
मध्यप्रदेश में चुनाव सिर पर है। प्रदेश में विकास और चुनाव को लेकर इस बार
सियासत की बात में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री
शिवराज सिंह से ज़ी न्यूज मध्यप्रदेश/छत्तीसगढ़/उत्तर प्रदेश/उत्तराखंड के संपादक
वासिंद्र मिश्र ने खास बातचीत की। पेश हैं इसके मुख्य अंश:-
वासिंद्र मिश्र : 7-8 साल का आपका जो कार्यकाल रहा है, जो आपने विकास की राजनीति शुरू की है उन राज्यों में जिनके बारे में कहा जाता था कि कास्ट और कम्युनल पालिटिक्स की गिरफ्त में रहे हैं उससे बाहर निकल कर आपने डेवलपमेंट का मॉडल पेश किया और जिसकी वजह से देश भर में चर्चा है कि मध्यप्रदेश एक अलग दिशा में जा रहा है। क्या वजह है कि शिवराज के डेवलपमेंट का डंका जो केंद्र सरकार भी मान रही हैं उसको प्रोजेक्ट करने में आपकी अपनी पार्टी संकोच कर रही है?
शिवराज सिंह : मुझे नहीं लगता है कि मेरी पार्टी संकोच कर रही हैं। पार्टी के सभी वरिष्ठ नेता हमारी सरकार के अच्छे प्रदर्शन की चर्चा करते हैं। मैं अपने आपको भी इसके लिए थोड़ा दोषी मानता हूं क्योंकि मैं लो-प्रोफाइल में काम करने वाला रहा हूं। 11वीं पंचवर्षीय योजना में हमारी जो एवरेज ग्रोथ रेट 10.2 फीसदी थी उसकी जितनी चर्चा देश में होनी चाहिए थी उतनी नहीं हुई। प्रति व्यक्ति आय हमारी 12 हजार से बढ़कर 47 हजार हो गई। इस साल हमारी ग्रोथ देश में नंबर एक पर है। मध्य प्रदेश का एग्रीकल्चर ग्रोथ इस साल पिछले साल के 18.9 प्रतिशत से 15.16 प्रतिशत और ऊपर आ जाएगा लेकिन इसकी चर्चा अब होनी शुरू हो गई है। भाजपा का सारा राष्ट्रीय नेतृत्व मुझे स्नेह करता है और मेरी उपलब्धियों की चर्चा भी करता है।
वासिंद्र मिश्र : इस समय देश की जनता के सामने 3 मॉडल ऑफ डेलवपमेंट है। पहला मनमोहन सिंह का, दूसरा आपका और तीसरा आपकी ही पार्टी की सरकार है गुजरात में। अगर राष्ट्रीय स्तर पर देखा जाए तो कौन सा विकास का मॉडल आप बेहतर मानते हैं?
शिवराज सिंह : हमारा देश बहुत बड़ा है। अलग-अलग राज्यों की परिस्थितियां अलग-अलग हैं। आवश्यक्ताएं अलग-अलग हैं। प्राथमिकताएं अलग-अलग हैं। जहां तक गुजरात का सवाल है गुजरात की प्राथमिकताएं और आवश्यकताएं अलग हैं। गुजरात एतिहासिक तौर पर विकसित राज्य रहा है जिसको मोदी जी ने विकास की चरम सीमा तक पहुंचा दिया है। सारा देश इसको मानता है और हम भी उनका बहुत सम्मान करते हैं। जहां तक प्रधानमंत्री जी की बात है वो मॉडल तो अब कहीं बचा ही नहीं है। जहां तक एमपी का सवाल है तो एमपी की अपनी प्राथमिकताएं हैं, अपनी जरुरतें हैं और उसके हिसाब से हमने अपना मॉडल बनाया है। मैं मानता हूं कि एकात्म मानव दर्शन का जो मूल भाव है वो कुल मिलाकर हमारे विकास की राह का मार्गदर्शक है। जब मैंने एमपी के विकास की बात सोची तो मेरे दिमाग में सीधी बात आई कि एक इंफ्रास्ट्रक्चर मुझे विकसित करना होगा क्योंकि यहां सड़कें थी ही नहीं। गडढ़ों में सड़क है