Last Updated: Thursday, February 23, 2012, 03:10
लंदन: वैज्ञानिकों ने अनिद्रा जीन का पता लगाने का दावा किया है । इससे अनिद्रा बीमारी के प्रभावी इलाज का मार्ग प्रशस्त होने की संभावना है।
न्यूयार्क के राकफेलर विश्वविद्यालय के एक दल ने कहा कि उसने मधुमक्खियों में एक आनुवांशिक उत्परिवर्तन की पहचान की है। उसने पाया कि जिन मधुमक्खियों में ऐसी स्थिति होती है वे सामान्य की तुलना में दो तिहाई कम सो पाती हैं और उनका जीवनकाल भी छोटा होता है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि ये जीन मस्तिष्क कोशिकाओं से कुछ खास तरह के उस प्रोटीन को हटा देते हैं जो नींद लाने में मदद करती हैं।
डेलीमेल की खबर के मुताबिक यह अनुसंधान कहता है कि हालांकि जीवनशैली की दृष्टि से मधुमक्खियों और मानव में नाममात्र समानताएं हैं लेकिन नींद और जगने की यांत्रिकी संभवत: समान है।
मुख्य अध्ययनकर्ता डॉ. निकोलस स्टार्वोपोलोस ने कहा,‘नींद सभी जीवों में स्वाभाविक प्रवृत्ति हैं लेकिन वैज्ञानिक दृष्टि से इसकी अच्छी समझ विकसित नहीं हुई है।’ उन्होंने कहा, ‘यह खोज हमें इस बारे में नये सुराग देती है कि आणविक स्तर पर कैसे नींद नियंत्रित होता है। यह नींद रोग को समझने तथा उसके इलाज में बहुत उपयोगी साबित हो सकता है।’
(एजेंसी)
First Published: Thursday, February 23, 2012, 08:42