Last Updated: Wednesday, February 27, 2013, 10:04

सिडनी : वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि लगभग 83 हजार कृत्रिम रसायनों के पानी, मिट्टी, वायु, वन्यजीवन, खाद्य और विनिर्मित वस्तुओं में संचरित होने से मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण को अनजान खतरा पैदा हो गया है।
यह चेतावनी विशिष्ट मिट्टी वैज्ञानिक और दक्षिण आस्ट्रेलिया विश्वविद्यालय और सीआरसी पर्यावरण प्रदूषण आकलन एवं पर्यावरण सुधार (सीआरसी सीएआरई) के प्रोफेसर रवि नायडू ने जारी की है। सीआरसी सीएआरई द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, नायडू ने कहा कि वैश्विक प्रणाली पर मनुष्य की गतिविधियों के प्रभाव के बारे में जब लोग सोचते हैं, तो लोग अक्सर मुख्यत: ग्रीन हाउस गैसों, शहरी वायू प्रदूषण के बारे में सोचते हैं। लेकिन वास्तव में जहरीले रसायन पदार्थो की व्यापक सरणी वातावरण में घुल चुकी है।
नायडू ने कहा कि अमेरिका, यूरोप और चीन में अनुसंधान में यह पाया गया है कि कई माताएं अनजाने में अपने बच्चों को अपने दूध के जरिय कैंसरकारी तत्वों को पिला रही हैं। कई बच्चे इससे ग्रसित होकर ही पैदा हो रहे हैं। बहुत से बड़े-बड़े शहरों में पानी गंदा और पीने के लायक नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि सभी प्रजातियों को अपने स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के लिए सबसे पहले यह समझना होगा कि वैश्विक स्तर पर क्या चल रहा है और ऐसा करने के लिए हमें पूरे विश्व के सबसे बेहतरीन वैज्ञानिकों की टीम बनानी होगी।
नायडू ने कहा कि प्रस्तावित वैश्विक संदूषण अनुसंधान पहल (जीसीआरआई) में वैश्विक वैज्ञानिकों के बीच सहयोग की कल्पना की गई थी। इसके जरिए कहीं भी ऐसे मुद्दे जो लोगों को प्रभावित करते हैं उन पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान केंद्रित करना था। लेकिन यह भी अब पूरी तरह से गर्त में चला गया। नायडू को विज्ञान में प्रगति करने में सहायता करने के लिए अमेरिकी एडवांस साइंस एसोशिएसन (एएएएस) ने अपना सहयोगी बनाया गया है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, February 27, 2013, 10:04