'सरकार की रेटिंग तो जनता तय करेगी' - Zee News हिंदी

'सरकार की रेटिंग तो जनता तय करेगी'



 

देश की राजनीति में जारी सियासी गहमागहमी के बीच राष्ट्रपति चुनाव के साथ-साथ 2014 लोकसभा चुनाव के बारे में सीपीएम नेता बृंदा करात से खास बात की, ज़ी न्यूज़ उत्तर प्रदेश के संपादक वासिन्द्र मिश्र ने अपने खास कार्यक्रम सियासत की बात में। पेश हैं इसके प्रमुख अंश-

 

सवाल-देश में राष्ट्रपति चुनाव की कवायद तेज है, आपकी पार्टी की क्या रणनीति औऱ तैयारी है?

जवाब-देखना होगा कि रूलिंग पार्टी की क्या समझ है, वो किस तरह का कैंडिडेट लेकर आते हैं। बाकी जो हम लोगों की गैर कांग्रेसी , गैर बीजेपी दलों और सेक्युलर पार्टियों के साथ समझ है। उसके आधार पर करेंगे फैसला। अभी इसमें काफी समय है और फिलहाल मीडिया कयासों का दौर है।

 

सवाल-आपके पुराने सहयोगी और एसपी के राज्यसभा सांसद किरणमय नंदा ममता से मिले है?

जवाब-मुलायम सिंह जी एसपी के मुखिया हैं। वो किसी भी दल या नेता से सीधे बात कर सकते हैं। बाकी कौन किससे मिल रहा है। इस पर मुझे कुछ नहीं कहना है।

 

 

सवाल-राष्ट्रपति के पद के लिए मीरा कुमार, प्रणब मुखर्जी , एपीजे कलाम, सोमनाथ चटर्जी का नाम सामने आ रहा है। आपके हिसाब से कौन उपयुक्त होगा इस पद के लिए?

जवाब-देखिए पिछली बार भी जिन नामों की चर्चा हो रही थी। उनमें से कोई भी राष्ट्रपति नहीं बना था। और आखिर में प्रतिभा जी देश की राष्ट्रपति बनी थी। ये अभी समय नष्ट करने की बात है। मैं इस पर कुछ नहीं कहूंगी।

 

 

सवाल-अभी आपकी पार्टी का केरल में राष्ट्रीय अधिवेशन हुआ। प्रकाश करात फिर तीसरी बार चुन लिए गए। उम्मीद की जा रही है कि खिसकी जमीन वापस पाई जाए। आधार वापस पाने के लिए क्या रणनीति बनी है ?

जवाब-केरल और बंगाल में हमारी सरकारें वोट आउट हुईं हैं। सेटबैक तो है लेकिन हमारी जमीन नहीं खिसकी है। बंगाल में पिछले चुनाव में हमें 42 फीसदी वोट मिले हैं। केरल में 2 सीट कम आई, तो हम ये नहीं समझते हैं कि चुनाव हार गए तो हम खत्म हो गए और ना ही ऐसा बंगाल या केरल की जनता मानती है। केंद्र में 27 फीसदी वोट के दम पर सरकार चल रही है। अभी यूपी में मुलायम सिंह को भारी जीत मिली है लेकिन वोट परसेंट क्या है। उनकी तुलना में हमे 41-42 फीसदी वोट मिले थे। लेफ्ट को टारेगेट करके हराया गया। लेफ्ट की विचारधारा के खिलाफ सभी दलों ने एक होकर अभियान चलाया था।

 

 

सवाल-कहा जाता है कि पश्चिम बंगाल में आपकी सरकार के लंबे कार्यकाल के दौरान दबे कुचले वंचितों के लिए कोई काम नहीं किया गया। रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य के दिशा में कोई काम नहीं हुआ?

जवाब-ये आरोप तथ्यों पर आधारित नहीं है, आखिर 35 साल तक हम कैसे जीत रहे थे। असलियत क्या थी। अब आपके सामने आएगी। केंद्र सरकार के आंकड़ों के आधार पर ही अगर बात करें तो भूमि सुधार के क्षेत्र में बंगाल के अल्पसंख्यक सबसे ज्यादा फायदे में रहे। SC/ST को भी सबसे ज्यादा फायदा बंगाल में मिला। बेरोजगारों के रजिस्ट्रेशन में भी कई राज्यों से आगे था बंगाल। बंगाल में 17 लाख से ज्यादा रजिस्ट्रेशन किए गए थे।

हां आगे चलकर प्रदेश में बेरोजगारी की जो समस्या हुई थी। टेक्सटाइल जूट इंडस्ट्री बंद हुई थी। वो हमारी वजह से नहीं हुआ। आज भी हम कहते है कि बंगाल में औद्योगीकरण की जरूरत है। हम आगे भी बढ़े थे लेकिन इस प्रक्रिया में कुछ घटनाएं घटी और पूरी मुहिम हमारे खिलाफ चली गई। नंदीग्राम में 1 इंच जमीन हमने नहीं ली लेकिन हमारे खिलाफ आंदोलन खड़ा हो गया। इसका विश्वलेषण किया गया। कमियां हमारी नहीं थी।

 

 

सवाल-ममता बनर्जी की सरकार जो लगातार अलोकतांत्रिक तरीके से काम कर रही है। आप उसे कितनी रेटिंगे देंगी?

