Last Updated: Monday, August 6, 2012, 21:16
ह्यूस्टन : नासा के महत्वकांक्षी मंगल परियोजना के अंतरिक्ष यान ‘क्युरियोसिटी’ को ग्रह पर उतारने के लिए जगह चुनने में भारतीय वैज्ञानिक अमिताभ घोष की महत्वपूर्ण भूमिका रही ।
नासा के ‘मार्स एक्सप्लोरेशन रोवर मिशन’ के ‘साइंस ऑपरेशंस वर्किंग ग्रुप’ के प्रमुख घोष ने रोवर के उतरने के स्थान को ‘बेहद रोमांचक’ और ‘महान संभावनाओं’ से भरपूर बताया।
सफलता से खुश घोष ने मिशन की चुनौतियों के बारे में कहा, हम बहुत बहुत चिंतित थे। यह बहुत मुश्किल काम था। कल्पना कीजिए आप सतह पर उतरने की कोशिश कर रहे हैं, आपके सामने तमाम ऐसी तकनीकों का गुच्छा है जिनका आपने पहले कभी एक साथ उपयोग नहीं किया है, आप उनका परीक्षण कर रहे हैं और वहां के वातावरण के बारे में भी आपको बहुत कम जानकारी है।
उन्होंने एक निजी टीवी चैनल को कहा, यह बहुत बड़ा काम था। यह क्षण हजारों लोगों के पांच-छह वर्ष की मेहनत के बाद आया है। अगर यह क्रैश हो जाता तो फिर उसके बाद कुछ नहीं बचता। घर से (पृथ्वी से) 24, 78, 38, 976 किलोमीटर दूर ‘गेल क्रेटर’ को रोवर उतारने के लिए चुना गया क्योंकि कक्षा से देखने पर वहां चिकनी मिट्टी (क्ले) और सल्फेट खणिज का संकेत मिला था।
घोष ने कहा, क्ले जल से संबंधित वातावरण में ही पैदा होता है । हमें इस क्रेटर में परतों जैसी संरचना भी दिखी थी । पृथ्वी पर हमें अवसादी चट्टानों में परतें दिखाई देती हैं जो जल के मौजूद होने का सबूत है । ‘क्यूरियोसिटी’ रोवर के आज सफलतापूर्वक मंगल ग्रह की सतह पर उतरने को असाधारण और अद्भुत उपलब्धि करार देते हुए भारतीय अंतरिक्ष विशेषज्ञों ने इसकी सराहना की। (एजेंसी)
First Published: Monday, August 6, 2012, 21:16