
समाजवादी पार्टी के महासचिव
नरेश अग्रवाल के साथ खास बातचीत की
ज़ी न्यूज़ उत्तर प्रदेश के संपादक वासिन्द्र मिश्र ने अपने खास कार्यक्रम "सियासत की बात में" पेश हैं इसके प्रमुख अंश-
सवाल- आपकी पार्टी राष्ट्रपति चुनाव को लेकर किस रणनीति पर काम कर रही है?
जवाब- देखिये हम बनने की हैसियत में तो हैं नहीं, बनाने की हैं। लेकिन व्यक्तिगत सोच है कि देश का राष्ट्रपति कोई राजनीतिक व्यक्ति होना चाहिए। जो नाम चल रहे हैं और जो मैं सुन रहा हूं। हमारी पार्टी तय करेगी मुलायम सिंह जी के द्वारा। अभी हमने नाम तय नहीं किया है। ये निश्चित है कि हमारी पार्टी का महत्वपूर्ण रोल है और उसे हम जिम्मेदारी से निभाएंगें।
सवाल-राष्ट्रपति चुनाव में दो अड़चनें हैं। एक तो एनडीए में आम राय नहीं बन रही है। दूसरा ममता बनर्जी ने कोई ट्रंप कार्ड नहीं खोला है। और बीजेपी की तरफ से कहा जा रहा है कि अगर समाजवादी पार्टी डॉक्टर कलाम का नाम सामने लाती है तो उस पर विचार हो सकता है, समर्थन हो सकता है?
जवाब- हमें बीजेपी की राय की जरुरत नहीं है। उनके सहयोग की जरुरत नहीं हैं। वो क्यों हमारे बारे में सोचते हैं। हमारी और उनकी विचारधारा में बड़ा अंतर है। हम इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। हम एक ऐसा राष्ट्रपति देना चाहते हैं जो हो भारत का और जिसका नाम हो पूरे विश्व में। और तमाम गंभीर चुनौतियां हैं देश के सामने महामहिम जी उसकी चिंता करें। ये हमारी सोच और प्राथमिकता है।
सवाल- आप लोग इस बात के पक्षधर हैं कि राष्ट्रपति के पद पर राजनीतिक व्यक्ति को बैठाया जाए?
जवाब- मैंने कहा ना कि ये मेरी व्यक्तिगत राय है। मैं इसे पार्टी की राय नहीं कहूंगा। लेकिन पार्टी से अनुरोध करुंगा कि ऐसा व्यक्ति आना चाहिए जो राजनीतिक व्यक्ति हो। जिसकी सोच राजनीतिक हो और जिससे राजनीतिक लोग मिलने जाए तो उन्हें अपनी गरिमा महसूस हो कि हम एक गरिमामई व्यक्ति से मिलने जा रहे हैं।
सवाल- अभी यूपी में विधानसभा चुनाव हुआ। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस आमने-सामने थी और राष्ट्रपति चुनाव को लेकर कहा जा रहा है कि दोनों पार्टियों में कोऑर्डिनेशन और मैनेजमेंट की कवायद शुरु हो गई है, ये कहां तक सच है?
जवाब-देखिए ये तो अखबार और मीडिया की न्यूज़ है। हमने ना उनसे कोई बात की है, लेकिन जब समय आएगा तो बात होगी, अभी तो बहुत जल्दी है। समय आएगा तो हम ट्रंप कार्ड खोलेंगे। जब हमारा महत्वपूर्ण रोल है तो हम रोल निभाएंगे। ये हम हिन्दुस्तान की जनता को विश्वास दिलाते हैं। अभी तो नोटिफिकेशन होगा तब देखेगें।
सवाल-इस समय लोकसभा-राज्यसभा दोनों चल रहे हैं। रोजाना भ्रष्टाचार के खुलासे हो रहे हैं। उसमें समाजवादी पार्टी किस तरह से केन्द्र सरकार के साथ तालमेल भी बना रही है और उनका विरोध भी कर रही है?
