सचिन पर संन्‍यास को लेकर बढ़ता दबाव-Pressure mounting on Sachin Tendulkar for Retirement from cricket

सचिन पर संन्‍यास को लेकर बढ़ता दबाव

सचिन पर संन्‍यास को लेकर बढ़ता दबावबिमल कुमार

क्रिकेट प्रेमियों की उम्मीदों पर खरा उतरने और बेहतरीन क्रिकेट खेलने के दबाव के बीच मास्‍टर ब्‍लास्‍टर सचिन तेंदुलकर अपने प्रदर्शन से लगातार दुनिया को हैरान करते रहे रहे हैं, लेकिन हाल के उनके प्रदर्शन को देखें तो क्या सचिन अब क्रिकेट से थक गए हैं? अब सचिन की उम्र भी उनके कैरियर पर सवालिया निशान लगाने लगी है। आज सचिन उम्र के जिस पड़ाव पर हैं, उसमें आधुनिक क्रिकेट के सांचे में खुद को ढाले रखना आसान नहीं है। हालांकि इन सबसे अलग सचिन के जज्‍बे को हम पहले भी सलाम करते थे और अब भी करते हैं।

इंग्‍लैंड के मौजूदा सीरीज में सचिन के बल्‍ले पर तो एक तरह से विराम ही लग गया है। लगातार खराब प्रदर्शन के चलते सचिन पर संन्यास का दवाब बढ़ता जा रहा है और उनके प्रदर्शन को लेकर कई तरह के सवाल भी उठने लगे हैं।
सचिन की उपलब्धि और उनकी महानता पर कोई प्रश्‍नचिन्‍ह नहीं है क्‍योंकि इस खिलाड़ी ने देश के मान को कई मौकों पर बहुत ऊंचा किया है। करीब दो दशक की अपने क्रिकेट कैरियर में उन्‍होंने कई कीर्तिमान रचे और ऐसे अनोखे रिकार्ड स्‍थापित किए, जिसका निकट भविष्‍य में टूटना असंभव प्रतीत होता है। पर उम्र के इस पड़ाव पर कुछ थके नजर आ रहे सचिन को अब भविष्‍य के बारे में निश्चित ही सोचना चाहिए। खासकर जब उनके साथी खिलाड़ी और हमउम्र क्रिकेट जगत को अलविदा कह रहे हों।

यह कोई पहला मौका नहीं है जब सचिन प्रदर्शन के खराब दौर से गुजर रहे हैं। पूर्व में ऐसा वाकया उनकी जिंदगी में कई दफा आया। और हर बार वे मजबूत व दमदार प्रदर्शन के बलबूते सामने आए और अपने बल्‍ले का जौहर दिखाकर सभी आलोचकों के मुंह पर ताला जड़ दिया। उन्‍होंने जब भी वापसी की, हमेशा सहज और दमदार तरीके से की। पूर्व उनके इस हौसले और जज्‍बे का दीदार क्रिकेट प्रेमियों ने कई बार किया। लेकिन इस बार अपने फॉर्म को वापस पाने में काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही है और इसमें वे बार-बार विफल हो रहे हैं।

सचिन लंबे समय से आउट ऑफ फॉर्म चल रहे हैं और ऐसे में उनके संन्यास को लेकर दबाव और सवाल उठना लाजिमी ही है। इंग्लैंड के खिलाफ मौजूदा टेस्ट सीरीज के पिछले दो मैचों में भी सचिन का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा है। सचिन के इसी आउट ऑफ फार्म होने के चलते सुनील गावस्कर और कपिल देव तक ने इस दिग्गज बल्लेबाज को सलाह दे डाली। सलाह यह कि सचिन अब अपने भविष्य के बारे में चयनकर्ताओं से बात करें और संन्‍यास को लेकर कोई सम्‍मानजनक रास्‍ता अख्तियार करें।

