिन हाल ही में प्राइम मिनिस्टर ने भी कहा है कि
इसका दुरुपयोग हो रहा है आप क्या कहेंगे इसके बारे में ?

अन्ना- ये दुरुपयोग हो रहा है ये बात कहना थोड़ा ठीक नहीं होगा। दुरुपयोग क्यों हो रहा है इसके बारे में क्यों नहीं सोचते। क़ानून बनने के बाद 7 साल बीत गए। सभी डिपार्टमेंट को अपनी वेबसाइट ओपन करनी चाहिए और सब जानकारी उसमें दे देनी चाहिए। ऐसा करने पर गलत होने का सवाल ही नहीं है। ये तो करते ही नहीं हैं। सिर्फ ऊपर-ऊपर से बोलते हैं, गलत हो रहा है, इसका नाजायज़ फायदा उठा रहे हैं। ये कलम नंबर चार का अमल क्यों नहीं करते। उसको नेट पर डालने के लिए बताओ सब डिपार्टमेंट को, तो कोई भी उसमें गलत करने का गुजाइश नहीं है।

प्रश्न - सोनिया जी ने आरटीआई को सबसे बड़ी उपलब्धि बताया, लेकिन जो आरटीआई एक्टिविस्ट हैं उनकी जान आज जोखिम में है उनको बचाने के लिए सरकार कुछ नहीं कर रही है। क्या लगता है आपको ?

अन्ना- इसीलिए तो हम पीछे पड़े थे। व्हिसिल ब्लोअर एक तो जनता में कोई ढाढस नहीं करता है अभी तक हमारे देश में कई लोगों ने अपनी जान गंवाई है और हम सरकार को बोल रहे हैं कि इनको प्रोटेक्शन दे दो। सरकार नहीं दे रही है। नाजायज़ लोगों के पीछे तो जवान घूम रहे हैं, ज़रूरत न होते हुए भी और जिनको ज़रूरत है उनको नहीं दे रहे हैं तो इस देश से करप्शन कैसे मिटेगा। करप्शन मिटाने के लिए जो लोग खड़े हैं उनको आप सपोर्ट नहीं करते, उनको प्रोटेक्शन नहीं देते तो करप्शन कैसे मिटेगा तो इसके लिए जनशक्ति का दबाव निर्माण करना पड़ेगा।

प्रश्न- पिछले कुछ दिनों से आप आंख के ऑपरेशन की वजह से टीवी नहीं देख रहे थे। अखबार नहीं पढ़ रहे थे इसलिए आपको जानकारी के लिए बताता हूं, एक आरटीआई एक्टिविस्ट थे रमेश अग्रवाल, जिनके पीछे `ज़ी न्यूज़` डट कर खड़ा रहा क्योंकि वो कोयला घोटाले में जो नवीन जिंदल इन्वॉल्व थे, उनके बारे में बहुत सारे तथ्य दुनिया के सामने लाए थे, आज उनकी जान ख़तरे में है। आपको क्या लगता है इसके बारे में, इसके बारे में क्या कहना चाहिए ?

अन्ना- इनकी जान अगर ख़तरे में हैं तो उनको सपोर्ट करने के लिए हम भी अपनी जान की बाज़ी लगाएंगे अगर कोई ऐसी सच बातों के लिए आगे आता है और उसकी जान अगर खतरे में आती है तो ऐसे लोगों के सपोर्ट के लिए हम भी अपनी जांन गंवाने को तैयार हैं। करेंगे हम सिर्फ हमें पता होना चाहिए कि कैसे-कैसे क्या हो रहा है। देश में घूमकर लोगों के
सामने रखेंगे हम।

प्रश्न- तो आप हिंदुस्तान को आश्वस्त कर रहे हैं, इस इंटरव्यू के ज़रिए कि आप फिर से कोयला घोटाले को अपना अहम मुद्दा मानेंगे। इसमें आरटीआई एक्टिविस्ट जो भी इन्वॉल्व है, जिनकी आज जान खतरे में हैं आप उनके साथ हैं और जो भी इस घोटाले में दोषी पाए जाएंगे इसके लिए आप सख्त से सख्त उम्र क़ैद की सज़ा की मांग करते हैं ?

अन्ना- नहीं, इसको तो हम जनता पर छोड़ देंगे। जब सभा में जनता से पूछेंगे कि आपको क्या लगता है भाई, ये कोयला घोटाले में सज़ा होना चाहिए कि नहीं तो ये भी सरकार को देखना चाहिए। दिल्ली में बैठकर कितने लोग हाथ ऊपर किए हैं उसका भी असर हो जाएगा. वो भी काम करना हैं लेकिन आपका जनलोकपाल, राइट टू रिजेक्ट,ये काम भी बहुत ज़रूरी है ये सब को लेकर हमें आगे बढ़ना हैं इस बात को सोचते हैं हम।

प्रश्न- अन्ना जी बहुत दिनों के बाद आपने मीडिया से इतना खुल के बात की और ज़ी न्यूज़ के बहुत सारे सवालों का जवाब दिया इसके लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद और आप कोयला घोटाले के मामले में जो भी आपका आंदोलन रहेगा, उसके लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद देते हैं और आपसे विदाई लेते हैं।

First Published: Tuesday, October 23, 2012, 20:50

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