Last Updated: Monday, March 12, 2012, 08:44
बर्लिन: मरुस्थल में भोजन की तलाश में निकलने वाली चीटियां रेत पर निशान नहीं रहने के बावजूद लौटते वक्त अपने घर (बांबी) का पता लगा लेती हैं और इसमें उन्हें मदद मिलती है पृथ्वी के चुम्बकीय संकेतों से। जर्मनी में मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर केमिकल इकोलॉजी के वैज्ञानिकों के अनुसार, दृश्य संकेतों तथा महक के अतिरिक्त वे चुम्बकीय तथा कम्पन के संकेतों से भी अपनी बांबियों का पता ढूंढ लेती हैं।
चीटियों के लिए लौटते वक्त अपनी बांबी में ही लौटना जीवन-मरन का सवाल होता है, क्योंकि यदि वे गलती से भी किसी अन्य बांबी में घुस जाती हैं तो वहां की चीटियां उन्हें मार डालती हैं या उन पर हमला कर देती हैं।
वैज्ञानिकों ने अध्ययन के जरिये यह पता लगाने का प्रयास किया था कि क्या चीटियां अन्य संकेतों के अभाव में पृथ्वी के चुम्बकीय व तरंगीय संकेतों से भी अपनी बांबियों का पता लगा सकती हैं?
अध्ययनकर्ता कॉर्नेलिया बूहमैन के अनुसार, हम यह देखकर हैरान रह गए कि ऐसा होता है। मैक्स प्लैंक की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि चीटियों को अपने साथियों द्वारा सांस लेने के क्रम में छोड़े जाने वाले कार्बन डाइऑक्साइड की महक से भी बांबियों का पता ढूंढ़ने में मदद मिलती है।
इस अध्ययन से यह भी पता चलता है कि चीटियों में प्रतिकूल परिस्थितियों में भी खुद को ढाल लेने का कौशल होता है। इसके अतिरिक्त उनमें भी पक्षियों की तरह पृथ्वी के तरंगों को भांप लेने की क्षमता होती है। (एजेंसी)
First Published: Monday, March 12, 2012, 14:14