Last Updated: Wednesday, July 4, 2012, 16:10

वाशिंगटन : समुद्र में नाजुक और खूबसूरत जलपरियां नहीं रहतीं। अमेरिका की एक सरकारी विज्ञान एजेंसी ने दावे के साथ यह बात कही है कि जलपरियां केवल कल्पनालोक का हिस्सा हैं और ये कभी भी हकीकत में दुनिया में नहीं रहीं।
नेशनल ओशनिक एंड एटमोसफेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) का यह दावा ऐसे समय आया है जब ऐनीमल प्लानेट ने कुछ ही दिन पहले ‘जलपरियां’ नामक कार्यक्रम दिखाया था। नेशनल ओशन सर्विस ने कहा, ‘समुद्र में जलपरियों के रहने के कभी कोई सबूत नहीं मिले।’ हालांकि एनओएए के प्रवक्ता ने कहा कि यह खुलासा चैनल के कार्यक्रम का जवाब नहीं है।
प्रवक्ता कीले बेल्वा ने लाइव साइंस को बताया, ‘टीवी शो मेमोरियल डे के मौके पर आया था और हमसे जलपरियों के संबंध में सवाल किए गए।’ प्राणी विज्ञानी जॉन हॉक ने अपने ब्लॉग में कहा है कि अधिकतर वैज्ञानिकों ने जलपरियों की धारणा का कभी समर्थन नहीं किया। अभी तक लोकप्रिय धारणा यह रही है कि जलपरियां आधी इंसान और आधी मछली होती हैं।
प्राचीन यूनानी महाकाव्य ‘द ओडिसी’ में इनका जिक्र किया गया है। सुदूरवर्ती पूर्व में जलपरियों को शक्तिशाली समुद्री ड्रेगन की पत्नियां कहा जाता है जबकि ऑस्ट्रेलियाई लोग जलपरियों को ‘याक याक’ कहते हैं। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, July 4, 2012, 16:10