Last Updated: Friday, March 23, 2012, 09:06
वाशिंगटन : वैज्ञानिकों ने एक ताजा अध्ययन में पाया है कि संक्रमण के भीतर एक विषाणु के जरिये तेजी से बढने की एचआईवी की क्षमता ने ही उसे आजतक पहेली बने रहने में मदद की है। एचआईवी विषाणु ही घातक एड्स रोग के लिए जिम्मेदार होता है।
एक अंतरराष्ट्रीय दल ने पाया कि संक्रमण के शुरूआती दौर में भी, जब विषाणुओं की तादात कम होती है, एचआईवी (हयूमन इम्युनोडेफीसिएंसी वायरस) तेजी से बढकर प्रतिरोधक क्षमता तथा इलाज के प्रतिकूल काम करता है। इस दल ने अध्ययन में कम्प्यूटर की भी मदद ली।
‘एडीलेड विश्वविद्यालय’ के वैज्ञानिकों ने कहा कि इस अध्ययन के नतीजे एचआईवी का सटीक इलाज ढूंढने का रास्ता साफ कर सकते हैं। ‘जेनेटिक्स’ पत्रिका में छपे इस शोध ने इस आम धारणा को चुनौती दी है कि संक्रमण के शुरूआती दौर वाली परिस्थितियों में विषाणुओं का बढना बहुत कम होता है।
दल के प्रमुख जैक डि सिल्वा ने कहा, ‘मेरा विश्वास है कि एड्स का इलाज खोजने का प्रयास अब तक नाकाम रहा क्योंकि हम एचआईवी के बढने की प्रक्रिया समझ नहीं पाए।’ इस खोज के लिए वैज्ञानिकों ने कम्प्यूटर का उपयोग करके यह पता करने की कोशिश की कि क्या वास्तविक स्थितियों में, संक्रमण के एक विषाणु से शुरू होने पर ही विषाणु तेजी से बढ सकते हैं। (एजेंसी)
First Published: Friday, March 23, 2012, 14:36