जवाब- हम तालमेल नहीं बना रहे हैं, हमने तो विरोध किया है। हमने कहा है कि मुद्दा आधारित समर्थन रहेगा। भ्रष्टाचार का मुद्दा आया तो हमने खुल कर विरोध किया। लेकिन भ्रष्टाचार के मुद्दे पर ऐसे तमाम बिल बना दिये जाए, कानून बना दिये जाए, राजनीतिक व्यक्ति उसके कठघरे में खड़ा हो जाए, राजनीतिक व्यक्ति पर कोई आवरण चढ़ा दिया जाए तो हम इसके विरोध में है। क्योंकि राजनीतिक व्यक्ति पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाना बहुत आसान है। लेकिन राजनीतिक व्यक्ति के जीवन में कितनी कठिनाई आती है। इसको कोई नहीं लिखता है। हमको किन-किन परेशानियों से रोज गुजरना पड़ता है। हम राजनीतिक लोग रोज कपड़े पहन कर निकलते हैं, दिन भर जनता के आरोपों को सहते हैं। रात में सोते समय देख लेते हैं कि कपड़े पर कोई दाग तो नहीं लगा है और अगले दिन फिर हम जनता की सेवा में निकलते हैं। यानी हमारी चरित्र पंजिका रोज जनता द्वारा लिखी जाती है। हमको भी देखना चाहिए कुछ व्यक्ति अगर अपने को पूरी तरह ईमानदार कह कर पूरी संसदीय व्यवस्था को बेइमान कहें तो ऐसा ठीक नहीं है।
सवाल- तो इस समय जो आंदोलन चल रहे हैं चाहे वो अन्ना का आंदोलन हो, रामदेव का आंदोलन हो या रविशंकर का आंदोलन। आप इसे किस तरह से देखते हैं?
जवाब- ये सब आरएसएस समर्थित हैं। भाजपा के लोग हैं। मैं तो कहता हूं कि ये आंदोलन चलाने वाले क्यों नहीं चुनाव लड़ते जनता के बीच में। यूपी में नगर पालिका के चुनाव आ रहे हैं। ये सब आंदोलनकारी अगर जनता के बीच इतने लोकप्रिय हैं तो आकर चुनाव लड़ लें। इनको पता चलेगा कि जनता क्या है, जनता की सोच क्या है? और जनता किस प्रकार के नेता को पसंद करती है।
सवाल- रामदेव ने कहा है कि संसद में जितने हैं सब रोगी है, सब बेईमान है, इस पर आपको क्या कहना है?
जवाब-मैं तो कहूंगा कि सब लोग बाबा का आदर करते थे। लेकिन धीरे- धीरे उन्होंने भी खुद को राजनीतिक रुप में ढाल लिया, बाबा को सलाह है कि वो भी एक पार्टी बना लें और जिस प्रकार के आरोप लगा रहे हैं इस तरह के आरोपों में कितनी सत्यता है, जान लें। इस तरह के आरोप कमजोर केन्द्रीय सरकार की वजह से हैं। केन्द्र सरकार ने सिस्टम को कमजोर कर दिया है। अगर मजबूत सिस्टम होता तो शायद लोग इस तरह के आरोप ना लगाते।
सवाल-रामदेव के बारे में कई तरह के आरोप लगते रहे हैं उनके कई मामलों में जांच चल रही है ऐसे में क्या आप मांग करेंगे कि उसको सख्ती से निपटाया जाए?
जवाब-रामदेव से मेरे व्यक्तिगत संबंध हैं। उन व्यक्तिगत संबंधों के रहते मैं कुछ कहना नहीं चाहता। लेकिन गुरुजी से यही अनुरोध करना चाहते हैं कि गुरुजी योग और दवाओं का जो काम कर रहे हैं वही करें। राजनीतिक रुप से गुरुजी उपदेश ना दें तो अच्छा है, इतना ही कहना है उनसे। बाकी बोलने के लिए सब स्वतंत्र हैं वो चाहे जो बोलें।
सवाल-सबसे बड़ा मुद्दा था चुनाव में लोकायुक्त का, लोकपाल का। उत्तराखंड सरकार ने खंडूरी जी के नेतृत्व में जो चल रही थी, उसने पास किया और उसमें मुख्यमंत्री को लोकायुक्त के दायरे में लाया था, उत्तर प्रदेश में भी एक प्रस्ताव गया था कि मुख्यमंत्री को लोकायुक्त के दायरे में होना चाहिए लेकिन चौबीस घंटे के भीतर ही उसे बदल दिय गया। वहां के मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री को इसके दायरे में नहीं लाना चाहिए, आपको क्या कहना है?
