Last Updated: Monday, April 22, 2013, 00:33
प्रवीण कुमारसंसद में बजट सत्र के दूसरे चरण का आगाज संप्रग सरकार के लिए काफी मुश्किल भरा होगा क्योंकि मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी संप्रग सरकार को गिराने की रणनीति पर काम करेगी। भाजपा ने यह आक्रामक रुख 2जी घोटाले की जांच के लिए बनी जेपीसी की ड्राफ्ट रिपोर्ट में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का नाम शामिल किए जाने के बाद लिया है। इसके अलावा कोल ब्लॉक आवंटन घोटाला और गुड़िया रेप केस में भी भाजपा सरकार को घेरने की पूरी कोशिश करेगी। करीब एक महीने तक चलने वाले इस सत्र में हालांकि सरकार की पूरी कोशिश होगी कि किसी तरह का विवाद न खड़ा होने पाए और सभी दलों को भरोसे में लेकर चला जाए, लेकिन ऐसा होना मुमकिन नहीं दिख रहा है। भूमि अधिग्रहण विधेयक को लेकर संप्रग को बाहर से समर्थन दे रही समाजवादी पार्टी सरकार को चेतावनी देने में कसर नहीं छोड़ रही है। यहां हम परखने की कोशिश करते हैं कि कौन सा मुद्दा सरकार के लिए कितनी मुश्किल खड़ी कर सकता है।
जेपीसी की मसौदा रिपोर्ट2जी केस में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की मसौदा रिपोर्ट में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पी. चिदंबरम को बरी करने और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पर टिप्पणी के विषय को संसद में उठाने पर जोर देते हुए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के सभी सदस्यों से इस रिपोर्ट को पूरी तरह से खारिज करने की अपील की। जेपीसी की मसौदा रिपोर्ट की टिप्पणियों से क्षुब्ध एनडीए ने सवाल खड़ा किया कि इस मामले में दो अहम मंत्री प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पी. चिदंबरम को किस आधार पर बरी कर दिया गया? यह कैसे संभव है कि एक काबीना मंत्री प्रधानमंत्री को गुमराह करे? सरकार की सामूहिक जवाबदेही कहां गई? भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने साफ किया है कि कांग्रेस नीत संप्रग सरकार के आचरण को देखकर आने वाले दिनों में भाजपा महत्वपूर्ण विधेयकों पर सरकार को संसद में सहयोग करने के बारे में फिर से सोचने को मजबूर हुई है। दरअसल आडवाणी इस बात को लेकर काफी नाराज हैं कि जेपीसी की मसौदा रिपोर्ट को सदस्यों को दिए जाने से पहले कुछ चुनिंदा पत्रकारों को लीक कर दिया गया और इसमें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ पार्टी के वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह और अरुण शौरी का नाम लेते हुए कहा गया कि इनके कारण देश को नुकसान हुआ। आडवाणी के गुस्से का अंदाजा उनके इस कथन से लगाया जा सकता है, `वास्तव में यह मसौदा रिपोर्ट जेपीसी के अध्यक्ष ने तैयार की या संप्रग के किसी छद्म व्यक्ति ने।’ भाजपा नेताओं का कहना है कि इस रिपोर्ट के लीक होने को लेकर 25 अप्रैल को होने वाली जेपीसी की बैठक में आपत्ति जताई जाएगी।
कोल ब्लॉक घोटाला केसकोयले की कालिख से पहले से ही परेशान संप्रग सरकार बजट सत्र के दूसरे चरण में एक और मुश्किल में घिर गई है। सरकार के कानून मंत्री पर आरोप है उन्होंने सीबीआई द्वारा इस मामले पर तैयार की गई स्टेटस रिपोर्ट ही बदलवा दी है। अभी हाल ही में एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट ने यह खुलासा किया कि कोल ब्लॉक आवंटन घोटाले में सीबीआई की स्टेटस रिपोर्ट में प्रधानमंत्री कार्यालय और कानून मंत्री ने संशोधन करवाए हैं। सीबीआई ने घोटाले की जांच की स्टेटस रिपोर्ट शीर्ष अदालत को मार्च में सौंपी थी। इस मामले में कानून मंत्री अश्विनी कुमार पर रिपोर्ट बदलवाने का आरोप है। घोटाले में जांच की स्टेटस रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपने से एक दिन पहले कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने समन भेजकर सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा एवं अन्य अधिकारियों को बुलाया था। भाजपा ने सरकार को भ्रष्ट बताते हुए इस मुद्दे पर कानून मंत्री से इस्तीफे की मांग की है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने भी कहा है कि कोल ब्लॉक आवंटन मामले में प्रधानमंत्री को बचाने की कोशिश की जा रही है। इस मुद्दे को लेकर संसद में भाजपा पूरी तैयारी के साथ सरकार को घेरेगी। चूंकि कानून मंत्री की पोल खुल चुकी है इसलिए सदन में भाजपा के आरोपों का जवाब देना सरकार के लिए बड़ी मुश्किल होगी।