कि सड़क में गढ्ढे कुछ पता नहीं था। बिजली का अता-पता नहीं था। बिजली 3-4 घंटे मिल जाए तो काफी होती थी। पानी का इंतजाम नहीं था विशेषकर सिंचाई के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी, जब रोड नहीं होगी, पावर नहीं होगी और पानी नहीं होगा तब तक कोई प्रदेश विकास नहीं कर सकता। औद्योगिक रूप से विकसित राज्य मेरा नहीं था और औद्योगिक रूप से विकसित राज्य चाहिए तो बिजली पानी चाहिए। हमने 90 हजार किलोमीटर सड़कें बनाई, 8 साल में हमने सिंचाई की जो क्षमता, अंग्रेज, राजा, नवाब, और कांग्रेस, इन सबने मिलाकर 7.5 लाख हेक्टेयर में स्थापित की थी, हमने इसको बढ़ाकर इस साल 24 लाख हेक्टेयर कर दी है और अगले साल ये 27 लाख हेक्टेयर हो जाएगी। जब हमारी सिंचाई की क्षमता बढ़ी तो उत्पादन बंपर हुआ। किसान को कुछ और ना दो सिर्फ पानी दे दो तो आधा काम वो अपने आप कर लेगा। बिजली के मामले में मैं शर्त के साथ कह सकता हूं कि जब मैं चार साल पहले कहता था तो कोई मेरा यकीन नहीं करता था कि एमपी के सभी 53 हजार गांवों को हम 24 घंटे बिजली दे देंगे, लेकिन आज मै दावे के साथ कह सकता हूं कि मई के आखिर तक तक हर गांव में बिजली हो जाएगी।
वासिंद्र मिश्र : आप पंडित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद की जो बात कर रहे हैं, एकात्म मानववाद की जो थ्योरी है उसको आपकी पार्टी जोरदार तरीके से क्यों नहीं आगे बढ़ा रही है, जैसे आपने अपने राज्य में किया है?
शिवराज सिंह : हम तो उसी के हिसाब से काम कर रहे हैं जैसा पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का एकात्म मानववाद कहता है। मनुष्य शरीर के साथ-साथ मन भी है, बुद्धि भी है, आत्मा भी है, इसलिए मनुष्य को पूरी तरह सुखी करना है तो शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा इन चारों के सुख को वो प्राप्त कर सके, ऐसे राज्य, समाज और जीवन की हमको रचना करनी है। पहली चीज शरीर का सुख यानी रोटी, कपड़ा और मकान। पढ़ाई लिखाई और दवा का इंतजाम। ये पहला सुख है। इसलिए हमने किसानों के लिए किया, गरीबों के लिए किया। एक बात और कही गई है एकात्म मानव दर्शन में और भारतीय सोच में भी, जिसको महात्मा गांधी भी मानते थे कि जिसकी जितनी सामर्थ्य है उतना वो कमाए और जिसकी जितनी जरूरत है उसको उतना दिया जाए, इसलिए मैं कतई ये नहीं मानता कि जीडीपी ग्रोथ हमारी 11.12 प्रतिशत और एग्रीकल्चरल ग्रोथ हमारी 19 प्रतिशत हो गई है तो हम फूल के कुप्पा हो जाएं और कहें कि हम बहुत आगे आ गए हैं, जब तक विकास का प्रकाश गरीब आदमी तक नहीं पहुंचेगा तब तक विकास बेमानी है और इसलिए हमने मजदूरों के लिए एक ऐसी योजना बनाई कि उनके बच्चों को निशुल्क पढ़ाई की व्यवस्था, स्कॉलरशिप पहली क्लास से, इलाज की व्यवस्था, सस्ता राशन देना, अगर कोई आपदा हो जाए तो उनके साथ सामाजिक सुरक्षा खड़ी हो जाए, पैदा होने से लेकर अंतिम सांस तक, चाहे वो शहरी हो