Last Updated: Monday, October 10, 2011, 08:56
लंदन. अक्सर कहा जाता है कि आशावाद खुशियों की कुंजी है. अब एक अध्ययन में कहा गया है कि लोग जीवन के अच्छे पक्ष को देखते हैं और यह उनकी एक स्वाभाविक प्रवृत्ति है.
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के अनुसंधानकर्ताओं ने एक अध्ययन में पाया कि मानव मस्तिष्क आशावाद को लेकर भेदभाव करता है और उम्मीद से अधिक अच्छी स्मृतियों को सहेजता है.
अध्ययन के लिए स्वयंसेवकों को प्रतिकूल घटनाक्रमों की एक सूची दी गई. इसमें अल्झाइमर होना, लूट लिया जाना आदि घटनाएं थीं. स्वयंसेवकों से कहा गया कि वह इससे मिलतीजुलती घटनाएं याद करें. यह सिलसिला बार बार दोहराया गया.
दैनिक अखबार ‘डेली एक्सप्रेस’ की खबर के अनुसार, प्रतिभागियों ने उम्मीद से कम नुकसान वाली घटनाओं को तरजीह दी. इस अध्ययन के नतीजे ‘‘नेचर न्यूरोसाइन्स’’ जर्नल के नवीनतम अंक में प्रकाशित हुए हैं.
(एजेंसी)
First Published: Monday, October 10, 2011, 14:27