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गुड़िया बलात्कार प्रकरणबीते साल 16 दिसंबर को दिल्ली गैंगरेप की आग अभी ठंडी भी नहीं हुई थी कि गुड़िया रेप केस ने संप्रग सरकार के लिए नई मुश्किल खड़ी कर दी है। पांच साल की बच्ची से रेप की पृष्टभूमि में आज से शुरू हो रहे बजट सत्र के दूसरे चरण में कानून व्यवस्था को लेकर सरकार का घिरना तय है। दिल्ली में इस रेप कांड को लेकर जबरदस्त जनाक्रोश है। दिल्ली पुलिस एक बार फिर से कठघरे में खड़ी है। इस प्रकरण को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे को सदन में जवाब देना मुश्किल होगा। भाजपा तो दूर, कांग्रेस पार्टी के सांसद और दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित भी सरकार से दिल्ली पुलिस के कमिश्नर नीरज कुमार को हटाने की मांग पर अड़े हैं। मालूम हो कि दिल्ली पुलिस केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन है और कानून व्यवस्था के बिगड़ने की जब बात आती है तो जनता को जवाब दिल्ली सरकार को देना पड़ता है। मुख्यमंत्री शीला दीक्षित पहले भी दिल्ली पुलिस को दिल्ली सरकार के अधीन करने की मांग कर चुकी हैं। दिल्ली में पीएम आवास, 10 जनपथ, दिल्ली पुलिस मुख्यालय पर जबरदस्त प्रदर्शनों के बीच शुरू हो रहे सत्र में विपक्षी हमलों से सरकार का बचना आसान नहीं होगा।
वित्त विधेयकों की मुश्किलेंबजट सत्र के दूसरे हिस्से में वित्त विधेयक पारित कराने में विफल रहने पर सरकार का बहुमत का दावा खंडित हो सकता और देश में समय से पहले सरकार को आम चुनाव कराना पड़ सकता है। संक्षिप्त अवकाश के बाद संसद में बजट सत्र के दूसरे हिस्से में सरकार की प्राथमिकता महत्वपूर्ण वित्त विधेयकों को पारित कराने की होगी। खाद्य सुरक्षा विधेयक, भूमि अधिग्रहण, भ्रष्टाचार विरोधी लोकपाल विधेयक के अलावा पेंशन और बीमा क्षेत्र में सुधारों से संबंधित विधेयक इस कड़ी में शामिल हैं। सरकार ने सर्वदलीय बैठक में हालांकि भूमि अधिग्रहण विधेयक पर राजनीतिक सहमति बना ली है, लेकिन 2जी पर जेपीसी की मसौदा रिपोर्ट से सरकार ने भाजपा से नाराजगी मोल ले ली है। भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने साफ तौर पर कहा है कि कांग्रेस नीत संप्रग सरकार के आचरण को देखकर भाजपा अहम विधेयकों पर सरकार को संसद में सहयोग करने के बारे में पुनर्विचार कर सकती है। संप्रग सरकार को बाहर से समर्थन दे रही समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव का रूख भी भूमि अधिग्रहण विधेयक को लेकर सकारात्मक नहीं दिख रहा। अगर सपा और भाजपा का इस मुद्दे पर गठजोड़ हुआ तो सरकार के लिए भूमि अधिग्रहण विधेयक समेत अन्य कई विधेयकों का भविष्य अधर में लटक सकता है। अगर ऐसा हुआ तो संप्रग सरकार के लिए यह बड़ी मुश्किल होगी क्योंकि इसमें खाद्य सुरक्षा विधेयक जैसे महत्वपूर्ण विधेयक लटक जाएंगे जिसके सहारे कांग्रेस पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव में एक बड़े वोट बैंक को लुभाने की तैयारी में है।
बहरहाल, करीब एक महीने तक चलने वाला संसद सत्र संप्रग सरकार के लिए काफी मुश्किल भरा होगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सत्र के दौरान भाजपा और सपा की पूरी कोशिश सरकार को बैकफुट पर लाने की होगी। जिस तरह से मुलायम लगातार इस बात की भविष्यवाणी कर रहे हैं कि लोकसभा चुनाव इसी साल होंगे, उसके आधार पर कहा जा सकता है कि मुलायम ने निश्चित रूप से कोई सियासी चाल सोच रखी होगी जिसे अंजाम देकर सरकार को सदन में मात दे दिया जाए।
First Published: Monday, April 22, 2013, 00:33