Last Updated: Tuesday, August 23, 2011, 10:17
बीजिंग : चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज (सीएएस) के वैज्ञानिकों ने ब्रह्मपुत्र के मार्ग का उपग्रह से ली गयी तस्वीरों का विश्लेषण करने के साथ भारत-पाकिस्तान से बहने वाली सिंधु और म्यामां के रास्ते बहने वाली सालवीन और इर्रावडी के बहाव के बारे में पूरा विवरण जुटा लिया है. सीएएस के तहत आने वाले इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग एप्लिकेशंस के शोधकर्ता लियू शाओचुआंग ने शिन्हुआ संवाद समिति को बताया कि ब्रह्मपुत्र (तिब्बती भाषा में यारलुंगजांगबो) का उद्गम स्थल तिब्बत के बुरांग काउंटी स्थित हिमालय पर्वत के उत्तरी क्षेत्र में स्थित आंग्सी ग्लेशियर है, न कि चीमा-युंगडुंग ग्लेशियर, जिसे भूगोलविद् स्वामी प्रणवानंद ने 1930 के दशक में ब्रह्मपुत्र का उद्गम बताया था.
नए शोध परिणामों के मुताबिक ब्रह्मपुत्र नदी 3,848 किलोमीटर लंबी है और इसका क्षेत्रफल 7,12,035 वर्ग किलोमीटर है, जबकि पहले के दस्तावेजों में नदी की लंबाई 2,900 से 3,350 किलोमीटर और क्षेत्रफल 520,000 से 17 लाख 30 हजार वर्ग किलोमीटर बताया गया था. इस आंकड़े का इस्तेमाल भारत और चीन के बीच विशेषज्ञ स्तर की पांचवीं बातचीत में हो सकता है. यह बातचीत ब्रह्मपुत्र से जुड़े आंकड़ों के शोध और बाढ़ प्रबंधन के लिए की जानी है.
चीन ने पिछले दिनों तिब्बत में लगभग एक अरब 80 करोड डॉलर की लागत से जल परियोजनाएं शुरू करने की घोषणा की है. लियू के दल ने बताया कि सिंधु नदी का उद्गम तिब्बत के गेजी काउंटी में कैलाश के उत्तर-पूर्व से होता है. नए शोध के मुताबिक, सिंधु नदी 3,600 किलोमीटर लंबी है, जबकि पहले इसकी लंबाई 2,900 से 3,200 किलोमीटर मानी जाती थी. इसका क्षेत्रफल 10 लाख वर्ग किलोमीटर से भी ज्यादा है. सिंधु नदी भारत से होकर गुजरती है लेकिन इसका मुख्य इस्तेमाल भारत.पाक जल संधि के तहत पाकिस्तान करता है.
First Published: Tuesday, August 23, 2011, 15:47