Last Updated: Monday, September 5, 2011, 10:15
प्रवीण कुमारअन्ना के आंदोलन से एक ओर जहां भाजपा को मज़बूत होने का मौका मिला, वहीं कर्नाटक के विवादास्पद रेड्डी बंधुओं ने पार्टी को मुश्किल में फंसा दिया है. सोमवार 5 अगस्त को सुबह होते ही सीबीआई की टीम बेल्लारी में अवैध खनन के मामले में कर्नाटक के पूर्व पयर्टन मंत्री जी. जनार्दन रेड्डी के घर जा धमकी. जनार्दन रेड्डी को गिरफ्तार किया. पूरे घर को खंगाला तो वहां से डेढ़ करोड़ की नगदी, एक निजी चौपड़ और कुछ अहम कागजात मिले जिसे टीम ने जब्त कर लिया. उनके भाई श्रीनिवास रेड्डी के घर से 30 किलो सोना और तीन करोड़ से अधिक की नगदी जब्त की गई. इस मामले में कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने सुषमा स्वराज की जांच की मांग उठा दी है. इससे भाजपा का मुश्किलें काफी बढ़ गई है.
बड़ा सवाल यह है कि भ्रष्टाचार मुक्त भारत के निर्माण के लिए समर्पित अन्ना के आंदोलन से विपक्षी पार्टी के नाते जिस भाजपा को यूपीए सरकार और कांग्रेस पार्टी को घेरने का जो मौका मिला था, रेड्डी बंधुओं की गिरफ्तारी के बाद भाजपा अब किस मुंह से भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी आवाज़ को बुलंद करे. वर्तमान परिवेश में पार्टी के लिए संकट सिर्फ मुद्दे का नहीं है, असली संकट यह है कि पार्टी में आंतरिक फूट विनाशक दौर में प्रवेश कर गया है.
लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने इस बात से पूरी तरह इनकार किया है कि उन्होंने रेड्डी बंधुओं को कभी बचाने की कोशिश की. उन्होंने इस बात से भी इनकार किया कि बेल्लारी बंधुओं को कर्नाटक मंत्रिमंडल में जगह दिलाने में उनकी कोई भूमिका थी.स्वराज का कहना है कि जब रेड्डी बंधुओं को येदियुरप्पा सरकार में मंत्री बनाया गया तो अरुण जेटली कर्नाटक के प्रभारी थे और बी एस येदियुरप्पा राज्य के मुख्यमंत्री थे. वेंकैया नायडू और अनंत कुमार राज्य में उस वक्त सीनियर नेता थे. इन लोगों के बीच आपस में क्या बात हुई, इससे मेरा कोई लेना-देना नहीं था.
दरअसल बेल्लारी बंधु के तौर पर मशहूर जर्नादन, करुणाकर और सोमशेखर रेड्डी सुषमा स्वराज के करीबी माने जाते हैं और कहा जाता है कि इन तीनों भाइयों को सुषमा का आशीर्वाद हासिल है. सुषमा और रेड्डी बंधुओं की निकटता उस वक्त सामने आई थी जब 1999 में सुषमा ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ बेल्लारी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था. सुषमा स्वराज का कहना है कि रेड्डी बंधुओं से पूरे साल में सिर्फ एक बार मेरी मुलाकात होती है जब वह वरामहलक्ष्मी की पूजा के लिए बेल्लारी जाती हैं. बाकी 364 दिनों में हमारी कोई बात नहीं होती है. सुषमा स्वराज को इतनी सफाई इसलिए देनी पड़ी क्योंकि कांग्रेस तो दूर, पार्टी के अंदर ही एक धड़ा रेड्डी बंधुओं से उनके संबंधों को लेकर बखेड़ा खड़ा करने में जुटा है.
कांग्रेस भी समय-समय पर सुषमा के बेल्लारी बंधुओं से संबंधों को लेकर सवाल उठाती रही है. स्वराज पर खदान की कमाई से कर्नाटक की राजनीति पर राज करने वाले रेड्डी बंधुओं की सबसे बड़ी पैरवीकार के आरोप लगते रहे हैं. कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने संसद में भी बेल्लारी बंधुओं के बहाने सुषमा स्वराज पर तीखे कटाक्ष किए हैं. तथ्यों के साथ-साथ अखबारों में छपे फोटो भी सदन में दिखाए गए हैं. इनमें रेड्डी बंधु, सुषमा स्वराज के पैर छूते दिखाई पड़ रहे हैं. इसके जवाब में सुषमा का कहना था कि पिछले 11 साल से रेड्डी बंधुओं को वह जानती हैं, लेकिन इन 11 सालों में उन्होंने उनसे 11 रुपए भी नहीं लिए हैं. स्वराज ने यह भी कहा कि बेल्लारी में सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ कर उन्होंने शुरुआत की थी और रेड्डी बंधुओं ने बेल्लारी से कांग्रेस को खत्म कर उनके अभियान का समापन किया है.
बहरहाल, भाजपा की धुर विरोधी कांग्रेस का लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज या उनकी पार्टी भाजपा को कटघरे में खड़ा करना तो बखूबी समझ में आता है, लेकिन भाजपा में अपने ही नेता पर अन्य नेताओं द्वारा कीचड़ उछाला जाना इस बात का साफ संकेत है कि पार्टी में सत्ता संघर्ष की कवायद तेज हो गई है. लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष के बीच जो सत्ता संघर्ष का खेल चल रहा है वह न तो इन दोनों नेताओं के हित में है और न ही पार्टी के हित में है. इसलिए समय रहते पार्टी आलाकमान को इस तरह के अंतरकलह से उबरना होगा. अगर ऐसा न हो सका तो पार्टी मुश्किलों के दलदल में लगातार फंसती ही चली जाएगी और मिशन-2014 का सपना पूरा नहीं हो पाएगा.
First Published: Monday, September 5, 2011, 16:07