`भ्रष्टाचार और दलाली पर लगाएंगे पूरी तरह रोक`

`भ्रष्टाचार और दलाली पर लगाएंगे पूरी तरह रोक`

`भ्रष्टाचार और दलाली पर लगाएंगे पूरी तरह रोक`उत्तर प्रदेश सरकार का गठन हुए करीब ढाई महीने बीत चुके हैं और इन ढाई महीनों में उत्तर प्रदेश सरकार के कामकाज और पिछली सरकार के कारनामों के बारे में ज़ी न्यूज़ उत्तर प्रदेश के संपादक वासिन्द्र मिश्र ने अपने खास कार्यक्रम "सियासत की बात में" समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और यूपी सरकार के वरिष्ठ मंत्री शिवपाल सिंह यादव से की खास बातचीत। पेश है बातचीत के प्रमुख अंश-

सवाल-शिवपाल सिंह जी, सबसे पहले आपसे जानना चाहते हैं कि आपके पास मौजूद विभागों में से, वैसे तो अभी काफी कम वक्त हुआ है। किसीके कामकाज के बारे में समीक्षा करने में लेकिन पब्लिक में जो मैसेज जा रहा है और जिस तरह से देखने को मिल रहा है कि अगर कोई एक्शन दिखाई दे रहा है तो आपसे जुड़े विभागों में ही दिखाई दे रहा है, तो आपने आखिर किस तरह से इन दो-ढाई महीने में अपने विभागों की समीक्षा की और इन दो ढाई महीने के वक्त में पिछली सरकार के कामकाज के बारे में आपका क्या आकलन रहा है ?

जवाब--देखिए हमारे पास जो विभाग हैं वो काफी महत्वपूर्ण हैं और सीधे जनता से जुड़े हुए हैं और खासकर किसानों से जुड़े हैं क्योंकि एक तो सिंचाई विभाग है किसानों से जुड़ा हुआ है। प्रदेश में इस वक्त सिंचाई और पानी की बहुत जरूरत है। और बहुत से ऐसी योजनाएं चल रही थी और मैंने अभी तक देखा है जो योजनाएं बहुत पहले पूरी हो जानी चाहिए थी, जैसे शारदा सहायक योजना, सरयू योजना और बाण सागर परियोजना। ये उत्तर प्रदेश के लिए बहुत महत्वपूर्ण परियोजनाएं थी। इनमें करीब 20 से 25 साल लग चुके हैं और ये योजनाएं अभी तक पूरी नहीं हुई हैं सरयू योजना से पूर्वांचल के 14 जिले जुड़े हुए हैं।

इसी तरह से शारदा सहायक योजना से पूरा पूर्वांचल ही जुड़ा हुआ है। हमने मौके पर जाकर देखा। बहुत ज्यादा बजट भी खर्च हो चुका है। कुछ दिन पहले हम बाण सागर परियोजना के निरीक्षण के लिए गए थे। इस परियोजना में अब तक 1700 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। 21 साल बीत चुके हैं। इस योजना से इलाहाबाद और मिर्जापुर को पानी मिलना था। 1700 करोड़ रुपए खर्च होने के बाद भी अभी तक एक बूंद पानी भी नहीं मिला है। पानी की कोई कमी नहीं है लेकिन योजना पूरी ना होने से यूपी का पानी एमपी इस्तेमाल कर रहा है। केवल लापरवाही और भ्रष्टाचार की वजह से सिर्फ पिछले 5 सालों में ही बाणसागर परियोजना में करीब 12 सौ करोड़ रुपया खर्च हुआ है और ये योजना अभी तक अधूरी पड़ी है। मैंने तो मौके पर जाकर देखा है और वहां पर हमने कई इंजीनियर्स को सस्पेंड भी किया है और अब हमने तय किया है कि हम 600 करोड़ रुपए और लगाकर बाणसागर परियोजना को एक साल में पूरा करेंगे।