या ग्रामीण मजदूर हो, इनके साथ हमने सामाजिक सुरक्षा खड़ी कर दी, हम इनको हमेशा गरीब नहीं रखना चाहते, हमारी कोशिश है कि इनका जीवन स्तर ऊपर उठे, इनकी आमदनी बढ़े लेकिन जब तक इनका जीवन स्तर ऊपर नहीं उठेगा तब तक कोई विशेष सहायता हमको इन्हें देनी होगी। हमारी कोशिश है कि जिसकी जितनी जरूरत है उसकी उतनी जरूरत पूरी कर दी जाए। जिसमें जितनी सामर्थ्य है वो उतना कमाए। यही एकात्म मानववाद है। यही गांधीवादी समाजवाद भी है, यही राममनोहर लोहिया कहते थे लेकिन केवल इतना पर्याप्त नहीं है। इसके अलावा मन का सुख भी चाहिए। बुद्धि का सुख भी चाहिए और आत्मा का सुख भी चाहिए। इसलिए शिक्षा की व्यवस्था, संस्कृति और कला को बढ़ावा देना, खेलों को बढावा देना, जो खोज जैसी प्रवृत्ति है उसको बढ़ावा देने का काम करना इसके साथ-साथ जो आत्मा का सुख है उसके लिए मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन जैसी योजना उसी के लिए है।
वासिंद्र मिश्र : आपने कहा कि औद्योगिक विकास भी हो, आपके राजनैतिक विरोधी आरोप लगाते हैं कि विकास के साथ भ्रष्टाचार भी बढ़ रहा है तो क्या विकास और भ्रष्टाचार पर्यायवाची है?
शिवराज सिंह : बिल्कुल नहीं है। भ्रष्टाचार एक प्रवृत्ति है, उसको अगर रोकना है तो भाषण से नहीं रुक सकता, उसके लिए व्यवस्था परिवर्तन लाना होगा। जहां तक एमपी का सवाल है, मैं शर्त के साथ कह सकता हूं कि एमपी में जितने विभाग हैं उनमें जो 2 लाख तक के टेंडर हैं वो ई-टेंडर के माध्यम से होते हैं। कोई वाद विवाद और कोई दादागिरी नहीं। सीधे-सीधे ग्लोबल टेंडर आते हैं। पहले इरीगेशन के टेंडर काफी ऊंचे दामों पर आया करते थे। अब तो काफी नीचे आ रहे हैं। इसलिए क्योंकि यहां लेने देने का कोई मामला बचा नहीं है। इतना ही नहीं, लोगों को छोटी-छोटी सेवाएं देने के लिए हमने लोक सेवा प्रदाय गारंटी अधिनियम बनाया जिसके बाद बाकी राज्यों ने उसका अनुसरण किया। हमारी लाडली लक्ष्मी जैसी कई योजनाएं रही हैं जिसका बाद में दूसरे राज्यों ने भी अनुसरण किया। निश्चित समय में अधिकारी को काम करके देना होगा और अगर नहीं करेगा तो जुर्माना होगा और वो जुर्माना उसकी सैलरी से काटा जाएगा। हर्जाने के तौर पर यह रकम उस शख्स को दिया जाएगा जिसका काम रुका हुआ था। इन सबके बाद भी अगर कोई आय से अधिक संपत्ति कमाता है तो हमने स्पेशल कानून बनाया है और उनकी संपत्ति को राजसाथ करने का काम किया है। क्या एमपी के अलावा कहीं और छापे मारे जा रहे हैं। एकमात्र प्रदेश है मध्य प्रदेश। मुझे ये कहने में जरा भी संकोच नहीं है कि हमने पैसा बाहर निकाला है। भ्रष्टाचार को दबाया नहीं है। अगर भ्रष्टाचार रोकना है तो व्यवस्था को बदलना होगा और माइंडसेट भी बदलना होगा।
वासिंद्र मिश्र : क्या आप अपनी पार्टी के बाकी राज्य सरकारों को ये सुझाव देंगे कि लोकायुक्त को जितना सशक्त आपने बनाया है, उस तरह के प्रावधान वो लोग अपने राज्यों में भी करें?
