महानता का पैमाना महाशतक तो नहीं.. - Zee News हिंदी

महानता का पैमाना महाशतक तो नहीं..

इन्द्रमोहन कुमार

 

महानता का क्या पैमाना है, इसे हर कोई अपने नजरिए से देखता है। पेशेवर जीवन में जो भी उप्लब्धियां हासिल की जाती है और अपने सामाजिक जीवन में इंसान जो कुछ प्रभाव छोड़ता, उससे कुछ हद तक महानता की सीमाएं तय हो जाती हैं। सचिन रमेश तेंदुलकर अपने महाशतक बनाने से पहले ही महानता की उपाधि पा चुके थे। उसके बाद वो जो भी करेंगे वह उत्पाद की भाषा में ‘वैल्यू एडिशन’ कहा जाएगा।

 

जब इंसान अपने आप में पूर्णता की सीमा के पार चला जाता हैं तो वह केवल तैरता रहता है। उसके लिए सीमाएं अनंत हो जाती है। सचिन तेंदुलकर कुछ हद तक वहीं खड़े हैं। उन्होंने क्रिकेट का वह मुकाम हासिल कर लिया है जहां हर क्रिकेटर का सपना होता है। अपने खेल पर नियंत्रण और अपनी शैली में धैर्य बनाए रखना उन्हें लोकप्रिय क्रिकेटर के साथ-साथ सर्वसम्मत व्यक्ति बनाता है। पिछले दिनों राहुल द्रविड़ ने खेल से रिटायरमेंट लेकर बहुतों को चुप कर दिया था। ऐसा लगा जैसे सबकुछ अचानक शांत हो गया। वो भी अपनी जगह उस वैभव को पा लिए थे जिसे आज साबित करना कठिन है।  

 

कहते हैं किसी की सफलता उसके द्वारा किए गए कर्म की नींव पर आधारित होती है पर खुद पर गौरवान्वित होना सिर्फ आत्मभाव में झांकने से आती है। जब कोई इस स्तर तक आ जाता है तब जीवन के हर क्षेत्र में सफलता का शिखर छोटा लगने लगता है। यह भी कहा जाता है- समय क्या होता है, इंसान उसे भी देखने लगता है। उसके पार कुछ रह नहीं जाता। ठीक उसी तरह सचिन का व्यक्तित्व उस अनंत सागर की तरह है जिसमें लंबाई तो है ही, गहराई भी है जिसे आसानी से नापा नहीं जा सकता।

 

आने वाले समय में क्रिकेट के मिसाल अब ब्रेडमैन और रिचर्डसन की नहीं, सचिन तेंदुलकर की भी संज्ञा दी जाएगी। अपने लाजवाब खेल से नाटे कद के सचिन ने खेल के आसमां में ‘पोल स्टार’ साबित हुए हैं, जिसे देखकर सब अपनी दिशा तय करते हैं।

 

महान बनने से पहले इंसान कमजोर भी होता है जहां से उसे सिर्फ आगे ही बढ़ना होता है। सचिन ने अपने दो दशक के करियर में प्रदर्शन को हमेशा तरजीह दी। समय की परतें खिलाड़ी को कमजोर करने के साथ महान भी बनाती हैं। महान भी इसलिए बनते हैं क्योंकि जहां सब ठहर कर थक जाते हैं वहां वो उपलब्धियां बनाते हैं। इस कारण भी सचिन अपने समकक्ष और पूर्व के क्रिकेटरों में श्रेष्ठ माने जाते हैं। सही मायनों में स्वयं को समीक्षक मानते हुए आलोचनाओं और खराब दौर से उबारते हुए मैदान में खुद और देश का नाम ऊंचा करते हैं। अपने खेल में त्रुटियों के अधीन न आकर वो  इसके साए को भी दूर रखा।

 

जब कभी भी जवाब देने की बारी आयी हमेशा मौन रहकर ही आगे बढ़े। अपने पेशे के प्रति समर्पण से उन्होंने हर आलोचना का उत्तर दिया। सचिन ने जब से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम कमाया, अपनी सफलता को किसी के सिर चढ़ने नहीं दिया और असफलता को कभी मन में उतरने भी नहीं दिया। सचिन के 100वें शतक लगाने पर लताजी कहती हैं कि सचिन की तारीफ क्या करूं वे तो स्वयं तारीफ हैं। कभी देश उन्हें प्रदर्शन के लिए सराहता रहा तो कभी  उसी के कारण आंसू रोए!

 

खुद सचिन ने भी माना है कि वे उम्मीद और मायूसी के बीच असमंजस में रहे और अब महाशतक लगाकर तनावमुक्त हुए हैं। यही नहीं उनका मानना है कि यह संभवत: उनके जीवन का सबसे कठिन दौर था। लेकिन इसके बाद उनका यह कहना कई लोगों को अटपटा लग सकता है कि इस दबाव से उबरने के बाद अब वे एक नया अध्याय शुरू कर सकते हैं। अपने संन्यास के बारे में भी वो खामोशा से कहते हैं कि छिपाऊंगा नहीं, सबको बताकर लूंगा आराम। उनके  प्रशंसकों को इस बात का अफसोस कम नहीं होगा कि सौवें शतक के मुकाम पर वे बांग्लादेश के खिलाफ मैच में पहुंचे जो एक कमजोर टीम है। बड़ी टीमों के खिलाड़ी मनोवैज्ञानिक दबाव में नहीं रहते बल्कि शतकवीर कहे जाने वाले सचिन जैसे महान खिलाड़ी को एक शतक के लिए तनावग्रस्त होना पड़ा। ऐसा लगा जैसा बहुत बड़ा भार उतर गया, यह हजम नहीं हुआ।

 

यह भी सही है कि सचिन को क्रिकेट से रिटायर होने की तय सीमा उन्हें ही करने का अधिकार है। उनके जैसी हैसियत वाले खिलाड़ी को यह बताने का साहस चयनकर्ता या कप्तान भी नहीं दिखा सकते। फिर भी क्रिकेट के युवा और सीनियर में तो फर्क होता ही है। लेकिन यहां भी कहना गलत न होगा कि सचिन उंचाई में जितना छोटा दिखते हैं वो क्रिकेट में उससे भी ज्यादा नीचे तक समाए हुए हैं।

 

वो यहीं तक सीमित नहीं हैं, मुंबई के एक एनजीओ ‘अपनालय’ के जरिए वह 200 गरीब बच्चों का खर्च उठाते हैं। साथ हीं कैंसर के खिलाफ चल रहे एक अभियान में भी वह पूरी शिद्दत से काम कर रहे हैं। इस काम के लिए उन्होंने ट्विटर के जरिए 1.025 करोड़ रुपए भी जुटाए थे। कई ब्रांड के चेहरा रहे सचिन के लिए आज भी कोई अछूता नहीं है, फिर भी वो संकट से लेकर शिखर तक शांत रहकर अपने खेल से सबका जवाब दिया।

First Published: Tuesday, March 20, 2012, 16:25

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