Last Updated: Monday, October 24, 2011, 10:45
बिमल कुमार पर्वों के पुंज यानी दीपावली की शुरुआत धनतेरस से होती है। पंचांग के अनुसार हर साल कार्तिक कृष्ण की त्रयोदशी के दिन धन्वंतरि त्रयोदशी मनाई जाती है। जिसे धनतेरस भी कहा जाता है। यह मूलतः धन्वंतरि जयंती का पर्व है और आयुर्वेद के जनक धन्वंतरि के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है।
धन के देवता कुबेर को प्रसन्न करने का यह सबसे अच्छा अवसर होता है। इस दिन भगवान कुबेर और लक्ष्मी की पूजा का भी विशेष विधान है। देश में सर्वाधिक धूमधाम से मनाए जाने वाले दीपावली का प्रारंभ धनतेरस से ही हो जाता है जो पांच दिनों तक चलता है।
दीपावली के दो दिन पहले मनाया जाने वाला धनतेरस पर्व आस्था से जुड़ा है और भगवान विष्णु के अवतार और देवताओं के वैद्य धन्वंतरी से लोग बेहतर स्वास्थ्य की कामना करते हैं। धनतेरस को धनत्रयोदशी भी कहा जाता है। धनतेरस को यमदीप भी कहा जाता है। देवताओं और असुरों ने जब अमृत के लिए सागर मंथन किया तो वैद्य धन्वंतरी ही सागर से अमृत कलश ले कर निकले थे। इसीलिए धनतेरस को धन्वंतरी जयंती भी कहा जाता है।
धन शब्द का संबंध संपत्ति से होता है। आम तौर पर 13 की संख्या को लोग शुभ नहीं मानते, लेकिन धनतेरस के दिन लोग घरों में पूजा करने के बाद 13 दिए जलाते हैं। धन संपदा की प्रतीक देवी लक्ष्मी को नैवैद्य चढ़ाया जाता है और धन्वंतरी से अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद मांगते हैं। इस दिन लोग सोना, चांदी या बर्तन जरूर खरीदते हैं। धारणा है कि नया ‘धन’ या बहुमूल्य धातु शगुन और भाग्य का प्रतीक होती है।
व्यापारियों के लिए भी धनतेरस का खास महत्व होता है और इस दिन की तैयारी वह कई दिन पहले से करते हैं। धनतेरस के दिन धातु खरीदना शुभ माना जाता है। इसीलिए लोग इस दिन सोना, चांदी या बर्तन खरीदते हैं। नए बर्तन में पकवान रखकर भगवान धन्वंतरि को अर्पित करते हैं और बेहतर स्वास्थ्य रूपी धन की कामना करते हैं। धनतेरस के दिन कारोबार कई गुना बढ़ जाता है। इस विशेष दिन ज्यादातर मांग चांदी के सिक्कों की होती है। सिक्के अधिक महंगे भी नहीं होते और धनतेरस पर धातु की खरीद का शगुन भी हो जाता है। लोग अपनी हैसियत के अनुसार सोने के सिक्के, गहने या फिर चांदी के लक्ष्मी-गणेश जरूर खरीदते हैं और इसी लक्ष्मी-गणेश की दीपावली के दिन पूजा की जाती है।
धनतेरस के दिन सुबह पूरे घर की सफाई करने के बाद रंगोली सजाने का भी रिवाज है। गांवों में पशुओं को भी इस दिन खूब सजाया जाता है क्योंकि किसान इन पशुओं को अपनी आय का स्रोत मानते हैं। दक्षिण भारत में धनतेरस के दिन गायों की विशेष पूजा की जाती है क्योंकि उन्हें लक्ष्मी का अवतार माना जाता है।
First Published: Monday, October 24, 2011, 22:22