जवाब-मैं कौन हूं रेटिंग देने वाली। मैं तो विपक्ष में हूं। लेकिन अगर बंगाल की जनता से पूछे कि अगर एक महिला के साथ सेक्सुएल असॉल्ट हो, वो थाने पर जाए और प्रदेश की सीएम बयान दें कि ये हमारी सरकार के खिलाफ साजिश है। जब जांच चल रही है, पुलिस ये साबित करती है कि ये हुआ है, उसी पुलिस अफसर का ट्रांसफर कर दिया जाता है। वो एक साधारण आम महिला थी जिसका सियासत से कोई लेना-देना नहीं था. तो क्या आप इसे डेमोक्रेटिक राइट कहेंगे?

किसान अपनी आवाज उठा रहा है। सरकार सुनती नहीं है, किसान आत्महत्या के लिए मजबूर हैं, पूरे देश में 28 फरवरी को हड़ताल थी। लेकिन बंगाल में सरकारी कर्मचारियों को ऐसी धमकी दी गई  जैसा पहले कभी नहीं हुआ।

ये बंगाल की जनता के खिलाफ बात है। ये सीपीएम के खिलाफ नहीं है। इसलिए आप देखते चलिए सरकार की रेटिंग तो जनता तय करेगी।

 

 

सवाल-ममता जिस तरह से केंद्र से टकराव मोल लेती है क्या ये नूरा कुश्ची है ताकि वाम को विपक्ष की भूमिका निभाने का मौका ना मिल सके?

जवाब-देखिए ये नूरा कुश्ती तो है। उससे बढ़कर कांग्रेस को खुद सोचना चाहिए कि ममता बंगाल में कांग्रेस को ही खत्म कर रही हैं, कांग्रेस के कई नेताओं ने बयान दिया है। लोकतंत्र पर हमले का शिकार तो कांग्रेस भी हो रही है।

 

सवाल- अगर कांग्रेस अपनी पुरानी गलती ठीक कर ले और पश्चिम बंगाल में टीएमसी को छोड़कर आपसे हाथ मिलाना चाहे तो क्या आप स्वागत करेंगे?

जवाब- सवाल ही नहीं, हमारा टारगेट ही वो नीतियां हैं जो कांग्रेस दिल्ली में बैठकर चला रही है। आप देखेंगे कि अभी पेट्रोल एलपीजी के दाम फिर से बढ़ेंगे। फूड सिक्योरिटी बिल भी कबसे लटका है। इन नीतियों के साथ सरकार को समर्थन देने का सवाल ही नहीं है। क्योकि पिछली बार जब सरकार के साथ लेफ्ट थी तो भी रक्षात्मक होने के बावजूद वो कई नीतियों को चलाने पर तुली थी। आज वो  बेलगाम है। ममता के साथ ये वाकई नूरा कुश्ती है। कैबिनेट में एक बात और बाहर दूसरी बात।

 

सवाल-कामरेड जो ऐलान आपके केरल अधिवेशन में हुआ है कि देश में ऐसा विकल्प बनाया जाएगा जो बीजेपी और कांग्रेस से बराबर दूरी बनाते हुए और सोच रखने वाले शामिल हों। उनका इशारा किसकी तरफ है, गैर कांग्रेसी, गैर बीजेपी विकल्प तो माया, मुलायम, नवीन पटनायक वगैरह है?

