Last Updated: Thursday, February 16, 2012, 08:39
वॉशिंगटन : वैज्ञानिकों ने इस बात का प्रमाण ढूंढ निकालने का दावा किया है कि जीन थेरेपी बाद में कोशिकाओं के आकार में तब्दीली भी ला सकती है। गौरतलब है कि जीन थेरेपी से जख्मी दिमागी कोशिकाओं को जिंदा रखा जा सकता है और उनके फिर से बढ़ने में यह थेरेपी मददगार साबित हो सकती है।
यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया के प्रोफेसर एलन हार्वे की अगुवाई में एक अंतरराष्ट्रीय दल की ओर से किए गए इस शोध के नतीजे ‘पीलॉस वन’ नाम की पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं। प्रोफेसर हार्वे ने बताया कि हमारे पिछले कार्यों ने दिखाया है कि जब वृद्धि को बढ़ावा देने वाले जीन को लंबे समय से जख्मी दिमागी कोशिकाओं से मेल कराया गया तो कोशिकाओं के जिंदा रहने की क्षमता में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई। हार्वे ने कहा कि हमने अब दिखाया है कि इन एक जैसे न्यूरॉनों के आकार में भी बदलाव आया है।
अहम बात तो यह है कि सिर्फ वृद्धि को बढ़ावा देने वाले जीन से जुड़े न्यूरॉन में ही बदलाव नहीं आया बल्कि इनके आसपास मौजूद न्यूरॉन में भी बदलाव देखे गए। वैज्ञानिकों के मुताबिक, ‘न्यूरल मॉफरेलॉजी’ यह पता लगाने में काफी कारगर साबित होती है कि किस तरह एक कोशिका दूसरी कोशिकाओं के संपर्क में आती हैं और ऐसे परिपथ बनाती हैं जो दिमाग को अपना काम करने की इजाजत देते हैं।
(एजेंसी)
First Published: Thursday, February 16, 2012, 14:09