Last Updated: Sunday, March 31, 2013, 19:43
प्रवीण कुमारपूरे छह साल बाद पार्टी की सबसे ताकतवर समिति भाजपा संसदीय बोर्ड में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की जोरदार वापसी हो गई है। संकेत साफ है, नरेंद्र मोदी के लिए दिल्ली अब दूर नहीं रह गई है। संसदीय बोर्ड में वापसी के साथ ही मोदी दिल्ली के तख्तोताज पर विराजने की आधी लड़ाई भी जीत चुके हैं। क्योंकि भाजपा का यही संसदीय बोर्ड 2014 के आम चुनाव की अगुआई करेगा।
भाजपा संसदीय बोर्ड पार्टी की सर्वोच्च नीति नियामक इकाई है। इस इकाई में मोदी की 6 साल बाद वापसी कई मायनों में अहम मानी जा रही है। पहला तो यह कि नरेंद्र मोदी ऐसे पहले शख्स हैं जिन्हें मुख्यमंत्री के तौर पर भाजपा संसदीय बोर्ड में शामिल किया गया है। दूसरा यह कि मोदी के सबसे विश्वस्त नेता अमित शाह को भी टीम राजनाथ में जगह मिली है और तीसरा यह कि संसदीय बोर्ड में जितने भी दिग्गजों को शामिल किया गया है उसमें अधिकांश की उम्र 60 साल से कम है। इन सब तथ्यों के आधार पर इस बात को मानने से कोई गुरेज नहीं कि मोदी के लिए दिल्ली अब दूर नहीं रह गई है।
राजनीतिक पंडितों का कहना है कि राजनाथ की नई टीम में मोदी का दबदबा साफ दिख रहा है। मोदी संसदीय बोर्ड में शामिल होने वाले अकेले मुख्यमंत्री बनने के साथ केंद्रीय चुनाव समिति में भी शामिल हो गए हैं। अपने करीबी विधायक अमित शाह को राजनाथ की टीम में महासचिव बनवाकर भी मोदी ने पार्टी को अपने बढ़ते कद का अहसास कराया है। यह जानते हुए कि अमित शाह का राजनीतिक करियर विवादों में रहा है। वह सोहराबुद्दीन और तुलसी प्रजापति फर्जी एनकाउंटर मामले में आरोपी हैं और तीन महीने जेल में भी बिता चुके हैं। इसके बावजूद उनका महासचिव बनना इस बात का संकेत देता है कि आने वाले दिनों में भाजपा की राष्ट्रीय राजनीति में नरेंद्र मोदी की भूमिका बड़ी होने जा रही है।
मेरी दृष्टि में इसे टीम राजनाथ में मोदी का दबदबा कहना गलत होगा। हां, टीम राजनाथ में मोदी के राजनीतिक दर्शन की छाप जरूर दिखती है। मसलन मोदी जिस युवा भारत का दर्शन लेकर आगे बढ़ रहे हैं उसके मद्देनजर टीम राजनाथ में अधिकांश सदस्य 60 साल से कम उम्र के हैं। जाहिर है, अगर भाजपा मिशन-2014 को नरेंद्र मोदी की अगुवाई में लड़ती है तो टीम राजनाथ को मोदी से तालमेल बिठाने में कोई दिक्कत नहीं आएगी। कहने का मतलब यह कि मोदी जिस तरह से सोचते हैं और देश की राजनीति को लेकर उनका जो एक राष्ट्रीय एजेंडा है उसके मद्देनजर टीम में कुछ नए चेहरों को शामिल किया गया है।

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पार्टी की सर्वोच्च नीति निर्धारक संस्था भाजपा संसदीय बोर्ड में 12 सदस्यों को शामिल किया गया है। 10 महासचिवों में से 6 महासचिव नितिन गडकरी की टीम के ही हैं। राजनाथ ने टीम बनाते वक्त पार्टी के सभी धड़ों को साथ लेकर चलने की कोशिश की है। टीम बनाने में वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, लालकृष्ण आडवाणी, अरुण जेटली और नरेंद्र मोदी किसी की नाराजगी मोल लेने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। इसी वजह से टीम गुटों के लिहाज से काफी संतुलित कही जा रही है। संसदीय बोर्ड में राजनाथ सिंह, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, वेंकैया नायडू, नितिन गडकरी, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, रामलाल, अनंत कुमार, थावर चंद गहलोत और नरेंद्र मोदी का नाम शामिल किया गया है।
महासचिव पद पर रामलाल (संगठन), अनंत कुमार, थावर चंद गहलोत, जेपी नड्डा, तापिर गाव, धर्मेंद्र प्रधान, अमित शाह, राजीव प्रताप रूडी, वरुण गांधी और मुरलीधर राव को स्थापित किया गया है। उपाध्यक्ष पद के लिए सदानंद गौड़ा, मुख्तार अब्बास नकवी, डॉ.सीपी ठाकुर, जुएल उरांव, एस. एस. अहलूवालिया, बलबीर पुंज, सतपाल मलिक, प्रभात झा, उमा भारती, बिजॉय चक्रवर्ती, लक्ष्मीकांत चावला, किरण माहेश्वरी और स्मृति ईरानी का नाम शामिल किया गया है।