जवाब-देखिये खंडूरी जी ने बनाया, अपने को दायरे में लाए खुद चुनाव हार गए, हमने यूपी में साफ मना किया। मैं तो प्रधानमंत्री को भी लोकायुक्त के दायरे में लाने के पक्ष में नहीं हूं। मैं इस बिल के ही पक्ष में नहीं हूं। हम राजनीतिक लोगों को अगर इन दायरों में बांध दिया जाएगा तो हम जनता की सेवा क्या करेंगे। जनता किस आशा को लेकर हम तक आती है। अगर उस आशा को पूरा करते समय हम देखने लगे कि हमारे ऊपर आरोप लग जाएंगे अगर हमने ये किया तो जनता हमें रबर का बबुआ बनकर रह जाएंगे। मैं तो इससे सहमत नहीं हूं। और मैं तो कभी भी प्रधानमंत्री, मंत्री बगैरह के लोकपाल के दायरे में लाने के पक्ष में नहीं हूं। बीते दिनों एक आईएएस मिले और कहने लगे कि नरेश जी हम लोगों ने डिसीज़न लेना बंद कर दिया है क्योंकि अगर निर्णय लेने पर आरोप लगने लगे, जेल चले जाएं तो क्या करेगें। अगर ये धारणा नेताओं और ब्यूरोक्रेसी की बन गई तो एक मंत्री से मिलने गए तो कहने लगे कि हम तो फाइल पर सीन लिख देते हैं बाकी कोई कमेन्ट नहीं लिखते हमने कहा अगर आप ऐसा करेंगे तो निर्णय कैसे होंगे। तो बोले कि निर्णय हो या ना हो इतने साल के करियर में हमें खुद को बचाना है। अगर नेताओं और ब्यूरोक्रेट्स की ये हालत हो गई। निर्णय नहीं होंगे तो देश की हालत बहुत बुरी होगी। अफगानिस्तान से बुरी होगी। जो लोग ये आंदोलन चला रहे हैं वो देश को तोड़ने की नीति बना रहे हैं।
सवाल-पिछली जो सरकार थी मायावती की उसमें भ्रष्टाचार के तमाम आरोप लगे थे...और विधानसभा चुनाव में भी सबसे बड़ा मुद्दा था...भ्रष्टाचार का। आप लोगों ने वादा किया था जनता से कि सरकार बनेगी तो सभी भ्रष्टाचार के मामलों की जांच कराके जो दोषी होंगे उनके खिलाफ कार्रवाई होगी लेकिन डेढ़ महीना हो गया कोई टोस कार्रवाई नजर नहीं आ रही क्या कारण है।
जवाब-देखिए हम भी पक्ष में हैं कि आयोग बनाना चाहिये। जितनी भ्रष्टाचार की शिकायतें हैं आयोग को दे देनी चाहिए। जिससे ये भी ना लगे कि हम पक्षपातपूर्ण कार्रवाई कर रहे हैं और आयोग से जो निकल कर आए उस पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए, मैं इस पक्ष में हूं। और जल्द ही सरकार इसे करेगी। अभी थोड़ा समय हुआ है व्यवस्था को संभाले हुए, जल्दी में इसलिए भी नहीं कर पा रहे हैं कि बदले की कार्रवाई लगे। समाजवादी विचारधारा में बदला शब्द नहीं होता हम बदले की भावना से काम नहीं करते। सच को सच और गलत को गलत मानते हैं, धैर्य रखिए भ्रष्टाचार के विरुद्ध कार्रवाई होगी।
सवाल-मौजूदा जो उत्तर प्रदेश की सरकार चल रही है पिछले चुनाव में समाज के सभी वर्गो ने समाजवादी पार्टी को वोट दिया था और तभी समाजवादी को बहुमत मिला था और सभी वर्ग के लोगों को उम्मीद थी कि यदि समाजवादी पार्टी की सरकार बनी तो सबके हित की नीति बनेगी, लेकिन जो कामकाज का तरीका है उससे लगता है क एक जाति और सम्प्रदाय विशेष के लिए काम हो रहे हैं इसके क्या कारण है?