शिवराज सिंह : अलग-अलग राज्यों की अलग-अलग परिस्थियां हैं इसलिए जैसा उनको लगता है, वो अपने यहां व्यवस्था कर रहे हैं। गुजरात जैसे राज्य में करप्शन है ही नहीं तो जितनी आवश्कता है उतना वहां के मुख्यमंत्री कर रहे हैं।
वासिंद्र मिश्र : एक और आरोप है आपकी सरकार पर अवैध खनन को लेकर लगता है कि इसको कारगर ढंग से अभी तक आप नहीं रोक पाए हैं?
शिवराज सिंह : देखिए ये केवल आरोप है। जब विकास के काम होंगे तो पत्थर और गिट्टी की जरूरत तो पड़ेगी ही। रेत की जरूरत पड़ेगी। विधिवत तरीके से लोग निकालें, इस बात की कोशिश होती है। इलीगल माइनिंग हमारे यहां छोटी मोटी है जबकि बाकी राज्यों में भयावह स्थिति है। हमारे प्रदेश में नदियों के किनारे इतने लंबे और विस्तृत हैं कि उनमे कई बार इस बात की संभावना रहती है कि कहीं से किसी ने रेत निकाल ली और कहीं से किसी कॉन्ट्रैक्टर ने अपने माइनिंग एरिया के आसपास की भी रेत निकाल ली, लेकिन जब भी ऐसा होता है तो मामले में सबसे सक्षम कार्रवाई मध्यप्रदेश में ही होती है।
वासिंद्र मिश्र : विधानसभा चुनाव सिर पर हैं और आप लोग चुनाव की तैयारी में हैं। दुबारा सत्ता में आना चाहते हैं तो ऐसे कौन से काम बचे रह गए हैं जिनको पूरा करना शेष बचा है?
शिवराज सिंह : अभी मध्य प्रदेश का जो विकास हुआ है वो पड़ाव है मंजिल नहीं है। अभी तो लघु और कुटीर उद्योग का हमें जाल बिछाना है उसके लिए हमने मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना अपने बच्चों के लिए बनाई है। चूंकि चुनाव बहुत पास हैं इसलिए हम इसे क्रियान्वित तो कर रहे हैं लेकिन जितने लोगों को इस काम में लगाना चाहते हैं उसको अभी भी करना पड़ेगा और चुनाव के बाद भी करना पड़ेगा। ये योजना अभी अपनी तरह की अनूठी है। 25 लाख का लोन हम बच्चों को देंगे, उसकी गारंटी सरकार देगी। बैंको से हमने कहा है कि आप लोन दो और गारंटी सरकार देगी, बैंक लोन देने में संकोच इसलिए करते हैं कि क्या पता ये युवा लोन वापस करेंगे या नहीं। अब सरकार की गारंटी है तो उनकी चिंता खत्म। रिकवरी अगर ये नहीं देंगे तो सरकार देगी। उनको हम ट्रेंड भी कर रहे हैं, स्किल्ड भी कर रहे हैं, काउंसलिंग भी कर रहे हैं और उनसे कह रहे हैं कि गांव-गांव में आप उद्योग लगाओ। इन छोटे-छोटे उद्योगों के जाल फैलने से ज्यादा रोजगार मिलेगा और गांव भी समृद्ध बनेगा। पांच साल तक 5 प्रतिशत तक की ब्याज सब्सिडी भी हम उन नौजवानों को देने का काम करेंगे और मेरा सपना है कि गांव में दो चार छोटे छोटे लघु उद्योग शुरू हो जाएं तो गांव वालों को भी रोजगार मिलेगा और 24 घंटे बिजली की बदौलत पूरी अर्थव्यवस्था हमारी गतिमान हो जाएगी। इरीगेशन का जो इलाका है वो तेजी से बढ़ रहा है। 94 लाख हेक्टेयर जमीन में 24 लाख हेक्टेयर सिंचित है। इसे 100 प्रतिशत तक ले जाना है। इसलिए नर्मदा के पानी को क्षिप्रा में ले जा रहे हैं। यह काम इस साल के आखिर तक पूरा हो जाएगा। डाक्टर्स की कमी है लिहाजा इस बार सरकारी स्तर पर और मेडिकल कॉलेज खोलने का हमने फैसला किया है। ये सब चीजें होगी तो प्रदेश और तेजी से आगे बढ़ेगा।
वासिंद्र मिश्र : एक और जो सबसे बड़ी प्रॉब्लम बाहर से देखने को मिल रही हैं वो ये है कि आपके मंत्रियों पर और तमाम विधायकों पर अलग-अलग तरह के आरोप हैं। चुनाव में आप ऐसे लोगों की स्क्रीनिंग कैसे करेंगे टिकट बंटवारे से पहले?