जवाब-अभी जो केरल कांग्रेस हुई है, उसमें बहुत बहस के बाद तय हुआ कि इस समय पार्टी के सामने जो सवाल है वो चुनाव नहीं है। मुख्य बात जो जनता के ऊपर आर्थिक नीतियों को लेकर हमला हो रहा है वही हमारे संघर्ष को धार देगा। हम इन नीतियों के खिलाफ है। इसलिए हम लोगों का जो नारा है कि वामपंथी जनवादी ताकतों को इकट्ठा करके हमें इन नीतियों के खिलाफ एक बुनियादी फिक्र तैयार करना है, और वो कैसे होगा। वो नेताओं से बातचीत के आधार पर तैयार नहीं होगा। बल्कि जमीन पर संघर्ष करके होगा। कौन होगें? इस जनवादी संगठन के बीच-हम सोशल सेक्शन्स की बात कर रहे हैं। हम पोलिटिकल पार्टियों की बात नहीं कर रहे हैं, हम बात कर रहे हैं मजदूरों, किसानों, दलितों, आदिवासियों गरीब महिलों की। तो उस सोशल सेक्शन के बीच काम करके पार्टी का स्वतंत्र आधार मजबूत करना है। ये पार्टियों के पीछे दौड़ कर हम लोग नहीं कर सकते। बुनियादी बात इस कांग्रेस की है कि एक मजबूत आधार अपना हमें खड़ा करना है। और सोशल सेक्शन को लेकर आगे बढ़ना है। दूसरी बात जहां तक चुनाव का मसला है तो उस समय देखेगें कौन कौन दल उस समय बीजेपी कांग्रेस के खिलाफ हैं। ये उसी समय देखेंगे। अभी तो हम इन दलों के साथ जो पार्लियामेंट में सहयोग चल रहा है उसे जारी रखेंगे। जो मुद्दे आते हैं और आ रहे हैं, क्योंकि सेंटर का रवैया राज्यों के साथ ठीक नहीं है। लेकिन एक रणनीति के तौर पर हमें अपनी पार्टी और गरीब जनता के हितों का ख्याल करना है।

 

सवाल-मुलायम के साथ पुराना अनुभव ज्यादा अच्छा नहीं है। सीपीएम ने उनकी मदद की लेकिन ताकत में आते ही तीन बार मुलायम ने वामदलों को धोखा दिया। क्या ये अनुभव है जो आप बचना चाह रहे हैं कि पोलिटिकल एलायंस से?

जवाब-हम किसी से बचना नहीं चाह रहे हैं जो राजनीतिक स्थिति है हमें उसके हिसाब से फैसला लेना है। चुनाव के समय में कौन साथ होगा। कौन नहीं। क्या हमारी प्रथमिकताएं होंगी, वो हम उस समय देखेंगे। ये सही है कि मुलायम की हमने कई बार मदद की यूपी में उनकी सरकार थी। हमने केन्द्र की तरफ से थोपे जाने वाले राष्ट्रपति शासन का विरोध किया। लेकिन जब हम स्टैंड लेते हैं तो अपने सिद्धांतों के आधार पर लेते हैं। धारा 356 का दुरुपयोग कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे।

 

 

सवाल-केरल कांग्रेस के बाद प्रकाश करात का बयान था कि अगर जरुरत पड़ी तो हम बीजेपी के साथ भी फ्लोर मैनेजमेंट कर सकते हैं सरकार को जनविरोधी नीतियों के चलते गिराने के लिए?

जवाब-नहीं ऐसा नहीं कहा, गिराने की तो बात नहीं हुई। कांग्रेस तो जैसे सरकार चला रही है, वो खुद ही चली जाएगी। सरकार खुद कमजोर हो रही है, लेकिन कुछ मुद्दे ऐसे आते हैं जिस पर अलग अलग दल यहां तक कि कांग्रेस सांसद और सरकार के सहयोगी भी हमारे साथ मुद्दों पर आधारित समर्थन करते हैं। पार्लियामेंट के फ्लोर पर कभी-कभी इस्यू के आधार पर सभी पार्टियों के साथ बातचीत करनी पड़ती है। क्योंकि वो कानून बनाने का सवाल है।

 

सवाल-जिन मसलों पर आप लंबे आंदोलन करती रहीं तो अब सुर धीमे क्यों पड़ गए?

जवाब-नहीं ऐसा नहीं है, हम रोज मुद्दों पर लड़ रह हैं। आदिवासियों पर हमले, उनकी जमीन हड़पना, माइनिंग की इजाजत के खिलाफ हमारा आंदोलन चल रहा है। दिल्ली में सम्मेलन हुआ। उसमें जो मांग और मुद्दे सामने आए। उसे राज्यों तक ले जा रहे हैं। ये मुद्दे मीडिया में कितना आते हैं मैं नहीं कह सकती।

 

सवाल-महिला आरक्षण बिल को पास कराने की क्या दलों की नीयत नहीं है?

जवाब-बिल्कुल नहीं चाहते, अब राज्यसभा में बिल पास हो गया, लेकिन लोकसभा में नहीं ला रहे। दो साल हो गए लेकिन वो बिल राज्यसभा से लोकसभा नहीं आ सका। ये राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है। ये लोग नहीं चाहते कि बिल पास हो। वो जानते हैं कि जिनके साथ उनकी सरकार चल रही है वो महिला बिल के खिलाफ है।

 

सवाल-सरकार के आगे महिलाओं का हक गौण हो गया है?