अगर पिछली सरकार की तरह से काम चलता रहता तो ये परियोजना कभी भी पूरी नहीं हो सकती थी और अब हमने तय किया है कि एक साल के अंदर हम इलाहाबाद और मिर्जापुर को पानी दे देंगे और कुछ ऐसा ही हाल सरयू परियोजना का भी है जिस परियोजना से 1400 हेक्टेयर जमीन की सिंचाई होनी थी उससे केवल 150 हेक्टेएर जमीन की सिंचाई हो रही है। तो इस तरह की जितनी अधूरी योजनाएं है। हमें उन सबको पूरा करना है और जिस सिंचाई विभाग में पिछले 5 सालों में एक बार भी नहरों की सफाई नहीं हुई है। अब हमने आदेश दिया है कि इसी साल मई औऱ जून के महीने में नहरों की सिल्ट की सफाई होगी और अक्टूबर में फिर से एक बार नहरों की सफाई होगी। पिछली सरकार में बिना नहरों की सफाई के पैसों का भुगतान कर दिया गया था। इसी तरह से पूरे प्रदेश में सिंचाई विभाग का बुरा हाल था। इसी तरह से मैने देखा है कि यमुना नदी की भी पिछले 25 सालों में सिल्ट की सफाई नहीं हुई है। जिसकी क्षमता एक हफ्ते के लिए जरूरी पानी रखने की थी। आज उसमे केवल 2 घंटे के लिए ही पानी रह सकता है। अब इससे दिल्ली को भी पानी देना है। आगरा और मथुरा को भी पानी देना है और नदी की क्षमता बची है केवल 2 घंटे। इसीलिए अब हमने यमुना नदीं की भी सफाई के आदेश दिए हैं। अब यमुना नदी में भी सिल्ट की सफाई शुरू हो गई है और अब ये सारे काम बहुत तेजी के साथ कराने है। केवल 15-20 दिन ही हमारे पास हैं। 15-20 दिनों के अंदर नहरों की सिल्ट सफाई, यमुना की सिल्ट की सफाई करवानी है।

इसके साथ ही साथ बाढ़ से बचने के लिए प्रदेश के अलग अलग हिस्सों में बने बांधों का भी मैंने दौरा किया है। मैने गोंडा और बहराइच में बने बांधों का दौरा किया फिर उसके बाद हम बलरामपुर, कुशीनगर, बलिया, गोरखपुर, जिलों में बने बांधों का भी निरीक्षण कर आए हैं। अभी तक तो आप देख रहे थे कि बांध बनते थे और बरसात आते ही बह जाते थे लेकिन अब मैने प्रयास शुरु कर दिए हैं। हमने परियोजना बनाई है कि अब हम पक्क बांध बनाएंगे और नहरों की जो जमीन खाली पड़ी हुई है उनमें हम पेड़ भी लगाएंगे। जिससे पर्यावरण भी अच्छा हो इस तरह से सिंचाई विभाग में बहुत तेजी से काम शुरु हो गया है। जो अधिकारी लापरवाही करते हैं उनको दंडित किया गया है साथ ही जो अधिकारी अच्छा काम कर रहे हैं उनको प्रोत्साहन के तौर पर पदोन्नत भी किया गया है।

सवाल-PWD मिनिस्टर के तौर पर इस बार आपकी क्या योजनाएं हैं जो पिछले 5 सालों में यूपी की सड़कों की बदहाल हालत है और प्रदेश में PWD का हजारों करोड़ रुपया खर्च हो चुका है और जो आंकड़े देखने को मिले हैं उससे पिछले 5 सालों में कुछ नमूने तो ऐसे देखने को मिले हैं कि जिस दिन उद्घाटन हुआ, उसी दिन वो पुल जमींदोज़ हो गया, तो अब आप क्या करने जा रहे हैं इस PWD विभाग में ?

जवाब-उत्तर प्रदेश में जबसे मैंने PWD विभाग की जिम्मेदारी संभाली है तब से ही देख रहा हूं कि सड़कों की हालत ठीक नहीं है। जिस तरफ जाइए उधर गड्ढे ही गड्ढे देखने को मिल रहे हैं तो मैंने सबसे पहला आदेश ये दिया है कि उत्तर प्रदेश की सभी सड़कों पर 30 जून तक कहीं भी गड्ढे नहीं मिलने चाहिए और सभी सड़कों पर तेजी के साथ मरम्मत और पैच वर्क का काम शुरु हो चुका है और जहां पर भी हमारे इंजीनियर्स या अधिकारी लापरवाही करेंगे तो उनको दंडित करना भी शुरू कर दिया है साथ ही साथ अच्छे काम के लिए प्रोत्साहन भी दिया जाएगा। प्रदेश का आम बजट जैसे ही पास होगा, वैसे ही चाहे जिला मार्ग हो, चाहे राजमार्ग हो या फिर नेशनल हाईवे, तेजी के साथ सभी मार्गों का चौड़ीकरण, उच्चीकरण और वो भी क्वालिटी के साथ किया जाएगा। पिछली सरकार के समय में इन कामों के लिए दोगुने, चौगुने और कहीं-कहीं तो ऐसा भी हुआ था कि सड़क बनी नहीं भुगतान हो गया। PWD की सड़कों के जहां मैंने एस्टीमेट चेक किए हैं तो ऐसा लगता है कि उसमे 150 से 200 परसेंट तक कमीशन खाया गया है। जिस तरह से सरकारी बजट को लूटा गया है तो ऐसे लोगों की पहचान की जाएगी और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।