शिवराज सिंह : हम अपने विधायकों के संपर्क में हैं। मंत्रियों की टीम हर मंगलवार को बैठती है। और कोई भी आरोप लगा दे उसे मानना न्याय नहीं होगा। इतने साल हो गए हमको सरकार चलाते हुए ऐसा नहीं है जो प्रमाणित किया जा सका हो। आरोप लगते रहते हैं तो जांच भी अलग-अलग स्तर पर होती है, लेकिन कोई आरोप ऐसा नहीं है जिससे ये कहा जा सके कि मंत्री ने ऐसा किया है। जहां चीजें मिलती हैं उन पर हम कार्रवाई करते हैं।
वासिंद्र मिश्र : एक पॉलीटिकल सवाल है कि आपके जो परम मित्र, काफी करीबी हैं जिनसे आपके रिश्ते हैं उमा जी और प्रभात झा। उमा भारती उत्तर प्रदेश में जब कोई मीटिंग करती हैं तो मंदाकिनी के शुद्धिकरण और सफाई की बात करती हैं। जब आपके साथ मंच शेयर करती हैं तो आपकी तारीफ करती हैं और कहती हैं कि मध्य प्रदेश में जो विकास हुआ है वो गुजरात से भी ज्यादा है। तो अगर कहें कि आपके राज्य के नेताओं और सहयोगियों में Consistency नहीं है तो आपको नहीं लगता कि इसकी वजह से आपको परेशानी होती है। एक ब्रांड मार्केटिंग होनी चाहिए?
शिवराज सिंह : ब्रांड मार्केटिंग का तो सवाल ही नहीं क्योंकि आप जनता के लिए काम करते हैं तो जनता ही मार्केटिंग करती है। लोग रोज मुझे काम करते देख रहे हैं, लोग मुझे जान रहे हैं। उनके बीच में मार्केटिंग करने की जरूरत क्यों है। जहां तक उमा जी का सवाल है वो मेरी बहुत स्नेही और लाड़ली बहन हैं। मैं हृदय से मानता हूं उन्हें। मैंने जीवन भर एक शब्द भी उमा जी के खिलाफ नहीं कहा। बीच में कुछ राजनैतिक परिस्थितियां थी जिसके कारण कई बार ऐसी स्थितियां बनी हैं जिससे लोगों को ऐसा लगता है कि जैसे एक दूसरे के कहीं विरोधी हो गए हैं। प्रभात जी मेरे परम मित्र हैं। उनसे कोई मतभेद नहीं है। हर व्यक्ति का अपना स्वभाव होता है, लेकिन पूरी गंभीरता के साथ नरेंद्र सिंह तोमर के नेतृत्व में जो बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष हैं हम सब लोग काम करेंगे और भाजपा की सरकार तीसरी बार प्रदेश में होगी।
वासिंद्र मिश्र : हम आपसे राष्ट्रीय स्तर पर ये जानना चाहते हैं कि लोकसभा का चुनाव होने जा रहा है। देश में आप अपने पार्टी के बड़े नेताओं या जो राष्ट्रीय परिषद में हैं उन्हें किस तरह का सुझाव देना चाहेंगे?
शिवराज सिंह : मेरा आपसे विनम्र निवेदन है कि ये मुद्दे ऐसे हैं जिनका जिक्र पार्टी फोरम के सामने होना चाहिए।
वासिंद्र मिश्र : आपकी क्या राय होगी?
