जलवायु परिवर्तन: 2030 तक 10 करोड़ लोगों की जाएगी जान!

जलवायु परिवर्तन: 2030 तक 10 करोड़ लोगों की जाएगी जान!

जलवायु परिवर्तन: 2030 तक 10 करोड़ लोगों की जाएगी जान!ज़ी न्यूज ब्यूरो

लंदन: एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2030 तक जलवायु परिवर्तन से दुनिया में 10 करोड़ लोगों की मौत हो जाएगी। पर्यावरण से जुड़े संगठन की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वर्ष 2030 तक जलवायु परिवर्तन से प्रभावित लगभग 10 करोड़ लोगों की मौत हो जाएगी।

20 सरकारों की कमीशन रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु परिवर्तन आने वाले दिनों में सबसे बड़ी समस्या होगी जो कई विकासशील देशों में बड़ी संख्या में मौत का कारण बनेंगी।

विकसित देशों के समुह से जुड़े क्लाइमेट फोरम में यह रिपोर्ट मानवीय संगठन डीएआरए ने जारी की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन से पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ रहा है, जिससे पहाड़ों पर जमी बर्फ की चोटियां पिघलेंगी। इस दौरान मौसम बहुत खराब होगा और कहीं भयानक सूखा तो कहीं बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न होगी। यह सब बढ़ती जनसंख्या और दुनिया की जीडीपी के लिए सबसे बड़े खतरे के रूप में मंडरा रहा है।

रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है कि हर साल 50 लाख लोगों की मौत वायु प्रदूषण और भुखमरी से हो सकती है। जलवायु परिवर्तन से लोगों में गंभीर बीमारियां पैदा होंगी। अगर इसे समय रहते नहीं रोका गया तो वर्ष 2030 तक यह आंकड़ा लगभग हर साल 60 लाख लोगों की मौत तक पहुंच सकता है।

रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु परिवर्तन की वजह से 90 फीसदी मौतें विकासशील देशों में होंगी। इसका प्रभाव 2010 से लेकर 2030 तक 184 देशों में होगा। 2030 तक माना जा रहा है कि जीवाश्म इंधन के ताबड़तोड़ इस्तेमाल की वजह से मृतकों का आंकड़ा 60 लाख प्रति वर्ष तक हो सकता है।

रिपोर्ट के मुताबिक अगले दस साल में इससे लगभग 1 अरब लोगों की मौत हो सकती है जो कि एक भयावह आंकड़ा हो सकता है।

जलवायु परिवर्तन क्या है ?

जलवायु परिवर्तन का मतलब जलवायु में आने वाले व्यापक बदलाव से है। उदाहरण के लिए, समुद्री स्तर बढ रहा है और अन्य बातों के अलावा कृषि भी प्रभावित हो रही है।

मौसम के स्वरूप में बदलाव खाद्य उत्पादन के लिए चुनौती पैदा कर सकता है, जबकि समुद्री स्तर में बढ़ोतरी तटीय जल भंडारों को दूषित कर सकती है और भयंकर बाढ़ की स्थिति पैदा कर सकती है। इसके अलावा पहाड़ी क्षेत्रों में चट्टान एवं हिम स्खलन और कुछ आर्कटिक एवं अंटार्कटिक वनस्पति और प्राणी समूहों में बदलाव जैसे अन्य प्रभाव भी शामिल हैं।

जलवायु परिवर्तन का भारत जैसे देश में भीषण असर होगा, जहां आबादी का बड़ा हिस्सा खेती से जुड़ा और मौसम के मिजाज पर निर्भर है। पानी पहले से दुर्लभ हो चुका है और उसका वितरण भी ठीक नहीं है। हिमालय के ग्लेशियर पिघल ही रहे हैं। ऐसे में, खाद्यान्न उत्पादन सिमटने के साथ-साथ भविष्य में जंगल और पेड़-पौधे भी कम होंगे। समुद्र का जल-स्तर बढने के कारण समुद्रतटीय इलाके के लोग पहले ही प्रभावित हैं, भविष्य में भीषण स्थिति आने पर उन क्षेत्रों से भारी संख्या में विस्थापन होगा, जिससे पहले से ही भीड़ भरे हमारे शहरों-महानगरों पर बोझ और बढ़ेगा।




First Published: Wednesday, September 26, 2012, 16:28

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