मैंने ये भी पता लगाया है कि उत्तर प्रदेश में कई जेलें, कई अस्पताल, कई कॉलेज ऐसे बनाए गए हैं जिनकी गुणवत्ता में बहुत कमी है और निश्चित तौर पर हम उनकी जांच कराकर उन इंजीनियर्स और अधिकारियों को दंडित करेंगे और किसी भी हालत में गुणवत्ता के साथ समझौता नहीं करेंगे।

सवाल- एक जो जानकारी निकल कर सामने आ रही है कि जबसे नई सरकार बनी है, पिछली सरकार में 2-3 तरह के मानदंड अपनाए गए थे। भ्रष्टाचार को बढा़वा देने के लिए जैसे कि आपने कहा कि एस्टीमेट बार-बार बढ़ाए जाते थे। बार-बार सरकारी खजाने से पैसा निकालकर उसका बंदरबांट किया जाता रहा। जो अभी तक तथ्य उजागर हुए हैं। उस जमाने में जो PWD के सबसे बड़े इंजीनियर थे य़ा यू कहें कि PWD के कर्ताधर्ता थे, जो अब बहुजन समाज पार्टी के विधायक भी हैं और एक दूसरे व्यक्ति भी हैं। उन दोनों ने मिलकर PWD के पैसों में बड़े पैमाने पर बंदरबांट की थी और उस समय के मंत्री जी भी इस बंदरबांट में शामिल थे, तो क्या अभी तक इस तरह के जितने घोटाले उजागर हुए हैं, PWD से जुड़े हुए या फिर पिछली सरकार के और विभागों के घोटालों से जुड़े हुए मामलों की बात करें चाहे वो माइनिंग हो या कोऑपरेटिव हो, तो क्या इन सभी घोटालों की जांच किसी उच्चस्तरीय एजेंसी से कराने की बात ये सरकार सोच रही है?

जवाब- देखिए बड़े-बड़े घोटाले हैं, चाहे PWD हो, सड़कें हों, चाहे सिंचाई विभाग की परिकल्प नगर कॉलोनी हो क्योंकि परिकल्प भवन अभी भी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में नहीं था और वहां पर एक सिंचाई विभाग का रिसर्च सेंटर भी था। इंजीनियर्स के लिए कॉलोनियां भी थीं लेकिन जानबूझकर उसका ध्वस्तीकरण कराया गया और ऐसा ही जेल के साथ भी किय़ा गया। लखनऊ में ऐतिहासिक जेल थी उसका भी ध्वस्तीकरण कराया गया, यहां तक कि जो भी मलबा था, उसका भी आज तक पता नहीं चला। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कितना मलबा निकला होगा यहां तक कि कॉलोनियों में जो सामान भी था, जैसे रिसर्च सेंटर में कई उपकरण एवं कई ऐसी वस्तुएं भी थी जिनका आज तक पता नहीं चला। बहुत सी इमारतें, कई बाउंड्री व़ॉल बनाई गईं और बनाकर कई बार तोडी गईं और इस तरह से बहुत बड़े पैमाने पर सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया। ये जनता का पैसा था और इसमें बड़े पैमाने में भ्रष्टाचार किया गया और इस भ्रष्टाचार में पूर्व मुख्यमंत्री शामिल हैं। पूर्व मंत्री शामिल हैं और बड़े-बड़े अधिकारी भी शामिल हैं। इसीलिए इसमें जांच में कुछ समय लग रहा है लेकिन जैसे ही जांच के नतीजे सामने आएंगे। निश्चित रूप से चाहे पूर्व मुख्यमंत्री हों, चाहे पूर्व मंत्री हों चाहे बड़े अधिकारी हों, कड़ी कार्रवाई होगी।

आपने देखा है कि पूर्व मुख्यमंत्री का जो निवास है 13 नंबर। उसमें 86 करोड़ रुपया लगा है। इसी तरह से 2-3 मकान और भी हैं जो पूर्व मंत्रियों ने अपने नाम 99-99 साल के लिए करा लिए हैं और इन मकानों में भी करीब 25 करोड़ रुपया लगा है। बहुजन समाज पार्टी का जो कार्यालय बनाया गया है उसमें भी 22 करोड़ रुपया लगा है। ये सारा पैसा विकास के लिए था। यूपी की जनता का पैसा था और अब यूपी की जनता इसका हिसाब मांग रही है। बड़े पैमाने पर हुए घोटालों का निश्चित पर्दाफाश होगा और जो दोषी होंगे उनके सजा भुगतनी होगी।