दरअसल, परेशानी यह भी है कि सचिन खुलकर संन्‍यास पर बात नहीं करते हैं और चयनकर्ता भी इस मसले पर चुप्‍पी साधे हुए हैं। इस तरह एक असमंजस की स्थिति बन गई है और क्रिकेटप्रेमी भी अब इसको लेकर आलोचना पर उतर आए हैं। कहा तो यह जा रहा है कि सचिन ने चयनकर्ताओं से बात की है पर उसका मजमून कुछ सामने नहीं आया है, जिससे दुविधा की स्थिति उत्‍पन्‍न हो गई है। बेहतर होता कि कुछ निश्चित चीजें सामने आती।

टेस्‍ट में विश्‍व रिकार्ड 51 शतक बना चुके सचिन ने इंग्‍लैंड के खिलाफ मौजूदा सीरीज में काफी खराब प्रदर्शन किया है। ऐसे में सचिन अपनी फॉर्म को लेकर क्‍या सोच रहे हैं यह वही बेहतर जानते हैं, लेकिन राष्‍ट्रीय चयनकर्ताओं का फिलहाल सचिन पर भरोसा कायम है। हो सकता है कि इसके पीछे कुछ और रणनीति हो।

सचिन के प्रदर्शन पर यदि गौर करें तो वह रन के लिए बीते दो साल से तरस रहे हैं। सचिन का टेस्‍ट क्रिकेट में औसत भले ही 54.60 रन प्रति पारी हो, लेकिन यह स्‍टार बल्‍लेबाज पिछले दो साल में किसी भी समय 40 के औसत तक नहीं पहुंच पाया। सचिन अपनी पिछली 28 पारियों में शतक तक नहीं जमा पाए हैं। सचिन ने नवंबर 2010 में न्‍यूजीलैंड के खिलाफ अहमदाबाद टेस्‍ट से लेकर इंग्‍लैंड के खिलाफ मुंबई टेस्‍ट तक कुल 21 टेस्‍ट खेले और इनमें 27 पारियों में 37.71 की औसत से 1322 रन ही बनाए। उन्‍होंने अपना आखिरी शतक दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ जनवरी 2011 में लगाया था। इसके बाद उन्‍होंने 15 टेस्‍ट मैच खेले और उसकी 27 पारियों में वह 32.22 की औसत से 870 रन ही बना पाए। वैसे मास्‍टर ब्‍लास्‍टर ने अपने पूरे कैरियर में 192 मैच में 54.60 की औसत से 15562 रन बनाए हैं।

क्रिकेट खेलने के लिए अपनी जान लगा देने वाले सचिन पूर्व में दबाव में कई दफा अच्छा खेले हैं, पर अब उनके खेलने की शैली पर भी सवाल उठने लगे हैं। हाल में गावस्कार ने भी उनके आउट होने की तरीके और फुटवर्क पर टिप्पणी भी की। इसमें कोई शक नहीं है कि शतकों के शहंशाह सचिन एक बड़े खिलाड़ी है और एक हीरो की तरह हैं। ऐसे में अगर उन पर उंगलियां उठ रही है तो यह उचित तो नहीं, पर उन्‍हें खुद को इस विषय पर आत्‍मअवलोकन करना चाहिए। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि भारतीय क्रिकेट में सचिन ने उल्‍लेखनीय योगदान दिया है।


मौजूदा दौर में प्रदर्शन पर उठते सवालों के बीच कुछ का मानना है कि सचिन को संन्यास का फैसला खुद ही लेना चाहिए। वहीं कुछ का कहना है कि सचिन को नए खिलाड़ियों के लिए अब रास्‍ता छोड़ देना चाहिए। जैसा कि इस साल उनके साथी और दिग्‍गज क्रिकेट खिलाड़ी राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण ने संन्‍यास के फैसले के साथ किया। एक मायनों में देखें तो इन दिग्गजों के संन्यास ने कहीं न कहीं सचिन पर संन्‍यास लेने का दबाव बना दिया है।
ऑस्ट्रेलिया के महानतम बल्लेबाजों में शुमार रिकी पोंटिंग ने भी बीते दिनों टेस्ट क्रिकेट से संन्यास का ऐलान कर दिया। पूर्व आस्ट्रेलियाई कप्तान पोंटिंग के संन्यास की घोषणा के बाद सचिन के भी संन्यास लेने की बात को और बल मिला है।