जवाब-बिल्कुल स्प्ष्ट है। आप देखिये राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद तो बिल्कुल मुद्दा ही गायब हो गया और आज सिर्फ महिलाएं ही आवाज उठा रही है। ये महिलाओं के साथ धोखा है। अब गांव और लोकल बॉडी के इलेक्शन में ऐसा हो चुका है लेकिन विधानसभा और संसद में दिक्कत है। ये पुरुष प्रधान मानसिकता है और गलत है।

 

सवाल-आपको लगता है कि लालू मुलायम जैसी रीजनल फोर्सेज नहीं चाहती महिलाओं को आरक्षण मिले?

जवाब-उन्होंने तो पारदर्शिता के साथ अपनी बात सामने रखी, लेकिन उनके कंधों पर जो बंदूक रख कर महिला बिल का विरोध कर रहे हैं, उनका क्या। ये मुंह पर कुछ कहते हैं और पीछे करते कुछ और है।

 

सवाल-क्या कांग्रेस पोलिटिकल हिप्पोक्रेसी के रास्ते पर है?

जवाब-महिला आरक्षण बिल के मुद्दे पर तो बिल्कुल स्पष्ट है, अगर ये हिप्पोक्रेसी नहीं है तो वो जनता के सामने क्यों नहीं बता रहे हैं।

 

सवाल---आपको लगता है कि महिला बिल पास होने से महिलाओं पर अत्याचार रुकेगा?

जवाब-सीधा फायदा ना हो ते भी अप्रत्यक्ष फायदा मिलेगा। महिलाएं पब्लिक लाइफ में आएंगी तो वातावरण बदलेगा।

 

 

सवाल-आपने स्टूडेंट लाइफ से राजनीति तक आने के कई आर्टिकिल लिखे, आपने लिखा कि मिस मिरांडा चुने जाने के दूरगामी परिणामों से आप अवगत नहीं थी। आज आप उसका विरोध करती है, कोई खास वजह?

जवाब-मेरी उम्र उस समय 15 साल थी। उस समय तो महिलाओं की छवि और समाज की समझ नहीं थी। मेरे पास करने के दस-पन्द्रह साल बाद तक ये चलता रहा उसके बाद बंद हुआ। बिल्कुल सही खत्म हुआ। ये ब्यूटी कांटेस्ट का मतलब ही क्या है?

 

सवाल-जब एयर इंडिया की नौकरी में आप थी तो लंदन में तो आपने मुहिम चलाई कि अगर कोई स्कर्ट की जगह साड़ी पहन कर आना चाहता है तो इजाजत मिलनी चाहिए। आप कामयाब भी हुईं। आपको लगता है ड्रेस और वायलंस का कोई रिश्ता है।

जवाब-नहीं ड्रेस-वायलेंस का कोई रिश्ता नहीं है। मैं स्कर्ट के खिलाफ नहीं थी। लेकिन मैं एयर इंडिया में नौकरी कर रही थी। तो हम अपने देश की वेशभूषा क्यों नहीं पहन सकते, मैं ग्राउंड स्टाफ में काम कर रही थी। तो मुझे और मेरे साथ की लड़कियों को राष्ट्रीय ड्रेस पहनने की इजाजत नहीं थी। मैं इस तरह की पाबंदी के खिलाफ थी। मैं रोज साड़ी पहन कर गई और कहा कि आप एक्शन लीजिये। बाद में एयर इंडिया ने अपना नियम बदल दिया। तब मैं 19-20 साल की थी।

 

सवाल-आपने रामदेव के खिलाफ तब मोर्चा खोला जब उनके खिलाफ कोई बोलने की हिम्मत नहीं करता था?

जवाब-ये मेरी मर्जी का सवाल नहीं था, मजदूर आए थे, उनके पास प्रूफ था। आज भी मैं कहती हूं कि उस समय जो प्रूफ था वो सिर्फ हर्बल मेडिसिन नहीं थी। उसमें मिलावट थी, मैं एन डी तिवारी के पास गई कि मजदूरों के बयान पुलिस क्यों नहीं ले रही है। तिवारी जी बोले कि आप कुछ भी कहिए लेकिन मैं खुद रामदेव जी की दवाएं खाता हूं और मुझे फायदा है। लालू ने कहा कि मानव खाओ या दानव, मुझे फायदा होना चाहिए। मेरा कहना है कि जो दवाएं आप खा रहे हैं उसमें क्या है आपको पता होना चाहिए। उस समय के स्वास्थ्य मंत्री  ने भी मेरे आरोपों की पुष्टि की थी।

 

सवाल-आपको लगता है कि रामदेव हिप्पोक्रेट हैं ?

जवाब-मैं किसी के बारे में क्या सोचती हूं,उनके बारे में वो मेरी निजी राय होगी ?

धन्यवाद ...

First Published: Friday, April 20, 2012, 12:45

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