सवाल- पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान आम जनता के डेमोक्रेटिक राइट्स को भी कुचलने की कोशिश हुई थी और खास तौर पर आप पूरे 5 साल तक जनता की आवाज उठाने की कोशिश करते रहे थे और आपको भी इजाजत नहीं दी जाती थी जिससे कि आप जनता की आवाज को लोकतांत्रिक तरीके से उठा सके। अब आपकी सरकार आ गई है तो जनता चाहती है जनता को उम्मीद है कि उसकी गाढ़ी कमाई का हिसाब-किताब मिलना चाहिए लेकिन जिस प्रभावी ढंग से आप अपने विभागों में जुड़े घोटालो की जांच कराकर प्रभावी कार्रवाई की बात कर रहे हैं। उस प्रभावी ढंग से और विभागों में कार्रवाई क्यों नहीं नजर आ रही है। लोकायु्क्त की कई रिपोर्टे भी शासन स्तर पर लंबित पड़ी हैं पिछले 2 महीने से। कई बार रिमांइडर भेजने के बाद भी उन रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नजर नहीं आ रही है। आखिर इसका क्या कारण हैं?

जवाब-देखिए पिछली सरकार के कारनामे तो ठीक थे ही नहीं, और लोकतंत्र को लोग तो मानते नहीं थे। तानाशाही और डिक्टेटरशिप थी। देखिए लोकतंत्र में एक ओर सत्ता पक्ष है तो दूसरी ओर विपक्ष भी है। उनकी आलोचना के लिए। अपनी आवाज उठाने के लिए। जनता की आवाज सरकार तक पहुंचाने के लिए। हमने कई बार प्रयास किए थे। आपने देखा होगा कि कई बार विधानसभा भी नहीं चलने दी जाती थी। 2-4 दिन विधानसभा चलने दी। अपना सरकारी काम निपटाया। जनता की कोई आवाज नहीं सुनी जाती थी। इसके साथ ही जो कोई भी लखनऊ में अपनी आवाज सुनाने आया फिर चाहे तो छात्र हो या किसान हो। चाहे व्यापारी हो या कर्मचारी हो। पूर्व मुख्यमंत्री और पू्र्व मंत्रियों ने यहां तक कि कुछ अफसरों ने भी अगर आप ज्ञापन देने भी आए तो ज्ञापन भी नही लिया। उस समय बिना लाठी खाए कोई भी लखनऊ से वापस नहीं जाता था और जिलों में भी सभी ने देखा था कि जिसने भी सरकार के खिलाफ आवाज उठाई उसकी आवाज को दबा दिया गया।

समाजवादी पार्टी के लोगों पर झूठे केस दर्ज किए गए। लोकतंत्र में तो अधिकार है धरना का और प्रदर्शन का। अगर हमने कहीं धरना, प्रदर्शन किया और यहां तक की समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं ने लाठी और गोलियां भी खाईं। हमने खुद 3 बार लाठियां खाईं। अखिलेश यादव से भी उस वक्त एयरपोर्ट पर बदतमीजी हुई थी। कुछ अधिकारियों ने उन्हें घसीटा था और घसीटकर गाड़ी में ठूंस दिया था। हम विपक्ष के नेता थे, कैबिनेट मिनिस्टर का दर्जा प्राप्त था, उसके बावजूद जैसे में जेल से बाहर निकला, उसके बाद भी पुलिस ने किस तरह से लाठी चलाई थी। समाजवादी पार्टी ने 5 साल मुकाबला किया, इसलिए आज हम सत्ता में हैं।

सवाल- मेरा सवाल अभी भी वही है कि जनता मु्ख्यमंत्री से उन कार्यवाहियों का इंतज़ार कर रही है, जिस पर उसे उम्मीद थी कि समाजवादी पार्टी की जब सरकार बनेगी, तो उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी, जिन्होंने महंगे दरों पर बिजली खरीदी, जिन्होंने सड़क के नाम पर सरकारी खजाने से पैसा निकाला, लेकिन सड़क नहीं बनी। कानून-व्यवस्था के बनाए रखने के बहाने जन प्रतिनिधियों को जेल में भेज दिया गया। अब आपकी सरकार है और सभी को पता है कि आप जो कहेंगे वही होगा। आप जो चाहते हैं, वही होता है। आप अपने विभागों में तो कार्रवाई करते दिख रहे हैं, लेकिन बाकी विभागों में कार्रवाई करने में इतनी नरमी क्यों दिखाई दे रही है?