हालांकि हम यहां कोई पोंटिंग और सचिन की तुलना नहीं कर रहे हैं, पर इस चर्चा को तवज्जो तो मिलेगी ही। इसका कारण यह है कि पोंटिंग भी तकरीबन सचिन के हमउम्र ही हैं और बीते कुछ समय से खराब फॉर्म के दौर से गुजर रहे पोंटिंग ने अपनी विदाई का सम्‍मानजनक मार्ग जो ढूंढ लिया। पोंटिंग ने संन्यास लिया तो सचिन भी ऐसा ही करें यह कोई जरूरी नहीं है, पर निकट भविष्‍य में देश और भारतीय क्रिकेट को इतना कुछ देने वाले सचिन को भी अब सम्‍मानजनक विदाई का मार्ग अपनाने पर जरूर मंथन करना चाहिए। करोड़ों क्रिकेटप्रेमियों के दिलों में बसने वाले सचिन को इतना तो मौका जरूर मिलना भी चाहिए।

हालांकि दुनिया के महान क्रिकेटर सचिन ने कुछ माह पहले संकेत दिया था कि अब समय आ गया है, जब वे संन्यास के मुद्दे पर गहराई से सोच सकते हैं। लंबे समय से सचिन की उम्र को आधार बनाकर आलोचक उनके संन्यास की बात उठाते रहे हैं, लेकिन सचिन ने हमेशा अपने प्रदर्शन से जवाब देकर उनके मुंह पर ताले लगा दिए। लेकिन अब सचिन खुद भी उम्र के इस पड़ाव पर भविष्य को लेकर फैसला लेना चाहते हैं। हाल में उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा भी था कि वे नवंबर तक सीरीज दर सीरीज अपने खेल की समीक्षा करेंगे और फिर भविष्य की योजना बनाएंगे। उनका यह भी कहना था कि क्रिकेट से संन्यास लेने का फैसला अपने दिल की बात सुनकर ही करेंगे।

सचिन ने स्‍वीकार भी किया था कि मैं 39 साल का हो गया हूं और मुझे नहीं लगता कि मेरे अंदर अब बहुत क्रिकेट बचा है. लेकिन ये सब मेरी शारीरीक क्षमता और मानसिक शक्ति पर निर्भर करता है। जब लगेगा कि उम्मीद के अनुरुप नहीं दे पा रहा हूं तो ची़जों को नए सिरे से देखना शुरु करूंगा। यह तो सचिन की अपनी राय थी पर क्‍या क्रिकेट को अपनी जिंदगी मानने वाले सचिन के लिए संन्‍यास का निर्णय करना सबसे मुश्किल फैसला साबित होगा। आज जरूरत इस बात की है कि भविष्‍य को ध्‍यान में रखते हुए खिलाडि़यों के पूर्व प्रदर्शन की प्रतिष्‍ठा को दरकिनार कर वर्तमान प्रदर्शन को तवज्‍जो देते हुए टीम का चयन किया जाना चाहिए ताकि टीम इंडिया में आगे भी पैनापन और दमखम बना रहे।

रिटायरमेंट को लेकर अचानक एक दिन अपने हथियार डाल देना सचिन के लिए बहुत मुश्किल काम होगा पर प्रदर्शन की इस नाकामी के बीच उन्‍हें खुद कोई रास्‍ता अब जरूर अख्तियार करना चाहिए। हो सकता है कि क्रिकेट की सभी शैलियों से सचिन ने एक ही समय में रिटायरमेंट की सोच रखी हो पर दिनोंदिन बढ़ते दबाव से निपटना सचिन के लिए अब आसान नहीं होगा। सचिन तेंदुलकर महान हैं, इसमें कोई दो राय नहीं है।

First Published: Friday, November 30, 2012, 16:47

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