सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं गणपति

सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं गणपति

सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं गणपतिसंजीव कुमार दुबे
ॐ गणेशाय नम: और श्री गणेशाय नम: ये दो मंत्र ऐसे हैं जिनका इस्तेमाल हिंदू धर्म में सदियों से होता आया है। किसी भी कार्य के शुभारंभ से पहले हम इस मंत्र का उपयोग करते हैं। किसी आढ़तिया को अगर खाता बही के किसी पन्ने पर हिसाब लिखना हो तो वह इन्हीं मंत्रों को श्रद्धापूर्वक लिखने के बाद आगे बढ़ता है। यानी अपने काम का श्रीगणेश करता है।

हर शुभ कार्य से पहले गणेश की पूजा होती है। इससे हर वह व्यक्ति वाकिफ है जो हिंदू धर्म में थोड़ी भी आस्था रखता है। किसी कार्य के शुरू करने के पहले ऐसा करना श्रीगणेश करना माना जाता है। तभी तो ये मान्यता है कि ऐसा करने से उस कार्य के सफल होने की संभावना बढ़ जाती है।

हिंदू धर्म की पौराणिक मान्यताओं में किसी भी देवी-देवता में सबसे पहले गणपति की पूजा होती है। क्योंकि यह वरदान और ऐसी व्यवस्था उनके पिता भगवान शंकर ने ही की जिसके बाद से वह सबसे पहले पूजे जाते हैं। हिन्दू धर्म में गणेश जी सर्वोपरि स्थान रखते हैं। श्री गणेश जी विघ्न विनायक हैं जो आपके जीवन के दुखों को हर लेते हैं।

भगवान गणेश का स्वरूप मनोहर एवं मंगलदायक है। वे अपने उपासकों पर जल्दी ही प्रसन्न होकर उनकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। एक रूप में भगवान श्रीगणेश उमा-महेश्वर के पुत्र हैं। वे अग्रपूज्य, गणों के ईश, स्वस्तिक रूप तथा प्रणव स्वरूप हैं। प्रतिदिन उनके 16 नामों का श्रद्धापूर्वक उच्चारण या स्मरण साधक को धन-धान्य से परिपूर्ण करता है। उनके ये 16 नाम हैं- सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्णक, लंबोदर, विकट, विघ्ननाशक, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचन्द्र, विघ्नराज,द्वैमातुर, गणाधिप, हेरम्ब और गजानन।

श्रीगणेश चतुर्थी को पत्थर चौथ और कलंक चौथ के नाम से भी जाना जाता है। यह प्रतिवर्ष भाद्रपद मास को शुक्ल चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। चतुर्थी तिथि को ही भगवान गणेश की उत्पत्ति हुई थी इसलिए इन्हें यह तिथि अधिक प्रिय है। जो विघ्नों का नाश करने वाले और ऋद्धि-सिद्धि के दाता हैं। इसलिए इन्हें सिद्धि विनायक भगवान भी कहा जाता है।

ॐ गं गणपतये नम: यह गणपति का सर्वार्थ कल्याणकारी मंत्र कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं और जानकारों के मुताबिक साधक अगर इस मंत्र का रोजाना श्रद्धापूर्वक जाप करता है तो ऐसा करना उसके लिए सर्वार्थ कल्याणकारी होता है। बुधवार को भगवान गणपति पर मोदक (लड्डू) चढ़ाने के बाद इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति ऋणमुक्त होकर धन-धान्य से परिपूर्ण हो जाता है। अगर मोदक नहीं हो तो आप कुश भी चढ़ा सकते हैं क्योंकि कहते हैं कि गणपति बड़े सरल है और उन्हें प्रसन्न होते देर नहीं लगती है। अगर कोई व्यक्ति इतना संपन्न नहीं है कि वह मोदक को भोग गणपति को लगा सके तो कुश से ही भगवान प्रसन्न होकर उनकी इच्छा पूर्ण करते हैं।

श्री गणेश की विशेष मंत्रों से पूजा अत्यंत फलदायी मानी गई है। विघ्न और संकटों से बचाकर जीवन के हर सपने व इच्छाओं को पूरा करने वाली मानी गई है। बुधवार गणेश का दिन होता है इसलिए उनकी पूजा इस दिन विशेष फलदायी होती है। गणेश गायत्री मंत्र की अराधना करना बुधवार को सभी मनोरथ को पूर्ण करनेवाला होता है। साथ ही पूजा में घी से बने 21 लड्डूओं से गणपति की पूजा करना श्रेष्ठकर होता है। गणेश गायत्री मंत्र के बारे में कहा जाता है कि श्रद्धापूर्वक इसका जाप सर्वार्थ सिद्धिदायक होता है। यह मंत्र इस प्रकार है-

`एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।
महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।
गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।`

First Published: Saturday, September 7, 2013, 20:12

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