जवाब-देखिये ऐसा कुछ नहीं है। हमारी प्राथमिकता घोषणा पत्र लागू करने की है। हमने घोषणापत्र लागू करने की शुरुआत की है, इसमें समय लगेगा। लेकिन जिस तरह से इसका महौल बना कि मैं भी चिंतित हो गया। समाजवादी पार्टी को सभी वर्गों ने वोट दिया ये हम भी मान रहे हैं, वरना इतना बहुमत कहां से आता। और मैं सभी वर्गों को भरोसा दिलाता हूं कि जब तक नेता जी है, मुख्यमंत्री है, हमारी सरकार है, कहीं ऐसा नहीं होगा कि एक वर्ग को ज्यादा मिल रहा है कि किसी के साथ भेदभाव हो रहा है, समान नीति की समाजवादी विचारधारा है और वो रहेगी।
सवाल-समाजवादी पार्टी की सरकार पर सबसे बड़ा आरोप लगता है कानून व्यवस्था का। और डेढ़ महीने से फिर देखने को मिल रहा है कि पूरे प्रदेश में अपराधी बिल्कुल निरंकुश हो गए है और पुलिस बिल्कुल लाचार खड़ी है तो क्या इस बार भी जनता को वैसे ही अनुभव होंगे जैसे पहले समाजवादी पार्टी की सरकार में रहे हैं?
जवाब- देखिये, आप लोगों ने बहुत जल्दी हमारा पोस्टमार्टम शुरु कर दिया। पिछली सरकार में जो मीडिया लिखने में डरती थी, मैंने पिछली सरकार में देखा मीडिया के हाथ पैर बिल्कुल जैसे कट गए हों। सत्यता लिखने में सरकार को फ्रीडम मिली तो मीडिया को भी सोचना चाहिए कि छ महीने या साल भर का समय तो दें दे। मैं रोज दिल्ली में रहता अखबार में देखता हूं कि रोज चार पांच रेप जाने कितने कत्ल जबकि दिल्ली की बहुत छोटी आबादी है उत्तर प्रदेश की तुलना में। यूपी में चार-पांच केस भी हो जाएंगे तो एसपी का कार्यकर्ता मारा गया। बीएसपी का कार्यकर्ता मारा गया। दिल्ली में रोज अपराध हो रहे हैं। मुख्यमंत्री केन्द्रीय गृहमंत्री को चिट्ठी लिख रही हैं। यहां कानून व्यवस्था का मुद्दा मीडिया नहीं उठाती। बिहार, बंगाल, एमपी, राजस्थान में क्या अमन चैन रामराज आ गया है और मीडिया को सारी गुण्डागर्दी यूपी में ही दिख रही है। ऐसा नहीं है। कौन सा ऐसा जिला है जहां कांड नहीं होते और कौन सी सरकार में नहीं होते। तो इसको बहुत जल्दी में लिख देना कि यूपी में गुंडाराज हो गया, यूपी बिल्कुल हताहत रुप में है मैं इससे सहमत नहीं हूं। हमने मीटिंग में कहा कि कानून व्यवस्था हमारी प्रथमिकता है। नीचे तक हम व्यवस्था बदल नहीं पाए हैं। पिछली सरकार की। अब कुछ व्यव्स्था बदली है पूरी व्यवस्था बदलने के बाद इतनी कड़ाई होगी कोई गुंडा आपको बाहर नहीं दिखाई देगा। जडो गुंडा होगा उसकी जहां जगह हैं, वहीं होगा।
सवाल-समाजवादी पार्टी का जो चुनावी घोषणापत्र है अगर उसको लागू किया गया। ईमानदारी से तो कई लाख हजार करोड़ रुपये की जरुरत है इस समय। मौजूदा जो वित्तीय हालत है यूपी की वो जर्जर है तो उन वादों को किस तरह से पूरा किया जाएगा?