सचिव पद के लिए श्याम जाजू, भूपेंद्र यादव, कृष्णा दास, अनिल जैन, विनोद पांडेय, त्रिवेंद्र रावत, रामेश्वर चौरसिया, आरती मेहरा, रेणु कुशवाहा, सुधा यादव, सुधा मलैया, पूनम महाजन, लुईस मरांडी, डॉ. तमिल एसाई, वाणी त्रिपाठी को चुना गया है, वहीं महिला मोर्चा अध्यक्ष पद पर सरोज पांडेय, युवा मोर्चा अध्यक्ष पद पर अनुराग ठाकुर को शामिल किया गया है। प्रवक्ता पद के लिए प्रकाश जावड़ेकर, निर्मला सीतारमण, विजय शंकर शास्त्री, सुधांशु त्रिवेदी, मीनाक्षी लेखी और कैप्टन अभिमन्यु को जगह मिली है।
जहां तक केंद्रीय चुनाव समिति की बात है तो इसमें भी नरेंद्र मोदी को शामिल किया गया है। इसके अलावा राजनाथ सिंह, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, वेंकैया नायडू, नितिन गडकरी, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, अनंत कुमार, थावर चंद गहलोत, रामलाल, गोपीनाथ मुंडे, जुएल उरांव, शाहनवाज हुसैन, विनय कटियार, जेपी नड्डा, डॉ. हर्षवर्धन और सरोज पांडेय को भी इसमें शामिल किया गया है।
टीम राजनाथ का अगर विश्लेषण किया जाए तो कट्टर हिंदूवादी दृष्टिकोण अपनाने वाले युवा नेता वरुण गांधी को भी पार्टी में जगह दी गई है। दिवंगत नेता प्रमोद महाजन की बेटी पूनम महाजन को पार्टी में सचिव बनाया गया है। पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति में भी मोदी को जगह दी गई है। इसका अर्थ साफ है कि आने वाले आम चुनाव में मोदी की भूमिका बेहद अहम होने वाली है। स्मृति ईरानी, मीनाक्षी लेखी, अमित शाह, डॉ. सीपी ठाकुर आदि कुछ ऐसे नाम हैं जो खुद को मोदी के काफी करीब पाते हैं। टीम में गुजरात के पूर्व मंत्री अमित शाह की एंट्री को मोदी की बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है। दरअसल इसके पीछे की सोच यह है कि मोदी को भाजपा संसदीय बोर्ड में शामिल किया गया है। संसदीय बोर्ड की बैठक कभी-कभी होती है लिहाजा मोदी दिल्ली में कम ही दिखाई देंगे, लेकिन बतौर महासचिव अमित शाह पार्टी की हर बैठक में दिखाई देंगे। चूंकि अमित शाह नरेंद्र मोदी के सबसे विश्वसनीय और करीबी माने जाते हैं इसलिए मोदी अमित शाह के जरिए पार्टी के अंदर और पार्टी के बाहर `नमो मंत्रा` को रखने की सफल कोशिश करेंगे। अरुण शौरी, यशवंत सिन्हा और जसवंत सिंह को टीम राजनाथ में शामिल नहीं किया गया है। इसको लेकर जरूर थोड़ी सुगबुगाहट है, लेकिन यह चूंकि पार्टी का आंतरिक मामला है इसलिए इसपर कोई टिप्पणी करना अनुचित होगा।
जहां तक टीम के संतुलित या असंतुलित होने की बात है तो प्रथम दृष्ट्या टीम राजनाथ को काफी संतुलित बनाने की कोशिश की गई है। कहा तो यह भी जा रहा है कि मोदी के घोर विरोधी नीतीश कुमार के बिहार में भी टीम राजनाथ ने सेंध लगाई है और वहां से डॉ. सीपी ठाकुर और रामेश्वर चौरसिया को क्रमश: उपाध्यक्ष और सचिव बनाया गया है। राजनीतिक विश्लेषक इसे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के अहम घटक जनता दल यू के नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को चुनौती देने वाली टीम के रूप में देख रहे हैं। हालांकि नीतीश को इस बात से फर्क नहीं पड़ना चाहिए कि टीम राजनाथ में कौन है और कौन नहीं, लेकिन राजनीतिक घटनाक्रम इस बात का गवाह है कि भाजपा में मोदी का कद यदि बढ़ता है तो एनडीए में नीतीश की हैसियत कम होना तय है। इसको लेकर टीम राजनाथ भाजपा के लिए भले ही संतुलित टीम कही जाएगी लेकिन एनडीए के लिहाज से टीम के संतुलन को बनाए रखना राजनाथ के लिए एक चुनौती होगी।
First Published: Sunday, March 31, 2013, 16:18