Last Updated: Wednesday, July 18, 2012, 18:13
नई दिल्ली: आंखों की रोशनी का चले जाना जीवन के लिए एक बड़ा धक्का होता है, यह जानते हुए भी केवल एक तिहाई लोग ही अपनी दृष्टि के संरक्षण के लिए जरूरी बुनियादी कदम उठाते हैं। और इन मामलों में हम भारतीय सबसे आगे हैं।
एक नये सर्वेक्षण के अनुसार भारतीय उन लोगों में सबसे उपर हैं जो जब तक समस्या ना हो तब तक कभी कोई आई-चेकअप नहीं कराते।
नेत्र संबंधी स्वास्थ्य उत्पाद बनाने वाली कंपनी बॉश एंड लैंब ने बैरोमीटर ऑफ ग्लोबल आई हेल्थ सर्वेक्षण जारी किया। सर्वेक्षण के अनुसार केवल एक तिहाई लोग ही आंखों की रोशनी के संरक्षण के लिए जरूरी बुनियादी कदम उठाते हैं।
दुनिया भर के 3.9 करोड़ नेत्रहीन लोगों में से 78 लाख या 20 प्रतिशत लोग भारत में हैं। भारत में जिन लोगों पर सर्वेक्षण किया गया उनमें से केवल 43 प्रतिशत लोगों ने पिछले 12 महीनो में सही तरह से आंखों की जांच करायी थी, और 64 प्रतिशत ने पिछले एक-दो सालों में अपनी आंखों की जांच करायी थी।
बॉश एंड लैंब के मुख्य चिकित्सा अधिकारी काल रॉबर्ट्स ने कहा, ‘लोग अपनी दृष्टि पर बहुत ध्यान देते हैं। लेकिन वह इसके संरक्षण के लिए जरूरी बुनियादी कदम नहीं उठाते। हम उम्मीद करते हैं कि इस शोध पर लोगों का ध्यान जाएगा और वह अपनी आंखों पर और ध्यान देंगे।’
इस सर्वेक्षण में 11 देशों के 11,000 लोग शामिल किए गए थे। इनमें ब्राजील, चीन, जर्मनी, फ्रांस, जापान, भारत, इटली, अमेरिका, ब्रिटेन, स्पेन, रूस शामिल हैं। इनमें 44 प्रतिशत लोगों ने कहा कि जब तक कि कोई समस्या ना हो तब तक आंखों की जांच कराना उन्हें जरूरी नहीं लगता। जबकि 42 प्रतिशत ने कहा कि अगर वह देख सकते हैं तो इसका मतलब हैं कि उनकी आंखें स्वस्थ हैं।’ (एजेंसी)
First Published: Wednesday, July 18, 2012, 18:13