जवाब-माननीय मुख्यमंत्री जी 14 तारीख को प्रधानमंत्री जी से मिले थे। हम लोगों के पास लेटर कॉपी आ गई है, करीब 93 हजार करोड़ की पेंडिग योजनाओं के बारे में लिखा है। उस धन की मांग की गई है। 93 हजार करोड़ रुपये में हम कुछ योजनाओं को पूरा करेंगे बाकी अपने स्रोत बढ़ाएंगे। और जो करीब पचार हजार करोड़ रुपया पार्कों, स्मारकों, मूर्तियों पर खर्च हुआ था उसे बचायेंगे और रुपए को बचाकर अपने वादों को पूरा करेंगे। आप चिंतित ना हो समय दीजिये हमको। और हमने तो राज्यसभा में भी मसला उठाया कि पीएम उत्तर प्रदेश के लिए एक अलग से बैठक बुलाते हैं जिसमें मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री मिलते हैं। पिछली सरकार में शिकायत थी कि मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री से मिलती नहीं, बात नहीं करती और नए मुख्यमंत्री से ये शिकायत नहीं होगी। वो तो खुद मिलने आए थे और प्रधानमंत्री जिस दिन यूपी की बैठक बुलाएंगे हमारे मुख्यमंत्री जी आएंगे, सारे अधिकारी आएंगे। मैं चाहूंगा जल्दी बैठक बुलाकर हमारे प्रदेश के लिए जो उसका हिस्सा है, धन है अवमुक्त करें।
सवाल-सपा जब विपक्ष में थी और बीएसपी की सरकार थी तो एसपी गंगा एक्सप्रेस वे और यमुना एक्सप्रेस वे सबका विरोध कर रही थी और अब सरकार बन गई तो उन सारी योजनाओं को आगे बढ़ाया जा रहा है तो वो विरोध महज राजनीतिक था या सत्ता तक आने के लिए?
जवाब-देखिए जो योजनाएं अच्छी है जो बन गई है जैसे यमुना एक्सप्रेस वे लगभग पूरी हो गई है अब हो गई तो ठीक है। लेकिन गंगा एक्सप्रेस वे शुरु नहीं हुई थी हमने उस पर सहमति नहीं दी हम और भी तमाम सड़कों पर विचार कर रहे हैं। अभी लखनऊ से दिल्ली की एक सड़क प्रस्तावित है जिससे करीब 70-80 किलोमीटर मार्ग कम हो जाएगा, लखनऊ-दिल्ली के बीच। उत्तर प्रदेश में जब तक अच्छा इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं होगा। तब तक यूपी अच्छा विकास नहीं कर पाएगा। मैं तो इस बात का विरोधी हूं कि सरकार बदले और सब नीतियां बदल जाएं। सरकार बदले तो पिछली सरकार की जो नीतियां अच्छी हों, उसे आगे बढ़ाए। जो खराब हो उसे बदलना चाहिये। मूर्ति पार्क वगैरह से जनता का लाभ नहीं हो रहा है। तो ऐसी योजनाएं बननी चाहिये जिससे जनता का हित हो। जैसे एम्स की चर्चा हो रही है अखबारों में निकल रहा है कि यूपी में एम्स दिया जा रहा था, यूपी सरकार ने जमीन नहीं दी, इसलिए एम्स नहीं खुला। हमारे मुख्यमंत्री ने कानपुर में कहा कि हमसे कहिए हम जमीन देंगे। तो हम केन्द्र से टकराव भी नहीं चाहते, लेकिन कांग्रेस से जो हमारा विरोध है वो भी बना रहेगा। हम यूपी के विकास के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।
सवाल-नरेश जी आप ऊर्जा मंत्री थे तो तमाम परियोजनाएं घोषित हुई थीं। उसके बाद लगभग ठप सी हो गई सारी योजनाएं। उत्तर प्रदेश में बिजली की डिमांड ज्यादा है, उत्पादन कम है। लाइन लॉस ज्यादा है उस दिशा में क्या मौजूदा सरकार कुछ सोच रही है करने के लिए?