जवाब- अभी कोई ज्यादा लंबा समय नहीं हुआ है, केवल ढाई महीने हुए हैं और आपको पता है कि पीडब्ल्यूडी का पैसा, सिंचाई विभाग का पैसा, किसानों से संबंधित पैसा स्मारक, पत्थर, हाथी,मूर्तियों और महापुरुषों के नाम पर, वैसे तो हम महापुरुषों का सम्मान करते हैं, बहा दिया गया। महापुरुषों का सम्मान होना चाहिए। लेकिन महापुरुषों के नाम पर लूट नहीं होनी चाहिए, भ्रष्टाचार नहीं चाहिए और पिछली सरकार ने महापुरुषों के नाम पर लूट की है और भ्रष्टाचार किया है। हमारे मुख्यमंत्री ने कहा है कि हमारी सरकार पूरी तरह से पारदर्शिता से चलेगी और कमीशनखोरी, बेईमानी और भ्रष्टाचार पर पूरी तरह से रोक लगाएगी। प्रदेश में बिजली की समस्या है, पिछली सरकार ने बैंकों से बिजली की समस्या के लिए 18 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया था, वो अभी बकाया है। 7,200 करोड़ रुपया जो पिछली सरकार ने महंगी दरों पर बिजली खरीदी थी, उसका भी भुगतान हमारी सरकार को करना है। इससे पहले की सरकार में मेरे पास बिजली विभाग था। कई परियोजनाओं के लिए MoU साइन हुए थे। लक्ष्य था कि 2009-10 में 13 हजार मेगावाट बिजली उत्तर प्रदेश में पैदा होगा। आज डिमांड है 11 हजार मेगावाट की, अगर 15 हजार मेगावाट बिजली पैदा कर रहे होते, तो आज हम 24 घंटे बिजली दे सकते थे। महंगी बिजली भी नहीं खरीदनी पड़ती, लेकिन माया सरकार ने जितनी भी परियोजनाओं के लिए MoU किय़ा, उसमें 5 साल में 1 मेगावाट बिजली भी पैदा नहीं हुआ। जो भी निवेश करने आते, उनसे पहले ही पैसा ले लिया जाता था। लेकिन इस तरह का माहौल बना दिया जाता था पूरे प्रदेश में, जिससे कोई इन्वेस्टमेंट करने नहीं आता था। लेकिन अब हमें इनवेस्टमेंट के लिए माहौल बनाना है, ताकि इनवेस्टमेंट शुरु हो। अब लोग आना शुरु हो गए हैं। हम लॉ एंड ऑर्डर को दुरुस्त रखेंगे। कमीशनखोरी, भ्रष्टाचार और दलाली को पूरी तरह से खत्म करेंगे। तेज़ी के साथ हमारी सरकार काम करेगी। जैसे ही बजट पास होगा और बजट सत्र से फ्री होंगे।

वैसे ही हमारी पूरी सरकार और सभी मंत्री तेज़ी से काम करेंगे। ऐसा निर्देश हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष ने हमारे मुख्यमंत्री जी को दिया है। हमारी सरकार पूरी पारदर्शिता के साथ, बिना किसी के साथ भेदभाव किए, लोकतांत्रिक तरीके से विकास को महत्त्व देंगे। क्योंकि पिछली सरकार ने तो विपक्ष की एक नहीं सुनी। हम लोकतांत्रिक तरीके से विधानसभा सत्र भी चलाएंगे। विपक्ष और जनता की सही बातों को सुनकर बिना किसी भेदभाव के उत्तर प्रदेश को विकास के पथ पर लाएंगे।

सवाल- शिवपालजी के बारे में उत्तर प्रदेश की जनता को अच्छी तरह से पता है कि नेती जी भले ही पूरे देश का दौरा करते थे और पार्टी के लिए उत्तर प्रदेश के बाकी हिस्सों का दौरा करते थे, लेकिन जितना यूपी के लोगों को पता है, यूपी के पत्रकारों को पता है कि अगर नेता जी पूरे देश के नेता हैं, तो इसके पीछे शिवपाल जी का भी बहुत बड़ा योगदान रहा है और हम लोग जानते हैं कि किस तरह से शिवपाल जी ने उत्तर प्रदेश के एक-एक जिले में पार्टी को खड़ा किया और एक-एक कार्यकर्ता को वो नाम से जानते हैं, चेहरे से जानते हैं। उम्मीद है कि जिस तरह से आपने चुनावों में वादा किया है, वो वादा आप पूरा करेंगे। जनता आप से निराश नहीं होगी।
हमसे बात करने के लिए धन्यवाद

First Published: Tuesday, June 5, 2012, 17:51

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