शिवराज सिंह : मुद्दे तो अगर देखें तो आम तौर पर भारतीय जनता पार्टी जो उठा रही है भ्रष्टाचार एक मुद्दा है। कोलगेट से लेकर नेशनल गेम्स समेत अनेकों ऐसे मुद्दे हैं जिनकी चर्चा करना वक्त जाया करना होगा। दूसरा बड़ा मुद्दा महंगाई का है। तीसरा जो हमें उद्देलित करता है और मन को तकलीफ देता है कि हमारे सैनिकों के सिर काटकर पाकिस्तान ले जाए और हमारा स्वाभिमान बिल्कुल नहीं जागे। हम बहुत विनम्र देश हैं हम सबका सम्मान करते हैं लेकिन हम कायर भी नहीं है ऐसे कि हमारे देश के सम्मान को कोई भी ठेस पहुंचाता रहे। भारत मां को यदि कोई भी कलंकित और अपमानित करता रहे और हम चुपचाप बैठे रहें, पूरे देश में एक प्रखर राष्ट्रवाद जगाने की जरूरत है। फिर चुनाव का जो प्रमुख मुद्दा है मैं मानता हूं वो है विकास, विकास, विकास। देश का विकास जरूरी है। फिर समावेशी विकास की जो बात होती है वो विकास हो। मैं मानता हूं कि लगभग यही मुद्दे होंगे और फिर संसदीय बोर्ड इस बारे में चर्चा करेगा और फैसला लेगा। जब हम लोगों से राय मांगी जाएगी तो हम भी राय देंगे।
वासिंद्र मिश्र : भाजपा चुनाव के पहले तो तमाम राजनीतिक मुद्दों की बात करती है। हम चुनाव में इन मुद्दों को लेकर जाएंगे। डेवलपमेंट का मुद्दा, भूमि अधिग्रहण का मुद्दा, भ्रष्टाचार, आतंरिक सुरक्षा, कानून व्यवस्था लेकिन ज्यों-ज्यों चुनाव करीब आते हैं या जब कैंपेनिंग शुरू होती है तो सारे मुद्दे पीछे छूट जाते है और फिर वही भावनात्मक जज्बाती मुद्दे राम मंदिर, हिंदुत्व इसको लेकर पार्टी पूरी तरह से उलझ जाती है। जिसका नतीजा ये होता है पार्टी को जितनी सफलता मिलनी चीहिए वो नहीं मिल पाती?
शिवराज सिंह : राज्यों में जो चुनाव हुए हैं वहां विकास ही मुद्दा रहा है और बीजेपी विकास के मुद्दे पर ही चुनाव लड़ेगी, लेकिन हिदुत्व भी तो विकास ही है, हिदुत्व का मतलब ये थोड़े ही है कि किसी उपासना पद्दति को मानने वाला कोई पंथ सत्य एक है विद्वान उसे अलग-अलग तरीके से कहते हैं, कोई किसी रास्ते जाए, अगर मस्जिद में जाए तो कोई आपत्ति नहीं मंदिर में जाए तो कोई आपत्ति नहीं, गिरजाघर में जाए तो आपत्ति नहीं, हिदुत्व ने कभी इसका विरोध नहीं किया, विरोध करने का सवाल ही नहीं, इंसान हैं सभी और उसके नाते सबका सम्मान करना चाहिए। हिंदुत्व ये कहता है कि सारी दुनिया ही एक परिवार है, हिदुत्व तो सबके कल्याण की बात सोचता है। उदार दृष्टिकोण में सारे विश्व का कल्याण समाहित है। स्वामी विवेकानंद ने भी यहा कहा कि जाओ चाहे किसी भी रास्ते से पहुंचोगे आखिर में उस तक। इसलिए जितनी योजनाएं भाजपा ने बनाई वो सब नागरिकों के लिए बनाई। उसमें हिंदू नहीं है, मुसलमान नहीं है, सबको समान रूप से बढ़ाने का काम है इसलिए मैं मानता हूं कि विकास और हिदुत्व परस्पर विरोधी नहीं है पूरक हैं और अनूकूल हैं।
First Published: Wednesday, April 10, 2013, 16:53