जवाब-हमारी प्राथमिकता है ऊर्जा, पिछली सरकार ने तमाम एमओयू साइन किये, तमाम घोषणाएं की। यूपी में हमने चालीस हजार मेगावॉट, दस हजार मेगावॉट की योजनाएं अखबारों में निकली लेकिन हम उनसे पूछना चाहते ते कि इसकी गारंटी जब आप के पास थी नहीं तो योजनाएं कैसे लगती। फाइनेंशियल क्लोजर कैसे होता। इस पर सिर्फ पापुलेरिटी बटोरी गई कि जनता का वोट उन्हें मिल जाएगा। हम पावर मिनस्टर थे तो आखिरी रोज हम कर के गए थे। उस समय बिड़ला जी से एग्रीमेंट हुआ था बाद में वो अनिल अंबानी जी को चला गया और वो लगा पावर स्टेशन। हमारे जमाने में तीन पावर स्टेशन लगे उसके बाद कोई नहीं लगा। ये बड़े दुख की बात है। हमारी सरकार प्रथमिकता पर ऊर्जा को उत्पादित और वितरित करना चाहती है। हमने जो वादा किया है कि शहर को बाइस घंटे और गांव को बीस घंटे बिजली दे। उसे पूरा करना चाहते हैं। और सेंटर से भी अपील है कि यूपी को गिडगिल फार्मूले से बिजली ना दी जाए बल्कि क्षेत्रफल और आबादी के अनुरुप बिजली दी जाये।
सवाल-जो मैसेज जा रहा है यूपी की जनता या मीडिया में कि मौजूदा सरकार में कई पावर सेंटर हैं और शायद इसीलिए मुख्यमंत्री, नेताजी को अपनी कोई भी नीति लागू करने में काफी दिक्कत हो रही है। कभी कोई चिट्ठी लिख रहा है, कभी कोई बयान दे रहा है। कभी कोई मंत्री नाराज होकर जा रहा है। आप को नहीं लगता कि इतने पावर सेंटर होने से किसी भी सीएम को काम करने में दिक्कत होगी?
जवाब-कहीं ना कहीं थोड़ा सा ऐसा लगता है कि जैसे विचारों में मतभेद है। ये बात सही है। तमाम तरह के बयान आते हैं। मैने नेताजी से कहा था कि समाजवादी पार्टी में तमाम तरह के लोग हैं कैसे साथ लेकर चलते हैं, तो नेताजी ने कहा कि नरेश समझ लो शंकर जी की बारात है सबको साथ लेकर चलना है। एक बहुत बड़ी बात है कि बड़ा नेता हर एक के विचारों को सुने। आज तो मै देख रहा हूं कि रीजनल पार्टी में जिस तरह से डिक्टेटरशिप है वो हमारी पार्टी में नहीं है। समाजवादी पार्टी में सबको बोलने की आजादी है। लेकिन मैं इतना कहूंगा कि वो स्वतंत्रता नेता से व्यक्त करें तो ज्यादा अच्छा होगा। अन्य माध्यम में व्यक्त ना हो। विचार अलग-अलग हो सकते हैं। आज भी हमने कोई बात नेताजी से कही तो उन्होंने कहा कि तुम्हें मीडिया में नहीं कहना चाहिए, पार्टी के फोरम में कहना चाहिए। तो वो मना नहीं करते कि चीजों को कहो, तो शायद इसीलिए लोगों को लग रहा है कि पावर सेंटर बहुत हैं। लेकिन पावर सेंटर अकेले नेताजी हैं। निर्णय उन्हीं का होता है। हम लोगों के पितातुल्य है, बड़े भाई है, पार्टी के मुखिया है, हम सब कुछ भी कर डालें, चाहें जितना मतभेद हो, लेकिन नेताजी का आदेश सर्वोपरि है वो जो भी कह देंगे हम लोग मतभेदों को दूर कर देगें और ये कहीं मैसेज नहीं है कि तमाम पावर सेंटर हैं। प्रशासनिक निर्णय नेताजी ले रहे हैं और बहुत सी चीजों में माननीय मुख्यमंत्री जी और नेताजी बैठकर विचार विमर्श कर लेते हैं वो निर्णय हो जाते हैं। बहुत पावर सेंटर की बात से हम सहमत नहीं है।
सवाल-उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती जी जब वो मुख्यमंत्री थीं तब भी वो चाहती थीं कि एसपीजी सुरक्षा मिले और अब जब विपक्ष में हैं तब भी वो एसपीजी सुरक्षा के लिए परेशान हैं और प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिख रही है, क्या सचमुच खतरा है या इसलिए सुरक्षा चाहिए कि वह सुरक्षा सिर्फ पीएम और पूर्व पीएम को मिली है तो उनको भी मिलनी चाहिए?
जवाब-मैं तो खुद ही बड़ा आश्चर्यचकित होता हूं कि किसका ऐसा बहुत भारी विरोध है पूर्व मुख्यमंत्री को। जब वो मुख्यमंत्री थीं तब भी इतनी सुरक्षा लगी थी। मेरे ख्यल से करीब 2000 लोग सिक्यूरिटी में लगे थे। माननीय मुख्यमंत्री जी को अधिकारियों ने इतना डरा दिया था कि पूरे पूरे दिन वो घर से बाहर नहीं निकलती थीं। जो पांच साल तक जनता से ना मिला हो, एमएलए, एमपी से ना मिला हो, मंत्री से ना मिला हो भय के मारे। कि पता नहीं कौन सी घटना घट जाए। तो वो नेता जनता के बीच कितने दिन चलेगा, कैसे पापुलर रहेगा, इस पर प्रश्नचिन्ह लगता है। अगर नेता ही भय खाएगा तो जनता को क्या सुरक्षा देगा। मुझे नहीं लगता कि ये क्यों किया जा रहा है। किसने उन्हें समझा रखा है। जो यूपी सरकार से मान्य सुरक्षा थी जो पूर्व मुख्यमंत्रियों को मिलती है जेड प्लस वो अब दे रखी है तो एसपीजी की मांग करना, मैं उससे कही से सहमत नहीं हूं।
सवाल-आपको लगता है कि ये स्टेटस सिंबल हो गया है एसपीजी सुरक्षा?
जवाब-कुछ मुझे भी लगता है कि मांग ज्यादा होने लगी है एसपीजी की। क्या यूपी पुलिस के कर्मचारी निकम्मे हैं क्या सिक्यूरिटी की पौज निकम्मी है। एक से एक सक्षम लोग हैं एक से एक योग्य लोग हैं उन पर विश्वास करना चाहिए। हम लोग भी तो लेकर चलते हैं। विश्वास के साथ चलते हैं और रात दिन जनता के बीच रहते हैं। नेता घबराएगा तो जनता की सेवा नहीं कर सकता।
सवाल-आप इस तरह के पक्षधर हैं कि इस तरह की जितनी लोगों को सिक्यूरिटी मिली है कमांडो या एसपीजी उनका रिव्यू तो महज आई वाश होता है, खानापूर्ती होती है। सही ढंग से उसका रिव्यू हो और अगर उनको खतरा नहीं है तो सुरक्षा वापस ली जाए?
जवाब-मेरे ख्याल से ऐसे ही लोगों को मिले जिन्हें सुरक्षा का खतरा हो, देश में जो समीक्षा होती है वो राजनीतिक कारणों से नहीं होती, भारत सरकार समीक्षा में काफी ध्यान रखती है। यूपी सरकार भी काफी कुछ देखती है। समीक्षा छ-छ महीने पर होती है और इस समय जिन्हें मिली है अधिकांश ठीक है।
सवाल-आपके एक वरिष्ठ सहयोगी बृजभूषण तिवारी का पिछले दिनों देहावसान हो गया है। कार्यकर्ताओं की मांग है कि उनके परिवार के किसी व्यक्ति को दुबारा उनकी जगह राज्यसभा भेजा जाना चाहिए, समाजवादी आंदोलन में वो काफी आगे थे, नेताजी के पुराने सहयोगी रहे हैं, आपकी क्या राय है?
जवाब-देखिए तिवारी जी के बेटे का फोन हमारे पास आया था, तेरवीं के लिए भी आने को कहा है और मेरे मन की जो इच्छा है वो नेताजी से कह दूंगा। पर्सनल मिल कर मीडिया में नहीं कहूंगा। लेकिन नेताजी को मैंने देखा है कि उनका करियर में सिद्धांत रहा है कि जो उनके साथ रहा है उसका उन्होंने अंत तक साथ दिया। और परिवार का साथ दिया। बस मैं इतना ही कह सकता हूं और बाकी बात नेताजी से मिल कर करुंगा और समाजवादी पार्टी के बाकी नेताओं से करुंगा। निर्णय नेताजी को लेना है कि किसको राज्य सभा में लाएं किसको नहीं।
बातचीत के लिए धन्यवाद
First Published: Monday, May 14, 2012, 17:57